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 नर्स, दाइयों के संगठनों ने कामकाज के लिए बेहतर स्थितियों की मांग की

 नयी दिल्ली। नर्स और मिडवाइफ (दाई) के अनेक संगठनों ने कहा है कि नर्स-मरीज के ‘खराब' अनुपात से काम का दबाव बढ़ रहा है तथा कामकाज के घंटे बढ़ रहे हैं। संगठनों ने देश में एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल तैयार करने के लिए नीति बनाने की मांग की। इन संगठनों ने ‘नर्स मिडवाइफ 4 चेंज'नाम से एक अभियान की भी शुरुआत की है। इनका कहना है स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नर्स अहम भूमिका निभाती हैं और उनकी अहमियत को कमतर नहीं आंका जा सकता। इंडियन नर्सिंग काउंसिल, ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन, ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोसाइटी ऑफ मिडवाइव्स-इंडिया (एसओएमआई) और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से संबद्ध एक गैर-लाभकारी संगठन जेपिगो इस अभियान में शामिल हैं। इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अध्यक्ष डॉ टी दिलीप कुमार ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नर्स अहम भूमिका निभाती हैं और उनकी अहमियत को कमतर नहीं आंका जा सकता। पिछले दो दशक में भारत ने नर्सों की क्षमताओं को निखारने में काफी प्रगति की है। सरकार के कई ठोस प्रयासों के चलते देश में नर्सिंग कर्मचारियों की संख्या वर्ष 2020 में प्रति एक हजार आबादी पर 1.7 नर्स की हो गई,जो वर्ष 2000 में प्रति एक हजार जनसंख्या पर 0.8 नर्स थी।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियम- एक हजार पर तीन नर्स- से अब भी काफी कम है,और इसमें क्रमबद्ध सुधार की जरूरत है।'' ट्रेंड नर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ रॉय के जॉर्ज ने कहा कि स्वस्थ भारत के निर्माण में नर्सों की कड़ी मेहनत को स्वीकार करने और उनके लिए कामकाज की स्थितियों में सुधार के वास्ते दिशा निर्देश का मसौदा पेश करने के लिए नर्सिंग इकाइयां सरकार की आभारी है। file photo

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