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- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में सूक्ष्म, लघु और मंझौले उद्यम-एमएसएमई क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान चैंपियंस का शुभारंभ किया। चैंपियंस प्लेटफार्म देश में सभी सूक्ष्म, लघु और मंझौले उद्यमों के लिए सभी तरह के समाधान एक ही जगह उपलब्ध करायेगा। इससे इस क्षेत्र को सुदृढ़ बनाकर उत्पादन बढाने में मदद मिलेगी। इस प्लेटफार्म पर एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित फाइनेंस, कच्चे माल और सभी तरह की अनुमति के साथ शिकायतों का समाधान भी किया जा सकेगा।चैंपियंस प्लेटफार्म से कारोबारियों को अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए नये रास्ते तलाशने में मदद मिलेगी। इससे संभावित उद्यमियों को टेलीफोन, इंटरनेट और वीडियो कांफ्रेंस सहित आधुनिक संचार माध्यमों के जरिये प्रोत्साहन दिया जा सकेगा।
- मुंबई। लॉकडाउन (कोविड19 के कारण आने जाने पर रोक) को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने से उत्साहित निवेशकों ने आज बाजार शेयर बाजारों को अच्छा समर्थन दिया जिससे प्रमुख सूचकांकों में अच्छा सुधार दिखा। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड तथा टीसीएस के शेयरों में बढ़त से मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 879 अंक उछलकर 33,303 अंक पर पहुंच गया।वैश्विक बाजारों में मजबूती से भी स्थानीय बाजार को बल मिला। दिन में बीएसई-30 सेंसेक्स एक समय तक 1,250 अंक के उछाल पर था। कारोबार की समाप्ति पर यह पिछले बंद के मुकाबले 879.42 अंक यानी 2.57 प्रतिशत बढ़कर 33,303.52 अंक पर बंद हुआ।नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयर वाला एनएसई निफ्टी 245.85 अंक यानी 2.57 प्रतिशत बढ़कर 9,826.15 अंक पर बंद हुआ। बजाज फाइनेंस का शेयर करीब 11 प्रतिशत लाभ में रहा। टाइटन, टाटा स्टील, स्टेट बैंक, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, एचडीएफसी, इंडसइंड बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में भी बढ़त रही। इसके विपरीत सन फार्मा, नेस्ले इंडिया और अल्ट्रा टेक सीमेंट के शेयरों में गिरावट का रूख रहा।ब्रोकिंग फर्म आनंद राठी के इक्विटी शोध प्रमुख नरेन्द्र सोलंकी के अनुसार एशियाई बाजारों में तेजी के रुख के बीच भारतीय बाजारों में सप्ताह की शुरुआत सकारात्मक रही। अर्थव्यवस्था के कोरोना वायरस लॉकडाउन से धीरे धीरे बाहर निकलने की उम्मीद से बाजार का विश्वास बढ़ा है।--
- नई दिल्ली। आतिथ्य सत्कार क्षेत्र ने सरकार के आठ जून से होटलों, रेस्त्रां और अन्य आतिथ्य सेवाओं को फिर से खोलने की अनुमति देने के फैसले का स्वागत किया है।होटल व रेस्तरां उद्योग के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन दिशा निर्देशों को अधिक स्पष्ट रखने की आवश्यकता है। एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्श सिंह कोहली ने कहा, यह एक स्वागत योग्य कदम है। लेकिन दिशा-निर्देशों पर कोई स्पष्टता नहीं है। इन पर केंद्र और राज्यों के बीच उचित समन्वय होना चाहिये। ईजमायट्रिप के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निशांत पिट्टी ने कहा कि यह कदम उद्योग जगत में धारणा को बेहतर बनायेगा। उन्होंने कहा, होटल और रेस्तरां दोनों अपने परिचालन को फिर से शुरू कर रहे हैं, इससे आतिथ्य क्षेत्र को राहत मिलेगी। हालांकि अधिक किराया और कम मांग के कारण, मुझे लगता है कि लगभग 50 प्रतिशत रेस्तरां अभी भी अपने संचालन को फिर से शुरू नहीं करेंगे।---
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नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने गुरुवार को कर-दाताओं को तत्काल पैन नंबर आवंटित करने की सुविधा देने वाली सुविधा का विधिवत् शुभारंभ किया।
