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एनीमिया रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है ये 3 योगासन

सुस्त लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी की वजह से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जो आगे चलकर सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बनने लगती है। ऐसी ही एक समस्या का नाम है एनीमिया। दरअसल, शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहते हैं। यह वह स्थिति है, जिसमें शरीर के ऊतकों में पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है। एनीमिया होने पर व्यक्ति को थकान, सिर दर्द, बदन दर्द, चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। ऐसे में इस समस्या से राहत पाने के लिए पौष्टिक आहार के साथ कुछ सप्लीमेंट दवाओं और योग की मदद ली जा सकती है। आइए जानते हैं आयरन की कमी होने पर कौन से 3 योगासन आपकी मदद कर सकते हैं।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ने के साथ मांसपेशियों में लचीलापन आता है और फेफड़े मजबूत होते हैं। यह प्राणायाम तनाव और चिंता कम करके नाड़ियों को खोलकर शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ लाल रक्त कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को भी बेहतर करता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से एनीमिया रोग को भी तेजी से दूर किया जा सकता है।
कैसे करें अनुलोम-विलोम प्राणायाम-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर पद्मासन या सुखासन में बैठकर अपनी रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें और आंखें बंद कर लें। अब दिमाग में आने वाले हर तरह के विचारों को अपने दिमाग से हटा लें और कलाइयों को बाहर घुटनों पर टिकाकर शुरुआत करें। सबसे पहले अपने दाहिने हाथ की मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें। अंगूठे को अपने दाहिने नथुने पर और अनामिका को बाएं नथुने पर रखें। दाहिने नथुने को अंगूठे से बंद करें और बाएं नथुने से धीरे-धीरे गहराई से श्वास लें। फेफड़े में श्वास भरने तक खींचते रहें। ऐसा करते हुए श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना अंगूठा छोड़ें और अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें।दाहिने नथुने से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। अब इसे उल्टा करें, इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से सांस छोड़ें।
कपालभाति प्राणायाम-
कपालभाति प्राणायाम तेजी से पेट की चर्बी कम करके मोटापे से होने वाले रोगों का खतरा भी कम करता है।इसके अलावा कपालभाति रक्त से जुड़ी समस्याओं को भी तेजी से दूर करके एनीमिया रोगियों को फायदा पहुंचाता है।
कैसे करें कपालभाति-
कपालभाति करने के लिए सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठकर अपने दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बनाएं। अब एक गहरी सांस भीतर की ओर खींचते हुए झटके से सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें। अगर आप कपालभाति की शुरुआत कर रहे हैं, तो 35 से शुरू करते हुए धीरे-धीरे इसे बढ़ाते जाएं।
सूर्यभेद प्राणायाम-
सूर्यभेद प्राणायाम को करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ने के साथ रक्त से जुड़े विकार तेजी से कम होते हैं। सूर्यभेद प्राणायाम शरीर में लाल रंग कोशिकाओं के निर्माण में मदद करके कफ, दमा, खांसी, साइनस, ह्रदय, पाइल्स जैसी समस्याओं में भी राहत देता है।
कैसे करें सूर्यभेदी प्राणायाम-
सूर्यभेदी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठकर अपनी कमर, गर्दन, पीठ को बिल्कुल सीधा रखते हुए बाएं हाथ की उंगलियों को बाएं पैर पर ज्ञान मुद्रा में रखते हुए दाएं हाथ की दो उंगलियों को बाएं नासिका छिद्र को बंद कर दें। अब दाईं नासिका छिद्र से सांस लेते हुए दोनों हाथ की उंगलियों से दाईं नासिका को बंद करके क्षमतानुसार सांस रोकें। इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।

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