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नयी दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास नीतिगत दरों (रेपो दर) और कटौती की गुंजाइश है। इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी नीचे होना है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी से चार प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और मई में छह साल के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई। वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है, मुख्य (हेडलाइन) मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है और कुल मिलाकर मुद्रास्फीति आरबीआई के चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी नीचे है। इससे नीतिगत दर में और कमी की गुंजाइश है।'' केंद्र सरकार ने फरवरी से अब तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कुल मिलाकर एक प्रतिशत की कमी की है।
नीतिगत दर निर्धारित करने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक चार से छह अगस्त को होगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहली तिमाही में वास्तविक मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य से कम रही। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऐसा जान पड़ता है कि पूरे वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति दर केंद्रीय बैंक के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम रहेगी।'' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) और उसके सहयोगियों द्वारा अनुमान से कहीं ज्यादा उत्पादन वृद्धि के बाद, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें कम रहने की उम्मीद है। ओपेक और उसके सहयोगियों ने अगस्त में उत्पादन में 5,48,000 बैरल प्रतिदिन की वृद्धि की, जो पिछले महीनों में घोषित उत्पादन वृद्धि के अतिरिक्त है। राजकोषीय मोर्चे पर, केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों ने राजकोषीय मजबूती के लक्ष्यों पर कायम रहते हुए पूंजीगत व्यय में गति बनाए रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर कटौती के बावजूद राजस्व स्रोत मजबूत बने हुए हैं और दहाई अंक में वृद्धि जारी है। -
नई दिल्ली। संसद में आज सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान और आतंकवाद पर जोरदार प्रहार किया। लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने भारतीय सेना को “शेर” की उपमा दी और पाकिस्तान की तुलना “मेंढकों” से करते हुए कहा कि भारतीय सेना कभी छोटे और निर्बल दुश्मनों से अपनी ताकत नहीं तौलती। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का सैन्य बल शौर्य और धैर्य, दोनों में विश्वास करता है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरतेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा, “इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया। शेर अगर मेंढकों को मारे तो अच्छा संदेश नहीं जाता। हमारी सेना शेर है। पाकिस्तान जैसा देश, जो अपने अस्तित्व के लिए दूसरों पर निर्भर है, उससे मुकाबला करना अपना स्तर गिराने जैसा है।” उन्होंने आगे कहा कि हमारी नीति आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और प्रभावी कार्रवाई की है। हमारा पाकिस्तान विरोध किसी धार्मिक कारण से नहीं, बल्कि उनकी आतंकवाद पोषक नीतियों की वजह से है।रक्षा मंत्री ने भगवान राम और श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की नीतियां शौर्य और धैर्य का समन्वय हैं। “जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ किया, लेकिन फिर सुदर्शन चक्र उठाया, वैसे ही भारत पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, लेकिन धोखा मिलने पर प्रतिक्रिया देना जानता है।”उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक था। “अगर कोई हमारे नागरिकों को मारेगा, तो भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत की मिसाइलें सीमाओं को पार करेंगी और हमारे वीर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ देंगे। हम आतंकवाद के हर रूप को खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” राजनाथ सिंह ने यह भी दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश और रक्षा नीति अब ‘धैर्य और प्रतिकार’ के सिद्धांतों पर आधारित है। - नयी दिल्ली. अमेरिका और ब्रिटेन में राजनीतिक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित भाषा मॉडल से ऑनलाइन चर्चाओं की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) को बड़े पैमाने पर टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है, लिहाजा यह प्राकृतिक भाषा में मानवीय अनुरोधों का जवाब देने में सक्षम है। ‘साइंस एडवांसेज' पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, एआई प्रणाली की ओर से विनम्र, साक्ष्य-आधारित प्रतिवाद उच्च गुणवत्ता वाली ऑनलाइन बातचीत की संभावना को लगभग दोगुना कर देता है और “व्यक्ति के वैकल्पिक दृष्टिकोणों का सम्मान करने की गुंजाइश को काफी हद तक बढ़ा देता है।” हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि वैकल्पिक दृष्टिकोणों के प्रति खुलापन किसी की राजनीतिक विचारधारा में बदलाव नहीं लाता। डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और डेटा विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर ग्रेगरी ईडी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि बड़े भाषा मॉडल “हल्के-फुल्के सुझाव” दे सकते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ता को उनके पोस्ट के आपत्तिजनक लहजे के प्रति सचेत करना। ईडी ने कहा, “इसे ठोस रूप से बढ़ावा देने के लिए यह कल्पना करना आसान है कि पृष्ठभूमि में काम करने वाले बड़े भाषा मॉडल कैसे ऑनलाइन चर्चाओं में पटरी से उतरने पर हमें सचेत करते हैं, या इन एआई प्रणालियों का इस्तेमाल कैसे स्कूल पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में युवाओं को विवादास्पद विषयों पर चर्चा करते समय सर्वोत्तम व्यवहार करने की कला सिखाने के लिए किया जा सकता है।” मुंबई स्थित स्वतंत्र गैर-लाभकारी शैक्षणिक शोध संस्थान मॉन्क प्रयोगशाला के मनोविज्ञान विभाग की शोधकर्ता हंसिका कपूर ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “(यह अध्ययन) इस तरीके से एलएलएम का इस्तेमाल करने के लिए एक अवधारणा प्रमाण प्रदान करता है, जिसमें स्पष्ट संकेत दिए गए हैं, जो दो या अधिक समूहों की तुलना करने वाले प्रयोग में परस्पर अनन्य प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर सकते हैं।” अध्ययन में लगभग 3,000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें अमेरिका में रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी, जबकि ब्रिटेन में कंजर्वेटिव या लेबर पार्टी के समर्थक शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से एक ऐसा लेख लिखने को कहा, जिसमें वे अपने लिए महत्वपूर्ण किसी राजनीतिक मुद्दे पर अपना रुख बयां करते हुए उसे जायज ठहराते हों, ठीक वैसे ही, जैसे वे किसी सोशल मीडिया पोस्ट में करते हैं। लेख पर प्रतिक्रिया चैटजीपीटी से दी गई, जो “काल्पनिक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के रूप में काम कर रहा था।” यह पोस्ट की भाषा और तर्क के हिसाब से “तत्काल” अपनी जवाबी दलीलें दे रहा था। प्रतिभागी चैटजीपीटी की प्रतिक्रिया पर ठीक उसी तरह से जवाब दे रहे थे, जैसे वे किसी सोशल मीडिया ‘कमेंट' पर व्यक्त करते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, “साक्ष्य-आधारित प्रतिवाद (भावना-आधारित प्रतिक्रिया के सापेक्ष) उच्च-गुणवत्ता वाली प्रतिक्रिया प्राप्त करने की संभावना को छह प्रतिशत अंकों तक बढ़ा देता है, समझौता करने की इच्छा में पांच प्रतिशत अंकों तक वृद्धि करता है और सम्मानजनक लहजा अपनाने की गुंजाइश में नौ प्रतिशत अंकों तक इजाफा करता है।