यह सुविधा ऐसे आवेदकों को मिलेगी जिनके पास वैध आधार संख्या के साथ-साथ आधार से जुड़ा पंजीकृत मोबाइल फोन नम्बर भी होगा। आवंटन की प्रक्रिया में कागज का इस्तेमाल नहीं होगा और आवेदक को नि:शुल्क इलेक्टॉनिक पैन या ई-पैन आवंटित किया जाएगा। आयकर विभाग ने आधार नम्बर वाले आवेदकों को तत्काल पैन नम्बर आवंटित करने की सुविधा 12 फरवरी को परीक्षण के तौर पर शुरू की थी। तब से 25 मई तक छह लाख 77 हजार पैन नम्बर हाथों हाथ आवंटित किए गए हैं और इसमें करीब दस मिनट का समय लगा है।कर-दाताओं को आयकर विभाग ने अब तक कुल 50 करोड़ 52 लाख पैन नम्बर आवंटित किए हैं जिनमें से 49 करोड 39 लाख व्यक्तिगत आयकरदाता और 32 करोड़ 17 लाख आधार से जुड़े कर दाता हैं। हाथों हाथ पैन नम्बर प्राप्त करने के इच्छुक आवेदक को आयकर विभाग की ई-फाईलिंग वेबसाइट पर जाकर अपना आधार नम्बर उपलब्ध कराना होता है। इसके बाद उन्हें पंजीकृत मोबाइल फोन पर प्राप्त ओ टी पी को भेजना होगा। इसके साथ ही पैन नम्बर आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी है और पन्द्रह डिजिट वाला पावती नम्बर आवेदक को दे दिया जाएगा है। अगर आवेदक को अपने आवेदन की स्थिति का पता करना हो तो वह आधार नम्बर भेजकर इसकी जानकारी हासिल कर सकता है। - नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने ब्रिक्स देशों के मूल्यों को संरक्षित रखते हुए नव विकास बैंक (एनडीबी) को एक वैश्विक विकास संस्थान के रूप में विकसित करने की जरूरत पर बल दिया।बुधवार को उन्होंने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) नेताओं के 2014 में दिये गये दृष्टिकोण को बहुत जल्दी वास्तविक रूप देने में बेहतर नेतृत्व प्रदान करने के लिए एनडीबी के निवर्तमान अध्यक्ष के वी कामथ की सराहना की। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए कोविड-19 आपातकालीन कार्यक्रम ऋण उत्पाद पेश कर बड़ी तेजी से उठाए गए कदम को उनके एक अहम योगदान के रूप में याद किया जाएगा। कामथ का कार्यकाल पूरा हो रहा है । उन्हें 2015 में पांच साल के लिये संस्थान का प्रमुख बनाया गया था।ब्राजील के मार्कोस ट्रॉयजो एनडीबी के नये अध्यक्ष होंगे और वह कामथ का स्थान लेंगे। एनडीबी के निदेशक मंडल की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये हुई विशेष बैठक में उपाध्यक्ष और मुख्य जोखिम अधिकारी अनिल किशोरा की नियुक्ति को भी मंजूरी दी गयी। वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के वित्तपोषण में एनडीबी के अहम योगदान की सराहना की जिसका भारत सहित सदस्य देशों के विकास एजेंडे पर सकारात्मक असर रहा है। उन्होंने कहा, एनडीबी ने छोटी सी अवधि में सदस्य देशों में कुल 16.6 अरब डालर के निवेश की 55 परियोजनाओं को मंजूरी दी है और यह निश्चित तौर पर एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। सीतारमन ने यह भी उल्लेख किया कि बैंक ने सफलतापूर्वक अपनी एक विशिष्ट पहचान बना ली है और यह गर्व से कंधे से कंधा मिलाकर अन्य बहुपक्षीय विकास बैंक के साथ खड़ा है। वित्त मंत्री ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई टीम की अगुवाई में संस्थान सदस्य देशों को ऋण देने, पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता और प्रभावी तरीके से काम के मामले में आगे भी बेहतर काम करता रहेगा। ब्रिक्स देशों ने 2014 में एनडीबी का गठन किया। इसका मकसद ब्रिक्स एवं अन्य उभरते देशों एवं विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा और सतत विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिये संसाधन जुटाना है।--
- - दोनों महारत्न कंपनियां अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, भंडारण, ई- परिवर्ततनीयता, और ईएसजी (पर्यावरणीय, सामाजिक एवं प्रबंधन) के अनुकूल परियोजनाओं में अवसरों का पता लगाएंगीनई दिल्ली। ऊर्जा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) ने अक्षय ऊर्जा व्यापार के वास्ते एक संयुक्त उपक्रम कंपनी बनाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं । इस समझौता ज्ञापन से दोनों कंपनियां अब ऊर्जा क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को तेजी से आगे बढऩे में सक्षम होंगी।समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एनटीपीसी के निदेशक (वाणिज्यिक) श्री ए के गुप्ता और ओएनजीसी के निदेशक (वित्त) एवं व्यापार विकास तथा संयुक्त उपक्रम के प्रभारी सुभाष कुमार ने किए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की यह गतिविधि वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एनटीपीसी के मुख्य प्रबंधक निदेशक (सीएमडी) गुरदीप सिंह और ओएनजीसी के प्रबंध निदेशक (सीएमडी) श्री शशि शंकर की उपस्थिति में हुई। इस मौके पर दोनों कंपनियों के अन्य निदेशक और अधिकारी भी मौजूद थे।समझौते के अनुसार, एनटीपीसी और ओएनजीसी भारत और विदेश में ऑफशोर विंड और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना से जुड़ी संभावनाओं का पता लगाएंगी। दोनों कंपनियां संवहनीयता भंडारण, ई-परिवर्तनीयता और ईएसजी (पर्यावरणीय, सामाजिक एवं प्रबंधन) के अनुकूल परियोजनाओं के क्षेत्र में भी संभावनाओं का पता लगाएंगी ।एनटीपीसीके पास अभी 920 मेगावाट की स्थापित अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं हैं और लगभग 2300 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं अभी निर्माण की प्रक्रिया में हैं । इस समझौते से एनटीपीसी अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता योग कार्यक्रम में तेजी लाएगी और ऑफशोर विंड और विदेश में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में अपनी मौजूदगी का विस्तार करेंगी। इससे भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी को 2032 तक 32 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी ।ओएनजीसी के पास अभी 176 मेगा वाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं हैं जिसमें 153 मेगावाट पवन ऊर्जा और 23 मेगावाट सौर ऊर्जा शामिल हैं। इस नए समझौते से अक्षय उर्जा व्यापार में ओएनजीसी की मौजूदगी बढ़ेगी और 2040 तक यह अपने पोर्टफोलियो में 10 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) अक्षय उर्जा जोडऩे का अपना लक्ष्य हासिल करनेमें सक्षम होगी।एनटीपीसी समूह के पास कुल स्थापित क्षमता 62110 मेगावाट की है। इनमें एनटीपीसी के पास 70 ऊर्जा केंद्र हैं जिनमें 25 संयुक्त उपक्रम सहित, 24 कोयला, 7 संयुक्त गैस/द्रव्य, 1 हाइड्रो, और 13 अक्षय ऊर्जा केंद्र हैं।----
- मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज किस्त भुगतान पर स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया। गौरतलब है कि चार दशकों से अधिक समय में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आने की आशंका है।आरबीआई ने प्रमुख उधारी दर रेपो को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अचानक हुई बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। इस कटौती के बाद रेपो दर घटकर चार प्रतिशत रह गई है, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत रह गई है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने पिछली बार 27 मार्च को रेपो दर (जिस दर पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है) में 0.75 प्रतिशत की कमी करते हुए इसे 4.40 प्रतिशत कर दिया था। दास ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के कारण कर्ज अदायगी पर स्थगन को तीन और महीने यानि अगस्त तक बढ़ा दिया गया है, ताकि कर्जदारों को राहत मिल सके।इससे पहले मार्च में केंद्रीय बैंक ने एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच सभी सावधि ऋण के किस्त की भुगतान पर तीन महीनों की मोहलत दी थी। इसके साथ ही इस तरह के सभी ऋणों की अदायगी पर रोक को तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। कर्ज पर किस्त भुगतान के तहत लोगों से कर्ज के लिए उनके खातों से ईएमआई नहीं ली गई। रिजर्व बैंक की ताजा घोषणा के बाद 31 अगस्त को ऋण स्थगन की अवधि खत्म होने के बाद ही ईएमआई भुगतान शुरू होगा।आरबीआई ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वित्त वर्ष 2020-21 में नकारात्मक रह सकती है। दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और मुद्रास्फीति के अनुमान बेहद अनिश्चित हैं। उन्होंने कहा, दो महीनों के लॉकडाउन से घरेलू आर्थिक गतिविधि बुरी तरह प्रभावित हुई है। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि शीर्ष छह औद्योगिक राज्य, जिनका भारत के औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत योगदान है, वे मोटेतौर पर लाल या नारंगी क्षेत्र में हैं।उन्होंने कहा कि मांग में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और बिजली तथा पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटी है। गवर्नर ने कहा कि सबसे अधिक झटका निजी खपत में लगा है, जिसकी घरेलू मांग में 60 फीसदी हिस्सेदारी है। दास ने कहा कि मांग में कमी और आपूर्ति में व्यवधान के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि 2020-21 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में कुछ सुधार की उम्मीद है। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बेहद अनिश्चित है और दालों की बढ़ी कीमतें चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी लाने के लिए आयात शुल्क की समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रमुख मुद्रास्फीति की दर स्थिर रह सकती है और दूसरी छमाही में इसमें कमी आ सकती है। उनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में मु्द्रास्फीति की दर चार प्रतिशत से नीचे आ सकती है।इसके अलावा दास ने कहा कि महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने से सरकार का राजस्व बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। इसके अलावा बैंकों द्वारा कॉरपोरेट को दी जाने वाली ऋण राशि को उनकी कुल संपत्ति के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसे में बैंक कंपनियों को अधिक कर्ज दे सकेंगे।---
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से के रूप में अप्रैल और मई माह की किस्त के तौर पर कुल 92 हजार 77 करोड़ रुपये जारी किए हैं।केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के कार्यालय ने ट्वीट कर कहा, भारत सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा... अप्रैल और मई के लिए 92 हजार 77 करोड़ रुपये जारी कर दिया है। इसमे अप्रैल माह के 46,038.10 करोड़ रुपये और मई के लिए 46,038.70 करोड़ रुपये जारी किए गए। ट्वीट में कहा गया है कि जारी की गई राशि बजट अनुमान 2020-21 की प्राप्तियों के अनुमान पर आधारित है। यह राशि वास्तविक कर प्राप्तियों के अनुरूप नहीं दी गई है। वित्त मंत्री कार्यालय ने कहा कि संकट के इस समय में राज्यों के नकदी प्रवाह को कायम रखने को यह कदम उठाया गया है। वर्ष 2020-21 के बजट में केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 7.84 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। 15वें वित्त आयोग ने राज्यों के लिए 41 प्रतिशत और नवगठित संघ शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के लिए एक प्रतिशत हिस्से की सिफारिश की है। वहीं 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को करों में 42 प्रतिशत हिस्सा देने का सुझाव दिया था।
- नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने विशेष जोर देते हुए कहा है कि सरकार उद्योग जगत पर पूरी तरह और व्यापक रूप से भरोसा करती है। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वह अब और भी अधिक प्रोफेशनल नजरिए से श्रम या कामगारों को काम पर लगाने की योजना बनाए तथा इसके साथ ही उनका कौशल बढ़ाने में भी जुटे। वित्त मंत्री ने कहा, उद्योग जगत में विचार मंथन करने वालों को इस तरह से कामगारों को काम पर लगाने की मिसाल पेश करने की जरूरत है जो सभी को स्वीकार्य हो।वित्त मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ बातचीत में ये बातें कहीं, जिसकी स्थापना के 125 वर्ष 2020 में पूरे हो रहे हैं। इस उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए सीआईआई को बधाई देते हुए श्रीमती सीतारमन ने कहा कि सीआईआई ने देश में अत्यंत अहम भूमिका निभाई है और इसके सदस्यों ने भी अपने-अपने सेक्टरों में मजबूत भूमिका निभाई है। उन्होंने सीआईआई से नीति निर्माण प्रक्रिया में एक प्रतिमान या आदर्श बनने का आह्वान किया।