- Home
- विदेश
-
समरकंद (उज्बेकिस्तान) .मध्य एशिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक महोत्सव, 13वें अंतरराष्ट्रीय संगीत महोत्सव ‘शर्क तारोनलाराई' में गायिका शिबानी कश्यप के गानों पर यहां ऐतिहासिक ‘रेगिस्तान स्क्वायर' पर संगीत प्रेमियों ने बॉलीवुड की धुनों पर नृत्य किया। कश्यप संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के तत्वावधान में आयोजित महोत्सव के समापन समारोह में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली पहली भारतीय कलाकार हैं। “शर्क तारोनालारी”, का अर्थ है “पूर्व का मधुर संगीत”। यह एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है, जो विश्व की समृद्ध संगीत परंपराओं को प्रदर्शित करने और उनका उत्सव मनाने के लिए समर्पित है। वर्ष 1997 में शुरुआत के बाद से यह महोत्सव काफी समृद्ध हो चुका है। इस महोत्सव का पहली बार जब आयोजन हुआ था, तो 31 देशों के कलाकारों ने भाग लिया था। साल 2019 तक इसमें शामिल होने वाले देशों की संख्या बढ़कर 75 हो गई, जिससे इस आयोजन का वैश्विक महत्व रेखांकित हुआ। महोत्सव के 13वें संस्करण में 70 से अधिक देशों के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिष्ठित ‘रेगिस्तान स्क्वायर' पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया। ‘रेगिस्तान स्क्वायर' अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव ने कहा कि ‘शर्क तारोनलारी' उत्सव सार और सही अर्थ में वैश्विक मधुर संगीतों का उत्सव बन गया है। उन्होंने कहा, “समरकंद के तारों भरे आसमान के नीचे कितनी ही मनमोहक, सुंदर धुनें गूंजी हैं! इस महोत्सव ने दर्जनों प्रतिभाशाली गायकों और संगीतकारों को पहचान दी, प्रतिभाशाली युवाओं को उड़ान भरने के लिए पंख दिए, उनकी रचनात्मकता को शक्ति और प्रेरणा दी।
- नई दिल्ली। ब्राजील के उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने देश में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ की सेवाएं निलंबित करने का शुक्रवार को आदेश दिया। फैसले की प्रति के मुताबिक, न्यायाधीश एलेक्जांद्रे डि मोरेस ने ‘एक्स’ के मालिक एलन मस्क द्वारा ब्राजील में कंपनी के एक कानून प्रतिनिधि को नामित करने से इनकार करने के बाद यह कदम उठाया।इस कदम से अभिव्यक्ति की आजादी, धुर-दक्षिणपंथी खातों और गलत सूचनाओं के प्रवाह को लेकर मस्क और न्यायमूर्ति मोरेस के बीच महीनों से जारी मतभेद और गहरा गया है। न्यायमूर्ति मोरेस ने मस्क को बुधवार रात चेतावनी दी थी कि अगर वह ब्राजील में एक कानून प्रतिनिधि नामित करने के उनके आदेश पर अमल नहीं करते हैं, तो देश में ‘एक्स’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। उन्होंने आदेश के अनुपालन के लिए 24 घंटे की समयसीमा भी निर्धारित की थी। ब्राजील में इस महीने की शुरुआत से कंपनी का कोई कानून प्रतिनिधि नहीं है।न्यायमूर्ति मोरेस ने अपने फैसले में लिखा, “एलन मस्क ने ब्राजील की संप्रभुता और खासतौर पर न्यायपालिका के प्रति पूर्ण अनादर दिखाया है। इस प्रकार उन्होंने दिखाया है कि जैसे वह वास्तव में कोई ‘सुपरानेशनल इकाई’ हैं, जिसे प्रत्येक देश के कानून से छूट प्राप्त है।” ‘सुपरानेशनल इकाई’ का मतलब ऐसी इकाइयों से होता है, जो राष्ट्रीय सीमाओं और हितों से परे जाकर निर्णय लेने की शक्ति और प्रभाव रखती हैं।न्यायमूर्ति मोरेस ने कहा कि ब्राजील में ‘एक्स’ की सेवाएं तब तक निलंबित रहेंगी, जब तक कंपनी उनके आदेश का अनुपालन नहीं करती। उन्होंने वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिये देश में ‘एक्स’ का इस्तेमाल करने की कोशिश करने वाले लोगों और कंपनियों पर प्रतिदिन 8,900 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है।बाद में एक अन्य आदेश में न्यायमूर्ति मोरेस अपने एक शुरुआती फैसले से पीछे हट गए, जिसके तरह उन्होंने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और दूरसंचार नियामक को ‘एक्स’ तक पहुंच अवरुद्ध करने तथा ‘ऐप स्टोर’ को वीपीएन हटाने के लिए पांच दिन की मोहलत दी थी।नये आदेश में कहा गया कि ब्राजील के दूरसंचार नियामक ‘एनाटेल’ के पास फैसले पर अमल करने के लिए 24 घंटे का समय होगा। ‘एनाटेल’ के चेयरमैन कार्लोस बेगोर्री ने समाचार चैनल ‘ग्लोबोन्यूज’ से कहा कि देश के बड़े सेवा प्रदाता तुरंत कार्रवाई करेंगे, लेकिन छोटी कंपनियों को ‘एक्स’ की सेवाएं निलंबित करने के लिए अधिक समय की जरूरत पड़ सकती है।माना जा रहा है कि ब्राजील के उच्चतम न्यायालय की एक पूर्ण पीठ इस मामले पर फैसला देगी, लेकिन सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है। ‘एक्स’ ने गुरुवार देर रात अपने आधिकारिक ‘ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स’ पेज पर पोस्ट किया था कि कंपनी को आशंका है कि मोरेस ब्राजील में ‘एक्स’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, “क्योंकि हम राजनीतिक विरोधियों को सेंसर करने के इरादे से जारी उनके अवैध आदेशों का पालन नहीं करेंगे।”
- लुसाका. जाम्बिया में एक खदान में काम करते समय बजरी का बड़ा ढेर गिर गया, जिसके नीचे दब जाने से नौ लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह हादसा रविवार को राजधानी लुसाका से लगभग 50 किलोमीटर दूर चोंगवे स्थित एक खदान में हुआ।पुलिस प्रवक्ता आर. हामून्गा ने बताया कि ये लोग खदान में अवैध रूप से काम कर रहे थे और ट्रक पर बजरी लाद रहे थे। उन्होंने बताया कि हादसे में ट्रक का चालक घायल हो गया और उसे अस्पताल ले जाया गया।
- काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सोमवार को कहा कि उनका देश भारत और चीन दोनों के साथ “संतुलित” तरीके से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पड़ोसियों के बीच कभी-कभार होने वाली समस्याएं “स्वाभाविक” हैं और उन्हें ‘खुले मन से बातचीत” के जरिए सुलझाया जा सकता है। यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में ओली ने कहा, “हम अपनी जमीन का इस्तेमाल अपने किसी भी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होने देंगे।” उन्होंने कहा कि हिमालयी राष्ट्र “ईमानदारी और तटस्थता का पालन करते हुए संतुलित तरीके से दोनों पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखता है।” चार बार प्रधानमंत्री रह चुके 72 वर्षीय ओली ने कहा कि पड़ोसियों के साथ कभी-कभी समस्याएं होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, “हम खुली बातचीत के जरिए उन्हें सुलझा सकते हैं।” पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ओली ने कहा, “यदि हम मामले पर अधिक विस्तार से चर्चा किए बिना अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखते हुए तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर न्यायोचित और उपयुक्त समाधान तलाशेंगे तो समस्या उत्पन्न नहीं होगी।” उन्होंने कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का पालन करते हैं और समस्याओं का तटस्थ और शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आंतरिक कमजोरी को छिपाने के लिए हमेशा भूराजनीति को दोष देना उचित नहीं है। उन्होंने भारतीय पक्ष से नेपाल-भारत प्रतिष्ठित व्यक्ति समूह (ईपीजी रिपोर्ट) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को स्वीकार करने को भी कहा, जिसमें अन्य बातों के अलावा 1950 की शांति और मैत्री संधि की समीक्षा से संबंधित मामला भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इससे सीमा संबंधी मुद्दों और अन्य मामलों को सुलझाने के लिए बातचीत में सुविधा होगी। प्रधानमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ व्यापार और पारगमन संधि पर हस्ताक्षर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि थी। ओली को व्यापक रूप से चीन समर्थक माना जाता है, उन्होंने 2016 में पारगमन और परिवहन समझौते (टीटीए) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे चारों ओर से स्थल से घिरे हिमालयी देश को अपने विदेशी व्यापार के लिए चीनी समुद्र और स्थल बंदरगाहों तक पहुंच प्राप्त हुई थी।
