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 दिसंबर 2025 तक बन जाएगी स्वदेशी ‘शेर’

नई दिल्ली। एक राइफल श्रेष्ठ राइफल’: अमेठी की असॉल्ट राइफल AK-203, दिसंबर 2025 तक बन जाएगी स्वदेशी ‘शेर’ भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में स्थित इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) दिसंबर 2025 तक AK-203 असॉल्ट राइफल का पूरी तरह स्वदेशी उत्पादन शुरू कर देगी। इस राइफल को भारतीय सेना में ‘शेर’ के नाम से जाना जाएगा, जो भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का एक मजबूत प्रतीक बनने जा रहा है।
इस संबंध में मेजर जनरल एस. के. शर्मा, IRRPL के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक ने बताया, “पिछले डेढ़ साल में हमने भारतीय सेना को 48,000 AK-203 राइफलें सौंपी हैं। अगले छह महीनों में 70,000 और राइफलें सेना को दी जाएंगी। इसके बाद, हमारा लक्ष्य उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर प्रति वर्ष 1.5 लाख राइफलें करना है, ताकि 2030 तक भारतीय सेना को 6 लाख राइफलें उपलब्ध कराई जा सकें।”
 अमेठी के कोरवा में स्थापित IRRPL प्लांट, भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का परिणाम है। यह संयुक्त उद्यम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सहयोग से संचालित है। AK-203, जो विश्व प्रसिद्ध कलाश्निकोव राइफल का आधुनिक संस्करण है, अपनी विश्वसनीयता और कठिन परिस्थितियों में प्रदर्शन के लिए जानी जाती है। दिसंबर 2025 तक इस राइफल के सभी पुर्जे भारत में ही निर्मित होंगे, जिससे यह पूरी तरह स्वदेशी बन जाएगी।
 AK-203 राइफल भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है। यह 7.62×39 मिमी कैलिबर की राइफल है, जो उच्च सटीकता, लंबी रेंज, और कठिन परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन प्रदान करती है। यह राइफल भारतीय सेना की पुरानी INSAS राइफल को बदल देगी, जिससे सेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
 AK-203 का स्वदेशी उत्पादन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूत करने वाला कदम है। IRRPL की बढ़ती उत्पादन क्षमता न केवल भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि भविष्य में निर्यात की संभावनाएं भी खोलेगी। मेजर जनरल शर्मा ने कहा, “हमारा लक्ष्य न केवल भारतीय सेना को सशक्त बनाना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाना भी है।”
 IRRPL ने 2030 तक 6 लाख AK-203 राइफलें भारतीय सेना को सौंपने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उत्पादन सुविधाओं का विस्तार और तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
 उल्लेखनीय है कि अमेठी में AK-203 का स्वदेशीकरण भारत की रक्षा नीति में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल भारतीय सेना को विश्वस्तरीय हथियार प्रदान करेगा, बल्कि देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा। ‘शेर’ के रूप में जानी जाने वाली यह राइफल भारत की आत्मनिर्भरता और सैन्य ताकत का प्रतीक बनने के लिए तैयार है।

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