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विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हम तकरीबन 40-45 साल से एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन पहले दिन से लेकर अब तक हमने कभी एक दूसरे को नाम से नहीं पुकारा. चाहे हम सदन के अंदर मिले हो या बाहर. मैं हमेशा पूछता था- ‘बहन तुम कैसी हो?’ वो कहती थीं- ‘भाई आप कैसे हो?”
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. हार्ट अटैक से देर रात उनका निधन हो गया. सुसमा के जाने ने पूरा देश गमगीन है. क्या पक्ष-क्या विपक्ष, देश के सभी नेता सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद ने शूस्मा को श्रद्धांजलि देते हुए बीते पलों को याद किया है.
सुषमा स्वराज के निधन पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘बहुत धक्का लगा है. कभी भी हम ये कल्पना नहीं कर सकते थे कि सुषमा जी ऐसे चली जाएंगी. मैं 1977-78 से उनको जानता था, जब मैं यूथ कांग्रेस में था और वो पहली दफा मंत्री बनी थीं. हम तकरीबन 40-45 साल से एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन पहले दिन से लेकर अब तक हमने कभी एक दूसरे को नाम से नहीं पुकारा. चाहे हम सदन के अंदर मिले हो या बाहर. मैं हमेशा पूछता था- ‘बहन तुम कैसी हो?’ वो कहती थीं- ‘भाई आप कैसे हो?’
विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘राजनीति अपनी-अपनी जगह है. हम राजनीति में एक-दूसरे के विरोधी थे, मगर असल जिंदगी में मैंने आज अपनी बहन को खो दिया. वो एक अच्छी इंसान और एक अच्छी लीडर थीं. बेहतरीन वक्ता थीं. उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.’
सुषमा स्वराज पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री थीं, उनसे पहले इंदिरा गांधी ने पीएम रहते हुए ये पद संभाला था. सुषमा का नाम भारतीय राजनीति में तेजतर्रा वक्ता के तौर पर जाना जाता था. अपने ओजस्वी भाषण में वह जितनी आक्रामक दिखती थीं, निजी जीवन में उतनी ही सरल और सौम्य थीं.
भारतीय जनता पार्टी में अस्सी के दशक में शामिल होने के बाद से सुषमा का राजनैतिक कद लगातार बढ़ता गया. सुषमा स्वराज पर पार्टी का विश्वास इस कदर था कि 13 दिन की वाजपेयी सरकार में भी उन्हें सूचना व प्रसारण मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. अगली बार बीजेपी के सत्ता में आने पर एक बार फिर सुषमा को दूरसंचार मंत्रालय के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मिला.
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नई दिल्ली:भारतीय राजनीतिज्ञ और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के पार्थिव शरीर को आज दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा.वर्ष 2016 में किडनी खराब होने के कारण वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज एम्स में भर्ती कराया गया था. वह डायबिटीज की बीमारी से भी पीड़ित थीं. डायबिटीज की बीमारी ने उन्हें लंबे समय से घेर रखा था. वह करीब 20 वर्षों से ज्यादा से इस बीमारी से जूझ रही थीं. वहीं, दिसंबर, 2016 में सुषमा का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से ही सुषमा स्वराज की राजनीति में सक्रियता धीरे-धीरे कम होती गई. इसी के चलते सुषमा स्वराज ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था.सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1953 को हुआ था. वह बीजेपी की वरिष्ठ नेता होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील भी थीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्रालय संभाला था. मात्र 25 वर्ष की उम्र में 1977 में वह पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुई थीं. उस वक्त वह सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री थीं. वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थीं. 2014 में सुषमा स्वराज ने मध्य प्रदेश के विदिशा से दूसरी बार 4 लाख वोटों से चुनाव जीता था. सुषमा स्वराज को अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ‘बेस्ट लव्ड पॉलिटिशियन’ कहा था. बता दें कि सुषमा स्वराज का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था.
