अदालत ने पुलिस अधिकारी को बलात्कार पीड़िता को नोटिस देने में देरी के लिए 1,000 पौधे लगाने को कहा
जबलपुर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में अनदेखी कर नोटिस की तामील न करने के लिए सतना जिले के एक पुलिस अधिकारी को दो महीने के भीतर कम से कम 1,000 फलदार पौधे लगाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति एके सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को सतना के शहर कोतवाली पुलिस थाने के प्रभारी रवींद्र द्विवेदी को यह निर्देश दिया। न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता को अदालत का नोटिस देने में देरी के लिए अधिकारी को सतना जिले के चित्रकूट में एक जुलाई से 31 अगस्त के बीच कम से कम 1,000 पौधे लगाने का आदेश दिया। इसमें कहा गया है कि थाना प्रभारी इस पर होने वाले का खर्च का खुद वहन करेंगे।
पीठ ने कहा कि थाना प्रभारी द्विवेदी ने समय पर पीड़िता के मामले में नोटिस की तामील नहीं करने के लिए अदालत के समक्ष माफी मांगी है। आदेश में कहा गया है, ‘‘उन्होंने (पुलिस अधिकारी) न केवल पुलिस महानिरीक्षक द्वारा लगाए गए 5,000 रुपये की लागत का भुगतान करने का वादा किया है, बल्कि एक जुलाई से 31 अगस्त 2025 के बीच कम से कम 1,000 पेड़ लगाने का भी वादा किया है।'' आदेश में कहा गया है, ‘‘आम, जामुन, महुआ, अमरूद आदि फलदार पेड़ लगाए जाएं और उनकी तस्वीरों को जीपीएस लोकेशन के साथ अनुपालन रिपोर्ट के समर्थन में रजिस्ट्री (उच्च न्यायालय) को भेजा जाए।'' नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा सुनाने के विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देने वाले एक दोषी की आपराधिक अपील पर सुनवाई के दौरान अदालत ने ये निर्देश दिए।
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