- कराची. पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में सोमवार को दो अलग-अलग हमलों में हथियारबंद हमलावरों ने कम से कम 37 लोगों की हत्या कर दी। सरकार और सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक रविवार और सोमवार की दरमियानी रात चरमपंथी समूहों से जुड़े उग्रवादियों ने चार हमले किए अबतक 37 लोगों के मारे गए हैं। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस' ने एक बयान में कहा कि हमलों के बाद शुरू किए गए अभियानों में 21 आतंकवादी भी मारे गए। इससे पहले, बलूच बंदूकधारियों ने रविवार- सोमवार की दरमियानी रात को बलूचिस्तान प्रांत में दो अलग-अलग हमलों में कम से कम 37 लोगों की हत्या कर दी थी। पहली घटना में बलूचिस्तान के मूसाखेल जिले में बंदूकधारियों ने बसों से यात्रियों को उतारकर और उनके पहचान पत्र देखने के बाद पंजाब प्रांत के कम से कम 23 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। मूसाखेल के सहायक आयुक्त नजीब काकर के मुताबिक भारी हथियारों से लैस करीब 10 हमलावारों ने जिले के राराशिम इलाके में अंतर सूबाई राजमार्ग को बाधित कर दिया और कई बसों से यात्रियों को उतार लिया। उन्होंने बताया, ‘‘खबरों के मुताबिक मारे गए लोग पंजाब सूबे से हैं।'' काकर के मुताबिक हमलावरों ने कुछ वाहनों में भी आग लगा दी। मूसाखेल बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से करीब 450 किलोमीटर उत्तर पूर्व अवस्थित है। बलूचिस्तानी अलगाववादी नियमित रूप से पंजाब प्रांत के लोगों को निशाना बनाते हैं और आरोप लगाते हैं कि प्रांत में आतंकवादियों से लड़ने वाले सशस्त्र बलों में पंजाबियों का दबदबा है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अयूब खोसो ने बताया, ‘‘यात्रियों को बसों से उतरने के लिए कहा गया और राष्ट्रीय पहचान पत्र देखने के बाद उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी।'' खोसो ने बताया, ‘‘मृतकों में से ज्यादातर लोग दक्षिणी पंजाब के और कुछ खैबर पख्तूनख्वा के हैं जिससे पता चलता है कि उनकी जातीय पृष्ठभूमि के कारण उनकी हत्या की गयी है।'' प्राधिकारियों ने बताया कि एक अन्य हमले में बलूचिस्तान के कलात जिले में बंदूकधारियों ने चार पुलिस अधिकारियों समेत कम से कम 11 लोगों की हत्या कर दी गयी। कलात राजधानी क्वेटा से करीब 150 किलोमीटर दक्षिण में स्थिति है और बलूच कबीलों का इलाके में दबदबा है। प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। दोनों हमले बलूच कबाइली नेता नवाब अकबर खान बुगती की 18वीं बरसी के समय हुए हैं। खान पाकिस्तानी सेना के अभियान में मारे गए थे। उग्रवादी समूहों ने अपनी हिंसा को ‘ऑपरेशन हेरूफ' नाम दिया है और एक साथ प्रांत के विभिन्न जिलों में सिलसिलेवार हमले शुरू किए हैं। कलात में यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब आतंकवादियों ने सोमवार को मूसाखेल जिले के राराशिम क्षेत्र में बसों और ट्रकों को रोका, 23 यात्रियों को उतारा और उनकी पहचान पंजाब के यात्रियों के रूप में करने के बाद उन्हें गोली मार दी। कलात के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दोस्तैन दश्ती ने फोन पर बताया, ‘‘उग्रवादियों ने सुबह हमले को अंजाम दिया और इसके बाद नजदीकी पहाड़ो की ओर भाग गए।'' ये हमले मूसाखेल जिले के राराशिम क्षेत्र में हुए, जहां आतंकवादियों ने अधिकतर पंजाब के यात्रियों को उतार दिया और उनमें से 23 को गोली मार दी, जबकि कलात जिले में एक सुरक्षा चौकी पर एक अन्य हमले में उन्होंने अर्धसैनिक बल के जवानों और पुलिसकर्मियों सहित 10 लोगों की हत्या कर दी। बोलन जिले के कोलपुर क्षेत्र में हुए एक अन्य हमले में चार अन्य सुरक्षाकर्मी मारे गए, जबकि मस्तुंग जिले के कडकुचा क्षेत्र में भी आतंकवादियों ने एक चुंगी चौकी परिसर पर हमला किया जहां एक व्यक्ति की मौत हुई। उग्रवादियों ने बोलन में मुख्य रेलवे ट्रैक पर बने एक पुल को भी उड़ा दिया। बलूचिस्तान प्रांत पिछले कुछ समय से अलगाववादी समूहों और सुरक्षाकर्मियों के बीच संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। उग्रवादी अक्सर बलूचिस्तान से गुजरने वाले या यहां काम करने वाले श्रमिकों, मजदूरों या तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर हमले करते रहे हैं। इन समूहों ने प्रांत के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा और सरकारी कर्मियों तथा प्रतिष्ठानों को भी अक्सर निशाना बनाया है। मूसाखेल में हमले से करीब चार महीने पहले पंजाब के लोगों को निशाना बनाते हुए ऐसा ही हमला किया गया था। अप्रैल में नोश्की के समीप एक बस से नौ यात्रियों को उतारा गया था और बंदूकधारियों ने उनके पहचान पत्र देखने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। पिछले साल अक्टूबर में अज्ञात बंदूकधारियों ने बलूचिस्तान में तेच जिले के तुरबत में पंजाब के छह श्रमिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मई में, पंजाब के ही सात नाइयों की अज्ञात बंदूकधारियों ने उस समय हत्या कर दी थी, जब वे ग्वादर बंदरगाह से लगभग नौ मील दूर, सरबंदन के तटीय क्षेत्र में अपने क्वार्टर में सो रहे थे। बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता सादिक रिंद ने कहा कि मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने आतंकवादी समूहों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘इन कायर आतंकवादियों ने रात का फायदा उठाया और राजमार्ग पर ट्रकों को रोककर लोगों की हत्या कर दी।'' ‘रेडियो पाकिस्तान' ने बताया कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की कड़ी निंदा की है। हमलों में लोगों की मौत पर दुख जताते हुए उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। जरदारी ने कहा कि निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या पूरी मानवता की हत्या है और उन्होंने दोषियों को सजा दिलाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने स्थानीय प्रशासन को शोक संतप्त परिवारों के साथ पूरा सहयोग करने और घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को घटना की तुरंत जांच करने का भी निर्देश दिया। शहबाज शरीफ ने कहा, ‘‘इस घटना के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को कड़ी सजा दी जाएगी।'' उन्होंने कहा कि देश में किसी भी प्रकार का आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने आतंकवाद की समस्या को खत्म करने की पाकिस्तान की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने आतंकवाद की इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने आतंकवाद के कायरतापूर्ण कृत्य में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं भी व्यक्त की हैं। बुगती ने कहा कि आतंकवाद और उनके मददगार बच नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान सरकार आतंकवादियों को पकड़ लेगी। पुलिस ने बताया कि एक अन्य आतंकवादी हमले में बोलन के डोजन इलाके में एक रेलवे पुल को बम से उड़ा दिया गया। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है लेकिन अन्य प्रांतों से अधिक संसाधन होने के बावजूद यह सबसे कम विकसित है। बीएलए और अन्य बलूच अलगाववादियों ने क्षेत्र में काम कर रहे पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत के लोगों पर हमले तेज कर दिए हैं। पाकिस्तान संघर्ष और सुरक्षा अध्ययन संस्थान के अनुसार, बलूचिस्तान में पिछले साल 170 आतंकवादी हमले हुए थे जिनमें 151 नागरिकों और 114 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गयी थी।
- इस्लामाबाद/कराची. पाकिस्तान में रविवार को हुई दो अलग-अलग बस दुर्घटनाओं में 11 श्रद्धालुओं सहित कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। पाकिस्तान में पहली दुर्घटना उस वक्त हुई जब ईरान से 70 शिया जायरीन को लेकर आ रही बस बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तटीय राजमार्ग से रास्ता भटक गई थी। इस हादसे में भी 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 35 श्रद्धालु घायल हो गए हैं। इन श्रद्धालुओं को पंजाब की ओर जाना था। मकरान तटीय राजमार्ग 653 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है जो पाकिस्तान के अरब सागर तट के साथ सिंध प्रांत के कराची से बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर तक फैला हुआ है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बस में बैठे ज्यादातर लोग लाहौर या गुजरांवाला के निवासी थे।सबसे बड़ी निजी एम्बुलेंस सेवा चलाने वाली एधी फाउंडेशन के कमर नदीम ने बताया कि पाकिस्तान में दूसरी दुर्घटना उस दौरान हुई जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 35 लोगों को ले जा रही एक बस खाई में गिर गई थी। इस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार, इस हादसे के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है।सधनोती के उपायुक्त उमर फारूक ने बताया कि मृतकों में बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल हैं और ये सभी सधनोती जिले के निवासी थे। पुलिस, प्रशासन और बचाव दल के कर्मी घटनास्थल पर मौजूद हैं। कानून प्रवर्तकों ने बताया कि कुछ लोगों की पहचान कर ली गई है।पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस दुर्घटना पर शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने राहत-बचाव अभियान में तेजी लाने की जरुरत पर जोर देते हुए कहा, "दुख की इस घड़ी में मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।'' पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भी इन दुर्घटनाओं पर दुख जताया और मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। ये दुर्घटनाएं पाकिस्तानी श्रद्धालुओं को ले जा रही एक अन्य बस के ईरान में दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ ही दिनों बाद हुई हैं। इस हादसे में 35 लोग मारे गए थे और 15 घायल हुए थे।
