राष्ट्रीय उद्यान में अगले महीने आएंगे चीते....!
भोपाल/श्योपुर. मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला स्थित कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले स्तनधारी चीतों को अगले महीने दक्षिण अफ्रीका से लाया जाएगा, जिनका स्वागत करने के लिए यह उद्यान तैयार है। इससे करीब 70 साल बाद देश में बिलुप्त हुए चीते की दहाड़ फिर से सुनाई देगी। इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाने के लिए करीब 10 साल से चर्चा चल रही थी। देश में इस प्रजाति का अंतिम चीता वर्ष 1947 में अविभाजित मध्य प्रदेश के कोरिया इलाके में देखा गया था, जो अब छत्तीसगढ़ में आता है। बाद में वर्ष 1952 में 80 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाले इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वन विभाग के प्रधान सचिव अशोक बर्नवाल ने बताया, ‘‘हम इस पर काम कर रहे हैं। चीते अगस्त में मध्य प्रदेश आएंगे।'' यह पूछे जाने पर कि क्या चीतों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को उद्यान में लाया जाएगा, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘यह हो सकता है।'' क्या चीते नामीबिया लाए जा रहे हैं या दक्षिण अफ्रीका से, इस सवाल पर बर्नवाल ने कहा, ‘‘शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका से लाए जाएंगे।'' चीतों के स्थानांतरण को लेकर दोनों देशों के साथ सहमति ज्ञापन (एमओयू) की स्थिति पर शीर्ष वन अधिकारी ने कहा कि उन्हें अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। बर्नवाल ने विस्तार से बताए बिना कहा कि दक्षिण अफ्रीका के साथ जल्द ही एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाएगा। चीते मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाते हैं। हालांकि, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर वाई. वी. झाला एवं मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे. एस. चौहान ने भी कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के आगमन के लिए कोई सटीक तारीख नहीं दी। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान भी इन चीतों के हस्तांतरण परियोजना में शामिल है। नामीबिया या दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर भारत में बसाये जाने के बारे में एमओयू पर हस्ताक्षर के संदर्भ में पूछे गये एक सवाल पर झाला ने कहा, ‘‘यह (भारत) सरकार पर निर्भर करता है। इसे (एमओयू) दो दिनों में किया जा सकता है या इसमें दो महीने भी लग सकते हैं। इस तरह की परियोजनाओं में बहुत सारी कानूनी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।'' वहीं, चौहान ने कहा, ‘‘चीतों के भारत आने के स्वागत के लिए हमारी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, लेकिन हमें आगमन की सही तारीख या मध्य प्रदेश में आने वाले चीतों की संख्या के बारे में कुछ भी नहीं पता है क्योंकि इसे भारत सरकार के स्तर पर अंतिम रूप दिया जा रहा है।'' उन्होंने कहा कि कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान ने मादाओं सहित 12 से 15 चीतों को बसाने के लिए तैयारी की है और शुरू में स्थानांतरित चीतों को रखने के लिए पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में आठ कंपार्टमेंट बनाये गये हैं। अन्य अधिकारियों के साथ चीतों की देखभाल करने का प्रशिक्षण लेने वाले श्योपुर के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) प्रकाश वर्मा ने कहा कि भारतीय धरती पर चीतों को बसाने के लिए 90 प्रतिशत तैयारी पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया की टीम ने इन चीतों को भारत में फिर से बसाने की परियोजना में कुछ कमियां बताई हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। वर्मा ने बताया, ‘‘हमें (प्रशिक्षण के दौरान) चीतों की देखभाल करने के तौर-तरीके सिखाए गए हैं और उनके व्यवहार के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया है। हमने जो कुछ भी सीखा है, हम कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में पदस्थ 125 से अधिक कर्मचारियों को उन कौशलों के बारे में जानकारी देंगे।'' उन्होंने कहा कि कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान करीब 750 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है और चीतों को फिर से बसाने के लिए देश के सबसे बेहतर पर्यावास में से यह एक है। इसमें चीतों के लिए अच्छा शिकार भी मौजूद है, क्योंकि यहां पर हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर, लंगूर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाये जाते हैं।










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