ब्रेकिंग न्यूज़

भारतीय पारिवारिक व्यवस्था श्रेष्ठ : भागवत

बरेली (उप्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय पारिवारिक व्यवस्था को श्रेष्ठ बताते हुए कहा है कि परिवारों में एकता और राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत होने पर राष्ट्र शक्तिशाली बनेगा। बरेली के महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के अटल सभागार में रविवार को आयोजित कार्यकर्ता परिवार मिलन कार्यक्रम में भागवत ने कहा, ‘‘भारतीय पारिवारिक व्यवस्था श्रेष्ठ है।

परिवारों में एकता और राष्ट्रीयता की भावना जागने पर ही देश ताकतवर बनेगा।'' उन्होंने कहा कि समाज को सुसंस्कृत, चरित्रवान, राष्ट्र के प्रति समर्पित और अनुशासित बनाने में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए संघ का प्रयास है कि स्वयंसेवकों के परिवारों को भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणाओं से जोड़कर समाज को सशक्त बनाया जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी परम्पराओं और संस्कृति से जुड़े रहने के लिए अपनी मूल भाषा, वेशभूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन को अपनाना होगा।

भागवत ने कहा कि विगत लगभग 100 वर्षों में संघ का काफी विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर देश के लोग अब इस संगठन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि संघ की समाज में छवि स्वयंसेवकों के आचरण से ही बनी है। संघ प्रमुख ने कहा कि स्वयंसेवकों का आचरण जितना अच्छा होगा, संघ की छवि भी उतनी ही अच्छी बनेगी।

उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को सप्ताह में कम से कम एक दिन अपने परिवार और मित्र परिवारों के साथ बैठकर भोजन करने के अलावा राष्ट्र और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े विषयों पर चर्चा अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों के परिवारों को विभिन्न जातियों, पंथ, भाषाओं और क्षेत्रों के परिवारों के साथ मित्रवत संबंध बनाकर उनके साथ नियमित रूप से मिलन, भोजन और चर्चा के कार्यक्रम करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सक्षम, सम्पन्न और वंचित परिवारों के बीच परस्पर सहयोग होने पर कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का स्वतः निराकरण हो जाएगा।

भागवत ने कहा, ''स्वयंसेवक परिवारों के जीवन का मंत्र देशार्चण (देश की अर्चना), सद्भाव, ऋणमोचन और अनुशासन होना चाहिए। अनुशासन के बिना कोई भी राष्ट्र और समाज प्रगति नहीं कर सकता। अगर हमें अपने राष्ट्र को एक बार फिर विश्वगुरु के रूप में स्थापित करना है, तो हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का प्रकटीकरण करना चाहिए।'' इस अवसर पर विभाजन विभीषिका स्मृति प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसमें देश के विभाजन के समय के विभिन्न स्थानों के चित्रों, समाचार पत्रों की कतरनों एवं अन्य साधनों से उस समय लोगों द्वारा झेली गई त्रासदी का चित्रण करने का प्रयास किया गया।

भागवत अपने तीन दिन के प्रवास पर बरेली में हैं। इस दौरान हुई बैठकों में उन्होंने विभिन्न सत्रों को सम्बोधित किया। भागवत ने स्वयंसेवकों से कहा कि वे हर गांव तक जाकर सेवा करें। उन्होंने स्वयंसेवकों से साथ ही हर जिले में शहर से देहात तक मोहल्ला, गांवों में शाखा का विस्तार करने को कहा।

भागवत ने कहा, ‘‘संघ का मकसद देश और समाज की सेवा है। आपसी भेदभाव दूर कर सभी विकारों से मुक्त समरसता भाव वाला सामाजिक परिवेश तैयार करना संघ प्रचारक का दायित्व है।'' उन्होंने कहा कि जाति, विषमता और अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकारों को जल्द दूर करना है। संघ प्रमुख ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण उपजे संकट से निपटने के लिए स्वयंसेवक घरों में पौधे लगाकर उनकी देखरेख करने को कहा।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english