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नई दिल्ली। बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित उनके आवास पर तांता लगा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सुषमा के आवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अपनी पूर्व सहयोगी का पार्थिव शरीर देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखें डबडबा गईं। प्रधानमंत्री ने बेहद गमगीन माहौल में सुषमा की बेटी बांसुरी स्वराज के सिर पर हाथ फेर कर उनका ढांढस बंधाया। वहीं कुछ देर बाद पहुंचे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सुषमा के पार्थिव शरीर को शांत खड़े निहारते रहे।
पीएम मोदी की आंखें हो गईं नम
सुषमा के पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह अंतिम दर्शनों के लिए जंतर-मंतर स्थित आवास पर रखा गया। अंतिम दर्शनों के लिए सुबह से ही वहां लंबी लाइन लगी रही। बीजेपी ही नहीं, विरोधी दलों के नेता भी उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव तो सुषमा को श्रद्धांजलि देते हुए बेहद भावुक हो गए और रोने लगे। कुछ देर बाद पीएम मोदी सुषमा के आवास पर पहुंचे। अपनी पार्टी की बेहद तेज तर्रार और लोकप्रिय नेता को इस तरह शांत देख वह भावुक हो गए और उनकी आंखें छलक आईं। मोदी इस दौरान सुषमा की बेटी को सांत्वना देते रहे।
सुषमा को शांत खड़े निहारते रहे आडवाणी
मोदी के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ सुषमा को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। पार्टी और एनडीए सरकार में अपनी करीबी सहयोगी रही सुषमा को देखकर आडवाणी भी बेहद भावुक हो गए। वह कुछ क्षणों तक सुषमा के निष्प्राण शरीर को देखते रहे। इस दौरान उनकी बेटी प्रतिभा पास ही खड़ीं सुषमा की बेटी बांसुरी से लिपटकर रोने लगीं।
कौन-कौन पहुंचा श्रद्धांजलि देने
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप सांसद संजय सिंह ने सुषमा स्वराज के निवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पार्टी की वरिष्ठ नेता को श्रद्धांजलि दी। स्वराज को श्रद्धांजलि देने वाले अन्य नेताओं में तृणमूल कांग्रेस डेरेक ओ ब्रायन, योग गुरु रामदेव, बीजेपी नेता हेमा मालिनी, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी शामिल हैं। -
नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। एम्स के सूत्रों ने बताया कि स्वराज को रात 10 बजकर 15 मिनट पर अस्पताल लाया गया। उन्हें सीधे आपातकालीन वॉर्ड में ले जाया गया। भाजपा की वरिष्ठ नेता का 2016 में गुर्दा प्रतिरोपित किया गया था और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। सुषमा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और हर्षवर्धन भी एम्स में पहुंचे। बताया जा रहा है कि सुषमा स्वराज आज शाम को वह अपने घर मे गिर गई थीं. थोड़ी ही देर बाद उन्हें घबराहट होने लगी, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में एम्स लाया गया। इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। एम्स की ओर से इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई है।
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14 फरवरी 1952 को अंबाला कैंट में जन्म
6 अगस्त 2019 को दिल्ली में निधन
1977 में लड़ा सबसे पहला चुनाव
1990 में बनीं राज्यसभा सदस्य
1998 में बनीं दिल्ली की पहली महिला सीएम
1999 में बेल्लारी सीट पर सोनिया से हारीं
2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं
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आखिरी ट्वीट
सुषमा स्वराज ने कश्मीर मुद्दे पर फैसले के लिए तीन घंटे पहले ही मोदी को बधाई देता ट्वीट किया था। ट्वीट पर अनुच्छेद 370 पर उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री जी आपका हार्दिक अभिनंदन, मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।
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नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार (06 अगस्त 2019) को निधन हो गया. उन्होंने एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. सूत्रों के मुताबिक, सुषमा स्वराज को मंगलवार (06 अगस्त 2019) शाम दिल का दौरा पड़ा और वह अचेत होकर गिर पड़ीं. इसके बाद उन्हें एम्स की इमरजेंसी में लाया गया और देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली.
सुषमा स्वराज लंबे समय से किडनी की समस्या से पीडि़त थीं. 2016 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी किया गया था, लेकिन इसके बाद से ही उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती गई.
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के यहां अंबाला छावनी में हुआ था. इनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिष्ठित सदस्य थे. सुषमा स्वराज ने राजनीति विज्ञान और संस्कृत जैसे से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी. 1970 में सुषमा स्वराज को अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज में बेस्ट स्टूडेंट भी चुना गया था. इसके बाद सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की उम्र में राज्य की कैबिनेट का मंत्री बनाया गया था और 27 वर्ष की उम्र में वे राज्य जनता पार्टी की प्रमुख बन गई थीं.
सुषमा स्वराज ने 1973 में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी. उनका राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ शुरू हुआ था. वह छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता रहीं. सुषमा स्वराज ने आपातकाल के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई थी. जुलाई 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था. 27 वर्ष की उम्र में वह 1979 में जनता पार्टी (हरियाणा) की अध्यक्ष बन गई थीं.
सुषमा स्वराज अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990-96 तक राज्यसभा सांसद रहीं. 1996 में वह 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं और अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. 12वीं लोकसभा के लिए वह फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और दोबारा उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया.
अक्टूबर 1998 में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो वह राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं.
1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र, कर्नाटक से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं. साल 2000 में वह फिर से राज्यसभा में पहुंचीं थीं और सूचना-प्रसारण मंत्री बनीं. वह मई 2004 तक सरकार में रहीं.
अप्रैल 2009 में वह मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं. बाद में विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है। आज सिर के बिना भारत है। कश्मीर देश का मस्तक था। आज देश का सिर काट दिया गया। देश को कमजोर को खत्म कर दिया गया है। लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जो भी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हैं, उन्हें कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।