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भारतीय छात्रों ने ईरान के भयावह हालात याद किए
नयी दिल्ली/हमारे पड़ोस में ही आसमान से मिसाइलें गिर रही थीं, बमबारी हो रही थी।'' यह कहना था युद्धग्रस्त ईरान से निकाले जाने के बाद बृहस्पतिवार को वतन लौटे एमबीबीएस छात्र मीर खलीफ का जिनकी लड़खड़ाती आवाज में वहां (ईरान) के भयावह हालात का डर साफ महसूस हो रहा था। खलीफ, उन 110 भारतीय छात्रों में से एक हैं जो बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह पहली निकासी उड़ान से राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच ‘ऑपरेशन सिंधु' के तहत इन छात्रों को भारत लाया गया। जम्मू-कश्मीर के 90 छात्र सहित इन सभी को ईरान के शहरों में विस्फोट और हवाई हमले के मद्देनजर इस सप्ताह की शुरुआत में तेहरान से आर्मेनिया ले जाया गया था। बचाव अभियान में समन्वय भारतीय दूतावास द्वारा किया गया। खलीफ ने ईरान की भयावह यादों को एक बुरा सपना बताया और उन्हें पहले आर्मेनिया पहुंचाने, फिर वतन वापसी के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने मिसाइलें गिरती देखी। युद्ध हो रहा था। हमारे पड़ोस में बमबारी हो रही थी। हम बेहद डर गए। मैं दुआ करता हूं कि हमें ऐसे दिन फिर कभी न देखने पड़ें।'' खलीफ ने कहा, ईरान में अभी भी छात्र फंसे हैं। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि उन्हें भी जल्द भारत लाया जाएगा। कश्मीर की छात्रा वार्ता के चेहरे पर भी डर साफ दिख रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले हैं जिन्हें ईरान से निकाला गया है। स्थिति काफी गंभीर थी। हम डरे हुए थे। हम भारत सरकार और भारतीय दूतावास का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हमें यहां लाने के लिए बहुत तेजी से काम किया।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पड़ोस में ही हमले हो रहे थे। जब भारत सरकार से संपर्क हुआ तब जाकर राहत की सांस ली।'' दिल्ली के एक छात्र अली अकबर ने कहा कि हर तरफ तबाही का दृश्य था।
उन्होंने कहा, ‘‘बस यात्रा के दौरान हमने एक मिसाइल और एक ड्रोन आसमान से गिरते देखे। तेहरान तबाह हो गया है। समाचारों में दिखाई गई तस्वीरें बिल्कुल सही हैं, स्थिति बहुत खराब है।'' विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह छात्रों के आगमन पर दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे।
बाद में, सिंह ने ‘एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से निकाले गए 110 भारतीय नागरिकों के पहले जत्थे का गर्मजोशी से स्वागत किया जो विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा और हित के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।'' सिंह ने हवाई अड्डे पर भारतीय नागरिकों के आगमन की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं।
सिंह ने पुष्टि की कि ‘ऑपरेशन सिंधु' के तहत निकासी के प्रयास जारी हैं, और अधिक विमान वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास विमान तैयार हैं। हम आज एक और विमान भेजेंगे। हम तुर्कमेनिस्तान से कुछ और लोगों को निकाल रहे हैं। निकासी अनुरोध के लिए हमारे दूतावासों से 24 घंटे संपर्क किया जा सकता है। जैसे-जैसे स्थिति बदलेगी, हम भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए और विमान भेजेंगे।'' केंद्रीय मंत्री ने तुर्कमेनिस्तान और आर्मेनिया की सरकारों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
अधिकारियों ने बुधवार को कहा था कि ईरान से निकाले जा रहे भारतीय नागरिकों को लेकर पहली उड़ान 19 जून की सुबह आर्मेनिया की राजधानी येरेवान से भारत पहुंचेगी। इस बीच, दिल्ली हवाई अड्डे पर कई अभिभावक अपने बच्चों से मिलने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते दिखे।
एमबीबीएस छात्र माज हैदर के पिता हैदर अली ने कहा, ‘‘हम खुश हैं और भारत सरकार के आभारी हैं। लेकिन यह जानकर हमारा दिल अब भी भारी है कि कई छात्र अब तक तेहरान में फंसे हैं। हम सरकार से उन्हें भी वापस लाने का आग्रह करते हैं।'' उरमाई में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता बुलंदशहर निवासी परवेज ने कहा, ‘‘हम बेहद तनाव में थे। लेकिन भारत सरकार ने छात्रों को आर्मेनिया पहुंचाया जहां उन्हें अच्छे होटल में रखा गया। हम भारत सरकार के शुक्रगुजार हैं।'' जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने निकासी अभियान शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को धन्यवाद दिया। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि शेष सभी छात्रों को जल्द ही निकाल लिया जाएगा। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' 2026 भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी खबर लेकर आई है। इस रैंकिंग में भारत के 54 संस्थानों को शामिल किया गया है। मोदी ने ‘एक्स' पर लिखा, “क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2026 रैंकिंग हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी खबर लेकर आई है। हमारी सरकार भारत के युवाओं के लाभ के लिए अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।" बृहस्पतिवार सुबह जारी रैंकिंग के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली सर्वोच्च रैंकिंग वाला भारतीय संस्थान है। संस्थान ने दो वर्षों में 70 से अधिक पायदान चढ़कर प्रतिष्ठित सूची में 123वां स्थान प्राप्त किया है। इस वर्ष रैंकिंग में आठ नए भारतीय संस्थानों को शामिल किए जाने के साथ ही अब भारत के संस्थानों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। अमेरिका (192 संस्थान), ब्रिटेन (90 संस्थान) और मुख्यभूमि चीन (72 संस्थान) के बाद भारत चौथे स्थान पर है। किसी अन्य देश या क्षेत्र में इस वर्ष रैंकिंग में इतने विश्वविद्यालय नहीं जुड़े हैं। इस मामले में जॉर्डन और अजरबैजान दूसरे स्थान पर रहे हैं और दोनों के छह-छह विश्वविद्यालय 2026 की रैंकिंग में जुड़े हैं। लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषण कंपनी ‘क्वाक्वेरेली साइमंड्स' (क्यूएस) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली प्रतिष्ठित ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' के तहत विभिन्न प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर विश्वविद्यालयों का आकलन किया जाता है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार को तीन देशों की सफल यात्रा पूरी करने के बाद भारत लौट आए। उन्होंने अपनी यात्रा का अंतिम चरण क्रोएशिया में पूरा किया, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक क्रोएशिया यात्रा थी। इस दौरे को भारत और क्रोएशिया के बीच दोस्ती और सहयोग के एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले साइप्रस का दौरा किया, फिर कनाडा गए जहां उन्होंने G7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इसके बाद वह क्रोएशिया पहुंचे, जहां राजधानी जाग्रेब में उनका भव्य स्वागत हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी, “PM @narendramodi तीन देशों साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की सफल यात्रा के बाद अब नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया यात्रा को “ऐतिहासिक और यादगार” बताते हुए वहां की जनता और सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा, “क्रोएशिया की जनता और सरकार से मिला गर्मजोशी भरा स्वागत अविस्मरणीय रहा। यह यात्रा हमारी दोस्ती और सहयोग के साझा सफर में एक नया अध्याय जोड़ती है।” प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के साथ जाग्रेब में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की। उन्होंने साझा किया कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा, तकनीक, सेमीकंडक्टर, जहाज निर्माण और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर अकादमिक संस्थानों के बीच शोध और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाएंगे।प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के लोकतंत्र, कानून का शासन, विविधता और गुणवत्ता जैसे साझा मूल्यों से जुड़े होने के कारण भारत-क्रोएशिया के रिश्ते मजबूत हैं। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई कि उन्हें और प्रधानमंत्री प्लेंकोविच को अपने-अपने देश में लगातार तीसरी बार जनादेश मिला है, जो दोनों देशों की स्थिरता और लोकतांत्रिक मजबूती को दर्शाता है। इस दौरान प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने पीएम मोदी को क्रोएशिया की ऐतिहासिक राजधानी जाग्रेब के केंद्र का दौरा भी कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस विशेष सैर को ‘एक मित्रवत और सम्मानजनक इशारा’ बताया और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं।प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया में अपनी यात्रा के दौरान साझा प्रेस वक्तव्य में कहा कि भारत और क्रोएशिया मिलकर दीर्घकालीन डिफेंस कोऑपरेशन प्लान भी तैयार करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और क्रोएशिया के संबंधों में काफी अहम साबित होगी। प्रधानमंत्री मोदी को क्रोएशिया पहुंचने पर औपचारिक सम्मान समारोह भी दिया गया, जिसमें स्थानीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों ने पारंपरिक नारे और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ उनका स्वागत किया। -