- नयी दिल्ली. सरकार भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते पर उद्योग और राज्यों को जागरूक करने के लिए अगले 20 दिन में देशभर में हितधारक बैठकों, कार्यशालाओं, जागरूकता अभियानों और रायशुमारी सत्रों सहित कुल 1,000 संपर्क कार्यक्रम आयोजित करेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस कवायद का मकसद 24 जुलाई को हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना और इसके लाभ को अधिकतम करना है। सूत्रों ने कहा कि क्षेत्रवार संपर्क कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। संबंधित मंत्रालय भी समझौते पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे। केंद्रीय दल इस व्यापार समझौते के फायदों के बारे में जानकारी देने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा भी करेंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को यहां व्यापार समझौते पर चमड़ा और वस्त्र क्षेत्र के साथ बैठक करेंगे। इस समझौते के लागू होने पर, 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात ब्रिटेन में शुल्क मुक्त हो जाएंगे। इसके साथ ही कार, सौंदर्य प्रसाधन और व्हिस्की जैसे ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क भी कम हो जाएगा। गोयल ने 26 जुलाई को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें पहले ही विशिष्ट उद्योग क्षेत्रों से बात करने का निर्देश दिया है, जो इस समझौते के लागू होने के बाद अब अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। उन्होंने कहा, ''संसद सत्र चलने तक मैं हर क्षेत्र के साथ क्षेत्रीय बैठकें करूंगा और उसके बाद सभी राज्यों का दौरा करूंगा।'' भागलपुर सिल्क (बिहार), पश्मीना शॉल (जम्मू और कश्मीर), कोल्हापुरी चप्पल (महाराष्ट्र) और तंजावुर गुड़िया (तमिलनाडु) अब ब्रिटेन भर के मॉल और दुकानों में प्रमुखता से दिखाई देगी। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के तहत ऐसे पारंपरिक उत्पादों पर शुल्क में छूट दी जाएगी। इसके अलावा बालूचरी साड़ियों (पश्चिम बंगाल), बंधिनी वस्त्र कला (गुजरात), कांचीपुरम साड़ियों और तिरुपुर के होजरी उद्योग को भी इस समझौते से फायदा होगा। गोयल ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का भी दौरा करेंगे और मछुआरा समुदाय को इस समझौते से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे। गोयल ने कहा, ''मैं हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई और गुरुग्राम के तकनीकी केंद्रों का दौरा करूंगा और जानकारी दूंगा कि कैसे दोहरा अंशदान संधि (डीसीसी) से उन्हें अपने सेवा निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी।'' उन्होंने आगे कहा, ''हम इस समझौते से सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को जागरूक करेंगे।'' उन्होंने कहा, ''हम ब्रिटेन में प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे... और अगले कुछ महीनों में, जब तक संसदीय मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है, जमीनी स्तर पर काम शुरू कर देंगे, ताकि हम एफटीए के लागू होते ही इसका लाभ उठा सकें।
- चेन्नई. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया, लेकिन पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किये गये चीनी हथियार नाकाम रहे। उन्होंने दावा किया कि मई में आतंकवाद निरोधक अभियान के बाद भारत की रक्षा क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हुई, जबकि चीन की रक्षा क्षमता में गिरावट आई। त्रिवेदी ने शनिवार को वीआईटी चेन्नई परिसर में तमिलनाडु उच्च शिक्षा शिक्षक संघ के तत्वावधान में आयोजित ‘‘विकसित भारत का रोड मैप - एक बहुविषयक दृष्टिकोण'' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने एक अन्य देश, चीन को भी प्रभावित किया, क्योंकि वास्तविक युद्ध में चीनी हथियारों का इस्तेमाल विफल साबित हुआ है।'' उन्होंने कहा, ‘‘एविक सिस्टम्स चेंगदू' द्वारा विनिर्माण किये जाने वाले जेएफ-17 विमान और पीएल-15 विमान, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा किया गया था, के रक्षा भंडार में नौ प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। इसके विपरीत, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और गार्डन रीच शिपबिल्डर समेत भारत के रक्षा भंडार में तेजी से वृद्धि हुई, क्योंकि ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए हथियार स्वदेशी रूप से निर्मित थे।'' उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के यूरोप से हटने के बाद भारत रक्षा विनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। त्रिवेदी ने कहा, ‘‘इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि यह विकसित भारत 25 साल का कार्यक्रम है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं, यह भारत के अगले 1,000 वर्षों की नींव रखेगा।'' उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे औपनिवेशिक विरासत और स्वतंत्रता के बाद लोगों के मन में बसाई गई मानसिकता से बाहर आएं तथा भाषाई कार्ड खेलना बंद करें। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने कहा, ‘‘जो लोग भाषा को मुद्दा बनाना चाहते हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि क्या उन्होंने कभी अपनी क्षेत्रीय भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा प्रदान करने के बारे में सोचा था?'' उन्होंने कहा कि मोदी ने 15 क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा सुनिश्चित की है। वीआईटी के संस्थापक-कुलपति जी विश्वनाथन ने उच्च शिक्षा के लिए बजट में धन के आवंटन में वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि शिक्षा का विकास आर्थिक प्रगति के लिए जरूरी है।
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वडोदरा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाकर भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से मई में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता में विभिन्न एजेंसियों द्वारा संसाधनों (लॉजिस्टिक) का प्रबंधन एक निर्णायक कारक था। राजनाथ वडोदरा में रेल मंत्रालय के तहत आने वाले गति शक्ति विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों और अध्यापकों को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया जिस तेजी से बदल रही है, वह प्रभावी एवं चौंकाने वाली भी है। रक्षा क्षेत्र भी बदल रहा है और युद्ध के तरीकों में भी बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूकों और गोलियों से नहीं, बल्कि समयबद्ध तरीके (चीजों का प्रंधन करने) से जीते जाते हैं।'' राजनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि संसाधनों का प्रबंधन युद्ध के मैदान में देश का भाग्य तय करता है।
उन्होंने कहा कि जीत और हार जरूरी संसाधनों से तय होती है और ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पूरी दुनिया ने इसे देखा। राजनाथ ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में संसाधनों का प्रबंधन एक निर्णायक कारक था। विभिन्न एजेंसियों ने हमारे सशस्त्र बलों को जुटाने से लेकर सही समय पर सही जगह पर आवश्यक सामग्री पहुंचाने तक, जिस तरह से जरूरी संसाधनों का प्रबंधन किया, वह ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता में एक निर्णायक कारक साबित हुआ।'' उन्होंने कहा कि ‘लॉजिस्टिक' को केवल सामान पहुंचाने की प्रक्रिया के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘संसाधन ही युद्धक्षेत्र को युद्धक्षेत्र बनाते हैं। संसाधनों के बिना, यह एक असमंजस का क्षेत्र बन जाएगा। युद्ध के दौरान अगर हथियार और गोला-बारूद सही समय पर सही जगह न पहुंचें, तो इसका कोई मतलब नहीं है। हमारा संसाधन प्रबंधन जितना मजबूत होगा, हमारी सीमाएं भी उतनी ही सुरक्षित होंगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘आज हम ऐसे दौर में हैं, जहां ताकत सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि समय पर संसाधन प्रबंधन से मापी जाती है। चाहे युद्ध हो, आपदा हो या वैश्विक महामारी, यह सिद्ध हो चुका है कि जो राष्ट्र अपनी आपूर्ति शृंखला को मजबूत रखता है, वह सबसे स्थिर, सुरक्षित और सक्षम होता है।'' राजनाथ ने कहा कि सेना के लिए संसाधन प्रबंधन का मतलब है कि हथियार, ईंधन, राशन और दवाइयां बिना किसी देरी के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचें, जबकि नौसेना के मामले में इसका अर्थ यह सुनिश्चित करना है कि जहाजों को समय पर कलपुर्जे और अन्य उपकरण उपलब्ध हों। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘और हमारी वायु सेना के लिए इसका मतलब यह सुनिश्चित करना है कि जमीनी सहायता और निर्बाध ईंधन आपूर्ति की मदद से जेट विमान बिना किसी बाधा के उड़ान भरना जारी रखें। जरा सोचिए, अगर हमारे पास उन्नत मिसाइल प्रणालियां हैं, लेकिन उन्हें प्रक्षेपित करने के लिए जरूरी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण समय पर नहीं पहुंचते, तो उस तकनीकी का कोई फायदा नहीं है।