- दुबई. पाकिस्तानी मूल के एक प्रमुख अमेरिकी कारोबारी साजिद तरार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और पाकिस्तान को उनके जैसे नेता की जरूरत है। अमेरिका के बाल्टीमोर में रहने वाले तरार ने कहा, ‘‘मोदी के राष्ट्रवाद के नारे ने भारत में रहने वाले भारतीयों और अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए अच्छा काम किया है, जहां वे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शीर्ष पदों पर हैं।'' पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थक रिपब्लिकन पार्टी के नेता एवं ‘अमेरिकन मुस्लिम्स फॉर डोनाल्ड ट्रंप' के संस्थापक तरार ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने तरक्की की है और अगर उनके जैसा कोई नेता सामने आता है तो इससे पाकिस्तान को मदद मिलेगी। तरार ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का उत्थान वाशिंगटन में सत्ता के गलियारों में लॉबिंग की उसकी क्षमता से परिलक्षित होता है तथा भारतीय प्रौद्योगिकी उद्यमियों की संख्या में वृद्धि ने उसके प्रवासी समुदाय को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस उदाहरण से सीख लेनी चाहिए और शिक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के साथ उभरते राष्ट्र के सपने ने देश को दीर्घकालिक लाभ पहुंचाया है। ऐसा तब होता है जब आप दीर्घकालिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा में निवेश करते हैं।'' तरार 1990 के दशक में अमेरिका चले गए थे और सत्तारूढ़ पाकिस्तानी प्रतिष्ठान से उनके अच्छे संबंध हैं।राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप की उम्मीदवारी पर तरार ने कहा कि सत्ता में उनकी वापसी अमेरिका को फिर से महानता के मार्ग पर ले जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में आने से पहले ट्रंप ने पैसा कमाया और अब उन्हें अमेरिका को फिर से महान बनाने की चिंता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनीतिक नेताओं के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है।'' तरार ने यह भी कहा कि ट्रंप (78) का राष्ट्रपति पद पर लौटना चीन के लिए एक चुनौती होगी, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों में बीजिंग की नीतियों को चुनौती देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप आप्रवासियों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अमेरिकी सरकार जिस तरह से इस मुद्दे से निपट रही है उससे वह सहमत नहीं हैं।
-
लाहौर। पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक इस वर्ष के अंत में प्रयोग करते हुए एक नए पॉलीमर प्लास्टिक मुद्रा बैंक नोट लाएगा। केंद्रीय बैंक इसके साथ ही बेहतर सुरक्षा और होलोग्राम सुविधाओं के लिए सभी मौजूदा बैंक नोटों को फिर से डिजायन करेगा।स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने इस्लामाबाद में बैंकिंग और वित्त पर सीनेट समिति को बताया कि इस साल दिसंबर तक सभी मौजूदा कागजी मुद्रा नोटों को नई सुरक्षा विशेषताओं के साथ फिर से डिजायन किया जा रहा है।
अहमद ने कहा कि 10, 50, 100, 500, 1000 और 5000 रुपये के मूल्यवर्ग में नए डिजाइन वाले बैंक नोट दिसंबर में जारी किए जाएंगे। एक सूत्र ने कहा, “पुराने नोट पांच साल तक प्रचलन में रहेंगे और केंद्रीय बैंक उन्हें बाजार से हटा देगा।”स्टेट बैंक के गवर्नर ने सीनेट समिति को बताया कि जनता के लिए एक मूल्यवर्ग में नया पॉलीमर प्लास्टिक बैंक नोट जारी किया जाएगा, तथा यदि इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली तो अन्य मूल्यवर्गों में भी प्लास्टिक मुद्रा जारी की जाएगी। वर्तमान में लगभग 40 देश पॉलीमर प्लास्टिक बैंक नोटों का उपयोग करते हैं, जिनकी नकल करना कठिन है और इनमें होलोग्राम और पारदर्शी खिड़की जैसी अधिक उन्नत सुरक्षा विशेषताएं हैं।ऑस्ट्रेलिया 1998 में पॉलीमर बैंक नोट शुरू करने वाला पहला देश था। अहमद ने यह भी पुष्टि की कि केंद्रीय बैंक की 5,000 रुपये के नोट को बंद करने की कोई योजना नहीं है। हालांकि एक सदस्य मोहसिन अज़ीज़ ने जोर देकर कहा कि इससे भ्रष्ट लोगों के लिए अपना कारोबार करना आसान हो जाएगा। -
तेहरान. ईरान में दो अलग-अलग बस दुर्घटनाओं में कम से 34 लोगों की मौत हो गई और कुल 41 व्यक्ति घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक दुर्घटना मध्य ईरान में हुई, जहां शिया जायरीनों को पाकिस्तान से इराक ले जा रही एक बस मंगलवार देर रात दुर्घटनाग्रस्त हो गई। अधिकारियों ने इस हादसे में करीब 28 जायरीनों की मौत होने तथा 23 अन्य के घायल होने की बुधवार को जानकारी दी। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए' ने स्थानीय आपातकालीन सेवा के अधिकारी मोहम्मद अली मालकजादेह के हवाले से बताया कि यह हादसा मंगलवार देर रात राजधानी तेहरान से लगभग 500 किलोमीटर (310 मील) दक्षिण-पूर्व में यज्द प्रांत के तफ्त शहर के बाहरी इलाके में हुआ। मालकजादेह के मुताबिक, हादसे में 23 जायरीन घायल हो गए, जिनमें से 14 को गंभीर चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि हादसे के समय बस में कुल 51 लोग सवार थे और ये सभी पाकिस्तान के रहने वाले हैं। ईरान के सरकारी समाचार चैनल ने राजमार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त हुई बस की तस्वीरें प्रसारित कीं, जिसकी छत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। दुर्घटनास्थल पर बचावकर्मी सड़क पर बिखरे कांच के टुकड़ों और मलबे के बीच शवों और घायलों को बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाते नजर आए। चैनल पर प्रसारित खबर में मालकजादेह ने हादसे के लिए बस के ब्रेक फेल होने और चालक की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान के प्राधिकारियों ने बताया कि बस में दक्षिणी सिंध प्रांत के लरकाना शहर के जायरीन सवार थे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि इस हादसे से उन्हें ‘गहरा दुख' पहुंचा है और राजनयिक प्रभावित लोगों को हर संभव मदद मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।'' पाकिस्तानी जायरीन इराक जा रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में बुधवार तड़के एक अलग बस दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हुए हैं। -
गाबोरोने (बोत्सवाना). बोत्सवाना ने दावा किया है कि अब तक का सबसे बड़ा हीरा उसकी एक खदान से प्राप्त हुआ है और बृहस्पतिवार को इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। बोत्सवाना की सरकार का मानना है कि 2,492 कैरेट का यह विशाल रत्न देश में खोजा गया सबसे बड़ा प्राकृतिक हीरा और किसी खदान से निकाला गया दूसरा सबसे बड़ा रत्न है। कनाडा की खनन कंपनी लुकारा डायमंड कॉर्प ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उसने पश्चिमी बोत्सवाना में अपनी कारोवे खदान से ‘असाधारण' हीरा बरामद किया है। लुकारा ने बताया कि यह ‘उच्च गुणवत्ता वाला' हीरा है और इसे एक्स-रे तकनीक की मदद से खोजा गया। वजन के लिहाज से यह गत 100 से अधिक वर्षों में पाया गया सबसे बड़ा हीरा है, तथा 1905 में दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए कलिनन हीरे के बाद यह खदान से निकाला गया दूसरा सबसे बड़ा हीरा है। कलिनन हीरा 3,106 कैरेट का था और इसे कई टुकड़ें कर तराशा गया जिनमें से कुछ ब्रिटिश शाही आभूषणों का हिस्सा हैं। ब्राजील में 1800 के दशक के अंत में एक बड़ा काला हीरा खोजा गया था, लेकिन यह सतह पर पाया गया था और माना जाता था कि यह उल्कापिंड का हिस्सा था। बोत्सवाना हीरे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और हाल के वर्षों में दुनिया के सभी सबसे बड़े हीरों की खोज यहीं हुई है।