वित्त मंत्री ने कहा कि उद्योग जगत को कामगारों के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से तय करने और अकुशल कामगारों सहित सभी कामगारों के लिए योजना बनाने की जरूरत है। उन्होंने उद्योग जगत से अकुशल श्रमिकों को काम पर लगाने के लिए प्रोफेशनल नजरिए से विचार करने और सभी स्तरों पर कर्मचारियों का कौशल बढ़ाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।एमएसएमई सेक्टर के संबंध में एक सवाल पर श्रीमती सीतारमन ने कहा कि यहां तक कि कोविड-19 से पहले भी ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमों की सहायता हेतु एमएसएमई और एनबीएफसी के लिए स्पष्ट रूप से मार्गदर्शन करने की घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी ऋण के लिए ऋण उपलब्धता का उद्देश्य सभी एमएसएमई तक पहुंचना है, इसलिए सरकार ने ऋण देने में हिचकिचाहट या संकोच को दूर करने के लिए बैंकों को गारंटी प्रदान की है। उन्होंने कहा,सरकार लॉकडाउन के बाद विशेष उद्देश्य कंपनी के साथ पूर्ण और आंशिक गारंटी प्रदान कर रही है, इसलिए बैंकों का संकोच दूर कर दिया गया है।कृषि से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि व्यापक सुधारों की घोषणा कर दी गई है। तीन मॉडल अधिनियम राज्य सरकारों के साथ साझा किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने भूमि सुधारों पर काम शुरू कर दिया है।वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि मांग व्यापक रूप से बढ़ सके। उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं को सामने लाया जाएगा और इनसे सकारात्मक ऊर्जा और भावनाएं आएंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर निष्पक्ष और खुली चर्चा हुई है जो अंतप्र्रवाह या आवक के मामले में निचले स्तर पर आ गया है। इस पर चर्चा चल रही है। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि बिजली क्षेत्र में 90 हजार करोड़ रुपये की तरलता को जल्द सुनिश्चित किया जाएगा।सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि उद्यमियों ने एमएसएमई की नई परिभाषा का स्वागत किया है, जैसा कि सीआईआई के सर्वेक्षण से पता चला है।
- मुंबई। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार आठ मई को समाप्त पखवाड़े के अंत में बैंक ऋण एक साल पहले के मुकाबले 6.52 प्रतिशत बढ़कर 102.52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबकि इस दौरान बैंकों में जमा धन 10.64 प्रतिशत बढ़कर 138.50 लाख करोड़ रुपये था।इससे पहले 10 मई 2019 को समाप्त पखवाड़े में बैंक ऋण 96.24 लाख करोड़ रुपये और जमा 125.17 लाख करोड़ रुपये थी। इससे पिछले पखवाड़े से तुलना करने पर बैंक ऋण 21,010.36 करोड़ रुपये घटकर 102.52 लाख करोड़ रुपये रह गया। इससे पिछले सप्ताह 24 अप्रैल 2020 को समाप्त पखवाड़े में यह राशि 102.73 लाख करोड़ रुपये थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने एमएसएमई, कृषि और खुदरा सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिये 6.45 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किये हैं। ये मंजूरी एक मार्च से 15 मई के बीच दी गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 8 मई की समाप्ति तक 5.95 लाख करोड़ का ऋण मंजूर किया।इससे पहले सीतारमण ने ट्वीट किया था, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एक मार्च से 15 मई के बीच एमएसएमई, खुदरा, कृषि और कारपोरेट क्षेत्रों के 54.96 लाख खातों में 6.45 लाख करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी है। यह आठ मई को मंजूर किये गये 5.95 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक 1.03 लाख करोड़ रुपये का आपात ऋण सुविधा और कार्यशील पूंजी विस्तार दिया है। यह विस्तार 20 मार्च से 15 मई की अवधि में हुआ है। आठ मई तक के 65,879 करोड़ रुपये के ऋण के मुकाबले इसमें यह बड़ी वृद्धि हुई है।----
