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 महाभारत युद्ध के समय कौरवों और पांडवों की आयु कितनी थी?
 कौरवों और पांडवों की आयु के विषय में बहुत संशय है। इसका कारण ये है कि मूल व्यास महाभारत में पांडवों या कौरवों की आयु का कोई सटीक विवरण नहीं दिया गया है। यदि अन्य ग्रंथों की बात की जाए तो भी उनमें दी गयी जानकारियों में बहुत असमानता दिखती है। कहीं कहा गया है कि युद्ध के समय युधिष्ठिर 91 वर्ष के थे, कहीं ये आयु 49 वर्ष की बताई गई है तो कहीं कुछ और।   किंतु हरिवंश पुराण में केवल एक स्थान पर ऐसा वर्णन है कि महाभारत युद्ध के समय श्रीकृष्ण 72 वर्ष के थे। इस एक तथ्य के आधार पर अन्य योद्धाओं की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। महाभारत में ऐसा वर्णन है कि श्रीकृष्ण एवं अर्जुन समान आयु के थे। अर्थात अर्जुन की आयु भी युद्ध के समय 72 वर्षों की ही रही होगी।
 बलराम श्रीकृष्ण से 1 वर्ष बड़े थे तो उनकी आयु 73 वर्षों की होगी। सुभद्रा श्रीकृष्ण से 22 वर्ष छोटी थी इसी कारण युद्ध के समय उनकी आयु 50 वर्ष के आस पास रही होगी। श्रीकृष्ण के भाई और सखा उद्धव भी उनकी ही आयु के थे, तो युद्ध के समय उनकी आयु भी लगभग 72 वर्ष के आस पास होगी। उनके मित्र सात्यिकी और कृतवर्मा श्रीकृष्ण से आयु में कुछ बड़े ही होंगे। इस आधार पर युद्ध के समय उनकी आयु हम 74-75 वर्ष के आस पास मान सकते हैं।
 महाभारत में ऐसा भी वर्णन है कि सभी पांडवों की आयु के मध्य 1-1 वर्ष का अंतर था। हालांकि कई जगह नकुल और सहदेव को यमज (जुड़वा) बताया गया है किंतु ये निश्चित है कि नकुल सहदेव से बड़े थे। तो यदि 1-1 वर्ष की आयु का अंतराल भी मानें तो उस हिसाब से महाभारत युद्ध के समय युधिष्ठिर 74, भीम 73, नकुल 71 एवं सहदेव 70 वर्ष के रहे होंगे। 
 महाभारत के अनुसार कर्ण के जन्म के लगभग तुरंत बाद ही कुंती का स्वयंवर हुआ था जहां उन्होंने महाराज पाण्डु का वरण किया। इस अनुसार कर्ण की आयु युधिष्ठिर बहुत अधिक नहीं रही होगी। यदि 2-3 वर्ष का अंतर मानें तो उनकी आयु युद्ध के समय लगभग 77 वर्ष के आस पास रही होगी। कुंती स्वयं कर्ण से 15-16 वर्ष ही बड़ी होंगी। अर्थात युद्ध के समय उनकी आयु 93 के आस-पास होगी। गांधारी उनसे 1-2 वर्ष बड़ी होंगी, अर्थात लगभग 95 वर्ष के आस पास।
माना जाता है कि महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी के आयु लगभग 70 वर्ष के आस-पास रही होगी। इस अनुसार धृष्टधुम्न की आयु भी युद्ध के समय लगभग 70-71 वर्ष की ही रही होगी।  महाभारत के अनुसार जिस दिन भीम का जन्म हुआ उसी दिन दुर्योधन भी जन्मे थे, उस हिसाब से दुर्योधन की आयु भी युद्ध के समय 73 वर्ष की रही होगी। दुर्योधन और उनके 99 भाइयों की आयु के बीच में बहुत कम अंतर था किंतु इसके विषय में महाभारत में कोई सटीक वर्णन नहीं मिलता । अश्वत्थामा की आयु पांडवों एवं कौरवों से कुछ अधिक थी। 
 कुछ ग्रंथों में ये भी वर्णन मिलता है कि युद्ध के समय पितामह भीष्म 169 वर्ष के थे। ये भी कई स्थानों पर वर्णित है कि भीष्म की विमाता सत्यवती उनसे कुछ छोटी ही थी। तो महाभारत के कालखंड के अनुसार हम ये मान सकते हैं कि महर्षि वेदव्यास की आयु उनसे लगभग 20 वर्ष वर्ष कम होगी। अर्थात युद्ध के समय महर्षि व्यास 150 वर्षों के आस-पास रहे होंगे।  कृपाचार्य और उनकी बहन कृपी को पितामह भीष्म के पिता शांतनु ने वृद्धावस्था में पाला था। तो उनकी आयु भी भीष्म से कम से कम 50-60 वर्ष अवश्य कम होनी चाहिए, अर्थात लगभग 110 वर्ष के आस पास। द्रोणाचार्य, पांचाल नरेश द्रुपद एवं मत्स्यराज विराट एवं धृतराष्ट्र भी लगभग उतनी ही आयु के होंगे। विदुर धृतराष्ट्र से केवल 1-2 वर्ष ही छोटे होंगे। संजय की आयु उनसे काफी कम होगी। 
पितामह भीष्म निश्चय ही वयोवृद्ध थे किंतु सबसे वृद्ध नहीं। उस युद्ध मे उनके चाचा बाह्लीक ने भी भाग लिया था। बाह्लीक भीष्म के पिता शांतनु के बड़े भाई थे। उन दोनों के एक और बड़े भाई थे देवापि किन्तु उनका अधिक वर्णन कहीं नहीं मिलता। यदि बाह्लीक की आयु भीष्म से 30 वर्ष भी अधिक मानी जाये तो भी युद्ध के समय बाह्लीक की आयु लगभग 200 वर्ष के आस-पास होगी।
 उप-पांडवों एवं अभिमन्यु का जन्म पांडवों के वनवास से पहले हो चुका था। ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन के पुत्र श्रुतकर्मा को छोड़ कर द्रौपदी के अन्य चारों पुत्रों में भी पांडवों के समान ही 1-1 वर्ष का अंतर था। प्रण भंग करने के बाद अर्जुन के वनवास के कारण श्रुतकर्मा का जन्म सबसे अंत में हुआ। युद्ध के समय अभिमन्यु की आयु 16 वर्ष से अधिक की नहीं होगी। उसी अनुपात में उसके आस-पास ही अन्य पांडवों के अन्य पुत्रों की आयु भी होगी। पांडवों के अतिरिक्त लगभग सभी की मृत्यु उस युद्ध में हो गयी। महाभारत में वर्णित है कि युधिष्ठिर ने युद्ध के बाद 36 वर्षों तक राज्य किया। अर्थात स्वर्गारोहण के समय उनकी आयु 110 वर्ष, भीम की 109 वर्ष, अर्जुन की 108 वर्ष, नकुल की 107 वर्ष एवं सहदेव की 106 वर्षों की होगी। श्रीकृष्ण ने भी 108 वर्ष की आयु में निर्वाण लिया एवं बलराम ने 109 वर्ष की आयु में। 
माना जाता है कि भगवान परशुराम, महाबली हनुमान, महर्षि व्यास, कुलगुरु कृपाचार्य एवं अश्वथामा तो चिरंजीवी हैं, सो वे आज भी जीवित हैं और कल्प के अंत तक जीवित रहेंगे।
 

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