-
नई दिल्ली। एक स्वस्थ और भरपूर जीवन जीने के बाद दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला मारिया ब्रान्यास का 117 साल की उम्र में स्पेन के एक नर्सिंग होम में शांतिपूर्वक निधन हो गया। यह जानकारी उनके एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट और नर्सिंग होम के एक प्रवक्ता ने दी। उनके आधिकारिक एक्स अकाउंट पर कहा गया, "मारिया ब्रान्यास हमें छोड़कर चली गईं। . उनका निधन वैसे ही हुआ जैसा वे चाहती थीं: नींद में, शांति से और बिना किसी दर्द के.। " नर्सिंग होम के प्रवक्ता ने इस खबर की पुष्टि की, हालांकि अधिक जानकारी नहीं दी गई।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी एक बयान जारी कर उनके 117 साल 168 दिन की उम्र में निधन की पुष्टि की, जिससे वह इतिहास में सबसे उम्रदराज व्यक्तियों में से आठवीं बन गईं, जिनकी उम्र प्रमाणित की जा सकी है। .उनके परिवार ने बताया कि मोरेरा ने अपनी मृत्यु से ठीक पहले उनसे कहा था: “मुझे नहीं पता कब, लेकिन बहुत जल्द यह लंबी यात्रा समाप्त हो जाएगी। . मृत्यु मुझे इस लंबी जिंदगी के बाद थका हुआ पाएगी, लेकिन मैं चाहती हूं कि वह मुझे मुस्कुराते हुए, स्वतंत्र और संतुष्ट पाए। ”सोमवार को, ब्रान्यास ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था, "मुझे कमजोरी महसूस हो रही है. समय करीब आ गया है। मत रोना, मुझे आंसू पसंद नहीं हैं... आप मुझे जानते हैं, मैं जहां भी जाऊंगी, खुश रहूंगी." उनके एक्स अकाउंट को उनकी बेटी संभालती है।गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, ब्रान्यास का जन्म 4 मार्च 1907 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। वह जनवरी 2023 में दुनिया की सबसे उम्रदराज व्यक्ति बनी थीं। वे 7 साल की उम्र में अपने स्पेनिश परिवार के साथ कैटालोनिया के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में आ गई थीं और वहीं अपनी बाकी जिंदगी बिताई। .उन्होंने 1936-39 के गृह युद्ध और दो महामारियों - 1918 की स्पेनिश फ्लू महामारी और 2020-2021 की कोविड-19 महामारी - का सामना किया. विशेष रूप से। , उन्होंने 113 साल की उम्र में कोविड-19 को हराकर दुनिया की सबसे उम्रदराज कोविड-19 सर्वाइवर का खिताब भी जीता था।उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर उनके बायो में लिखा है, "मैं बूढ़ी हूं, बहुत बूढ़ी, लेकिन मूर्ख नहीं हूं.। " मारिया का मानना था कि उनकी लंबी उम्र का राज उनके अच्छे जीन, जीवन में व्यवस्था, शांति, परिवार और दोस्तों के साथ अच्छे संबंध, प्रकृति के संपर्क, भावनात्मक स्थिरता और सकारात्मक सोच में छिपा है।मारिया पिछले 23 साल से ओलोट, कैटालोनिया के सांत मारिया डेल टूरा नर्सिंग होम में रह रही थीं। हाल के महीनों में उनकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ रही थी, लेकिन वह किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं थीं।अब किसके पास रिकॉर्ड117 साल की उम्र में भी, मारिया का दिमाग पूरी तरह से सक्रिय था। उन्होंने वैज्ञानिकों को अपने जीन का अध्ययन करने की अनुमति दी, ताकि उम्र से संबंधित बीमारियों से लड़ने के लिए उपचार विकसित किए जा सकें। मारिया ब्रान्यास मोरेरा के निधन के बाद, अब दुनिया की सबसे उम्रदराज जीवित महिला का खिताब जापान की तोमिको इतोका के पास है। जेरोंटोलॉजी रिसर्च ग्रुप एक वैज्ञानिक संगठन है जो 110 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों की उम्र की पुष्टि करता है। उसके मुताबिक अब दुनिया की सबसे उम्रदराज जीवित महिला जापान की 116 वर्षीय महिला तोमिको इतोका हैं।इतोका ने इस साल जापान के अशिया शहर में अपना 117वां जन्मदिन मनाया था.। उन्होंने एक सक्रिय जीवन बिताया है, जिसमें उन्होंने चार बच्चों की परवरिश की और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने पति की कपड़ा मिल को भी संभाला। अपनी उम्र के बावजूद, इतोका अभी भी हर सुबह अपने पसंदीदा पेय, कैलपिस का आनंद लेती हैं.। -
लंदन. ब्रिटेन में मंगलवार से महाराजा चार्ल्स तृतीय के चित्र तथा मधुमक्खियों के डिजाइन वाले एक पाउंड के पहले सिक्के प्रचलन में आ गए हैं। देश भर के डाकघरों और बैंकों के माध्यम से कुल 29.75 लाख सिक्के नकदी प्रचलन में आएंगे। ब्रिटेन की टकसाल ‘रॉयल मिंट' के अनुसार, मधुमक्खियों के डिजाइन वाला पाउंड आठ नए डिजाइन में से एक है जो एक पेंस से दो पाउंड मूल्यवर्ग में सिक्कों पर दिखाई देंगे। इनमें हेजल डोरमाउस, पफिन और अटलांटिक सैल्मन जैसे जीव-जंतु भी शामिल हैं। ये सभी प्रजातियां संरक्षण कार्यक्रमों में शामिल हैं, जो चार्ल्स तृतीय (75) की पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दर्शाता है। ‘रॉयल मिंट' में स्मृति सिक्का निदेशक रेबेका मॉर्गन ने कहा, ‘‘रॉयल मिंट ने (पूर्ववर्ती सम्राट) अल्फ्रेड द ग्रेट के बाद से ब्रिटेन के प्रत्येक महाराजा-महारानी के सिक्के बनाए हैं और यह बताते हुए हमें गर्व हो रहा है कि चार्ल्स तृतीय का एक पाउंड का सिक्का अब प्रचलन में है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें पता है कि एतिहासिक सिक्के को पाने के लिए संग्रहकर्ताओं और आम लोगों में उत्साह की लहर पैदा होगी। हमें उम्मीद है कि सभी सिक्कों के डिजाइन इन महत्वपूर्ण प्रजातियों के संरक्षण के बारे में गहन संवाद को बढ़ावा देंगे।'' यह डिजाइन ब्रिटेन में पाई जाने वाली भौंरा, राजमिस्त्री मधुमक्खियां और श्रमिक मधुमक्खियां समेत मधुमक्खियों की 250 से अधिक प्रजातियों का प्रतीक है। ‘रॉयल मिंट' के विवरण में लिखा है, ‘‘ये मेहनती कीट-पतंग कई पौधों और फलदार पेड़ों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पूरे देश में आम तौर पर बगीचों, पार्क, जंगलों, घास के मैदानों में पाए जा सकते हैं, और अब ब्रिटेन के एक पाउंड के सिक्के के पीछे भी पाए जाते हैं।'' पिछले साल अक्टूबर में पहली बार सामने आए इस सिक्के के बारे में मिंट ने कहा कि नए डिजाइन में चार्ल्स तृतीय के संरक्षण के प्रति जुनून को दर्शाया गया है। सिक्के पर अंकित संख्या प्रत्येक सिक्के के मूल्य को दर्शाती है, साथ ही इसे बड़ा किया गया है, ताकि बच्चों को मुद्रा का मूल्य समझने में मदद मिल सके। ‘रॉयल मिंट' द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण में, एक-पाउंड के सिक्के को सभी आठ सिक्कों के डिजाइनों में से सबसे पसंदीदा माना गया तथा लाल गिलहरी को दर्शाने वाला दो-पेंस का सिक्का दूसरे स्थान पर रहा। करीब 3,000 लोगों ने अपने पसंदीदा डिजाइन के लिए वोट दिया, जिसमें एक पाउंड का डिजाइन करीब 30 प्रतिशत वोट के साथ शीर्ष पर रहा।
-
नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा के साथ व्यापक वार्ता के बाद कहा कि नेपाल भारत को करीब 1,000 मेगावाट बिजली निर्यात करेगा। जयशंकर ने भारत को बिजली निर्यात करने के नेपाल के फैसले को महत्वपूर्ण बताया। बातचीत में दोनों मंत्रियों ने व्यापार, संपर्क और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया। देउबा ने पदभार संभालने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के तहत रविवार को भारत की पांच दिवसीय यात्रा शुरू की। जयशंकर ने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘ऊर्जा, व्यापार, संपर्क और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-नेपाल सहयोग पर चर्चा हुई।'' उन्होंने कहा, "यह जानकर खुशी हुई कि नेपाल भारत को करीब 1000 मेगावाट बिजली निर्यात करेगा, जो एक महत्वपूर्ण कदम है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी ‘पड़ोस प्रथम' नीति और लोगों के बीच विशिष्ट एवं सांस्कृतिक संपर्क हमारे संबंधों को आगे बढ़ाता है।'' देउबा ने वार्ता को ‘‘सार्थक'' बताया। उन्होंने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘नयी दिल्ली में एस जयशंकर के साथ सार्थक बैठक हुई। हमने द्विपक्षीय हितों, नेपाल-भारत संबंधों के विभिन्न पहलुओं और आपसी सहयोग पर चर्चा की।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि यह यात्रा नेपाल तथा भारत के बीच सदियों पुराने संबंधों को और मजबूत करेगी।'' नेपाल की विदेश मंत्री की यह यात्रा विदेश सचिव विक्रम मिस्री की काठमांडू यात्रा के एक सप्ताह बाद हो रही है। - शिकागो। डेमोक्रेटिक पार्टी के एक शीर्ष नेता ने रविवार को कहा कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी की उम्मीदवार चुने जाने से इस चुनाव में जबरदस्त ऊर्जा और उत्साह भर गया है। उन्होंने कहा कि हैरिस बहुत सारी उम्मीदें और खुशियां लेकर आई हैं। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के अध्यक्ष जेम हैरिसन ने कहा, "डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार के रूप में मैडम उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रपति चुनाव में जबरदस्त ऊर्जा और उत्साह भर दिया है। वह चुनाव प्रचार अभियान के दौरान बहुत से युवाओं और विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से मिल रही हैं। ये लोग वास्तव में हैरिस में रुचि रखते हैं।" हैरिसन ने कहा, "हैरिस इस चुनाव में बहुत सारी उम्मीदें और खुशियां लाई हैं, जो बहुत जरूरी है, खासकर तब जब आप डोनाल्ड ट्रंप जैसे किसी व्यक्ति के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हों, जो डराने और देश को विभाजित करने की सोच रखते हैं, हमें साथ लाने की नहीं। और इसलिए, कमला हैरिस एक जबरदस्त शख्सियत हैं और वह अब तक का सबसे शानदार चुनाव प्रचार अभियान चला रही हैं।” डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के अध्यक्ष के रूप में, हैरिसन पर हर चार साल में एक बार होने वाले डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के सफल संचालन की जिम्मेदारी है, जो इस साल शिकागो में आयोजित किया जा रहा है।
- टेक्सास । 18 अगस्त को अमेरिका के ह्यूस्टन, टेक्सास में एक भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया, जिसमें 90 फीट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा का उद्घाटन हुआ. यह प्रतिमा अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है और इसे "स्टैचू ऑफ यूनियन" अभय हनुमान के नाम से जाना जाता है.इस प्रतिमा की स्थापना श्री अश्टलक्ष्मी मंदिर, शुगर लैंड, टेक्सास में की गई है. इस ऐतिहासिक परियोजना के पीछे का विचारक श्री चिन्नाजीयार स्वामीजी हैं. यह प्रतिमा भगवान हनुमान के उस महत्वपूर्ण भूमिका की यादगार है, जिसमें उन्होंने श्रीराम और सीता को मिलाने में मदद की थी.इस आयोजन ने भारतीय समुदाय के बीच एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया है. प्रतिमा का उद्घाटन समारोह ह्यूस्टन में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जा रहा है.
-
काठमांडू. नेपाल की नवनियुक्त विदेश मंत्री आरजू देउबा राणा ने रविवार को भारत की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा शुरू की और इस दौरान वह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने तथा सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि जयशंकर के निमंत्रण पर राणा भारत की यात्रा कर रही हैं। यह पदभार संभालने के बाद राणा की विदेश की पहली आधिकारिक यात्रा है। इसमें कहा गया है, ‘‘इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री राणा भारत के अपने समकक्ष जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगी और नेपाल-भारत संबंधों को मजबूत करने तथा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए परस्पर हित के मामलों पर चर्चा करेंगी।'' बयान में कहा गया है कि नेपाल और भारत के बीच आए दिन उच्च स्तरीय यात्राओं के तहत राणा की यात्रा से दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों पुराने, गहरे तथा बहुआयामी संबंध और मजबूत होंगे। नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत की ‘पड़ोसी प्रथम' नीति के तहत नेपाल उसका एक प्राथमिक साझेदार है। आगामी यात्रा से दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने तथा उसमें प्रगति की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा तथा हमारे संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।'' नेपाल के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने पहले बताया था कि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की पत्नी राणा की यात्रा प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद हो रही है जिसमें विदेश मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा का समर्थन किया गया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री की नेपाल यात्रा के एक सप्ताह बाद राणा की भारत यात्रा हो रही है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राणा (62) इस यात्रा के दौरान दिल्ली में स्वास्थ्य जांच भी कराएंगी। उनका 22 अगस्त को नेपाल लौटने का कार्यक्रम है। -
वाशिंगटन. अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के आरोपी एवं पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को बड़ा झटका देते हुए फैसला सुनाया है कि उसे प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है। ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट' ने 15 अगस्त को सुनाए अपने फैसले में कहा, ‘‘(भारत अमेरिका प्रत्यर्पण) संधि राणा के प्रत्यर्पण की अनुमति देती है।'' राणा ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' के आदेश के खिलाफ ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट' में याचिका दायर की थी। कैलिफोर्निया की अदालत ने उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अस्वीकार कर दिया था। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में मुंबई में आतंकवादी हमलों में राणा की कथित संलिप्तता के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने के मजिस्ट्रेट न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी। ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट' के न्यायाधीशों के पैनल ने ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' के फैसले की पुष्टि की। प्रत्यर्पण आदेश की बंदी प्रत्यक्षीकरण समीक्षा के सीमित दायरे के तहत, पैनल ने माना कि राणा पर लगाए गए आरोप अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अंतर्गत आते हैं। इस संधि में प्रत्यर्पण के लिए ‘नॉन बिस इन आइडेम' (किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिए दो बार दंडित नहीं किए जाने का सिद्धांत) अपवाद शामिल है। जिस देश से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया हो, यदि ‘‘वांछित व्यक्ति को उस देश में उन अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया हो या दोषमुक्त कर दिया गया हो, जिनके लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है'', तो ऐसी स्थिति में यह अपवाद लागू होता है। पैनल ने संधि की विषय वस्तु, विदेश मंत्रालय के तकनीकी विश्लेषण और अन्य सर्किट अदालतों में इस प्रकार के मामलों पर गौर करते हुए माना कि ‘‘अपराध'' शब्द अंतर्निहित कृत्यों के बजाय आरोपों को संदर्भित करता है तथा इसके लिए प्रत्येक अपराध के तत्वों का विश्लेषण आवश्यक है। तीन न्यायाधीशों के पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि सह-साजिशकर्ता की दलीलों के आधार पर किया गया समझौता किसी अलग नतीजे पर पहुंचने के लिए बाध्य नहीं करता। पैनल ने माना कि ‘नॉन बिस इन आइडेम' अपवाद इस मामले पर लागू नहीं होता, क्योंकि भारतीय आरोपों में उन आरोपों से भिन्न तत्व शामिल हैं, जिनके लिए राणा को अमेरिका में बरी कर दिया गया था। पैनल ने अपने फैसले में यह भी माना कि भारत ने मजिस्ट्रेट जज के इस निष्कर्ष का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सक्षम सबूत पेश किए हैं कि राणा ने वे अपराध किए हैं, जिनका उस पर आरोप लगाया गया है। पैनल के तीन न्यायाधीशों में मिलन डी स्मिथ, ब्रिजेट एस बेड और सिडनी ए फिट्जवाटर शामिल थे। पाकिस्तानी नागरिक राणा पर अमेरिका की एक जिला अदालत में मुंबई में बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले करने वाले एक आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था। जूरी ने राणा को एक विदेशी आतंकवादी संगठन को सहायता प्रदान करने और डेनमार्क में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की नाकाम साजिश में सहायता प्रदान करने की साजिश रचने का दोषी ठहराया था। हालांकि, इस जूरी ने भारत में हमलों से संबंधित आतंकवादी कृत्यों में सहायता प्रदान करने की साजिश रचने के आरोप से राणा को बरी कर दिया था। राणा को जिन आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था, उसने उनके लिए सात साल जेल में काटे और उसकी रिहाई के बाद भारत ने मुंबई हमलों में उसकी संलिप्तता के मामले में उस पर मुकदमा चलाने के लिए उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था। राणा को प्रत्यर्पित किए जा सकने का सबसे पहले फैसला सुनाने वाले मजिस्ट्रेट न्यायाधीश के समक्ष उसने दलील दी थी कि भारत के साथ अमेरिका की प्रत्यर्पण संधि उसे ‘नॉन बिस इन आइडेम' प्रावधान के कारण प्रत्यर्पण से संरक्षण प्रदान करती है। उन्होंने यह भी दलील दी थी कि भारत ने यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए कि अपराध उसने ही किए हैं। अदालत ने राणा की इन दलीलों को खारिज करने के बाद उसे प्रत्यर्पित किए जा सकने का प्रमाणपत्र जारी किया था। अमेरिका की जेल में बंद राणा मुंबई हमलों में संलिप्तता के आरोपों का सामना कर रहा है। उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का साथी माना जाता है, जो 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। इन आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत कुल 166 लोगों की मौत हो गई थी।