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश को 2023 की बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं के बाद की स्थिति में रिकवरी और पुनर्निर्माण योजना के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में 2006.40 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सदस्यता वाली समिति ने राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) के तहत रिकवरी और पुनर्निर्माण फंडिंग विंडो से राज्य को वित्तीय सहायता के प्रस्ताव पर विचार किया।
गृह मंत्रालय के अनुसार, रिकवरी योजना से राज्य को 2023 मानसून के दौरान बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन के कारण होने वाली क्षति और विनाश के कारण रिकवरी और पुनर्निर्माण गतिविधियों में मदद मिलेगी। 2006.40 करोड़ रुपए में से 1504.80 करोड़ रुपए राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि के तहत रिकवरी और पुनर्निर्माण फंडिंग विंडो से केंद्र का हिस्सा होगा।इससे पूर्व, गृह मंत्रालय ने इस आपदा से प्रभावित हिमाचल प्रदेश को राहत कार्यों के लिए, 12 दिसंबर 2023 को ही एनडीआरएफ से 633.73 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मंजूरी दी थी।मंत्रालय ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जोशीमठ आपदा के बाद उत्तराखंड के लिए 1658.17 करोड़ रुपए और 2023 की GLOF घटना के बाद सिक्किम के लिए 555.27 करोड़ रुपए की रिकवरी योजनाओं को मंजूरी दी थी। साथ ही सरकार ने शहरी बाढ़ (3075.65 करोड़, भूस्खलन (1000 करोड़), GLOF (150 करोड़), जंगल की आग (818.92 करोड़), बिजली गिरने (186.78 करोड़) और सूखे (2022.16 करोड़) के क्षेत्रों में कई खतरों के जोखिम को कम करने के लिए 7253.51 करोड़ रुपए के समग्र वित्तीय परिव्यय के साथ कई शमन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।दरअसल, यह अतिरिक्त सहायता केन्द्र द्वारा राज्यों को राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) में जारी की गई धनराशि के अतिरिक्त है, जो पहले से ही राज्यों के पास है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान केन्द्र सरकार ने SDRF के तहत 28 राज्यों को 20,264.40 करोड़ और NDRF के तहत 19 राज्यों को 5,160.76 करोड़ जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) से 19 राज्यों को 4984.25 करोड़ और राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) से 8 राज्यों को 719.72 करोड़ रुपए भी जारी किए गए हैं। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के कारण पश्चिम एशियाई देश में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। बुधवार शाम को जारी बयान में सरकार ने कहा कि वह ईरान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए पिछले कई दिनों से विभिन्न कदम उठा रही है। इसने कहा कि पहले कदम के रूप में भारतीय दूतावास ने उत्तरी ईरान से 110 भारतीय छात्रों को निकाला है, जिससे उन्हें 17 जून को सुरक्षित रूप से आर्मेनिया में प्रवेश करने में सहायता मिली। इसने कहा कि ये छात्र ईरान और आर्मेनिया में भारत के मिशनों की देखरेख में सड़क मार्ग से अर्मेनियाई राजधानी येरेवन गए हैं। ये छात्र बुधवार को दोपहर 2.55 बजे एक विशेष उड़ान से येरेवन से रवाना हुए।
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नई दिल्ली। देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ बुधवार को भारत के समुद्री बेड़े में शामिल किया गया। महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक ‘अर्णाला’ किले के नाम पर बना यह युद्धपोत भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। यह पोत भारत की नौसैनिक क्षमताओं में बड़ा बदलाव लाने के साथ ही तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में उभरेगा।
सीडीएस अनिल चौहान की अध्यक्षता में जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल कियाविशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में आज चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में कमीशनिंग समारोह में जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित 16 पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल पोत (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट) में से यह पहला पोत है। इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और एमईआईएल सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों की उन्नत प्रणालियां शामिल हैं। इस परियोजना में 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने सहयोग दिया है।युद्धपोत निगरानी टीमों की देखरेख में निर्मित ‘अर्णाला’ को 08 मई को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। विभिन्न खतरों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहे ‘अर्णाला’ किले की तरह इस जहाज को समुद्र में मजबूत उपस्थिति के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मजबूत निर्माण और उन्नत क्षमताएं सुनिश्चित करती हैं कि यह जहाज समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करके उभरते खतरों से भारत के जल की रक्षा कर सकता है। नौसेना के अनुसार ‘अर्णाला’ जहाज को पानी के नीचे निगरानी रखने, तलाश और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) के लिए तैयार किया गया है।एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है ‘अर्णाला’यह जहाज तटीय जल में एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है। साथ ही यह माइन बिछाने की उन्नत क्षमता से युक्त है। एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की उथले पानी की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह भारतीय नौसेना का 1490 टन से अधिक सकल भार वाला 77 मीटर लंबा डीजल इंजन-वाटर जेट से संचालित होने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है। जहाज का बख्तरबंद पतवार किले की स्थायी पत्थर की दीवारों को दर्शाता है, जबकि इसके अत्याधुनिक हथियार और सेंसर उन तोपों की जगह लेते हैं, जो कभी आक्रमणकारियों से बचाव करते थे।गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में निर्मित ये जहाज पुराने हो चुके अभय श्रेणी के कोरवेट की जगह लेंगे। 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ये जहाज जहाज निर्माण और रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं। जहाज के शिखर के नीचे एक रिबन खूबसूरती से फहराया गया है, जिस पर गर्व से जहाज का आदर्श वाक्य ‘अर्णवे शौर्यम्’ (अर्नावे शौर्यम्) प्रदर्शित किया गया है, जिसका अर्थ है ‘महासागर में वीरता’। यह शिलालेख जहाज के अटूट साहस, दुर्जेय शक्ति और विशाल समुद्र पर प्रभुत्व को दर्शाता है।हिंद महासागर क्षेत्र में आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगीस्वदेशी जहाज निर्माण न केवल घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करता है, बल्कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को भी कम करता है। तटीय और उथले पानी वाले क्षेत्रों में इन जहाजों की प्राथमिक भूमिका दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना और उन्हें ट्रैक करना है। पानी के नीचे के खतरों को बेअसर करने के लिए इनमें हल्के टॉरपीडो, एएसडब्ल्यू रॉकेट, एंटी-टॉरपीडो डिकॉय और उन्नत माइन-लेइंग क्षमताओं सहित अत्याधुनिक हथियार सूट की सुविधा है। ये जहाज भारत के विशाल समुद्र तट और महत्वपूर्ण अपतटीय संपत्तियों को पनडुब्बी खतरों से निरंतर और प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेंगे, जिससे भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भूमिगत खतरे का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। -
