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 केंद्र सरकार ने ई-20 ईंधन पर उठी चिंताओं का दिया जवाब, किसानों व पर्यावरण को मिलेगा लाभ; माइलेज पर कोई असर नहीं

 नई दिल्ली।  पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने देश के एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम पर उठ रही चिंताओं का आज मंगलवार को जवाब देते हुए स्पष्ट किया है कि 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E-20) वाहन की माइलेज या आयु पर कोई बड़ा नकारात्मक असर नहीं डालता। मंत्रालय ने कहा कि एथनॉल जैसे बायोफ्यूल भारत के स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव में अहम हैं और यह 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नीति आयोग (NITI Aayog) के एक अध्ययन के अनुसार, गन्ने से बना एथनॉल पेट्रोल के मुकाबले 65% और मक्का-आधारित एथनॉल 50% तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करता है, जिससे पर्यावरण को बड़ा लाभ होता है। मंत्रालय के मुताबिक इस कार्यक्रम ने पिछले 11 वर्षों(2014 से जुलाई 2025) में देश को 1.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी मुद्रा बचत कराई है। 245 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात टाला और करीब 736 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन कम किया जो लगभग 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। वहीं 20% ब्लेंडिंग से इस साल किसानों को लगभग 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान होगा और करीब 43,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचेगी। इसके अलावा इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला, गन्ना बकाया समाप्त हुआ, मक्का की खेती को मजबूती मिली और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में किसानों की आत्महत्याएं कम करने में मदद मिली है।
ई-20 के वाहन प्रदर्शन पर असर को लेकर मंत्रालय ने बताया कि इस मुद्दे पर 2020 में ही विचार कर इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी (IMC) ने अध्ययन कराया था, जिसमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL), ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) शामिल थे। अध्ययन में पाया गया कि ई-20 का ऑक्टेन रेटिंग लगभग 108.5 है, जो पेट्रोल के 84.4 से ज्यादा है, जिससे बेहतर एक्सेलेरेशन, स्मूथ राइड क्वालिटी और ई-10 के मुकाबले 30% तक कम कार्बन उत्सर्जन मिलता है।
मंत्रालय ने माइलेज घटने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ईंधन दक्षता कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे- ड्राइविंग स्टाइल, वाहन का रखरखाव, टायर प्रेशर और एसी का इस्तेमाल। 2009 से ही कई गाड़ियां ई-20 कम्पैटिबल हैं और अब तक कोई बड़ी शिकायत नहीं आई है। मंत्रालय की ओर से ब्राजील का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वहां वर्षों से E-27 ईंधन इस्तेमाल हो रहा है और टॉयोटा, होंडा, ह्युंडई जैसी कंपनियां बिना किसी परेशानी के वहां काम कर रही हैं।
पुरानी गाड़ियों में सिर्फ कुछ रबर पार्ट्स या गैसकेट बदलने की जरूरत हो सकती है, जो सर्विसिंग के दौरान मामूली खर्च में संभव है। सुरक्षा मानक ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के अनुसार तय हैं। कीमत के मामले में मंत्रालय ने बताया कि 31 जुलाई 2025 तक एथनॉल की औसत खरीद कीमत 71.32 रुपये प्रति लीटर है, जिसमें ट्रांसपोर्टेशन और GST शामिल हैं। वहीं 2024-25 में C-हेवी शीरे से बना एथनॉल 57.97 रुपये और मक्का आधारित एथनॉल 71.86 रुपये प्रति लीटर में खरीदा गया। कीमतें बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियां मिश्रण लक्ष्य पूरा कर रही हैं ताकि ऊर्जा सुरक्षा, किसानों की आय और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो।
बीमा से जुड़े दावों पर मंत्रालय ने कहा कि ई-20 के इस्तेमाल से वाहन का बीमा अमान्य नहीं होता और इस तरह की अफवाहें बेबुनियाद हैं। ऑटोमोबाइल कंपनियां मालिकों को पूरा सहयोग दे रही हैं और अधिकृत सर्विस स्टेशन जरूरी ट्यूनिंग या पार्ट्स बदलाव कर सकते हैं। भविष्य की योजना को लेकर मंत्रालय ने कहा कि ई-20 से आगे का कोई भी फैसला सभी हितधारकों से व्यापक चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।-

 

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