-
बीजिंग. स्कूली छात्रा लेई मुजी ने चीन में भरतनाट्यम “अरंगेत्रम” की प्रस्तुति दे कर इतिहास रच दिया। इसे पड़ोसी देश में लोकप्रियता हासिल कर रही प्राचीन भारतीय नृत्य शैली की यात्रा में एक मील के पत्थर के तौर पर देखा जा रहा है। लेई (13) ने रविवार को यहां प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना लीला सैमसन, भारतीय राजनयिकों और बड़ी संख्या में चीनी प्रशंसकों के समक्ष अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। भारतीय शास्त्रीय कला और नृत्य शैलियों को सीखने और उनके प्रदर्शन के लिये दशकों तक अपना जीवन समर्पित करने वाले उत्साही चीनी प्रशंसकों के लिए मंच पर उनका पदार्पण एक ऐतिहासिक क्षण और मील का पत्थर था, क्योंकि यह चीन में पहली बार “अरंगेत्रम” - भरतनाट्यम का दीक्षांत समारोह - था। दक्षिण भारत के प्राचीन नृत्य, अरंगेत्रम (जैसा कि इसे तमिल में कहा जाता है) के कलाकार, दर्शकों के अलावा शिक्षकों और विशेषज्ञों के सामने मंच पर अपनी पहली प्रस्तुति देते हैं। केवल ‘अरंगेत्रम' के बाद ही छात्रों को स्वयं प्रदर्शन करने या महत्वाकांक्षी नर्तकों को प्रशिक्षित करने की अनुमति दी जाती है। कार्यक्रम में शामिल भारतीय दूतावास के संस्कृति मामलों के प्रभारी प्रथम सचिव टी.एस. विवेकानंद ने कहा, “यह चीन में पूर्ण रूप से प्रशिक्षित और चीन में प्रस्तुत किया गया पहला अरंगेत्रम है।” उन्होंने बताया कि यह बहुत ही पारंपरिक तरीके से किया गया ‘अरंगेत्रम' था।
लेई को प्रशिक्षित करने वाली प्रसिद्ध चीनी भरतनाट्यम नृत्यांगना जिन शान शान ने कहा, “लेई का अरंगेत्रम ऐसा प्रशिक्षण है जिसे एक चीनी शिक्षक द्वारा प्रशिक्षित चीनी छात्रों ने चीन में पूरा किया है, जो भरतनाट्यम विरासत के इतिहास में एक मील का पत्थर है।” भारतीय राजदूत प्रदीप रावत की पत्नी श्रुति रावत लेई के अरंगेत्रम में मुख्य अतिथि थीं।
लीला सैमसन के अलावा चेन्नई से आए संगीतकारों की एक टीम ने लेई के लिए शास्त्रीय गीत गाए।
लेई इस महीने के अंत में चेन्नई में प्रस्तुति देने वाली हैं। लेई को डुडू के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि 2014 में जिन के स्कूल में शामिल होने के बाद से ही उन्हें भरतनाट्यम से प्यार हो गया था। उन्होंने कहा, “मुझे इससे पूरी तरह से प्यार हो गया। मैं अब तक नृत्य करती रही हूं। मेरे लिए भरतनाट्यम न केवल एक सुंदर कला और नृत्य रूप है, बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक भी है। - काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नेपाल आने का रविवार को निमंत्रण दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री सचिवालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार ओली ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को यात्रा के लिए निमंत्रण दिया। मिस्री ने नेपाली प्रधानमंत्री से एक शिष्टाचार भेंट की। ओली ने पिछले महीने चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सरकार के प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाने के बाद उन्होंने पदभार संभाला था। मिस्री ने पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से काठमांडू के बाहरी इलाके बुधनीलकांठा में उनके आवास पर मुलाकात की। देउबा के कार्यालय के अनुसार बैठक के दौरान उन्होंने आपसी हित से संबंधित विभिन्न मामलों पर चर्चा की।
- विन्हेडो। ब्राजील के साओ पाउलो प्रांत में शुक्रवार को हुए विमान हादसे में मारे गए सभी 62 लोगों के अवशेष बरामद होने के साथ ही बचाव अभियान समाप्त कर दिया गया। मृतकों के परिजन अपने प्रियजनों की शिनाख्त करने और उन्हें दफनाने के लिए साओ पाउलो पहुंच रहे हैं। विमानन कंपनी वेपास ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त ‘एटीआर72' विमान में 58 यात्री और चालक दल के चार सदस्य सवार थे। उसने बताया कि विमान ग्वारूलोस में साओ पाउलो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जा रहा था, तभी यह विन्हेडो में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कंपनी ने पहले बताया था कि उसके विमान में 62 यात्री सवार थे, लेकिन बाद में उसने संख्या को संशोधित कर 61 कर दिया और शनिवार सुबह एक बार फिर संख्या बढ़ा दी, जब उसने पाया कि कॉन्स्टेंटिनो माइया नामक यात्री का नाम उसकी मूल सूची में नहीं था। साओ पाउलो सरकार ने एक बयान में कहा कि बचाव अभियान शनिवार को स्थानीय समयानुसार शाम 6.30 बजे समाप्त हो गया। उसने बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने विमान के पायलट और सह-पायलट के शवों की पहचान कर ली है तथा मलबे से 34 पुरुषों व 28 महिलाओं के शव बरामद किए गए हैं। ब्राजील के अधिकारियों ने शुक्रवार को सभी शव मुर्दाघर में स्थानांतरित कर दिए और परिजनों से मृतकों की पहचान करने में मदद के लिए किसी भी चिकित्सकीय जांच, एक्स-रे या दंत परीक्षण की रिपोर्ट लाने को कहा। शवों की पहचान करने के लिए खून की जांच भी की गई। विन्हेडो में पत्रकारों से बात करते हुए साओ पाउलो के सार्वजनिक सुरक्षा सचिव गिलहर्मे डेर्राइट ने कहा कि विमान का ‘ब्लैक बॉक्स' बरामद कर लिया गया है, जो स्पष्टतः संरक्षित अवस्था में है। ब्राजील की वायुसेना ने बताया कि विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स राजधानी ब्रासीलिया स्थित विश्लेषण प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं। उसने कहा कि हमें उम्मीद है कि 30 दिनों के भीतर जांच के नतीजे सामने आ जाएंगे।
-
विन्हेडो . ब्राजील के साओ पाउलो प्रांत में एक यात्री विमान के रिहायशी इलाके में शुक्रवार रात दुर्घटनाग्रस्त होने से विमान में सवार सभी 61 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों और विमानन कंपनी ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
अधिकारियों ने बताया कि यह विमान साओ पाउलो से 80 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित विन्हेडो में रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ लेकिन यह जानकारी नहीं है कि इस दुर्घटना में कोई स्थानीय नागरिक भी मारा गया है अथवा नहीं। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इस हादसे में किसी स्थानीय नागरिक की जान नहीं गई है।