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 19 जून से 21 जून तक उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगी। इस दौरान वह देहरादून और नैनीताल में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगी। खास बात यह है कि इस दौरे के दौरान 20 जून को राष्ट्रपति मुर्मु का जन्मदिन भी है, जिसे वह उत्तराखंड में खास आयोजनों के साथ मनाएंगी। दौरे की शुरुआत 19 जून को होगी, जब राष्ट्रपति देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन में एक एम्फीथियेटर का उद्घाटन करेंगी। साथ ही वह स्टाफ क्वार्टर, अस्तबल और बैरकों का शिलान्यास भी करेंगी।
वहीं 20 जून को, अपने जन्मदिन के दिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति निकेतन को आम जनता के लिए खोले जाने के समारोह में शामिल होंगी। इस अवसर पर वह आगंतुक सुविधा केंद्र, कैफेटेरिया और स्मारिका दुकान जैसी नई सार्वजनिक सुविधाओं का उद्घाटन करेंगी। साथ ही वह राष्ट्रपति तपोवन का उद्घाटन और राष्ट्रपति उद्यान का शिलान्यास करेंगी। यह जानकारी दी गई है कि राष्ट्रपति निकेतन और राष्ट्रपति तपोवन 24 जून 2025 से आम जनता के दर्शन के लिए खुले रहेंगे।इसी दिन, 20 जून को, राष्ट्रपति देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (NIEPVD) का दौरा भी करेंगी। वह यहां मॉडल स्कूल की विज्ञान प्रयोगशाला और एक प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगी और दिव्यांग विद्यार्थियों से संवाद करेंगी। शाम को, राष्ट्रपति नैनीताल स्थित राजभवन के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेंगी।दौरे के अंतिम दिन 21 जून को, राष्ट्रपति मुर्मू अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य पुलिस लाइन मैदान, देहरादून में आयोजित सामूहिक योग प्रदर्शन में भाग लेंगी। यह दौरा उत्तराखंड के विकास और राष्ट्रपति संस्थानों को आम जनता से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। -
नई दिल्ली। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को कहा कि सरकार ने सभी कानूनी, वाणिज्यिक, डिजिटल और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए भारतीय मानक समय (आईएसटी) के उपयोग को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। इस पहल से डिजिटल लेनदेन अधिक सुरक्षित होंगे, उपयोगिताओं में सटीक बिलिंग होगी, साइबर अपराध का जोखिम कम होगा और परिवहन और संचार में समय का समन्वय होगा।
वर्तमान में, कई प्रणालियां समय के विदेशी स्रोतों पर निर्भर हैं। भारतीय मानक समय (आईएसटी) को अनिवार्य बनाने के लिए, सरकार जल्द ही कानूनी माप विज्ञान (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 को अधिसूचित करेगी।अंशधारकों की प्रतिक्रिया के लिए जनवरी, 2025 में नियमों का मसौदा जारी किया गया था। बुधवार को उपभोक्ता मामले विभाग ने यहां समय प्रसार पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। जोशी ने सीएसआईआर-एनपीएल और इसरो के सहयोग से विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही टाइम डिसेमिनेशन परियोजना के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि आगामी नियम सभी कानूनी, वाणिज्यिक, डिजिटल और प्रशासनिक गतिविधियों को आईएसटी के साथ समन्वयित करने को अनिवार्य करेंगे, ‘जब तक स्पष्ट रूप से अधिकृत न किया जाए, वैकल्पिक समय संदर्भों के उपयोग पर रोक लगाएंगे।’ जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम नियमों को अधिसूचित कर रहे हैं। इसमें, अब हम एक राष्ट्र एक समय हैं… ये नियम बहुत जल्द ही अनिवार्य हो जाएंगे। सटीक तिथि बाद में तय की जाएगी।’ -
नई दिल्ली। एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) में शामिल सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारी अब पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत मिलने वाले सेवानिवृत्ति एवं मृत्यु ग्रैच्युटी लाभ के लिए पात्र होंगे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े तबके की इस बहुप्रतीक्षित मांग के संदर्भ में कार्मिक राज्यमंत्री सिंह ने कहा कि यह कदम सरकारी कर्मचारियों की एक महत्त्वपूर्ण मांग को पूरा करता है और सेवानिवृत्ति लाभ में समानता लेकर आता है। उन्होंने कहा कि नया प्रावधान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सिंह ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पिछले 11 वर्षों के सफर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शासन को सरल बनाने, नागरिकों को सशक्त बनाने और प्रशासन को मानवीय बनाने के उद्देश्य से कई सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी अब केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस के तहत ग्रैच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुरूप सेवानिवृत्ति और मृत्यु ग्रैच्युटी लाभ के लिए पात्र होंगे।कार्मिक मंत्रालय के पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने बुधवार को यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवा के दौरान सरकारी कर्मचारी की मृत्यु या अक्षमता या विकलांगता के कारण सरकारी सेवा से उनकी बर्खास्तगी पर ओपीएस के तहत लाभ मिलने के विकल्पों पर एक आदेश जारी किया। डीओपीपीडब्ल्यू के सचिव वी श्रीनिवास ने कहा, ‘यह आदेश किसी कर्मचारी को यह चुनने का विकल्प देता है कि सेवाकाल में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसे फिर से ओपीएस के दायरे में ले लिया जाए। यह प्रकृति में प्रगतिशील है और कर्मचारियों द्वारा मांगे जा रहे स्पष्टीकरणों को संबोधित करता है।’अखिल भारतीय एनपीएस कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने इस सरकारी आदेश का स्वागत करते हुए इसे सरकार का ऐतिहासिक और बेहद जरूरी कदम बताया। पटेल ने कहा कि यूपीएस में मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रैच्युटी को शामिल करने से कर्मचारियों की सभी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अब बहुत सारे कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनेंगे।डीओपीपीडब्ल्यू ने एनपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सेवा-संबंधी मामलों के नियमन के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस कार्यान्वयन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। इसके नियम 10 में एनपीएस में शामिल कर्मचारी को सेवा के दौरान मृत्यु या अमान्यता या विकलांगता के आधार पर सेवामुक्ति की स्थिति में एनपीएस या ओपीएस के तहत लाभ पाने के लिए विकल्प का प्रयोग करने का प्रावधान है।वित्त मंत्रालय ने 24 जनवरी को जारी अधिसूचना में कहा था कि एक अप्रैल, 2025 से केंद्र सरकार की सिविल सेवा में भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में यूपीएस की शुरुआत होगी। डीओपीपीडब्ल्यू ने बुधवार को एक और आदेश जारी कर स्पष्ट किया कि यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी भी केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत ग्रैच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 के प्रावधानों के तहत सेवानिवृत्ति ग्रैच्युटी और मृत्यु ग्रैच्युटी के लाभ के लिए पात्र होंगे। श्रीनिवास ने कहा कि यह आदेश ‘एनपीएस और यूपीएस पेंशनभोगियों के बीच समानता लाता है और वे 25 लाख रुपये की ग्रैच्युटी के लिए भी पात्र होंगे।’ -
नई दिल्ली। पंचायती राज मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत नेशनल लैंग्वेज ट्रांसलेशन मिशन, भाषिणी के साथ एक समझौता ज्ञापन के जरिए एक महत्वपूर्ण सहयोग को औपचारिक रूप देगा। इसका उद्देश्य पंचायती राज शासन में अधिक समावेशिता और बेहतर पहुंच के लिए कटिंग-एज एआई-पावर्ड लैंग्वेज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है।
