विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा - न्यायपालिका और सरकार को बाल यौन शोषण के खतरे से मिलकर निपटना चाहिए
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बाल यौन शोषण को सबसे गंभीर और चिंताजनक चुनौती बताया है। नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा बाल यौन शोषण विषय पर आयोजित एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सभी अपराध होते हैं लेकिन बच्चों के खिलाफ अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, इनसे अलग तरीके से निपटने की जरूरत है। उन्होंने ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कानूनी प्रावधानों से आगे जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समाज को एक जुट होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि बाल यौन शोषण सामग्री का उत्पादन, वितरण यौन शोषण का सबसे गंभीर रूप है और यह बच्चों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने पॉस्को अधिनियम को और अधिक कठोर बनाने सहित इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम मध्यस्थों के उपयोगकर्ताओं को और सशक्त बनाते हैं और सोशल मीडिया को उनकी सुरक्षा के लिए जवाबदेह बनाते हैं।
श्री रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका और सरकार को बाल यौन शोषण के खिलाफ एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामलों की लंबितता को देखते हुए, केंद्र ने दुष्कर्म और बाल यौन शोषण से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए 1023 विशेष फास्ट्रैक न्यायालय बनाए है, जिसमें 389 विशेष पॉस्को न्यायाल शामिल हैं।
अपने संबोधन में, एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने डिजिटल दुनिया को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है।


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