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘पीएम गति शक्ति' पहल, ‘लॉजिस्टिक' एकीकरण के विचार का ही विस्तार है। - कोटा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' की 124वीं कड़ी में राजस्थान के कोटा के दो छात्रों सहित चार छात्रों की अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड में देश के लिए पुरस्कार जीतने पर प्रशंसा की। यह हाई स्कूल के छात्रों के लिए एक वैश्विक प्रतियोगिता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, हमारे छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड में पदक जीते। देवेश पंकज, देबदत्त प्रियदर्शी, संदीप कुची और उज्ज्वल केसरी ने देश को गौरवान्वित किया है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में भी अपनी स्थिति मजबूत की है, जहां तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त हुए हैं।'' अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड का अंतिम दौर संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित किया गया, जहां कोटा के प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई कर रहे देबदत्त प्रियदर्शी (कक्षा 10) और देवेश पंकज भैया (कक्षा 12) ने क्रमशः स्वर्ण और रजत पदक जीता। देवेश ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने ‘मन की बात' में अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड का जिक्र किया। मुझे और भी ज्यादा खुशी इस बात की है कि उन्होंने चार छात्रों में मेरा नाम भी शामिल किया।'' देवेश ने अब तक चार ओलंपियाड में भाग लिया है और प्रत्येक में पदक जीते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के शब्द बड़ी संख्या में छात्रों को प्रोत्साहित और प्रेरित करेंगे, क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में ये ओलंपियाड ओलंपिक खेलों के समान हैं।'' महाराष्ट्र के जलगांव के मूल निवासी देवेश पिछले सात वर्षों से कोटा में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हजारों ओलंपियाड उम्मीदवारों को प्रेरित करने के लिए प्रधानमंत्री को एक बार फिर धन्यवाद देना चाहता हूं।'' देबदत्त ने कहा कि विज्ञान ओलंपियाड को ओलंपिक खेलों के समान दर्जा दिया जाना चाहिए, क्योंकि दुनिया भर के छात्र इसमें भाग लेते हैं।
- नयी दिल्ली. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने यहां एक बयान में कहा कि एनआईएसएआर महज एक उपग्रह नहीं है, बल्कि यह विश्व के साथ भारत का वैज्ञानिक सहयोग है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बुधवार को दुनिया के सबसे महंगे पृथ्वी अवलोकन उपग्रह एनआईएसएआर को प्रक्षेपित करेगा, जिसे उसने प्राकृतिक संसाधनों और खतरों के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (नासा) के साथ मिलकर विकसित किया है। नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (एनआईएसएआर) उपग्रह के अवलोकन दुनिया भर के नीति निर्माताओं को उपलब्ध होंगे, जिससे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी। कुल 1.50 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से विकसित इस उपग्रह को बुधवार शाम 5:40 बजे इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क-दो रॉकेट के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा। सिंह ने कहा कि यह मिशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को ‘विश्व बंधु' बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है-एक ऐसा वैश्विक साझेदार, जो मानवता की सामूहिक भलाई में योगदान दे। उन्होंने कहा कि इसरो और नासा के बीच सहयोग वाले पहले संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन के रूप में यह प्रक्षेपण भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग के साथ-साथ इसरो के समग्र अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक निर्णायक क्षण है। सिंह ने कहा, ‘‘एनआईएसएआर न केवल भारत और अमेरिका की सेवा करेगा, बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए डेटा मुहैया कराएगा, विशेष रूप से आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु निगरानी जैसे क्षेत्रों में।'' उन्होंने कहा कि मिशन की एक प्रमुख विशेषता यह है कि एनआईएसएआर में दर्ज होने वाला डेटा अवलोकन के एक से दो दिनों के भीतर स्वतंत्र रूप से सुलभ हो जाएगा, और आपात स्थिति में लगभग वास्तविक समय में उपलब्ध हो सकेगा। नासा ने मिशन के लिए एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर), जीपीएस रिसीवर और एक तैनात करने योग्य 12-मीटर का ‘अनफर्लेबल एंटीना' प्रदान किया है। एसएसआर एक उच्च-गति दूरसंचार उपप्रणाली है।वहीं, इसरो ने अपनी ओर से एस-बैंड एसएआर पेलोड, दोनों पेलोड को समायोजित करने के लिए अंतरिक्ष यान बस, जीएसएलवी-एफ16 प्रक्षेपण यान और सभी संबंधित प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान की हैं। एनआईएसएआर का वजन 2,392 किलोग्राम है और इसे सूर्य-स्थिर कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिससे हर 12 दिनों में पृथ्वी की संपूर्ण भूमि और बर्फीली सतहों की तस्वीरें ली जा सकेंगी।
- नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि इससे भारत के बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति एक नयी जिज्ञासा जागी है। मोदी ने साथ ही कहा कि देश में केवल अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े 200 से अधिक स्टार्टअप शुरू हुए हैं।प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' में कहा कि 2047 में विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से होकर गुजरता है और ‘वोकल फॉर लोकल' ‘आत्मनिर्भर भारत' का सबसे मजबूत आधार है। मोदी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में, चाहे वह खेल हो, विज्ञान हो या संस्कृति, बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल में अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला की वापसी को लेकर देश में खूब चर्चा हुई। जैसे ही शुभांशु पृथ्वी पर सुरक्षित उतरे, लोग खुशी से उछल पड़े, हर दिल में खुशी की लहर दौड़ गई। पूरा देश गर्व से भर गया।'' मोदी ने कहा, ‘‘मुझे याद है, जब अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग हुई, तो देश में एक नया माहौल बना। बच्चों में भी विज्ञान को लेकर, अंतरिक्ष को लेकर एक नयी जिज्ञासा पैदा हुई। छोटे-छोटे बच्चे अब कहते हैं, हम भी अंतरिक्ष में जाएंगे; हम भी चांद पर उतरेंगे - हम भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनेंगे।'' ‘इंस्पायर-मानक' अभियान के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि यह बच्चों में नवाचार को बढ़ावा देने का अभियान है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें हर स्कूल से पांच बच्चों का चयन किया जाता है। हर बच्चा एक नया विचार लेकर आता है। अब तक लाखों बच्चे इससे जुड़ चुके हैं और चंद्रयान-3 के बाद इनकी संख्या दोगुनी हो गई है।'' मोदी ने कहा कि पूरे भारत में बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा की एक नयी लहर उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि देश में अंतरिक्ष के क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप भी तेजी से उभर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पांच साल पहले 50 से भी कम स्टार्टअप थे। आज अकेले अंतरिक्ष क्षेत्र में 200 से अधिक स्टार्टअप हैं।'' मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में विज्ञान नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, हमारे छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड में पदक जीते। देवेश पंकज, संदीप कुची, देबदत्त प्रियदर्शी और उज्ज्वल केसरी, इन चारों ने भारत का नाम रोशन किया। गणित की दुनिया में भी भारत ने अपनी छवि मजबूत की है। ऑस्ट्रेलिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में हमारे छात्रों ने तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले महीने मुंबई में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड आयोजित होने जा रहा है। यह अब तक का सबसे बड़ा ओलंपियाड होगा। मोदी ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि वीरता और दूरदर्शिता के प्रतीक 12 मराठा किलों को यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ग्यारह किले, तमिलनाडु में एक। हर किले से इतिहास का एक अध्याय जुड़ा है। हर पत्थर एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी है...सल्हेर किला, जहां मुगलों को हराया गया था, शिवनेरी, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। एक ऐसा किला, जो दुश्मन के लिए अभेद्य है। खानदेरी किला समुद्र के बीच में बना एक अद्भुत किला है।'' मोदी ने कहा, ‘‘दुश्मन उन्हें रोकना चाहता था, लेकिन शिवाजी महाराज ने असंभव को संभव कर दिखाया। प्रतापगढ़ किला, जहां अफजल खान को हराया गया था, उस गाथा की गूंज आज भी किले की दीवारों में समाई है। विजयदुर्ग, जिसमें गुप्त सुरंगें थीं, छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरदर्शिता का प्रमाण है। मैंने कुछ साल पहले रायगढ़ का दौरा किया था... छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने नमन किया था। ये अनुभव जीवनभर मेरे साथ रहेगा।'' उन्होंने याद दिलाया कि 11 अगस्त, 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर शहर की एक जेल में 18 साल का एक युवक अंग्रेजों के खिलाफ अपनी देशभक्ति जाहिर करने की कीमत चुका रहा था। मोदी ने कहा, ‘‘जेल के अंदर, अंग्रेज अधिकारी,एक युवा को फांसी देने की तैयारी कर रहे थे। उस युवा के चेहरे पर भय नहीं था, बल्कि गर्व से भरा हुआ था। ऐसा गर्व, जो देश के लिए मर-मिटने वालों को होता है। वह वीर, वह साहसी युवा थे, खुदीराम बोस। सिर्फ 18 साल की उम्र में उन्होंने ऐसा साहस दिखाया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।'' उन्होंने कहा कि अगस्त महीना क्रांति का महीना है।