राष्ट्रीय राजधानी में 19 जून, 2025 को केंद्रीय पंचायती राज और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह पहल पंचायती राज मंत्रालय के डिजिटल प्लेटफॉर्म और आउटरीच प्रयासों में बहुभाषी पहुंच का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक सहयोग है।इस पहल के साथ पंचायती राज पहलों, कार्यक्रमों, संवादों और लाइव कार्यक्रमों में एडवांस्ड ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी के जरिए सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाया जा सकेगा।यह मंत्रालय के प्लेटफार्मों को निर्बाध रूप से बहुभाषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हितधारकों विशेषकर निर्वाचित प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और ग्रामीण भारत के नागरिकों को अपनी मूल भाषाओं में योजना और शासन प्रणालियों तक पहुंच बनाने में सशक्त बनाया जा सके। -
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) 2025 के प्रमुख कार्यक्रम योग संगम के लिए पंजीकरण ऐतिहासिक 4 लाख के आंकड़े को पार कर गया है। देश में किसी भी कार्यक्रम ने कभी भी इतने बड़े पैमाने पर सुनिश्चित भागीदारी हासिल नहीं की है। एक लाख से ज्यादा योग स्थानों के साथ राजस्थान सबसे आगे है। वहीं, आंध्र प्रदेश 1 लाख से ज्यादा कार्यक्रमों के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
देश भर में 21 जून को लाखों जगहों पर एक साथ ऐतिहासिक योग प्रदर्शन होगा, जो भारत की स्वास्थ्य यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण होगा। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन का सबसे शानदार प्रदर्शन विशाखापत्तनम में होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव, 5 लाख से अधिक योग प्रेमियों के साथ सामान्य योग का प्रदर्शन करेंगे।21 जून, 2025 को सुबह 6:30 बजे से 7:45 बजे तक आयोजित होने वाला योग संगम अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक योग कार्यक्रम बनने जा रहा है, जिसमें लाखों संस्थान, संगठन और समुदाय एक साथ हिस्सा लेंगे। राजस्थान इस अभियान में सबसे आगे है, जहां 1,38,033 संगठनों ने पंजीकरण कराया है, उसके बाद हैं:-आंध्र प्रदेश: 1,38,033उत्तर प्रदेश: 1,01,767मध्य प्रदेश: 26,159गुजरात: 19,951हिमाचल प्रदेश: 12,000दरअसल, भागीदारी में यह वृद्धि इस वर्ष की थीम – ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ के प्रति व्यापक उत्साह को दर्शाता है – एक संदेश जो योग को वैश्विक और व्यक्तिगत कल्याण के साथ जोड़ता है। आईआईटी और आईआईएम से लेकर जमीनी स्तर के गैर-सरकारी संगठनों और अग्रणी कॉरपोरेट तक, सभी क्षेत्रों के संस्थान इस आह्वान को अपना रहे हैं। योग संगम पोर्टल (https://yoga.ayush.gov.in/yoga-sangam) राष्ट्रव्यापी समन्वय के केंद्र के रूप में उभरा है।योग संगम में शामिल होने के लिए संबंधित पोर्टल https://yoga.ayush.gov.in/yoga-sangam पर जाकर अपना समूह/संगठन पंजीकृत कर सकते है। इसके अलावा संगठन प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुबह 6:30 से 7:00 बजे तक सीधा प्रसारण करें और सुबह 7:00 से 7:45 बजे तक योग सत्र आयोजित करें। साथ ही अपने कार्यक्रम का विवरण अपलोड करके आधिकारिक प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं ।उल्लेखनीय है, आयुष मंत्रालय ने नागरिकों को चार लाख से अधिक संगठनों के साथ सभी को इस परिवर्तनकारी क्षण का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी अपील के बाद देशभर की ग्राम पंचायतों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY) 2025 को लेकर अभूतपूर्व उत्साह देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ग्राम प्रधानों को एक पत्र लिखकर उन्हें समुदाय स्तर पर योग को बढ़ावा देने और इसे जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया, जिससे यह आयोजन अब एक जनआंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में लिखा, “योग ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है।” इस वर्ष योग दिवस की थीम “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” रखी गई है, जो व्यक्ति, समाज और पर्यावरण की आपसी जुड़ाव और संतुलन को दर्शाती है। इस बार का आयोजन इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर योग दिवस की 10वीं वर्षगांठ भी है।
प्रधानमंत्री के इस भावनात्मक संदेश के बाद गांवों में नियमित योग सत्र, स्कूलों और आंगनवाड़ियों में जागरूकता कार्यक्रम, और सार्वजनिक स्थलों पर कॉमन योगा प्रोटोकॉल का अभ्यास शुरू हो गया है। यह प्रयास योग को जन-जन तक पहुं सेचाने और IDY 2025 को एक वास्तविक ‘जन आंदोलन’ बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार में आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने प्रधानमंत्री के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री के भावपूर्ण आह्वान ने योग दिवस को जन आंदोलन बना दिया है। देश के गांवों में लोग अब योग को ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रहे हैं।”उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के परियार गांव के प्रधान ओम प्रकाश यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री के पत्र से प्रेरित होकर गांव में हर सप्ताह पंचायत भवन में योग सत्र शुरू किए गए हैं। बच्चों के लिए योग प्रतियोगिताएं भी कराई जा रही हैं और एक विशेष ‘योग यात्रा’ का आयोजन कर गांव में जागरूकता फैलाई गई है। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के बंदकपुर गांव के ग्राम प्रधान सुनील कुमार डब्ल्यू ने इसे ग्रामीण भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने बताया कि गांव में बड़े पैमाने पर सामूहिक योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं और हर घर तक जागरूकता पहुंचाने के लिए प्रचार अभियान शुरू किया गया है।उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के खेरा कुरसी गांव की सरपंच पावनी मिश्रा ने बताया कि उनके गांव ने पहाड़ी इलाके में एक खुला योग स्थल विकसित किया है, जहां रोजाना योग सत्र होते हैं। महिलाओं के समूहों ने “स्वास्थ्य ही संपत्ति है” अभियान चलाया है, और बच्चों के लिए “योग से समृद्धि” विषय पर चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएं करवाई गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में ग्राम प्रधानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि योग दिवस के आयोजन में बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी शामिल हों। उन्होंने भरोसा जताया कि यह जमीनी स्तर की पहल योग को घर-घर तक पहुंचाएगी और IDY 2025 को एक गहराई से जुड़ा हुआ राष्ट्रीय उत्सव बना देगी। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान एक अनमोल उपहार मिला। क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच ने उन्हें एक विशेष ग्रंथ भेंट किया। यह ग्रंथ 1790 में छपा था और यह पहली बार लैटिन भाषा में लिखी गई संस्कृत व्याकरण की पुस्तक थी। इसे क्रोएशियाई वैज्ञानिक और मिशनरी फिलिप वेजडिन (Ivan Filip Vezdin) ने भारत में रहते हुए लिखा था। यह उपहार भारत और क्रोएशिया के बीच पुराने सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने कहा कि यह किताब वेजडिन ने मलाबार (केरल) के ब्राह्मणों और स्थानीय पांडुलिपियों के अध्ययन के आधार पर तैयार की थी। वेजडिन 1774 में भारत आए थे और बाद में मलाबार तट पर वाइसर-जनरल बने। वे यूरोप के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने भारतीय भाषाओं और संस्कृति का गंभीर अध्ययन किया।
