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रामनवमी, कैसे करें श्रीराम की पूजा? पूजा की सही विधि और शुभ मुहूर्त क्या है, जान लें
-21 अप्रैल बुधवार को है रामनवमी का त्योहार
-श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनायी जाती है रामनवमी
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 13 अप्रैल मंगलवार को हुई थी और उसका समापन 21 अप्रैल बुधवार को रामनवमी  के साथ हो रहा है. शास्त्रों की मानें तो चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही दोपहर के समय प्रभु श्रीराम  का जन्म हुआ था. इसलिए, चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को रामनवमी यानी भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. रामनवमी इस बार 21 अप्रैल को मनायी जा रही है. इस दिन बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं. नवरात्रि के समापन की वजह से इस दिन कई जगहों पर हवन भी होता है. तो रामनवमी की पूजा करते वक्त कोई भूल चूक न हो जाए इसलिए पहले ही जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को हुआ था श्रीराम का जन्म
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने और धरती पर एक बार फिर धर्म की स्थापना करने के लिये भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में धरती पर अवतार लिया था. मान्यताओं के अनुसार श्रीराम चन्द्र का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में राजा दशरथ के घर अयोध्या में हुआ था. रामनवमी का त्योहार राम जन्मोत्सव के तौर पर देशभर में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. वैसे तो रामनवमी के दिन देशभर के मंदिरों में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस बार घर पर ही रामनवमी की पूजा करना बेहतर होगा.
रामनवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ- 21 अप्रैल बुधवार को रात 12:43 बजे से
नवमी तिथि समाप्त- 22 अप्रैल रात 12:35 बजे 
पूजा का शुभ मुहूर्त- 21 अप्रैल को सुबह 11.02 बजे से दोपहर 01.38 बजे तक
पूजा की कुल अवधि- 2 घंटे 36 मिनट 
रामनवमी मध्याह्न समय: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर
रामनवमी की पूजा विधि
रामनवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं और फिर स्नान आदि करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनें. पूजा स्थान पर पूजन सामग्री के साथ आसान लगाकर बैठें. भगवान श्रीराम की पूजा में तुलसी का पत्ता होना अनिवार्य है क्योंकि श्रीराम विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है. राम जी की पूजा में तुलसी के प्रयोग से प्रभु श्रीराम प्रसन्न होते हैं. उसके बाद रोली, चंदन, धूप और गंध से रामजी की पूजा करें. दीपक जलाएं, सभी देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं और आरती करें. फिर श्रीराम को मिष्ठान, फल, फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें और हवन भी करें. इस दिन रामनवमी की पूजा के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसे पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है.

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