मोदी ने कहा कि एक अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि होती है। उन्होंने कहा कि इसी महीने, आठ अगस्त को गांधी जी के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘फिर आता है 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस, हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनसे प्रेरणा पाते हैं, लेकिन साथियों, हमारी आजादी के साथ देश के बंटवारे की टीस भी जुड़ी हुई है, इसलिए हम 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाते हैं।'' मोदी ने यह भी कहा कि 7 अगस्त, 1905 को एक और क्रांति शुरू हुई, वह स्वदेशी आंदोलन था, जिसने स्थानीय उत्पादों को नयी ऊर्जा दी। उन्होंने कहा, ‘‘इसी स्मृति में, देश हर साल सात अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' मनाता है। इस वर्ष, 7 अगस्त को 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जैसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारी खादी ने स्वतंत्रता आंदोलन को नयी ताकत दी, वैसे ही आज, जब देश एक विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है, तो कपड़ा क्षेत्र देश की ताकत बन रहा है।'' मोदी ने कहा, ‘‘वस्त्र क्षेत्र भारत का सिर्फ एक क्षेत्र नहीं है। यह हमारी सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण है। आज, वस्त्र और परिधान बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस विकास की सबसे खूबसूरत बात यह है कि गांवों की महिलाएं, शहरों के डिजाइनर, बुजुर्ग बुनकर और हमारे युवा जिन्होंने स्टार्ट-अप शुरू किया है, सभी मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।'' मोदी ने कहा कि आज भारत में 3,000 से अधिक कपड़ा स्टार्ट-अप सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि कई स्टार्ट-अप ने भारत की हथकरघा पहचान को वैश्विक ऊंचाई प्रदान की है। उन्होंने कहा, ‘‘2047 में विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से होकर गुजरता है और ‘आत्मनिर्भर भारत' का सबसे बड़ा आधार है - ‘वोकल फॉर लोकल'। केवल वही चीजें खरीदें और बेचें जो भारत में बनी हों, जिनमें किसी भारतीय ने पसीना बहाया हो। यह हमारा संकल्प होना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि कभी-कभी कुछ लोगों को कोई काम असंभव लगता है, लेकिन जब देश एक विचार पर एकजुट हो जाता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है। मोदी ने कहा, ‘‘'स्वच्छ भारत मिशन' इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जल्द ही इस मिशन को 11 साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन इसकी ताकत और जरूरत अब भी वही है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 11 वर्षों में ‘स्वच्छ भारत मिशन' एक जन आंदोलन बन गया है और लोग इसे अपना कर्तव्य मानते हैं और यही वास्तविक जनभागीदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘हर साल होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण ने इस भावना को और बढ़ाया है। इस साल देश के 4500 से ज्यादा शहर और कस्बे इसमें शामिल हुए। पंद्रह करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। यह कोई साधारण संख्या नहीं है। यह स्वच्छ भारत की आवाज है।
- नयी दिल्ली. निर्वाचन आयोग (ईसी) ने रविवार को कहा कि बिहार में प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची का मसौदा अंतिम मतदाता सूची नहीं है। आयोग ने कहा कि पात्र मतदाताओं को शामिल करने और अपात्रों को बाहर करने के लिए एक महीने का समय उपलब्ध होगा। मसौदा सूची एक अगस्त को तथा अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।आयोग ने कहा कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के एक महीने तक चले पहले चरण के समापन के बाद 7.24 करोड़ या 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं। आयोग ने बताया कि 36 लाख लोग या तो अपने पिछले पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या फिर उनका कोई पता ही नहीं है। इसने कहा कि बिहार के सात लाख मतदाताओं का कई जगहों पर नाम दर्ज है। गणना प्रपत्र वितरित करने और वापस प्राप्त करने से संबंधित एसआईआर का पहला चरण शुक्रवार (25 जुलाई) को समाप्त हो गया। निर्वाचन आयोग ने कहा कि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को ये मतदाता नहीं मिले और न ही उन्हें गणना फॉर्म वापस मिले, क्योंकि या तो वे अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता बन गए हैं, या फिर वहां मौजूद नहीं थे, या उन्होंने 25 जुलाई तक फॉर्म जमा नहीं किए थे। इसने बताया कि दूसरा कारण यह था कि वे किसी न किसी कारण से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक नहीं थे। आयोग ने कहा कि इन मतदाताओं की वास्तविक स्थिति एक अगस्त तक इन फॉर्म की जांच के बाद पता चलेगी।इसने कहा, हालांकि, वास्तविक मतदाताओं को एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि के दौरान मतदाता सूची में वापस जोड़ा जा सकता है। मतदाता सूची में कई स्थानों पर नामांकित मतदाताओं का नाम केवल एक ही स्थान पर दर्ज किया जाएगा।” इसके साथ ही चुनाव प्राधिकरण ने कहा कि वह यह “समझ नहीं पा रहा है” कि जब मतदाताओं के नामों को गलत तरीके से शामिल करने और बाहर करने के लिए एक अगस्त से एक सितंबर तक एक महीने का समय उपलब्ध है, तो “वे अब इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं?” आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं से प्रक्रिया की वास्तविक प्रगति की जानकारी लेने के लिए स्वतंत्र हैं। आयोग ने चुटकी लेते हुए कहा, “अपने 1.6 लाख बूथ-स्तरीय एजेंटों से एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां क्यों नहीं मांगते हैं?” राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ स्तरीय एजेंट मतदाता सूची तैयार करने या उसे अद्यतन करने में निर्वाचन आयोग के बूथ स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। निर्वाचन आयोग के बयान में कहा गया, “कुछ लोग यह धारणा क्यों बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि मसौदा सूची ही अंतिम सूची है, जबकि विशेष गहन पुनरीक्षण आदेश के अनुसार यह अंतिम सूची नहीं है।” बिहार में विभिन्न विपक्षी दलों ने दावा किया है कि दस्तावेजों के अभाव में मतदाता सूची संशोधन के दौरान करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। बिहार में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा होगा क्योंकि राज्य मशीनरी प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन का विरोध करने वाले लोगों को निशाना बनाएगी। निर्वाचन आयोग ने कहा कि एसआईआर का पहला उद्देश्य सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। उसने कहा, “24 जून 2025 तक 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फार्म जमा कर दिए हैं, जो भारी भागीदारी को दर्शाता है।
- लखनऊ. लखनऊ के माल क्षेत्र में शनिवार को पति द्वारा की गई पिटाई से घायल एक महिला की रविवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि माल क्षेत्र में शनिवार को सीमा रावत नामक महिला को उसके पति आरोपी रवि रावत ने आपसी कहा-सुनी के बाद मारापीटा था। इस घटना में गम्भीर रूप से घायल सीमा को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था मगर नाजुक हालत के कारण उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी। उन्होंने बताया कि आरोपी पति रवि रावत के खिलाफ मामला दर्ज करके उसकी तलाश की जा रही है। मृतका के परिजन चण्डीगढ़ में रहते हैं, उन्हें सूचना दे दी गयी है।
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रेंग (अरुणाचल प्रदेश). भारतीय सेना ने सामरिक युद्धक्षेत्र अभियानों में ड्रोन प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए रविवार को एक उच्च तकनीक वाला सैन्य अभ्यास आयोजित किया। एक बयान में कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले के रेंग स्थित सैन्य स्टेशन पर आयोजित अभ्यास ‘ड्रोन प्रहार' का निरीक्षण स्पीयर कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत एस पेंढारकर ने किया। बयान के मुताबिक, युद्धक्षेत्र की परिचालन स्थितियों के तहत किए गए इस अभ्यास में खुफिया जानकारी, निगरानी और जासूसी के लिए ड्रोन के प्रभावी उपयोग के साथ-साथ सटीक लक्ष्यीकरण का प्रदर्शन किया गया। बयान में कहा गया है कि अभ्यास ‘ड्रोन प्रहार' भारतीय सेना की अपनी लड़ाकू क्षमताओं को उन्नत बनाने और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए जारी प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज सोमवार को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर कहा कि भारत इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के जरिए देशभर में लोगों की जान बचाने और बीमारी को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दिन लोगों में हेपेटाइटिस की जानकारी और उसकी रोकथाम के उपायों को लेकर जागरूकता फैलाने का बड़ा अवसर है।