प्रधानमंत्री मोदी को क्रोएशियाई राजनयिक सिनीशा ग्रगिका द्वारा लिखित एक और पुस्तक भी भेंट की गई। इस पुस्तक का नाम है “Croatia and India: Bilateral Navigator for Diplomats and Business”। इसमें दोनों देशों के बीच संबंधों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है और भविष्य में सहयोग के नए रास्तों को उजागर किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को क्रोएशिया की राजधानी जाग्रेब पहुंचे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा है। यह यात्रा साइप्रस और कनाडा (जहां G7 सम्मेलन हुआ) के बाद उनकी तीन देशों की यात्रा का अंतिम चरण है। फ्रांजो तुजमान एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने मोदी का औपचारिक स्वागत किया। पीएम मोदी के स्वागत के लिए भारतीय समुदाय के सैकड़ों लोग सड़कों पर उमड़े। उनका काफिला जैसे ही शहर से गुज़रा, “मोदी-मोदी”, “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारों से वातावरण गूंज उठा। होटल पहुंचने पर भी उन्हें भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ स्वागत मिला। प्रधानमंत्री ने लोगों से बातचीत की और स्थानीय लोगों के साथ वैदिक श्लोकों का उच्चारण भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जाग्रेब में भारतीय संस्कृति को बहुत सम्मान मिला है। भारतीय समुदाय ने क्रोएशिया की तरक्की में योगदान दिया है और अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं। उनसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई।” उन्होंने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।बाद में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री प्लेंकोविच के बीच सेंट मार्क्स स्क्वायर में मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बातचीत हुई। प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने कहा कि यह यात्रा एक खास समय पर हो रही है और भारत-क्रोएशिया संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर रही है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत और क्रोएशिया के राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही व्यापार, नवाचार, रक्षा, बंदरगाह, विज्ञान, तकनीक, संस्कृति और कामगार आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा। - नयी दिल्ली.। साहित्य अकादमी द्वारा बुधवार को हिंदी कहानी संग्रह ‘एक बटे बारह' के लिए वरिष्ठ रचनाकार सुशील शुक्ल को प्रतिष्ठित बाल साहित्य पुरस्कार दिए जाने की घोषणा किए जाने के बाद शुक्ल ने इस पर प्रसन्नता जाहिर करने के साथ ही कहा कि आज के समय में बच्चों को बचकाने नहीं समृद्ध और गहरे साहित्य की जरूरत है। पुरस्कार की घोषणा किए जाने के बाद सुशील शुक्ल ने कहा,‘‘हमें प्रयास करना चाहिए कि बच्चों का साहित्य, कहानी, कविताएं केवल बच्चों की होकर न रह जाएं। उसका विषय ऐसा हो कि हर उम्र का व्यक्ति उनसे संवाद स्थापित कर सकें।'' उनका कहना था कि बाल साहित्य की विषय वस्तु समृद्ध होनी चाहिए।शुक्ल ने कहा कि उनका कहानी संग्रह ‘एक बटे बारह' इसी तरह से लिखा गया है कि बच्चों के साथ ही हर उम्र का पाठक उससे जुड़ाव महसूस करता है और अपने लिए भिन्न भिन्न अर्थ लेकर लौटता है। उन्होंने पुरस्कार की घोषणा पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, ‘‘ बहुत अच्छा लग रहा है, सुखद है कि साहित्य अकादमी ने बाल साहित्य जैसे कुछ नजरअंदाज इलाके में भी पुरस्कार स्थापित किया और इस इलाके में हो रहे काम को सराहा।'' उन्होंने कहा कि यह इस सोच को पुरस्कार मिला है कि बच्चों के लिए बचकाना साहित्य नहीं बल्कि समृद्ध एवं गहरा साहित्य जरूरी है। पिछले 18 वर्षों से बाल साहित्य के क्षेत्र से जुड़े सुशील शुक्ल तक्षशिला के बाल साहित्य एवं कला केंद्र, एकतारा के निदेशक पद के साथ ही, बच्चों की दो पत्रिकाओं- प्लूटो और साइकिल के संपादक भी हैं। वह चकमक के संपादक भी रहे हैं। लेखक ने बाल साहित्य पुरस्कार को अपनी मां को समर्पित किया जिन्होंने उन्हें देखना सिखाया। सुशील शुक्ल को उनकी पुस्तक "एक बटे बारह" के लिए वर्ष 2024 का "हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य पुरस्कार" भी प्रदान किया जा चुका है।संवाद का सम्मान हुआ ; पार्वतीसाहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के लिए चयनित आदिवासी कवयित्री पार्वती तिर्की का कहना था कि काव्य कर्म वास्तव में कविताओं के माध्यम से संवाद की कोशिश है और उन्हें इस बात की खुशी है कि इस संवाद का सम्मान हुआ है। झारखंड के कुडुख आदिवासी समुदाय से आने वाली कवयित्री पार्वती तिर्की को उनके कविता-संग्रह ‘फिर उगना' के लिए साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार 2025 से सम्मानित किए जाने की बुधवार को घोषणा हुई है। सोलह जनवरी 1994 को झारखंड के गुमला जिले में जन्मीं पार्वती तिर्की ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से हिन्दी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद वहीं के हिन्दी विभाग से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष' विषय पर पी-एच.डी. की डिग्री हासिल की। उन्होंने बताया कि उनकी विशेष अभिरुचि कविताओं और लोकगीतों में है। वे कहानियाँ भी लिखती हैं।‘फिर उगना' पार्वती तिर्की की पहली काव्य-कृति है जो वर्ष 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी। इस संग्रह की कविताएँ सरल, सच्ची और संवेदनशील भाषा में लिखी गई हैं, जो पाठक को सीधे संवाद की तरह महसूस होती हैं। इन कविताओं में धरती, पेड़, चिड़ियाँ, चाँद-सितारे और जंगल सिर्फ़ प्रतीक नहीं हैं—वे कविता के भीतर एक जीवंत दुनिया की तरह मौजूद हैं। पार्वती तिर्की अपनी कविताओं में बिना किसी कृत्रिम सजावट के आदिवासी जीवन के अनुभवों को कविता का हिस्सा बनाती हैं। वे आधुनिक सभ्यता के दबाव और आदिवासी संस्कृति की जिजीविषा के बीच चल रहे तनाव को भी गहराई से रेखांकित करती हैं। उनका यह संग्रह एक नई भाषा, एक नई संवेदना और एक नए दृष्टिकोण की उपस्थिति दर्ज़ कराता है।
- नयी दिल्ली.। निर्वाचन आयोग ने बुधवार को कहा कि मतदाता पहचान पत्र अब 15 दिनों के भीतर मतदाताओं तक पहुंचा दिये जायेंगे। अधिकारियों ने बताया कि अब तक मतदाताओं तक मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) पहुंचाने में एक महीने से थोड़ा अधिक समय लगता है। आयोग ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शुरू की गई है कि मतदाता के नए नामांकन या मौजूदा मतदाता के विवरण में बदलाव के 15 दिनों के भीतर मतदाता कार्ड वितरित किए जाएं। चुनाव निकाय ने कहा कि नई प्रणाली निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा ईपीआईसी बनाने से लेकर डाक विभाग (डीओपी) के माध्यम से मतदाता को कार्ड मुहैया कराने तक प्रत्येक चरण की वास्तविक समय पर 'ट्रैकिंग' सुनिश्चित करेगी। आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि मतदाताओं को प्रत्येक चरण में एसएमएस के माध्यम से सूचनाएं भी प्राप्त होंगी, जिससे उन्हें अपने ईपीआईसी की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती रहेगी। इस उद्देश्य के लिए आयोग ने अपने हाल ही में शुरू किए गए ‘ईसीआई नेट' मंच पर एक समर्पित आईटी मॉड्यूल पेश किया है। आयोग ने हाल के दिनों में मतदाताओं और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए विभिन्न पहल की हैं।
- हमीरपुर (हिप्र)। .राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने यहां संगठन के प्रथम वर्ष के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा ले रहे युवा स्वयंसेवकों को जनता की भलाई और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए काम करने की सलाह दी। आरएसएस के एक प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने बताया कि भागवत ने हमीरपुर जिले के बरसर के टिप्पर में चार दिन बिताए और आरएसएस के 21 दिवसीय प्रथम वर्ष प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया और प्रशिक्षुओं से बातचीत की। वह बुधवार को ऊना के रास्ते दिल्ली के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि भागवत ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए आरएसएस के दर्शन को रेखांकित किया, जिसकी स्थापना 1925 में हुई थी और इस साल यह अपना 100वां स्थापना दिवस मना रहा है। प्रवक्ता ने बताया कि शताब्दी समारोह दो अक्टूबर को दशहरा (विजयादशमी) पर मनाया जाएगा।उन्होंने बताया कि 30 मई से शुरू हुए इस शिविर में 212 युवा भाग ले रहे हैं, जो 19 जून तक चलेगा। आरएसएस मीडिया इकाई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव प्रदीप जोशी समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।
