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देश के प्रमुख शहरों में ऐसे मनाई जाती है जन्माष्टमी

कृष्णा जन्माष्टमी का त्योहार देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हम आपको ऐसी पांच जगहों के बारें में बताने जा रहा हैं जहां भव्य और अलौकिक जन्मोत्सव मनाया जाता है. जहां भक्त, भक्ति और भगवान का संगम होता है. ये ऐसी जगहें हैं जहां आप फैमिली या फ्रेंड्स किसी के भी साथ जा सकते हैं...
 मथुरा
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की जन्माष्टमी दिव्य होती है. यहां दो भाग में जन्मोत्सव मनाया जाता है. झूलनोत्सव और घाट. झूलनोत्सव में मथुरा के लोग अपने घरों में झूला लगाते हैं. उस झूले में कृष्ण की मूर्तियां रखते हैं. सुबह-सुबह दूध, दही, शहद और घी से मूर्ति को स्नान कराया जाता है. नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं. दूसरी प्रथा घाट में शहर के सभी मंदिरों को एक ही रंग से सजाया जाता है. कृष्ण के जन्म के समय इन मंदिरों में एक साथ पूजा की जाती है. पारंपरिक शंख, मंदिर की घंटियों और मंत्रभजनों की ध्वनि की गूंज अलग ही दुनिया में ले जाती है. यहां बांके बिहारी, द्वारकाधीश, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं.
गोकुल
मथुरा में जन्म लेने के बाद भगवान श्रीकृष्ण को गोकुल ले जाया गया था. यहां की जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है. देश के बाकी हिस्सों में जिस दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है, उसके एक दिन बाद यहां गोकुलाष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसके पीछे का कारण यह है कि मथुरा में जन्म के बाद मध्यरात्रि में कृष्ण को गोकुल लाया गया था. यहां आने वाले तीर्थयात्री राधा रमन मंदिर और राधा दामोदर मंदिर में दर्शन कर सकते हैं.
वृंदावन
वृंदावन के कण-कण में कृष्ण विराजमान हैं, ऐसा माना जाता है. मथुरा से करीब 15 किलोमीटर दूर यह वही जगह है, जहां भगवान श्रीकृष्ण बड़े हुए, गोपियों के साथ रासलीला की, राधा रानी से प्रेम किया. यहां का जन्मोत्सव सबसे भव्य माना जाता है. वृंदावन में 10  दिन पहले से ही जन्माष्टमी का त्योहार शुरू हो जाता है. ऐसे में आप जन्माष्टमी की छुट्टियों में यहीं त्योहार मना सकते हैं. वृंदावन में गोविंद देव मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. निधि वन, रंगनाथजी मंदिर, राधारमण मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहां से सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से हैं.
द्वारका
द्वारका वर्तमान में गुजरात में है. इस शहर का धार्मिक रुप से बड़ा महत्व है. द्वारका की पहचान कृष्ण के राज्य के रूप में है. यह वही जगह है, जहां माना जाता है कि मथुरा छोडऩे के बाद करीब पांच हजार वर्षों तक कृष्ण यहीं रहें. पौराणिक कथा के अनुसार, यह शहर कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने बनाया था. मान्यता यह भी है कि द्वारका का पुनर्निर्माण छह बार किया गया था. वर्तमान का द्वारका सातवां है. यहां की जन्माष्टमी सबसे खास मानी जाती है. यहां जन्मोत्सव के वक्त शहर के सभी हिस्सों में दिव्य और अलौकिक मंगला आरती की जाती है. रातभर भजन, रास नृत्य और गरबा कार्यक्रम चलता रहता है.
मुंबई
मुंबई की दही-हांडी किसे नहीं पसंद. अगर आप जन्माष्टमी पर घूमने का प्लान बना रहे हैं और इस फेस्टिवल को धूमधाम से मनाना चाहते हैं, तो मुंबई सबसे सही जगह है. यहां की दही-हांडी की रस्म दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस रस्म को निभाने बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं. हवा में बंधे मिट्टी के बर्तन तक पहुंचने और तोडऩे के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं. वर्ली, ठाणे और जोगेश्वरी में यह उत्सव होता है. यहां आने पर आप जुहू में स्थित इस्कॉन मंदिर भी जन्माष्टमी मनाने जा सकते हैं.

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