गौरतलब है कि हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी बढ़ाना और इससे निपटने के लिए रोकथाम, जांच और इलाज के प्रयासों को मजबूत करना होता है। जेपी नड्डा ने इस साल की थीम ‘हेपेटाइटिस : लेट्स ब्रेक इट डाउन’ पर कहा कि यह थीम उन सामाजिक रुकावटों को खत्म करने पर जोर देती है, जो इस बीमारी के उन्मूलन में बाधा बनती हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक भारत हेपेटाइटिस बी और सी मामलों में चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है। साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2.98 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और 55 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे। यह संख्या वैश्विक हेपेटाइटिस मामलों का लगभग 11.6% है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि देश में हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई के लिए जागरूकता और समय पर जांच व इलाज को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हमें नए तरीकों से लोगों को इसके रोकथाम के उपायों की जानकारी देनी होगी। भारत का राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम जांच, इलाज और बचाव की सुविधा मुहैया कराकर इस लड़ाई को मजबूती दे रहा है।पेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिवर (यकृत) में सूजन आ जाती है और यह गंभीर लिवर रोग या कैंसर का रूप ले सकती है। यह बीमारी पांच प्रकार के वायरस -ए, बी, सी, डी और ई से होती है, जिनके फैलने के तरीके, गंभीरता और इलाज अलग-अलग होते हैं। विश्व हेपेटाइटिस दिवस समाज में फैले कलंक, जानकारी की कमी और इलाज तक सीमित पहुंच जैसी समस्याओं को दूर करने की जरूरत को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर जांच और इलाज की सुविधा बढ़ाई जाए, तो हेपेटाइटिस बी और सी के मामलों में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। वैश्विक लक्ष्य है कि साल 2030 तक हेपेटाइटिस को खत्म किया जाए, जिसके लिए भारत को जांच और इलाज की पहुंच को और मजबूत करना होगा।- -
नई दिल्ली। इस साल 3 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में अब तक 3.77 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। वहीं आज सोमवार को 1,635 श्रद्धालुओं का एक और जत्था जम्मू से कश्मीर घाटी की ओर रवाना हुआ। अधिकारियों के मुताबिक 374 श्रद्धालुओं को लेकर 17 वाहनों का पहला काफिला सुबह 3:25 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए निकला, जबकि 1,261 यात्रियों को लेकर 42 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह 4 बजे पहलगाम बेस कैंप की ओर रवाना हुआ।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) ने बताया कि रविवार को श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़ा भवन के श्री अमरेश्वर मंदिर में ‘छड़ी स्थापना’ समारोह संपन्न हुआ। 29 अगस्त को नाग पंचमी के अवसर पर इसी मंदिर में छड़ी पूजन किया जाएगा और 4 अगस्त को छड़ी मुबारक की अंतिम यात्रा पवित्र गुफा की ओर रवाना होगी।इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए हैं। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के साथ-साथ 180 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों को तैनात किया गया है। भगवती नगर यात्री निवास से लेकर गुफा मंदिर तक के पूरे मार्ग और सभी पारगमन शिविरों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित कर लिया है।पहलगाम मार्ग से यात्रा करने वाले श्रद्धालु 46 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं, जिसमें चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी शामिल हैं। यह यात्रा आमतौर पर चार दिन में पूरी होती है। दूसरी ओर, बालटाल मार्ग से श्रद्धालुओं को 14 किलोमीटर पैदल चलकर गुफा तक पहुंचना होता है और वे उसी दिन वापस लौट सकते हैं।सुरक्षा कारणों से इस साल तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है। अमरनाथ यात्रा 38 दिनों तक चलेगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी, जो श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन का दिन है। अमरनाथ गुफा हिंदू धर्म की सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में मानी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता और शाश्वत जीवन का रहस्य बताया था। -
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक संतप्त परिवारों के लिए 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की
बाराबंकी (उप्र) ।सावन के तीसरे सोमवार पर बाराबंकी में बड़ा हादसा हो गया है। अवसानेश्वर मंदिर में करंट लगने से 2 श्रद्धालुओं की मौत और 32 से ज्यादा जख्मी हो गए हैं हो गए हैं
पुलिस ने बताया कि सावन के सोमवार को अवसानेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के दौरान बिजली का तार टूटकर गिर गया, जिससे वहां टीन शेड में करंट आ गया और लोग घबरा गए. उसने बताया कि इसी से मंदिर परिसर में भगदड़ मच गई. पुलिस ने बताया कि हादसे में कम से कम 32 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए, जिनमें से दो की मौत हो गई.उसने बताया कि लोनीकटरा थाना क्षेत्र के मुबारकपुरा गांव निवासी प्रशांत (22) और एक अन्य 30 वर्षीय श्रद्धालु की त्रिवेदीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में इलाज के दौरान मौत हो गई।अधिकारियों ने बताया कि सीएचसी में कुल 10 घायलों को लाया गया, जिनमें से पांच को हालत गंभीर होने के कारण उच्च स्तरीय केंद्र रेफर कर दिया गया. यह भी पढ़े:उन्होंने बताया कि हैदरगढ़ सीएचसी में 26 घायलों को भर्ती कराया गया जिनमें से एक को गंभीर स्थिति में किसी अन्य अस्पताल में रेफर किया गया है. हादसे के बाद मंदिर परिसर और इलाके में अफरा-तफरी मच गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की. इस मामले में जांच जारी है.जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर में जलाभिषेक के दौरान बंदरों ने बिजली का तार तोड़ दिया जिससे तीन शेड में करंट आने से परिसर में भगदड़ मच गई.उन्होंने बताया कि इस हादसे में दो व्यक्तियों की मौत हो गई और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए हैं. उन्होंने बताया कि घायलों का सीएचसी एवं जिला अस्पताल में उपचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य है. बाद में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना पुन: शुरू कर दी.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक संतप्त परिवारों के लिए 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।बाराबंकी के अवसानेश्वर मंदिर में आज सुबह 2 बजे हुई बिजली के करंट लगने की घटना में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। -
नई दिल्ली। सावन मास का आज तीसरा सोमवार है।. इस पावन अवसर पर देशभर के प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सुबह से ही मंदिरों में भक्ति और आस्था का अद्भुत वातावरण देखने को मिला। चाहे युवा हों, महिलाएं हों या बुजुर्ग, हर कोई भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिरों में पहुंचा।
अयोध्याउत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह भगवान शिव का जलाभिषेक कर विशेष पूजन किया. मंदिर परिसर 'बम-बम भोले' और 'हर-हर महादेव' के जयकारों से गूंज उठा।हरिद्वारहरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भी भोर से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं. श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया और रुद्राभिषेक के आयोजन में भाग लिया.।जयपुरजयपुर के प्रसिद्ध ताड़केश्वर महादेव मंदिर में भी भारी संख्या में शिवभक्त पहुंचे. पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय भक्तों के साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए.।देवघरझारखंड के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, में आज विशेष श्रद्धा देखने को मिली. देशभर से आए भक्तों ने लंबी कतारों में लगकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक किया और विशेष पूजन किया। .सावन मास का महत्वसावन मास हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है.। यह महीना श्रद्धा, तप और भक्ति का प्रतीक है.। सावन में प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने की परंपरा है, जिसे सावन सोमवार कहा जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं, और "ॐ नमः शिवाय" तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं।कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से व्रत करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति के लिए पूजा करती हैं। सावन माह में निकलने वाली कांवड़ यात्रा भी विशेष धार्मिक महत्व रखती है.। -