- नयी दिल्ली.।केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकार अब भी ‘लेटरल एंट्री' भर्ती के लिए तैयार है और इस योजना को अब तक छोड़ा नहीं गया है। ‘लेटरल एंट्री' का मतलब सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति है।मंत्री ने यहां ‘सेवा और परिवर्तनकारी शासन के 11 वर्ष' पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘‘हम अब भी इसके (लेटरल एंट्री भर्ती) लिए तैयार हैं। इसे छोड़ा नहीं गया है।'' कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बहुत नेक इरादे से इस पहल की शुरुआत की है। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, हमने इसे (लेटरल एंट्री) स्थगित नहीं किया है।''संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पिछले साल अगस्त में सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को ‘लेटरल एंट्री' के माध्यम से भरने के लिए अपने विज्ञापन को रद्द कर दिया था, क्योंकि उन पदों के लिए आरक्षण प्रावधान की कमी को लेकर राजनीतिक विवाद था। आयोग ने 17 अगस्त, 2024 को ‘लेटरल एंट्री' के जरिए 10 संयुक्त सचिवों और 35 निदेशकों या उप सचिवों के 45 पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की थी और दावा किया था कि इस प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकारों की अनदेखी की गई है। सिंह ने कहा कि ‘लेटरल एंट्री' मोदी सरकार के आने से पहले हुई थी।मंत्री ने कहा, ‘‘1947 के बाद से भारत सरकार में सबसे महत्वपूर्ण, सबसे प्रसिद्ध ‘लेटरल एंट्री' डॉ. मनमोहन सिंह की रही है, जो एक पद से दूसरे पद पर गए और अंततः प्रधानमंत्री बने। मोंटेक सिंह अहलूवालिया (तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष) और कई अन्य लोगों की ‘लेटरल एंट्री' हुई हैं।'' उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे यूपीएससी के माध्यम से संस्थागत बनाने की कोशिश की।सम्मेलन के दौरान सिंह ने कहा, ‘‘इसलिए, मैंने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं।'' कार्यक्रम को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) तथा पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी संबोधित किया। ये सभी विभाग केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के अधीन हैं।सरकारी कर्मचारियों द्वारा ओबीसी और दिव्यांगता कोटा लाभ के दुरुपयोग के मामलों की केंद्र द्वारा जांच किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में डीओपीटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा एक मामला है। डीओपीटी के अतिरिक्त सचिव ए पी दास जोशी ने कहा, ‘‘पूजा खेडकर (मामले के बाद) हमने पीडब्ल्यूबीडी (बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्ति) के साथ-साथ ओबीसी और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) उम्मीदवारों के लिए कई तंत्र स्थापित किए हैं... हमें सोशल मीडिया पर भी बहुत सारी शिकायतें मिलीं, जिनकी हमने गहन जांच की और गहन पूछताछ की। और ज्यादातर मामलों में हमें कुछ भी नकारात्मक नहीं मिला।
- नयी दिल्ली।. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार निजी वाहनों के लिए ‘फास्टैग' आधारित वार्षिक ‘पास' पेश करेगी, जिसकी कीमत 3,000 रुपये होगी। उन्होंने कहा कि यह 15 अगस्त से प्रभावी होगा जिससे राजमार्गों पर बिना किसी परेशानी के यात्रा करना संभव हो पाएगा। गडकरी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर जानकारी दी कि यह ‘पास' चालू होने की तारीख से एक साल या 200 यात्रा के लिए (जो भी पहले हो) वैध होगा। इसे खास तौर पर गैर-वाणिज्यिक निजी वाहनों जैसे कार, जीप और वैन के लिए तैयार किया गया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि वार्षिक ‘पास' से देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध एवं लागत प्रभावी यात्रा संभव हो सकेगी। इसके लिए एक लिंक जल्द ही राजमार्ग यात्रा ऐप के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। गडकरी ने कहा कि यह नीति 60 किलोमीटर के दायरे में स्थित ‘टोल प्लाजा' के बारे में लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करती है और एकल, किफायती लेनदेन के माध्यम से टोल भुगतान को सरल बनाती है। मंत्री ने कहा, ‘‘ प्रतीक्षा समय, भीड़भाड़ को कम करके तथा टोल प्लाजा पर विवादों को न्यूनतम करके इस वार्षिक ‘पास' का उद्देश्य लाखों निजी वाहन मालिकों को तीव्र एवं सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करना है।'' गडकरी की इस घोषणा के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जिनके पास पहले से ही ‘फास्टैग' है, उन्हें नया फास्टैग खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ वार्षिक ‘पास' को आपके मौजूदा ‘फास्टैग' पर सक्रिय किया जा सकता है, बशर्ते कि यह पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो (अर्थात, यह वाहन के विंडशील्ड पर ठीक से चिपका हुआ हो, वैध वाहन पंजीकरण संख्या से जुड़ा हो, ब्लैकलिस्टेड न हो आदि)।'' वार्षिक ‘पास' केवल राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) और राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे (एनई) टोल प्लाजा पर ही मान्य है। राज्य सरकारों या स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित एक्सप्रेसवे, राज्य राजमार्गों (एसएच), आदि टोल प्लाजा पर फास्टैग एक नियमित फास्टैग के रूप में काम करेगा और लागू उपयोगकर्ता शुल्क लागू हो सकते हैं। राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि वार्षिक ‘पास' केवल निजी गैर-वाणिज्यिक कार/जीप/वैन के लिए ही लागू है। किसी भी वाणिज्यिक वाहन के लिए इस्तेमाल किए जाने पर बिना किसी सूचना के इसे तत्काल निष्क्रिय कर दिया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वार्षिक ‘पास' अनिवार्य नहीं है और मौजूदा फास्टैग प्रणाली हमेशा की तरह काम करती रहेगी, ‘‘जो उपयोगकर्ता वार्षिक ‘पास' का विकल्प नहीं चुनते हैं, वे टोल प्लाजा पर लागू उपयोगकर्ता शुल्क दरों के अनुसार नियमित लेनदेन के लिए अपने फास्टैग का इस्तेमाल करना जारी रख सकते हैं।'' मंत्रालय ने कहा कि राजमार्ग उपयोगकर्ता 200 यात्रा की सीमा समाप्त होने के बाद वार्षिक ‘पास' फिर से खरीद सकते हैं, भले ही एक साल की वैधता अवधि समाप्त नहीं हुई हो।
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दुकान मालिक ने 20 रुपए में दिया आभूषण
जालना (महाराष्ट्र). महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में पारंपरिक सफेद ‘धोती-कुर्ता' और टोपी पहने 93 वर्षीय एक ग्रामीण जब आभूषण की दुकान में दाखिल हुआ तो दुकान के कर्मचारियों को लगा कि वह आर्थिक मदद मांगने आया है। लेकिन जब बुजुर्ग व्यक्ति ने 1,120 रुपए देकर अपने साथ आई अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदने की इच्छा व्यक्त की, तो दुकान मालिक ने उनके इस प्रेम भाव से अभिभूत होकर उन्हें मात्र 20 रुपये में यह आभूषण दे दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आया है, जिसे दो करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। सोशल मीडिया पर लोगों ने बुजुर्ग व्यक्ति के अपनी पत्नी के प्रति प्रेम की प्रशंसा की है। जालना जिले के अंभोरा जहांगीर गांव के एक साधारण किसान परिवार से संबंध रखने वाले निवृत्ति शिंदे और उनकी पत्नी शांताबाई आषाढ़ी एकादशी उत्सव के लिए पंढरपुर की पैदल तीर्थयात्रा पर हैं। वे हाल में छत्रपति संभाजीनगर स्थित आभूषण की दुकान पर गए थे। वे जब दुकान में दाखिल हुए, तो कर्मचारियों ने शुरू में सोचा कि वे मदद या भीख मांगने आए हैं लेकिन जब बुजुर्ग पुरुष ने विनम्रतापूर्वक बताया कि वह अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदना चाहता है तो वे भावुक हो गए। शिंदे के सरल लेकिन गहरे प्रेम से प्रभावित होकर दुकान के मालिक ने दंपति को केवल 20 रुपये में मंगलसूत्र दे दिया। दुकान मालिक ने कहा, ‘‘दंपति दुकान में दाखिल हुआ और बुजुर्ग पुरुष ने मुझे 1,120 रुपये दिए और कहा कि वह अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदना चाहते हैं। मैं उनके इस भाव से अभिभूत हो गया। मैंने आशीर्वाद के तौर पर उनसे केवल 20 रुपये लिए और दंपति को मंगलसूत्र दे दिया।'' स्थानीय लोगों के अनुसार, यह दंपति हमेशा साथ-साथ यात्रा करता है। उनका एक बेटा भी है, लेकिन वे ज्यादातर स्वयं ही अपनी देखभाल करते हैं। -
