अगले साल के अंत तक पश्चिमी रेलवे की उपनगरीय लोकल ट्रेन स्वदेशी सुरक्षा ‘कवच' से लैस होंगी
मुंबई. दुनिया के सबसे व्यस्त उपनगरीय रेल नेटवर्क में से एक पर यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम रेलवे अगले साल के अंत तक मुंबई में अपनी सभी लोकल ट्रेन को स्वदेशी टक्कर-रोधी प्रणाली ‘कवच' से लैस करने के लिए तैयार है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। कवच ‘मेक इन इंडिया' पहल के तहत विकसित एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जिसे वर्तमान में दिल्ली-मुंबई के साथ-साथ कुछ अन्य प्रमुख मार्गों पर स्थापित किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित करेगी, टकराव को रोकेगी और मानवीय त्रुटि के खतरे के बावजूद सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि एटीपी प्रणाली फिलहाल पश्चिम रेलवे द्वारा ऑनबोर्ड सुरक्षा उपकरण के रूप में उपयोग की जाने वाली सहायक चेतावनी प्रणाली (एडब्ल्यूएस) की जगह लेगी। पश्चिम रेलवे चर्चगेट-विरार-दहानू खंड पर प्रतिदिन 1400 से अधिक उपनगरीय ट्रेन सेवाएं संचालित करता है और इसके पास 110 इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स (ईएमयू) का बेड़ा है। इस खंड पर दैनिक सवारियों की संख्या 30 लाख से अधिक है। एक अधिकारी ने बताया कि इन सभी उपनगरीय लोकल ट्रेन में कार्यरत एडब्ल्यूएस में एक श्रव्य चेतावनी प्रणाली है जो चालक को आने वाले सिग्नल के बारे में सचेत करती है, साथ ही गति निगरानी और ब्रेक लगाने में सहायता जैसी अतिरिक्त सुविधाएं भी प्रदान करती है। उन्होंने कहा, ‘‘मोटरमैन के केबिन में एब्ल्यूएस पैनल में एक अलार्म, एक सतर्कता बटन और लाल, पीली या नीली बत्तियां होती हैं। अगर अलार्म बजता है, तो मोटरमैन को चार सेकंड के भीतर बटन दबाना होगा अन्यथा ब्रेक सक्रिय हो जाएंगे और ट्रेन के पूरी तरह से रुकने तक लॉक रहेंगे।'' हालांकि रेलवे अधिकारियों के अनुसार, एडब्ल्यूएस अक्सर ‘सिग्नल पास एट डेंजर' (एसपीएडी) और सिग्नल जंपिंग जैसी गंभीर सुरक्षा घटनाओं को रोकने में विफल रहता है। उन्होंने आगे कहा कि इसकी सीमित स्वचालन और मैन्युअल प्रतिक्रिया पर निर्भरता संभावित दुर्घटनाओं को रोकने में इसकी प्रभावशीलता को कम करती है। इन अधिकारियों ने कहा कि कवच मौजूदा एडबल्यूएस से बेहतर है क्योंकि इसमें टकरावों को रोकने, ट्रेन की आवाजाही का प्रबंधन करने और सिग्नल प्रणालियों का पालन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई उन्नत सुविधाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसकी प्रमुख विशेषताओं में लाल सिग्नल के उल्लंघन की स्थिति में स्वचालित ब्रेक लगाना, मौजूदा सिग्नलिंग बुनियादी ढांचे के साथ इसकी सुसंगतता और कम दृश्यता की स्थिति में सुरक्षित संचालन के लिए ‘इन-कैब सिग्नलिंग' शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि कवच पीछे से और आमने-सामने की टक्करों को रोकता है, गति की निरंतर निगरानी करता है और आपात स्थिति में तेज प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है। अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम रेलवे ने 2025 तक 2358 किलोमीटर से अधिक मार्ग पर कवच को तैनात करने की योजना बनाई है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर इसके काम करने की उम्मीद है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने ‘ कहा, ‘‘कवच रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार लाएगा और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाएगा। कवच की तैनाती से न केवल ट्रेन सेवा में सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि दक्षता में भी सुधार होगा।







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