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मिलकर एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह विकसित किया है, जिसे 30 जुलाई 2025 को लॉन्च किया जाएगा। इस उपग्रह को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के जरिए 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह खराब मौसम, बादलों और बारिश के बावजूद दिन-रात पृथ्वी की स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम होगा। इसका उपयोग भूस्खलन, प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए किया जाएगा।
इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह उपग्रह केवल भारत और अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने बताया कि इसरो फिलहाल 55 उपग्रहों का संचालन कर रहा है और आने वाले चार वर्षों में इन्हें तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करने की योजना है। नारायणन ने सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए आदित्य एल1 मिशन की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह उपग्रह 26 जनवरी को 1.5 किलोग्राम वजन के साथ लॉन्च किया गया था और इसने सूर्य से जुड़े अहम डेटा इसरो को भेजे हैं, जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण जारी है।मानव मिशन की तैयारियों पर बात करते हुए नारायणन ने बताया कि इस साल दिसंबर में एक मानवरहित मिशन लॉन्च किया जाएगा। अगर यह सफल होता है, तो अगले साल दो और मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे। प्रधानमंत्री की ओर से घोषित योजना के अनुसार, मार्च 2027 में भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसके लिए श्रीहरिकोटा में पहला प्रक्षेपण वाहन तैयार किया जा रहा है।इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 मिशन के प्रति भी उत्साह जताया। यह मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने लाने के लिए होगा और इसरो इसे पूरी तरह सफल बनाने को प्रतिबद्ध है। इसके बाद चंद्रयान-5 मिशन भारत और जापान का संयुक्त प्रोजेक्ट होगा, जो चंद्रमा की सतह पर 100 दिनों तक काम करेगा। -
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वडोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को जुटाने से लेकर सही समय और स्थान पर उपकरण पहुंचाने तक हमारी एजेंसियों द्वारा निर्बाध लॉजिस्टिक्स प्रबंधन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में एक निर्णायक कारक था। आज के युग में युद्ध केवल बंदूकों और गोलियों से नहीं जीते जाते, बल्कि उनको समयबद्ध पहुंचाने से जीते जाते हैं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उत्कृष्ट लॉजिस्टिक्स प्रबंधन का एक सजीव उदाहरण था।
उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स को सामरिक महत्व से देखा जाना चाहिए, न कि केवल सामान पहुंचाने की प्रक्रिया के रूप में। चाहे सीमा पर लड़ रहे सैनिक हों या आपदा प्रबंधन में लगे कर्मचारी, समन्वय या संसाधनों के उचित प्रबंधन के बिना, सबसे मजबूत इरादे भी कमजोर पड़ जाते हैं। लॉजिस्टिक्स वह शक्ति है, जो अराजकता को नियंत्रण में बदल देती है। शक्ति का मापदंड केवल हथियारों से ही नहीं, बल्कि समय पर संसाधन प्रबंधन से भी होता है। चाहे युद्ध हो, आपदा हो या वैश्विक महामारी, जो राष्ट्र अपनी लॉजिस्टिक्स श्रृंखला को मजबूत रखता है, वही सबसे स्थिर, सुरक्षित और सक्षम होता है।उन्होंने 21वीं सदी में भारत की आकांक्षाओं को गति प्रदान करने में जीएसवी जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। राजनाथ सिंह ने देश की आर्थिक प्रगति में लॉजिस्टिक्स के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे उत्पादन-पूर्व से लेकर उपभोग तक, हर चरण को जोड़ने वाले प्रमुख स्तंभों में से एक बताया।उन्होंने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लॉजिस्टिक्स के योगदान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण बताया, साथ ही कोविड के दौरान इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया, जब जरूरत के समय लाखों टीके, ऑक्सीजन सिलेंडर और चिकित्सा दल एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचे।रक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व विकास हुआ है और समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण के साथ इस परिवर्तन की नींव नीतिगत सुधारों और मिशन मोड परियोजनाओं के माध्यम से रखी गई है। इसका प्रभाव केवल भौतिक संपर्क तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है, लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी आई है और सेवा वितरण में सुधार हुआ है।उन्होंने कहा, “पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत, रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और लॉजिस्टिक्स आधारभूत ढांचे जैसे विकास के सात शक्तिशाली स्तंभ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को एक मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं। पीएम गतिशक्ति केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक विजन है, जो अत्याधुनिक तकनीक और डेटा-आधारित योजना के माध्यम से बुनियादी ढांचे को भविष्योन्मुखी बना रहा है।”राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति पर, रक्षा मंत्री ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य एक एकीकृत, कुशल और लागत-प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बनाना है, जो न केवल लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेगा बल्कि डेटा-आधारित निर्णय लेने को भी प्रोत्साहित करेगा।उन्होंने आगे कहा, “इस नीति का उद्देश्य मौजूदा 13-14 प्रतिशत लॉजिस्टिक्स लागत को विकसित देशों के स्तर पर लाना है। इससे घरेलू और वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से सभी क्षेत्रों में दक्षता बढ़ेगी और मूल्यवर्धन तथा उद्यम विकास को बढ़ावा मिलेगा।”जीएसवी की महत्वपूर्ण भूमिका पर राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस गति से युवा देश को शक्ति प्रदान कर रहे हैं, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा, “लॉजिस्टिक्स की दृष्टि से देश के सबसे प्रतिष्ठित अध्ययन केंद्रों में से एक जीएसवी केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है, बल्कि एक विचार है, एक मिशन है। यह भारत को तीव्र, संगठित और समन्वित तरीके से आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय आकांक्षा को मूर्त रूप दे रहा है।”रक्षा मंत्री ने डिजिटलीकरण, स्वचालन, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, एआई-सक्षम लॉजिस्टिक्स पूर्वानुमान और टिकाऊ माल ढुलाई प्रणालियों को आज के समय में भारत की राष्ट्रीय आवश्यकताएं बताया। उन्होंने इन विषयों में प्रगति के लिए जीएसवी और छात्रों के प्रयासों की सराहना की। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में ‘आदि तिरुवथिराई उत्सव’ में हिस्सा लिया। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रकार से ये राज राजा की श्रद्धा भूमि है और आज इलैयाराजा ने जिस प्रकार हम सभी को शिवभक्ति में डुबो दिया, क्या अद्भुत वातावरण था। मैं काशी का सांसद हूं और जब मैं ‘ऊं नमः शिवाय’ सुनता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिव दर्शन की अद्भुत ऊर्जा, श्री इलैयाराजा का संगीत और मंत्रोच्चार, यह आध्यात्मिक अनुभव मन को भावविभोर कर देता है। उन्होंने कहा कि चोल राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। ये भी एक संयोग है कि मैं शनिवार को ही मालदीव से लौटा हूं और अभी तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।
चोल वंश के महान सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने सम्राट के सम्मान में स्मारक सिक्का भी जारी किया। कार्यक्रम में भजन प्रस्तुति की गई, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री मोदी भी भावविभोर हो गए।
पीएम मोदी ने कहा, “बृहदेश्वर शिव मंदिर का निर्माण शुरू होने के 1000 साल के ऐतिहासिक अवसर पर सावन के पवित्र महीने में मुझे भगवान बृहदेश्वर शिव के चरणों में पूजा करने का सौभाग्य मिला है। मैंने इस मंदिर में देशभर के 140 करोड़ लोगों के कल्याण और देश की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव का आशीर्वाद सभी को मिले, यही मेरी कामना है।”