नयी दिल्ली, साहित्य अकादमी ने हिंदी में सुशील शुक्ल, अंग्रेजी में नितिन कुशलप्पा एमपी और उर्दू में गज़नफर इकबाल समेत 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को 2025 के प्रतिष्ठित बाल साहित्य पुरस्कार से नवाज़ने का बुधवार को ऐलान किया। अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव के हवाले से जारी एक बयान में बताया गया है कि इसके अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में 24 भाषाओं के लेखकों को उनकी रचनाओं के लिए बाल साहित्य पुरस्कार 2025 के लिए अनुमोदित किया गया है। बयान के मुताबिक, इनमें हिंदी में शुक्ल को उनकी कहानी ‘एक बटे बारह' के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का फैसला किया गया है। बयान में कहा गया है कि इसके अलावा अंग्रेजी में नितिन कुशलप्पा एमपी को ‘दक्षिण, साउथ इंडियन मिथ्स एंड फैब्लस रीटोल्ड' (कहानी), उर्दू में इकबाल को ‘कौमी सितारे' (लेख) व मैथिली में मुन्नी कामत को ‘चुक्का' (कहानी) के लिए बाल साहित्य पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा। इसके मुताबिक, बांग्ला में त्रिदिब कुमार चट्टोपाध्याय को ‘एखोनो गाये कांटा देय' (कहानी), गुजराती में कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट को ‘टिंचक' (कविता), मराठी में सुरेश सावंत को ‘आभालमाया' (कविता) और पंजाबी में पाली खादिम (अमृत पाल सिंह) को ‘जादू पत्ता' (उपन्यास) के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि अकादमी राजस्थानी में भोगीलाल पाटीदार को ‘पंखेरुवं नी पीड़ा' (नाटक), संस्कृत में प्रीति पुजारा को ‘बाल विश्र्वम्' (कविता), संथाली में हरलाल मुर्मू को ‘सोना मिरु-अग संदेश' (कविता) और नेपाली में साड़्मु लेप्चा को ‘शांति वन' (उपन्यास) के लिए पुरस्कार से नवाज़ने का फैसला किया है। बयान के मुताबिक, असमिया में सुरेंद्र मोहन दास को ‘मैनाहंतर पद्द' (कविता), बोडो में बिनय कुमार ब्रह्मा को ‘खान्थि बोसोन आरो आखु दानाय' (कहानी), डोगरी में पी.एल. परिहार ‘शौक' को ‘नन्हीं टोर' (कविता), कोंकणी में नयना आडारकार को ‘बेलाबायचो शंकर आनी हेर काणयो' (कहानी) तथा मणिपुरी में शांतो एम. को ‘अंगंगशिंगगी शन्नाबुंगसिदा' (नाटक) के लिए बाल साहित्य पुरस्कार मिलेगा। इसमें कहा गया है कि तेलुगु में गंगिसेट्टी शिवकुमार को ‘काबुरला देवता' (कहानी), तमिल में विष्णुपुरम सरवणन को ‘ओत्तराई सिरगू ओविया (उपन्यास), सिंधी में हीना अगनानी ‘हीर' को ‘असमानी परी' (कविता), ओड़िया में राजकिशोर परही को ‘केते फूला फुटिची' (कविता), मलयालम में श्रीजित मुतेडत को ‘पेंग्विनुकालुडे वंकारायिल' (उपन्यास), कन्नड में के. शिवलिंगप्पा हण्दिहल को ‘नोटबुक' (कहानी) और कश्मीरी में इजहार मुबाशिर को ‘शुर्य त् चुर्यगिश्य' (कहानी) के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। बयान के अनुसार, 24 भाषाओं के लेखकों की पुस्तकों को त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल ने निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन करते हुए पुरस्कार के लिए चुना तथा कार्यकारी मंडल ने बहुमत या सर्वसम्मति के आधार पर इन पुस्तकों को पुरस्कार के लिए स्वीकृत किया। सचिव ने बताया कि एक जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2023 के बीच पहली बार प्रकाशित हुई किताबों के लेखकों को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विजेता लेखकों को पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्रफलक तथा 50 हजार रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। -
कनैनिस्किस (कनाडा). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष रोकने में मध्यस्थता की भूमिका निभाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज करते हुए उन्हें बताया कि भारत और पाकिस्तान ने बिना किसी मध्यस्थता के अपनी सेनाओं के बीच सीधी बातचीत के बाद पिछले महीने सैन्य कार्रवाई रोकी थी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि ट्रंप के साथ मंगलवार को फोन पर करीब 35 मिनट तक हुई बातचीत में मोदी ने साफ तौर पर कहा कि भारत मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता है और ‘न कभी स्वीकार' करेगा। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद के अनुरोध पर सैन्य कार्रवाई रोकने पर भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच बातचीत शुरू हुई थी। मिसरी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवाद को ‘‘छद्म युद्ध के रूप में नहीं, बल्कि एक युद्ध के ही रूप में देखता है'' और भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर' अब भी जारी है। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की सबसे पहले घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने 10 मई को की थी। इसके बाद से ट्रंप दावा करते आ रहे हैं कि उन्होंने संघर्ष रोकने पर सहमत न होने पर दोनों देशों के साथ व्यापार रोकने की धमकी देकर संघर्ष विराम समझौते में मध्यस्थता की। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘पूर्व प्रतिबद्धताओं'' का हवाला देते हुए कनाडा से लौटते वक्त अमेरिका आने के ट्रंप के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। मोदी और ट्रंप का जी7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात का कार्यक्रम था लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के शिखर सम्मेलन से समय से पहले विदा लेने के कारण यह बैठक नहीं हो पायी। इसके कारण दोनों नेताओं ने फोन पर बातचीत की, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच सात से 10 मई के बीच हुए सैन्य संघर्ष पर प्रमुखता से बात की गयी। मिसरी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते या भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका द्वारा मध्यस्थता के किसी प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई।'' मोदी-ट्रंप बातचीत की अहम बातें साझा करते हुए उन्होंने बताया, ‘‘सैन्य कार्रवाई रोकने पर चर्चा भारत और पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के मौजूदा संचार चैनलों के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से हुई और इसे पाकिस्तान के अनुरोध पर किया गया।'' विदेश सचिव ने कहा कि मोदी ने ‘‘साफ तौर पर कहा कि भारत मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता है और कभी नहीं करेगा'' और इस मामले पर भारत में पूरी तरह से राजनीतिक सर्वसम्मति है। मिसरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कहा कि 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के अपने दृढ़ संकल्प से पूरी दुनिया को अवगत करा दिया है। विदेश सचिव के अनुसार मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया कि भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। उन्होंने कहा कि भारत की कार्रवाई नपी-तुली, सटीक तथा तनाव को और बढ़ावा नहीं देने वाली थी। विदेश सचिव ने कहा, ‘‘भारत ने यह भी साफ कर दिया था कि पाकिस्तान की ओर से हमले की किसी भी कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।'' मिसरी ने कहा, ‘‘नौ मई की रात को उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया था। उपराष्ट्रपति वेंस ने बताया था कि पाकिस्तान भारत पर एक बड़ा हमला कर सकता है।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें साफ-साफ कहा था कि अगर ऐसा कोई हमला होता है तो भारत और कड़ा जवाब देगा।'' मोदी ने फोन पर बातचीत में कहा, ‘‘भारत ने 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के हमले का कड़ा जवाब दिया, जिससे पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचा।'' उन्होंने कहा, ‘‘उनके हवाई अड्डों को निष्क्रिय कर दिया गया। भारत की कड़ी कार्रवाई के कारण पाकिस्तान को सैन्य अभियान रोकने का अनुरोध करना पड़ा था।'' मिसरी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी कनाडा से लौटते वक्त अमेरिका आ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा करने में असमर्थता जतायी। दोनों नेताओं ने निकट भविष्य में मुलाकात करने का प्रयास करने पर सहमति जतायी।'' दोनों नेताओं ने फोन पर इजराइल तथा ईरान के बीच जारी संघर्ष के बारे में भी चर्चा की। मिसरी ने कहा, ‘‘दोनों नेता इस पर सहमत हुए कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति के लिए दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत आवश्यक है और इस दिशा में प्रयास जारी रहने चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में दोनों नेताओं ने अपने विचार साझा किए और क्षेत्र में क्वाड की अहम भूमिका के प्रति अपना समर्थन जताया।'' मिसरी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को अगले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का न्यौता दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने न्यौता स्वीकार कर लिया और कहा कि वह भारत आने के लिए उत्सुक हैं।'' भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए छह मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इन हमलों के कारण चार दिन तक सैन्य संघर्ष हुआ, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुआ। भारत का कहना है कि उसकी कड़ी प्रतिक्रिया के कारण ही पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए अनुरोध करना पड़ा।
