शारीरिक प्रकृति के हिसाब से किस समय उठना चाहिए?
शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में मदद करने वाला आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इससे स्वस्थ जीवनशैली के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलती है। आयुर्वेद के मुताबिक, सुबह जागने का एक निश्चित समय होता है और इस समय जागने वाले व्यक्ति का दिमाग व शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. क्योंकि, इस दौरान वातावरण में सात्विक गुण मौजूद होते हैं, जो आपके दिमाग व शरीर को ताजगी व शांति प्रदान करते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में जागने से निम्नलिखित फायदे प्राप्त होते हैं।
- ध्यान लगाने व आत्ममंथन से बुद्धि बढ़ती है।
- विद्यार्थियों में याद्दाश्त और ध्यानकेंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।
- मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- फोकस बढऩे से कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
- एक्सरसाइज करने का सही समय होता है, क्योंकि हवा बिल्कुल साफ और ताजी होती है।
ब्रह्म मुहूर्त किस समय होता है?
ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्योदय से 1 घंटा 36 मिनट पहले शुरू हो जाता है, जो कि सिर्फ 48 मिनट ही रहता है और सूर्योदय होने से 48 मिनट पहले समाप्त हो जाता है, लेकिन, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ पाते हैं, तो सूर्योदय से पहले या उसके साथ जरूर जागें। इससे भी शरीर को कई स्वास्थ्य फायदे मिलते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में ना उठ पाने वाले किस समय उठें?
अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ पा रहे हैं, तो सूर्योदय से पहले या उसके साथ बिल्कुल जाग जाएं। एक सामान्य व्यक्ति, जिसे अपने शरीर की प्रकृति के बारे में नहीं पता है, वो रोजाना सुबह 6.30 से 7 बजे के बीच जागकर स्वास्थ्य फायदे प्राप्त कर सकता है। आइए, सूर्योदय से पहले या उसके साथ जागने के फायदे जानते हैं-
-इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है-
-सकारात्मकता सोच मिलती है।
-शारीरिक प्रकृति में संतुलन बनता है।
-मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
-पाचन बेहतर होता है।
-बायोलॉजिकल क्लॉक सुधरती है।
-स्वभाव खुशनुमा होता है।
- अनुशासन आता है, आदि
शारीरिक प्रकृति के हिसाब से किस समय उठना चाहिए?
आयुर्वेद के मुताबिक, हमारे शरीर का स्वास्थ्य तीन दोषों पर निर्भर करता है, जिन्हें वात, पित्त और कफ दोष कहा जाता है। इनमें असंतुलन पैदा होने से ही स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। इसी के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति की दैहिक प्रकृति बनती है। किसी का शरीर वात से संबंधित हो सकता है, तो किसी का पित्त या कफ से संबंधित हो सकता है। दैहिक प्रकृति के हिसाब से भी सुबह जागने का समय निर्धारित किया जाता है. जैसे-
वात प्रकृति के लिए- सूर्योदय से 30 मिनट पहले
पित्त प्रकृति के लिए- सूर्योदय से 45 मिनट पहले
कफ प्रकृति के लिए- सूर्योदय से 90 मिनट पहले
तनावग्रस्त या देर से सोने वाले लोगों के लिए उठने का समय
आयुर्वेद में तनावग्रस्त व देर से सोने वाले लोगों के लिए भी उठने का सही समय बताया गया है, जैसे-
वात प्रकृति के लिए- सुबह 7 बजे तक
पित्त प्रकृति के लिए- सुबह 6.30 बजे से पहले
कफ प्रकृति के लिए- सुबह 6 बजे से पहले
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