इस दौरान पीएम मोदी ने ‘हर-हर महादेव’ का जयकारा भी लगाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इतिहासकार मानते हैं कि चोल साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। चोल साम्राज्य ने भारत को लोकतंत्र की जननी कहने की परंपरा को भी आगे बढ़ाया। इतिहासकार लोकतंत्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्ना कार्टा की बात करते हैं। लेकिन कई सदियों पहले, चोल साम्राज्य में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। हम ऐसे कई राजाओं के बारे में सुनते हैं जो दूसरे स्थानों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना, चांदी या पशुधन लाते थे। लेकिन राजेंद्र चोल गंगाजल लेकर आए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सेंगोल’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “जब देश की नई संसद का लोकार्पण हुआ, तो हमारे शिव आदीनम के संतों ने उस ऐतिहासिक आयोजन का आध्यात्मिक नेतृत्व किया था। तमिल संस्कृति से जुड़े ‘सेंगोल’ को संसद में स्थापित किया गया। मैं आज भी उस पल को याद करता हूं तो गौरव से भर जाता हूं।”
उन्होंने कहा कि चोल साम्राज्य का इतिहास और उसकी विरासत भारत के वास्तविक सामर्थ्य का प्रतीक है। यह उस भारत के सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। चोल राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता में पिरोया था। आज हमारी सरकार चोल युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। काशी-तमिल संगमम् और सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के माध्यम से हम एकता के सदियों पुराने सूत्रों को और अधिक मजबूत कर रहे हैं।
वहीं, सांस्कृतिक मंत्रालय की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विभाग ने यहां अद्भुत प्रदर्शनी लगाई है। यह ज्ञानवर्धक और प्रेरक है। हमें गर्व होता है कि 1000 साल पहले हमारे पूर्वजों ने किस तरह मानव कल्याण को लेकर दिशा दी। -
नयी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने तंबाकू संबंधी चेतावनियों के मामले में भारत की सफलता के आधार पर टाले जा सकने वाले कैंसरों की रोकथाम के लिए शराब उत्पादों पर साक्ष्य-आधारित और पुख्ता चेतावनी लेबल लगाने का आह्वान किया है। ‘फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ' में 24 जुलाई को प्रकाशित ‘भारत में कैंसर की चेतावनी वाले लेबल के माध्यम से व्यवहार से संबंधित हस्तक्षेपों का विस्तार: सिगरेट के पैकेट से लेकर शराब की बोतलों तक' शीर्षक से एक लेख में चिकित्सकों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि तंबाकू की तरह शराब भी एक सिद्ध कैंसरकारी तत्व है, फिर भी इसके बारे में जागरूकता कम है।
डॉ. बीआर आंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल, एम्स, दिल्ली के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर, डॉ. वैभव साहनी और डॉ. दीपक सैनी द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि किशोरावस्था शराब सहित मादक पदार्थों के सेवन संबंधी व्यवहार की शुरुआत और तीव्रता के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अल्कोहल संबंधी चेतावनी लेबल के माध्यम से किए गए व्यवहार में बदलाव संबंधी हस्तक्षेप इस आयु वर्ग के व्यक्तियों की उपभोग आदतों में सकारात्मक परिवर्तन लाने में प्रभावी साबित हो सकते हैं, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में, जहां समाज के कुछ वर्गों के लिए मादक पदार्थों के सेवन के दुष्परिणामों के प्रति शिक्षित और संवेदनशील होना और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत में कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है, 2012 से 2022 की अवधि के आंकड़ों से घटनाओं में 36 प्रतिशत की वृद्धि (10.1 लाख से 13.8 लाख) का संकेत मिलता है।
ग्लोबोकैन (जीएलओबीओसीएएन) 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 14.1 लाख नए कैंसर के मामले सामने आए, जबकि पांच वर्षों में लगभग 32.5 लाख मामले सामने आए और कैंसर से कुल 9 लाख 16,827 लोगों की मौत हुई। ग्लोबोकैन 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख लोगों पर शराब के सेवन से कैंसर होने की दर और आयु-मानकीकृत दर क्रमशः 4.7 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 2016 के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में ‘रोग समायोजित जीवन वर्षों' का 6.6 प्रतिशत शराब के सेवन के कारण था, जबकि तंबाकू के सेवन के कारण यह प्रतिशत 10.9 प्रतिशत था। ‘रोग समायोजित जीवन वर्ष' से आशय समग्र रोग भार का एक माप है, जिसे अस्वस्थता, विकलांगता या अकाल मृत्यु के कारण खोए गए वर्षों की संचयी संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। शोधकर्ताओं ने जनवरी 2025 में अमेरिकी सर्जन जनरल द्वारा शराब के सेवन और कैंसर के जोखिम के बारे में जारी की गई सलाह का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि शराब के सेवन से कम से कम सात प्रकार के कैंसर (कोलन/मलाशय, यकृत, स्तन, आहारनली, कंठ, ग्रसनी और मुख) विकसित होने का जोखिम स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है। सलाह में शराब के सेवन और कैंसर के विकास के जोखिम के बीच यांत्रिक संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, साथ ही इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि यह प्रभाव लिंग से परे देखा जा सकता है। वर्ष 2016-17 में वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) ने सिगरेट के पैकेट पर स्वास्थ्य चेतावनियों में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जिसमें चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों ने सिगरेट पीने की इच्छा पर 50 प्रतिशत अधिक प्रभाव दर्शाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि कैंसर संबंधी चेतावनी वाले लेबल का प्रभाव पड़ता है, जो ऐसे उत्पादों का उपभोग करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या के व्यवहार को बदल रहा है। -
नयी दिल्ली। डिजिटल ‘पायरेसी' पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कानूनों में संशोधन करके फिल्मों की अवैध रिकॉर्डिंग और प्रसारण में शामिल लोगों के लिए तीन साल तक की कैद और निर्माण लागत के पांच प्रतिशत तक के कठोर जुर्माने का प्रावधान किया है। पायरेसी का आशय सॉफ्टवेयर, संगीत, फिल्मों और पुस्तकों जैसी कॉपीराइट सामग्री के अनधिकृत पुनरुत्पादन, वितरण या उपयोग से है। सरकार ने फिल्म ‘पायरेसी' के खिलाफ प्रावधानों को मजबूत करने के लिए दो साल पहले सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में ये बदलाव किए थे। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने पिछले हफ्ते संसद को बताया, ‘‘इन संशोधनों में न्यूनतम तीन महीने की कैद और तीन लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, जिसे तीन साल की कैद और ऑडिट की गई सकल निर्माण लागत के पांच प्रतिशत तक के जुर्माने तक बढ़ाया जा सकता है।'' उन्होंने कहा कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 6एए और 6एबी फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रसारण पर रोक लगाती है। मुरुगन ने कहा, ‘‘सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की नई जोड़ी गई धारा 7(1बी)(ii) सरकार को ‘पायरेटेड सामग्री' रखने वाले बिचौलियों को आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार देती है।'' उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को कॉपीराइट धारकों या अधिकृत व्यक्तियों से शिकायतें प्राप्त करने और ऐसी सामग्री रखने वाले बिचौलियों को आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। पायरेसी-रोधी रणनीतियों को मजबूत करने और समन्वित कार्य योजनाएं विकसित करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है। ईवाई और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की ‘द रॉब रिपोर्ट' के अनुसार, भारतीय मनोरंजन उद्योग को मुख्य रूप से पायरेसी के कारण 2023 में 22,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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नयी दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के एक महीने तक चले पहले चरण के समापन के बाद 7.24 करोड़ या 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं। आयोग ने बताया कि 36 लाख लोग या तो अपने पिछले पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या फिर उनका कोई पता ही नहीं है। इसने कहा कि बिहार के सात लाख मतदाताओं का कई जगहों पर नाम दर्ज है। गणना प्रपत्र वितरित करने और वापस प्राप्त करने से संबंधित एसआईआर का पहला चरण शुक्रवार (25 जुलाई) को समाप्त हो गया। निर्वाचन आयोग ने कहा कि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को ये मतदाता नहीं मिले और न ही उन्हें गणना फॉर्म वापस मिले, क्योंकि या तो वे अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता बन गए हैं, या फिर वहां मौजूद नहीं थे, या उन्होंने 25 जुलाई तक फॉर्म जमा नहीं किए थे। इसने बताया कि दूसरा कारण यह था कि वे किसी न किसी कारण से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक नहीं थे। आयोग ने कहा कि इन मतदाताओं की वास्तविक स्थिति एक अगस्त तक इन फॉर्म की जांच के बाद पता चलेगी।