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जगरेब. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को क्रोएशिया पहुंचे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस देश की पहली यात्रा है। क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक ने विशेष सम्मान प्रदर्शित करते हुए हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। प्लेंकोविक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर कहा, ‘‘हमने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जगरेब में स्वागत किया! यह दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले देश भारत के प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है - जो एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षण में हो रही है।'' उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए चीजों को सुगम बना रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘भारत-क्रोएशिया संबंधों में ऐतिहासिक मील का पत्थर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्रोएशिया के जगरेब पहुंचे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा है। विशेष सम्मान के तौर पर प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक ने हवाई अड्डे पर उनका औपचारिक स्वागत किया।'' मोदी इस यात्रा के दौरान पारस्परिक हित के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए देश के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में कनाडा से यहां पहुंचे। कनाडा में प्रधानमंत्री ने जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया और विश्व के कई नेताओं से बातचीत की। इससे पहले उन्होंने अपनी यात्रा के तहत साइप्रस का दौरा किया था। मोदी ने रविवार को नयी दिल्ली में अपने प्रस्थान से पहले एक बयान में कहा, ‘‘मैं क्रोएशिया गणराज्य की अपनी यात्रा और राष्ट्रपति ज़ोरान मिलनोविक तथा प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के साथ बैठकों को लेकर आशान्वित हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के बीच सदियों पुराने घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध हैं। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा के रूप में, इससे पारस्परिक हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।'' विदेश मंत्रालय ने नयी दिल्ली में एक बयान में कहा था, ‘‘क्रोएशिया की यात्रा यूरोपीय संघ में भागीदारों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगी।
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आगरा (उत्तर प्रदेश). आगरा में राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर बुधवार की सुबह एक लोडर वाहन के फ्लाईओवर से नीचे गिरने से चार लोगों की मौत हो गई। सहायक पुलिस आयुक्त हेमंत कुमार के अनुसार, दुर्घटना सुबह करीब पांच बजे ट्रांस यमुना थाना क्षेत्र में हुई। अधिकारी ने बताया, "फिरोजाबाद से आम लेकर जा रहा लोडर वाहन फ्लाईओवर पर चढ़ते समय नियंत्रण खो बैठा। वाहन किनारे से फिसला और ऊंचाई से नीचे गिर गया। फ्लाईओवर के नीचे तीन लोग - राजेश (65), रामेश्वर (60) और हरिबाबू (63) सुबह की सैर के बाद बैठे थे, तभी वाहन उनके ऊपर गिर गया, जिससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई।" उन्होंने बताया कि इस घटना में 22 वर्षीय वाहन चालक कृष्ण की भी मौत हो गई।
एसीपी कुमार ने बताया, "प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि चालक को गाड़ी चलाते समय झपकी आ गई होगी, जिससे यह दुर्घटना हुई।" उन्होंने बताया कि लोडर का हेल्पर घायल हो गया है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चारों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। - मुरादाबाद. अमरोहा जिले के हैबतपुर गांव के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर ‘रील' बनाने के लिए सांप को चूमने का प्रयास किया जिसके बाद सांप ने उसकी जीभ पर डस लिया। व्यक्ति की हालत गंभीर है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, जिसकी लोगों ने तीखी आलोचना की है। यह घटना शुक्रवार शाम को अमरोहा जिले के हैबतपुर गांव में हुई, जहां किसान जितेंद्र कुमार (50) ने सांप को बचाने के बाद उसके साथ एक वीडियो बनाने का फैसला किया। लोगों को प्रभावित करने के लिए कुमार ने सांप के साथ फोटो खिंचवाई और रील बनवायी जिसे वहां मौजूद कई लोगों ने रिकॉर्ड किया। स्थानीय लोगों के अनुसार कुमार उस समय नशे में था और धूम्रपान कर रहा था।कथित वीडियो में कुमार को सांप को अपनी गर्दन के चारों ओर लपेटते हुए और धीरे-धीरे उसके सिर को अपने मुंह की ओर लाते हुए देखा जा सकता है। जैसे ही उसने अपनी जीभ सांप की ओर बढ़ाई, सांप ने अचानक हमला किया और सीधे उसकी जीभ पर काट लिया। इससे वहां खड़े लोग भयभीत हो गए। सर्पदंश के बाद कुमार की हालत बिगड़ गई। उसे नजदीक एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में उसे एक अन्य अस्पताल के लिए ‘रेफर' कर दिया गया। गांव के मुखिया जयकीरत सिंह ने बताया कि घटना वाले दिन इलाके में एक दीवार से सांप निकला था, जिससे दहशत फैल गई। घटनास्थल पर पहुंचे कुमार ने सांप को पकड़ लिया था। सिंह ने कहा, "वह सांप को पकड़े हुए था और उसे चूमने का प्रयास कर रहा था। जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई, सांप ने उसकी जीभ पर काट लिया। जितेंद्र ने सांप को छोड़ दिया, जो फिर (सांप) पास की झाड़ियों में चला गया।"
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नई दिल्ली। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत देश भर में 11,480 सेवा क्षेत्र के लाभार्थियों को 300 करोड़ रुपए की मार्जिन मनी सब्सिडी वितरित की।
केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत’ के विजन को मान्यता मिल रही है और पीएमईजीपी योजना इसका मजबूत स्तंभ बन गई है। उन्होंने दोहराया कि यह योजना केवल वित्तीय सहायता प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन भी बन गया है जो लाखों युवाओं, महिलाओं और कारीगरों को स्वरोजगार और उद्यमिता से जोड़ रहा है। मनोज कुमार ने कहा कि हर गांव में रोजगार और आत्मनिर्भरता पैदा करने में इस योजना की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस वितरण कार्यक्रम में देश के सभी छह जोन ने सक्रिय रूप से भाग लिया।सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय मंगलवार को एक बयान में बताया कि सेंट्रल जोन के तहत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में कुल 2,403 परियोजनाओं के लिए 72 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की गई, जिसके लिए कुल 218 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया। पूर्वी जोन में बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 996 परियोजनाओं के लिए 22 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की गई, जबकि ऋण स्वीकृति लगभग 71 करोड़ रुपए थी।पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए कुल 2,713 परियोजनाओं को 61 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई और इन परियोजनाओं के लिए 184 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया।वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र की 81 परियोजनाओं को 2 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिली, जिसमें असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्य शामिल हैं।आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के लिए 4,565 परियोजनाओं को कवर करते हुए 116 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की गई, जबकि इन परियोजनाओं के लिए 343 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण स्वीकृत किए गए।महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा जैसे पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों में, कुल 722 परियोजनाओं के लिए 82 करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृति के मुकाबले 26 करोड़ रुपए से अधिक की सब्सिडी वितरित की गई।








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