मंगल के स्वभाव से मिलता-जुलता है केतु का स्वभाव, जातक को बना सकता हैं रंक से राजा
ज्योतिष शास्त्र में केतु को क्रूर ग्रह माना जाता है। केतु का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक डर सा लगने लगता है। हालांकि ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, केतु हमेशा अशुभ फल ही देता है ऐसा भी नहीं है। अगर केतु किसी जातक को शुभ परिणाम देता है तो उसे मान-प्रतिष्ठा दिलाने के साथ ऊंचाइयों तक ले जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, केतु का अर्थ ऊंचाई होता है। अगर जन्म कुंडली में केतु किसी अच्छे ग्रहों के साथ बैठा होता है, तो जीवन में सर्वश्रेष्ठ फल दिलाता है। केतु का स्वभाव मंगल ग्रह से मिलला-जुलता है। मंगल की तरह केतु भी साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।
केतु ग्रह की विशेषता-
जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं में केतु का महत्वपूर्ण स्थान है। अगर केतु अच्छे ग्रहों के साथ जन्म कुंडली के 8वें भाव में होता है निश्चित ही अचानक धन लाभ होता है। केतु ग्रह को छाया ग्रह भी कहा जाता है। यह जिस ग्रह के साथ बैठ जाता है, उस ग्रह का बल बढ़ा देता है।
इस भाव में देता है शुभ-अशुभ परिणाम-
केतु का संबंध जन्म कुंडली के द्वितीय और अष्टम भाव से होता है। दोनों भावों में केतु ग्रह सबसे ज्यादा शुभ फलदायी होते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, केतु और मंगल की युति एक अंगारक योग बनाती है। इस दौरान जिस जातक की कुंडली में यह युति बनती है, उसे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
Leave A Comment