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 कल सूर्य ग्रहण- सूतक आज रात 10: 14 से शुरू-ज्योतिष के अनुसार ग्रहण में क्या करें क्या न करें.....
 साल 2020 की सबसे बड़ी खगोलीय घटना कल होने जा रही है। 21 जुलाई 2009 के बाद कल 21 जून को सबसे अधिक समय और अब तक का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा । ग्रहण के दौरान सूर्य का लगभग 88 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा द्वारा ढंक लिया जाएगा। यह भारत के अलावा उत्तर पूर्व एशिया उत्तरी यूरोप आदि में दिखाई देगा। इस बारे में और अधिक जानकारी दे रहे हैं जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी......
 क्या होता है सूर्यग्रहण ?
 सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। इस छल्लेदार सूर्य ग्रहण को देखने के लिये वैज्ञानिक और आम लोग सालों इंतजार करते हैं। वर्ष 2009 के बाद इस तरह की खगोलीय घटना सामने नहीं आई। 21 जून को साल का पहला सूर्यग्रहण साल 2020 का भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र सूर्य ग्रहण। इस ग्रहण का परम ग्रास 99.4 प्रतिशत रहेगा, यानी कुछ स्थानों पर सूर्य पूरी तरह छिप जाएगा। यह ग्रहण करीब 03 घंटे 25 मिनट रहेगा। यह छल्लेदार सूर्य ग्रहण होगा और लखनऊ में आंशिक दिखेगा मगर राजस्थान, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों से पूर्ण छल्लेदार दिखाई देगा।
 ग्रहण का समय
 ग्रहण स्पर्श 10: 14 प्रात:
 ग्रहण मध्य 11: 53 प्रात:
 ग्रहण काल 03:25 मिनट
 ग्रहण मोक्ष 01: 38 दोपहर
ग्रहण सूतक का प्रारम्भ आज रात्रि 10: 14  से प्राम्भ हो जाएगा।
 सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही होता है। जब चन्द क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों । चन्द्र और राहू या केतु के रेखांश बहुत निकट होने चाहिए। चन्द्र का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिये और यह तब होगा जब चंद्र रविमार्ग पर या रविमार्ग के निकट हों, सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हैं।  इस कारण चन्द सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है। सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढंक जाता है। उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते हैं। चन्द्र छाया की गति 1800 कि. मीटर से 8000 कि. मीटर प्रति घण्टा होती है। परन्तु यह चन्द्र की स्थिति पर निर्भर करती है। इस कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान पर साढे सात मिनट से अधिक नहीं हो सकता है। 
क्या करें क्या न करें
-धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए।
-सूर्य ग्रहण के समय ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।
-सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है। इस समय खाने पीने की मनाही होती है।
- सूतक काल के समय शुभ काम और पूजा पाठ नहीं की जाती है। भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है।
-ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए। सूर्यग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए।
-ग्रहण के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए ऐसा शास्त्रों का कहना है। इन उपायों को करने से ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।
-ग्रहण समाप्त होने के बाद सूर्योदय के समय पुन: स्नान करके संकल्पपूर्वक इन वस्तुओं का दान कर दें।
- शास्त्रों के अनुसार संतान की उत्पत्ति, यज्ञ, सूर्य संक्रांति और सूर्य एवं चंद्रग्रहण में रात में भी स्नान करना चाहिए।
- ग्रहण के सूतक एवं ग्रहणकाल में स्नान, दान, जप-पाठ, मंत्र स्रोत पाठ, मंत्र सिद्धि, ध्यान, हवनादि, शुभ कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होता है।
- झूठ, कपटादि, बेकार की बातें, मल-मूत्र त्याग, नाखून काटने से भी बचना चाहिए।
-वृद्ध, रोगी, बालक एवं गर्भवती स्त्रियों को यथाकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नहीं होता है।
-गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सब्जी काटना, शयन करना, पापड़ सेंकना आदि उत्तेजित कार्यों से परहेज करना चाहिए।
-धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हुए प्रसन्नचित रहना चाहिए। इससे भावी संतान स्वस्थ एवं सद्गुणी होती है।
- ग्रहण सूतक से पहले ही दूध/दही, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में कुश (एक प्रकार की घास) रख देना उचित होता है। इससे यह दूषित नहीं होते हैं।
-सूखे खाद्य-पदार्थों में कुश डालने की आवश्यकता नहीं है।
-रोग-शांति के लिए ग्रहणकाल में श्रीमहामृत्युंजय मंत्र का जप करना शुभ होता है।
-विशेष प्रयोग चांदी/कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्का( मंत्रपूर्वक) डालकर अपना मुंह देखकर छायापात्र मंत्र पढ़ें तथा ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र, फल और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से रोग से मुक्ति मिलती है ऐसा मान्यताएं कहती हैं।
-इससे सामान्य दिनों में किए गए दान की अपेक्षा कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। इससे घर में सुख समृद्धि आती है और इष्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जानें ग्रहण के बाद किन चीजों के दान से क्या लाभ मिलता है
-चांदी का दान देने से मन मजबूत और बुद्धि कुशाग्र होती है। चांदी के आप गहने, सिक्के, मूर्तियां, बर्तन आदि दान कर सकते हैं। इससे घर में वैभव और संपन्नता आती है।
-चावल का दान देने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं आती है। साथ ही अगर आप ग्रहण के दौरान चावल से हवन करेंगे तो घर से दरिद्रता दूर भागेगी और घर में जल्द मांगलिक कार्य होगा।
-दूध और दही दान का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया है और चंद्रमा का संबंध भी दूध और दही से होता है। ग्रहण के दौरान दूध और दही दान करने से माता लक्ष्मी और भगवान नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
-शक्कर दान करने से इष्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही श्रीसूक्त का भी पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
-आप सफेद फूल का दान कर सकते हैं। संभव हो सके तो आप मंदिर में जाकर भगवान पर भी सफेद फूल चढ़ा सकते हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि इससे विवाद सुलझता है और लाभ मिलता है।
-सम्मान के लिए ग्रहण के बाद आपको सफेद कपड़ों का भी दान कर सकते हैं। सफेद कपड़ों के दान देने से शुभ परिणाम प्राप्त होंगे और घर में फिर से धन की आवक शुरू हो जाती है।

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