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 एम्स ने तीन महीने से भी कम समय में दूसरी बार फेफड़े का प्रतिरोपण किया

 नयी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शनिवार को प्रतिरोपण के जरिए 50 वर्षीय एक महिला को नए फेफड़े मिले। पिछले तीन महीने से भी कम समय में एम्स में दूसरी बार फेफड़े का प्रतिरोपण हुआ है। न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर दीपक गुप्ता ने कहा कि ‘ब्रेन डेड' घोषित 36 वर्षीय व्यक्ति के फेफड़ों को एम्स में ही निकाला गया और सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किया गया। संस्थान में इस तरह की प्रक्रिया पहली बार की गई। गुप्ता ने  बताया कि ‘ब्रेन डेड' मरीज के दिल, यकृत और गुर्दे भी निकाल लिए गए, जिससे चार अन्य लोगों को नया जीवन मिला। एम्स इस साल मई में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ के बाद दूसरा सरकारी अस्पताल बन गया जिसने फेफड़े का प्रतिरोपण किया। एम्स में आर्गन रेट्रीवल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन (ओआरबीओ) की प्रमुख डॉ आरती विज ने बताया कि अंग हासिल करने और प्रतिरोपण की पूरी प्रक्रिया शुक्रवार को रात 11.30 बजे शुरू हुई और शनिवार को दोपहर तक चली। उन्होंने कहा कि ओआरबीओ के समन्वयकों, प्रतिरोपण टीम, फॉरेंसिक विभाग, विभिन्न अंग निकालने वाले डॉक्टरों की टीम, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) तथा पुलिस विभाग के बीच प्रभावी समन्वय से यह मुमकिन हो पाया। एम्स में कार्डियो थोरैसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के प्रोफेसर डॉक्टर मिलिंद होते ने   कहा, ‘‘अतीत में अधिकतर मामलों में फेफड़े चिकित्सकीय रूप से प्रतिरोपण के लिए उपयुक्त नहीं थे। लेकिन यहां, आकलन से पता चला कि फेफड़े अच्छी स्थिति में थे और इस प्रकार उन्हें संस्थान में फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित 50 वर्षीय महिला रोगी में प्रतिरोपित किया गया।'' एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन और स्लीप डिसऑर्डर के प्रोफेसर डॉक्टर अनंत मोहन ने कहा कि प्रतिरोपण प्रक्रिया के बाद मरीज गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में निगरानी में है। उन्होंने कहा, ‘‘वह एक साल से अधिक समय से फेफड़े के प्रतिरोपण की प्रतीक्षा कर रही थी।'' उत्तर प्रदेश के निवासी अमरेश चंद को यहां जैतपुर के पास 27 जुलाई को एक ऑटो रिक्शा की चपेट में आने से सिर में भारी चोट आई थी। उन्हें ट्रामा सेंटर ले जाया गया और उनका ऑपरेशन किया गया, लेकिन अगले दिन ‘ब्रेन डेड' घोषित कर दिया गया। एम्स, नयी दिल्ली में डॉक्टरों और प्रतिरोपण समन्वयकों की एक टीम ने उनके परिवार के सदस्यों को उनके अंग दान करने की सलाह दी। डॉक्टर होते ने कहा कि फेफड़ों के अलावा आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में एक मरीज को नोटो के जरिए अमरेश का दिल दिया गया। एम्स में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ सुजॉय पाल ने कहा कि व्यक्ति के यकृत को यकृत कैंसर से पीड़ित एक मरीज में प्रतिरोपित किया गया।

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