इसने कहा, हालांकि, वास्तविक मतदाताओं को एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि के दौरान मतदाता सूची में वापस जोड़ा जा सकता है। मतदाता सूची में कई स्थानों पर नामांकित मतदाताओं का नाम केवल एक ही दर्ज किया जाएगा। -
नयी दिल्ली। दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके स्थित एक फार्महाउस में 42 वर्षीय एक व्यक्ति की उसके सहकर्मी ने 10 हजार रुपये उधार नहीं देने पर कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी की पहचान चंद्र प्रकाश (47) के रूप में हुई है, जो उसी फार्महाउस में वाहन चालक के रूप में काम करता था। उसे दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पालम से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी सीता राम की गुमशुदगी की रिपोर्ट 26 जुलाई को महरौली पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अंकित चौहान ने बताया, ‘‘सीता राम पिछले 10 वर्षों से छतरपुर स्थित एक निजी फार्महाउस में घरेलू सहायक के रूप में काम करता था और मालिक के शहर से बाहर होने के कारण वह वहां अकेले रह रहा था।'' अधिकारियों को घटना की सूचना तब मिली, जब कर्मियों ने देखा कि फार्महाउस के मुख्य दरवाजे खुले हैं और सीता राम गायब है। चौहान ने बताया कि शिकायत मिलने पर महरौली पुलिस थाने की एक टीम ने तलाशी अभियान शुरू किया। उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान सीता राम का शव फार्महाउस के अंदर स्थित सेप्टिक टैंक में मिला। चौहान के अनुसार, अपराध एवं फोरेंसिक टीमों को तुरंत घटनास्थल पर बुलाया गया तथा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। उन्होंने बताया, ‘‘प्रारंभिक जांच के आधार पर रविवार को महरौली में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) (हत्या) और 238(ए) (साक्ष्य मिटाना) के तहत मामला दर्ज किया गया।'' चौहान ने कहा, ‘‘तकनीकी निगरानी और स्थानीय मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने आरोपी चंद्र प्रकाश के ठिकाने का पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया।'' उन्होंने बताया कि कड़ी पूछताछ के बाद आरोपी चंद्र प्रकाश ने अपना अपराध कबूल कर लिया।
चौहान ने कहा, ‘‘आरोपी चंद्र प्रकाश ने खुलासा किया कि उसने सीता राम से 10,000 रुपये मांगे थे, लेकिन जब उसने इनकार कर दिया, तो दोनों के बीच बहस शुरू गई। गुस्से में आकर उसने हथौड़ा उठाया और सीता राम के सिर पर वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।'' चौहान ने बताया कि अपराध छिपाने के लिए आरोपी ने शव को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया और घटनास्थल से फरार हो गया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी चंद्र प्रकाश मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के पंतगांव गांव का निवासी है और छतरपुर में रहकर फार्महाउस में काम करता था। - नयी दिल्ली.। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी कर स्कूलों में बच्चों से जुड़ी संरचनाओं तथा सुरक्षा तंत्र का ऑडिट करना अनिवार्य कर दिया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों से इमारतों की संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित करने को भी कहा है। यह कदम राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा गिरने के एक दिन बाद उठाया गया है। राजस्थान में स्कूल में हुए हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए थे। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा और उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं के अनुरूप स्कूलों और बच्चों से संबंधित संरचनाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, आपातकालीन तैयारियों के लिए कर्मचारियों और छात्रों को प्रशिक्षण देना आदि शामिल है।'' उन्होंने कहा, ‘‘संरचनात्मक समग्रता, अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकास और बिजली के तारों का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें निकासी अभ्यास, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हैं।'' मंत्रालय ने सिफारिश की कि स्थानीय प्राधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियां) के साथ सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल आयोजित की जा सकें। शारीरिक सुरक्षा के अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा इसके लिए परामर्श सेवाएं, सहकर्मी सहायता प्रणाली और सामुदायिक सहभागिता जैसी पहल आदि शुरू की जानी चाहिए। अधिकारी ने कहा, ‘‘ किसी भी खतरनाक स्थिति, बाल-बाल बचने या बच्चों अथवा युवाओं को नुकसान पहुंचाने वाली किसी घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के प्राधिकरण को दी जानी चाहिए। देरी, लापरवाही या कार्रवाई में विफलता के मामलों में सख्त जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।'' माता-पिता, अभिभावकों, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने तथा स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों या बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिवहन के साधनों में असुरक्षित स्थितियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अधिकारी ने कहा, ‘‘मंत्रालय ने शिक्षा विभाग, स्कूल बोर्ड और संबद्ध अधिकारियों से उपरोक्त उपायों को बिना किसी देरी के लागू करने का आग्रह किया है।''
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नई दिल्ली। उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह हुई भगदड़ के बाद प्रशासन ने प्रभावित लोगों और उनके परिजनों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। प्रशासन के मुताबिक, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर खोज एवं बचाव का कार्य कर रही है। घटनास्थल से भीड़ को हटा दिया गया है और वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि अफवाह क्यों और कैसे फैली। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। घायलों को हर संभव मदद दी जा रही है।
उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव विनोद कुमार सुमन ने एक पत्र जारी कर हेल्पलाइन के बारे में जानकारी दी। इसमें बताया गया कि 27 जुलाई को सुबह लगभग 9:00 बजे जनपद हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की सूचना प्राप्त हुई। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम द्वारा घटनास्थल पर पहुंचकर एवं तुरंत ही राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। इस घटना में 6 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। घटना में 5 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश भेज दिया गया है। साथ ही 23 अन्य सामान्य घायल हैं, जिनमें 20 व्यक्तियों का उपचार हरमिलाप मिशन राजकीय चिकित्सालय, हरिद्वार में किया जा रहा है। इसके अलावा, 3 अन्य घायलों का उपचार मेला अस्पताल हरिद्वार में किया जा रहा है।पत्र में आगे बताया गया, “एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर खोज एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। घटनास्थल से भीड़ को हटा दिया गया है और वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है। साथ ही घटना की जानकारी के लिए जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र, हरिद्वार में स्थापित 01334-223999, 9068197350, 9528250926 हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र, देहरादून में स्थापित हेल्पलाइन नंबर 0135-2710334, 2710335, 8218867005, 9058441404 पर संपर्क किया जा सकता है।”सीएम धामी ने हरिद्वार भगदड़ पर कहा कि आज सुबह करीब 9 बजे एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर की सीढ़ियों के पास अफवाहों के कारण भगदड़ मच गई। 6 लोगों की जान चली गई। सभी घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि अफवाह क्यों और कैसे फैली। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। घायलों को हर संभव मदद दी जा रही है।वहीं दूसरी ओर घटना स्थल पर पुलिस और मेडिकल टीमें मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं। इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दुख व्यक्त किया है।