विमानन कंपनी वेपास ने बताया कि 'एटीआर72' विमान में 57 यात्री और चालक दल के चार सदस्य मौजूद थे। उसने बताया कि विमान साओ पाउलो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ग्वारूलोस की ओर जा रहा था तभी यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कंपनी ने यात्रियों के नाम की सूची जारी की है, लेकिन इसमें उनकी राष्ट्रीयता नहीं बताई गई है। उसने पहले एक बयान में कहा था कि विमान में 58 यात्री सवार थे। विमानन कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘ कंपनी को यह बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि उड़ान संख्या 2283 में सवार सभी 61 लोगों की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस समय, पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद मुहैया कराना वेपास की प्राथमिकता है। कंपनी हादसे की वजहों का पता लगाने के लिए अधिकारियों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग कर रही है।'' राष्ट्रपति लुइस इनासियो लूला डी सिल्वा ने दक्षिण ब्राजील में एक समारोह के दौरान वहां मौजूद लोगों से इस घटना में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखने का आग्रह किया और उन्होंने तीन दिन के शोक की घोषणा की। घटनास्थल पर अग्निशमन विभाग की कर्मी, पुलिस और नागरिक सुरक्षा प्राधिकरण की टीम मौजूद है। साओ पाउलो के जन सुरक्षा सचिव गिलहर्मे डेर्रिटे ने पत्रकरों से बातचीत करते हुए इस बात की पुष्टि की कि इस घटना में कोई भी व्यक्ति नहीं बच पाया है। उन्होंने यह भी कहा कि विमान का 'फ्लाइट रिकॉर्ड' भी बरामद कर लिया गया है। दुर्घटनास्थल के पास एक प्रत्यक्षदर्शी एना लूसिया डी लीमा ने संवाददाताओं को बताया, ''मुझे लगा कि विमान हमारे घर के आंगन में गिरेगा।यह डरावना था, लेकिन ईश्वर का शुक्र है कि इस घटना में किसी भी स्थानीय व्यक्ति की मौत नहीं हुई है, हालांकि विमान में सवार सभ लोगों की मौत हो गई है।'' ‘एसोसिएटेड प्रेस' को एक प्रत्यक्षदर्शी से वीडियो मिला है जिसमें कम से कम दो शव जलते हुए मलबे के टुकड़ों के बीच पड़े हुए नजर आ रहे हैं। ब्राजील के टेलीविजन नेटवर्क 'ग्लोबो' ने मौसम विज्ञान केंद्र की एक रिपोर्ट प्रसारित की, जिसमें बताया गया कि विन्हेडो में बर्फ जमी हुई है। वहीं, स्थानीय मीडिया ने विश्लेषकों के हवाले से बताया कि संभवत: बर्फ जमने के कारण ही विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। वहीं ब्राजील की वायुसेना के हवाई दुर्घटनाओं की जांच एवं रोकथाम केंद्र के लेफ्टिनेंट कर्नल कार्लोस हेनरिक बाल्दी ने संवाददाताओं से कहा कि यह पुष्टि करना अभी जल्दबाजी होगी कि दुर्घटना बर्फ जमी होने के कारण हुई। केंद्र ने इससे पहले एक बयान में कहा था कि विमान चालकों ने मदद के लिए कोई फोन नहीं किया और न ही यह बताया कि वे प्रतिकूल मौसम में उड़ान भर रहे थे। ब्राजील की पुलिस ने एक बयान में कहा कि उसने इस घटना की जांच शुरू कर दी है तथा मृतकों की पहचान के लिए विशेषज्ञों को घटनास्थल पर भेज दिया है। - ढाका: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में देश की कमान संभाल ली है. बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ले ली है. यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभालने के लिए गुरुवार को पेरिस से ढाका पहुंचे. मोहम्मद यूनुस के सामने सबसे पहली चुनौती देश में शांति और कानून व्यवस्था कायम करने की है. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रुप में शपथ दिलाई.मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार बनाया गया है. इसका दर्जा प्रधानमंत्री के बराबर होगा. इस शपथ ग्रहण समारोह में कई देशों के राजदूत, शीर्ष कारोबारी और नागरिक संगठनों के सदस्यों के साथ ही मुख्य विपक्षी दल के नेता भी मौजूद थे. यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में हुआ.पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी का कोई सदस्य शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुआ. नई सरकार चलाने के लिए मोहम्मद यूनुस के अलावा कैबिनेट में 16 और सदस्यों को शामिल किया गया है. 83 साल के मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख सलाहकार बनाने की मांग बांग्लादेश में आंदोलन कर रहे छात्रों ने रखी थी. पिछले एक महीने से आंदोलन कर रहे छात्रों के दबाव के आगे आखिरकार 15 साल से देश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को इस्तीफा दे कर देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद से देश में अशांति और अव्यवस्था है. देश की सेना फिलहाल व्यवस्था संभालने की कोशिश कर रही है.
-
ढाका. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने मंगलवार रात को यह जानकारी दी। यह निर्णय राष्ट्रपति शहाबुद्दीन और ‘भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन' के समन्वयकों के बीच हुई बैठक में लिया गया। इस बैठक में तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख भी मौजूद थे। प्रेस सचिव ने कहा कि अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किए जाएंगे।‘डेली स्टार' समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन के प्रमुख समन्वयकों में से एक नाहिद इस्लाम ने मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा कि प्रोफेसर यूनुस छात्र समुदाय के आह्वान पर देश को बचाने की खातिर यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हो गए हैं। नाहिद ने कहा, ‘‘अंतरिम सरकार के लिए रूपरेखा की घोषणा करने में हमने 24 घंटे लिए। हालांकि, आपातकालीन स्थिति को देखते हुए हम इसकी घोषणा अब कर रहे हैं।'' नाहिद के साथ दो अन्य समन्वयक थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने निर्णय लिया है कि अंतरिम सरकार बनाई जाएगी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस मुख्य सलाहकार होंगे। उनकी स्वीकार्यता व्यापक है।'' इस घोषणा के कुछ ही घंटों पहले बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने घोषणा की थी कि संसद को भंग करने के बाद जल्द से जल्द अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। शहाबुद्दीन ने सोमवार देर रात टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का भी आदेश दिया है, जो कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से घर में नजरबंद हैं। नाहिद ने राष्ट्रपति से डॉ. यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम की घोषणा जल्द ही की जाएगी। उन्होंने व्यापक पैमाने पर हो रही हिंसा के बारे में कहा कि यह हिंसा ‘‘अपदस्थ फासीवादियों और उनके सहयोगियों'' द्वारा क्रांति को विफल करने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि देश में अराजकता है और लोगों के जीवन को खतरा है, इसलिए हम राष्ट्रपति से आग्रह करते हैं कि वह देश में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाएं तथा स्वतंत्रता चाहने वाले छात्र भी कानून प्रवर्तन बलों की सहायता के लिए सड़कों पर उतरेंगे।'' नाहिद ने कहा, ‘‘छात्रों द्वारा प्रस्तावित सरकार के अलावा किसी अन्य सरकार को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जैसा कि हमने कहा है, कोई भी सैन्य सरकार या सेना द्वारा समर्थित सरकार या फासीवादियों की सरकार स्वीकार नहीं की जाएगी।'' बांग्लादेश में सोमवार को उस समय अराजकता फैल
-
वाशिंगटन. अमेरिका ने कहा है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और बांग्लादेशी लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को वाशिंगटन में अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम बांग्लादेश के लोगों को बांग्लादेश की सरकार का भविष्य निर्धारित करते हुए देखना चाहते हैं।” बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने से अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। ढाका में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने कहा है कि एक अंतरिम सरकार कार्यभार संभालने जा रही है और सेना देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा उठाएगी। हसीना के देश छोड़ने की खबर आते ही हजारों प्रदर्शनकारी उनके आवास में घुस गए और तोड़फोड़ व लूटपाट की। बाद में हसीना लंदन जाने की अपनी योजना के तहत भारत में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरीं। मिलर ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका बांग्लादेश के हालात पर करीबी नजर रख रहा है और वह देश में हिंसा समाप्त करने तथा पिछले कुछ हफ्तों में हुई मौतों के लिए जवाबदेही तय करने का आह्वान करता है। उन्होंने कहा, “अंतरिम सरकार के संबंध में सभी फैसले लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और बांग्लादेशी लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए किए जाने चाहिए।” मिलर ने कहा, “अब, जवाबदेही कैसी होनी चाहिए, यह बांग्लादेशी कानून के तहत तय किया जाना चाहिए। जाहिर है, हिंसा के कृत्यों, कानून का उल्लंघन करने वाले कृत्यों के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।” एक सवाल के जवाब में मिलर ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने अमेरिका से शरण मांगी है या नहीं। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ हफ्तों में हुई हिंसा और मौतों के मद्देनजर यह जरूरी है कि हम इन मौतों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण एवं पारदर्शी जांच कराएं। जहां तक अंतरिम सरकार का सवाल है, हमारा मानना है कि यह महत्वपूर्ण है कि हम बांग्लादेशी लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करें और लोकतांत्रिक शासन की संभावनाएं तलाशें।” मिलर ने जोर देकर कहा कि अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ अपने रिश्ते को काफी महत्व देता है। उन्होंने कहा, “हम इसे जारी रखना चाहते हैं। भविष्य में क्या हो सकता है, इसके बारे में जानने का अनुरोध करने वालों और सवाल पूछने वालों से मैं यह आग्रह करूंगा कि प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे को अभी 12 घंटे भी नहीं बीते हैं।” मिलर ने कहा कि अमेरिका बांग्लादेश की स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रख रहा है। उन्होंने कहा, “अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है। हम सभी पक्षों से और हिंसा से बचने का आग्रह करते हैं। पिछले कई हफ्तों के दौरान बहुत सारी जानें गई हैं और हम आने वाले दिनों में शांति एवं संयम बरतने का आग्रह करते हैं।” मिलर ने कहा, “हम अंतरिम सरकार के गठन संबंधी घोषणा का स्वागत करते हैं और आग्रह करते हैं कि कोई भी सत्ता परिवर्तन बांग्लादेश के कानूनों के अनुसार किया जाए। हम पिछले कुछ हफ्तों में देश में मानवाधिकारों के हनन, लोगों की जान जाने और उनके घायल होने की खबरों से बहुत दुखी हैं। हम उन लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है और जो हिंसा का दंश झेल रहे हैं।” पिछले दो दिनों में, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।
बांग्लादेश में छात्रों का विरोध-प्रदर्शन पिछले महीने विवादास्पद नौकरी आरक्षण योजना के खिलाफ शुरू हुआ था। यह प्रदर्शन बाद में सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया। वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान इस विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था के तहत किया गया था। -
नई दिल्ली। आज से 50 वर्ष पहले यानी 1975 की तारीख 15 अगस्त को शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान, उनकी माता और उनके तीन भाइयों समेत 18 सदस्यों की सैन्य अधिकारियों ने उनके घर में ही हत्या कर दी थी। बांग्लादेश को 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता मिलने के बाद उनके पिता मुजीबुर रहमान देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने थे।
शेख हसीना की जान इसलिए बच पाई क्योंकि, वह अपनी छोटी बहन शेख रेहाना के साथ विदेश में थीं। शेख हसीना के पति न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे और वे जर्मनी में थे। पिता की हत्या के 15 दिन पहले ही शेख हसीना बांग्लादेश से जर्मनी गईं थीं। यानी 30 जुलाई 1975 को शेख हसीना और शेख रेहाना ने अपने पिता-माता और 3 भाइयों को अंतिम बार देखा था। जब वे जर्मनी जा रही थीं तो शायद इतना भी नहीं भांप पाईं होंगी कि महज 15 दिन के भीतर पूरा परिवार नष्ट होने वाला है।कैसे इंदिरा गांधी ने शेख हसीना को जर्मनी से बुलाया था भारतउस समय भारत की आयरन लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मुजीबुर रहमान की बेटी और आयरन लेडी कही जाने वाली शेख हसीना और उनकी बहन की चिंता हुई और उन्होंने हसीना को भारत में शरण देने का फैसला लिया। उन्होंने जर्मनी में अपने राजदूत हुमायूं राशिद चौधरी को हसीना के पास भेजा और दोनों बहनों को भारत बुला लिया। वह ऐसा दौर था, जब हसीना के ऊपर असुरक्षा की तलवार लटक रही थी। हालांकि, प्लान बनाया गया और 24 अगस्त 1975 को दोपहर में शेख हसीना अपने पति के साथ जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से एयर इंडिया के विमान से उड़ान भरीं और 25 अगस्त, 1975 की सुबह भारत में कदम रखा। हसीना को उस समय 56 रिंग रोड स्थित एक सेफ हाउस में रखा गया। इंदिरा गांधी को उनकी सुरक्षा की काफी चिंता थी और इसलिए यहां तक कि उनकी असली पहचान भी छिपाई गई। उन्हें मिस्टर और मिसेज मजूमदार के नाम से बुलाया जाता था। कुछ दिनों बाद शेख हसीना को रहने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच पंडारा पार्क के सी ब्लॉक स्थित तीन कमरों के एक मकान दिया गया।1981 में अपने वतन लौंट गईं थी शेख हसीनाहसीना ने भारत में छह साल निर्वासन में बिताए, बाद में उन्हें उनके पिता द्वारा स्थापित पार्टी अवामी लीग का नेता चुना गया। हसीना 17 मई, 1981 में अपने देश बांग्लादेश लौट आईं और सेना द्वारा शासित देश में लोकतंत्र की मुखर आवाज बनीं, जिसके कारण उन्हें कई बार नजरबंद रखा गया। हसीना को एक समय सैन्य शासित बांग्लादेश को स्थिरता प्रदान करने के लिए जाना जाता है, लेकिन साथ ही उनके विरोधियों द्वारा उन्हें एक ‘निरंकुश’ नेता बताकर उनकी आलोचना भी की जाती है। 76 साल की शेख हसीना सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली दुनिया की कुछ चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं।1996 में पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी शेख हसीनाबांग्लादेश में 1991 के आम चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में विफल रही। उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी की खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं। हसीना को 2001 के चुनाव में सत्ता से बाहर कर दिया गया था, लेकिन 2008 के चुनाव में वह भारी जीत के साथ सत्ता में लौट आईं। तब से खालिदा जिया के नेतृत्व वाली BNP मुश्किल में फंसी हुई है।2004 में हुई थी शेख हसीना की हत्या की कोशिशवर्ष 2004 में हसीना की हत्या की कोशिश की गई थी, जब उनकी रैली में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ था। हसीना ने 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद 1971 के युद्ध अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए एक न्यायाधिकरण की स्थापना की। न्यायाधिकरण ने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए।इस्लामिस्ट पार्टी और BNP की प्रमुख सहयोगी जमात-ए-इस्लामी को 2013 में चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। BNP प्रमुख खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। BNP ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था, लेकिन 2018 में इसमें शामिल हुई।उस चुनाव के बारे में बाद में पार्टी नेताओं ने कहा कि यह एक गलती थी, और आरोप लगाया कि मतदान में व्यापक धांधली और धमकी दी गई थी। हसीना ने पिछले 15 सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक का नेतृत्व किया और दक्षिण एशियाई राष्ट्र के जीवन स्तर में सुधार किया।शेख हसीना 2009 से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस दक्षिण एशियाई देश की बागडोर संभाल रही थीं। उन्हें जनवरी में हुए 12वें आम चुनाव में लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री चुना गया। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और उसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था।1960 में हुआ था शेख हसीना का पूर्वी पाकिस्तान में जन्मसितंबर 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जन्मीं हसीना 1960 के दशक के अंत में ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान राजनीति में सक्रिय हो गईं। पाकिस्तानी सरकार द्वारा अपने पिता की कैद के दौरान उन्होंने उनके राजनीतिक संपर्क सूत्र के रूप में कार्य किया।आयरन लेडी कही जाती हैं शेख हसीनाएक समाचार वेबसाइट ने कई साल पहले उन्हें ‘‘आयरन लेडी’’ का टाइटल दिया था और तब से पश्चिमी मीडिया द्वारा उन्हें संदर्भित करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। हसीना ने दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट से निपटने के लिए तारीफ बटोरी। यह वह दौर था जब 2017 में अपने देश में सेना की कार्रवाई के बाद उत्पीड़न से बचने के लिए पड़ोसी देश म्यांमा से भागकर आए दस लाख से अधिक रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली थी।हसीना को भारत और चीन के प्रतिद्वंद्वी हितों के बीच कुशलतापूर्वक बातचीत करने का श्रेय भी दिया जाता है। चुनावों से पहले उन्हें दोनों प्रमुख पड़ोसियों और रूस का समर्थन प्राप्त हुआ। उनके करीबी लोग कहते थे कि प्रधानमंत्री एक “काम में डूबी रहने वाली” महिला हैं और वह रोजाना इस्लाम के नियमों का पालन करती हैं। राजनीतिक विरोधियों ने हसीना की सरकार को एक “निरंकुश” और भ्रष्ट शासन बताया, जबकि नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोगों और अधिकार समूहों ने उस पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया।


.jpg)





.jpg)


.jpg)


.jpg)





.jpg)




.jpg)
.jpeg)
