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 बच्चों की आंखें हो रही हैं कमजोर -अध्ययन
-आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण
-जो बच्चे घर से बाहर अधिक समय बिताते हैं, उनमें निकट दृष्टि दोष विकसित होने की संभावना कम होती है
 लंदन।  ब्रिटेन के बच्चों में निकट दृष्टि दोष या मायोपिया बढ़ रहा है और पिछले 50 बरस में निकट दृष्टि दोष से पीडि़त बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है। दुनियाभर की बात करें तो एक अनुमान के अनुसार 2050 तक दुनिया की आधी आबादी निकट दृष्टिदोष का शिकार होगी। हालांकि निकट दृष्टि दोष के कारणों की बात की जाए तो इसका एक कारण पारिवारिक हो सकता है और दूसरा पर्यावरण से जुड़ा है, जो बच्चे के बहुत अधिक समय तक घर के भीतर रहने की वजह से हो सकता है। 
ज्यादातर लोगों में, निकट दृष्टि दोष आनुवांशिकी और पर्यावरणीय दोनों कारकों के मिश्रण से विकसित होता है। लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण हो सकती है। हालांकि वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं कि ऐसा क्यों होता है। उदाहरण के लिए, शोध से पता चलता है कि बच्चा जितना समय घर से बाहर बिताता है, वह निकट दृष्टि दोष विकसित करने के उनके जोखिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अधिकांश अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे घर से बाहर अधिक समय बिताते हैं, उनमें निकट दृष्टि दोष विकसित होने की संभावना कम होती है। इसी तरह जिन बच्चों को स्कूल के घंटों के दौरान घर से बाहर अधिक समय बिताना पड़ता है, उनमें निकट दृष्टि दोष की शुरुआत की दर घर से बाहर समय नहीं बिताने वाले बच्चों की तुलना में कम होती है। लेकिन शोधकर्ता अभी भी निश्चित नहीं हैं कि ऐसा क्यों है।
 एक सिद्धांत यह है कि घर के भीतर के मुकाबले बाहर के प्रकाश का उच्च स्तर हमारे रेटिना रिसेप्टर्स (आंखों में प्रकाश संकेतों को संसाधित करने वाली नसें) में अधिक डोपामाइन जारी करता है, जिससे निकट दृष्टि दोष होने की आशंका कम होती है। एक अन्य सुझाव यह है कि बच्चों द्वारा आमतौर पर घर से बाहर की जाने वाली ढेरों शारीरिक गतिविधियां उनकी आंखों में दृष्टिदोष को पनपने से रोकती हैं। हालांकि अध्ययन यह भी बताते हैं कि इसका प्रभाव बहुत ही कम होता है। यह भी सुझाव दिया गया है कि हम घर के भीतर और बाहर जो जो देखते हैं वह भी नजर कमजोर होने की एक वजह हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन से पता चलता है कि घर के भीतर सादा साधारण वातावरण और दीवारें देखते रहने से दृष्टिदोष हो सकता है। हो सकता है कि शहरी क्षेत्रों में इसी वजह से निकट दृष्टि दोष अधिक आम हो । हालांकि, इसे समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।  
 यह सच है कि आधुनिक जीवन शैली में अक्सर हमें अपना बहुत सारा समय घर के अंदर बिताना होता है। उदाहरण के लिए, स्कूल छोडऩे की उम्र अब पहले से ज्यादा हो चुकी है और उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है, जिससे बच्चे औपचारिक शिक्षा में अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं, जो दृष्टिदोष का एक कारण हो सकता है।   यद्यपि ब्रिटेन में बच्चों पर इसके प्रभाव को लेकर अभी तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन अन्य स्थानों पर पूर्व में मिले प्रारंभिक परिणाम बताते हैं कि महामारी अधिक बच्चों में दृष्टिदोष विकसित करने का कारण बन सकती है - लेकिन एक अनुमान है कि इसका प्रभाव कम ही होगा। अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या महामारी दृष्टिदोष में स्थायी वृद्धि का कारण बन सकती है। फिलहाल तो बच्चों में दृष्टिदोष का जोखिम कम करने के लिए सबसे अच्छी सलाह यह है कि वह दिन में कम 40 मिनट घर से बाहर बिताएं।

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