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नयी दिल्ली। टाटा पावर का एकीकृत शुद्ध लाभ जनवरी-मार्च तिमाही में एक साल पहले की इसी तिमाही की तुलना में दो गुना बढ़कर 475 करोड़ रुपए रहा। कंपनी ने एक बयान में कहा कि एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ 172 करोड़ रुपये रहा था। टाटा पावर ने कहा, कंपनी का शुद्ध लाभ मार्च 2020 को समाप्त तिमाही में 177 प्रतिशत बढ़कर 475 करोड़ रुपए रहा। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 172 करोड़ रुपये था। कारनेगी में निवेश की बिक्री से कंपनी का लाभ बढ़ा है। कंपनी की एकीकृत आय 2019-20 की चौथी तिमाही में 6,881 करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 7,597 करोड़ रुपये थी। मुख्य रूप से कोविड-19 संकट के कारण सौर ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) के क्रियान्वयन में देरी और बिजली मांग में कमी है।
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मुंबई। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को 1,069 अंक का गोता लगा गया। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड19 से जुड़ी सार्वजनिक पाबंदियों की अवधि बढ़ा जाने तथा सरकार के वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज से घरेलू निवेशकों में अभी भरोसा न जगाने से बाजार का उत्साह ठंडा रहा। बैंक और वाहन कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली के बीच तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 1,068.75 अंक यानी 3.44 प्रतिशत लुढ़क कर 30,028.98 अंक जबकि एनएसई निफ्टी 313.60 अंक यानी 3.43 प्रतिशत टूटकर 8,823.25 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक नुकसान में इंडसइंड बैंक रहा। इसमें करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आयी। इसके अलावा एचडीएफसी, मारुति सुजुकी, एक्सिस बैंक और अल्ट्राट्रेक सीमेंट में भी गिरावट दर्ज की गयी।
- नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में शनिवार को घोषित सुधारवादी उपायों का स्वागत करते हुए कहा कि ये दीर्घकालिक वृद्धि की की नींव रखेंगे, निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करेंगे और रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।सरकार ने शनिवार को रक्षा विनिर्माण में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की सीमा में वृद्धि करने, छह अन्य हवाईअड्डों के निजीकरण, नागर विमानन क्षेत्र के लिये और अधिक वायु क्षेत्र खोलने और कोयले के वाणिज्यिक खनन में निजी क्षेत्र को प्रवेश देने की घोषणाएं की। इसके साथ ही मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिये वैसे हथियारों की सूची का विस्तार किया जायेगा, जिनका आयात नहीं किया जा सकता है। निजी क्षेत्र को ग्रहों की खोज और अंतरिक्ष यात्रा की भविष्य की परियोजनाओं के साथ-साथ उपग्रहों के प्रक्षेपण समेत भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी शामिल किया जायेगा।फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि सरकार कोरोनो वायरस संकट को भारत के लिये एक अवसर में बदल रही है। उन्होंने कहा, आज घोषित किये गये उपाय भारतीय उद्योग के लिए अधिक अवसर पैदा करने और बड़े कारोबारी घरानों के साथ-साथ स्टार्टअप की क्षमताओं का लाभ उठाने की दिशा में हैं। ये उपाय दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि की नींव रखेंगे और भारत के भविष्य को तय करने वाले क्षेत्रों को ये उपाय गति प्रदान कर सकते हैं।सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि ये घोषणाएं अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि ये घोषणाएं स्थानीय विनिर्माण, आयात को कम करने और रोजगार को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आकार देती हैं। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने कहा कि ये सुधार निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करेंगे। इसके साथ ही ये कोयला, खनिज, रक्षा, हवाई अड्डे व वायु क्षेत्र प्रबंधन, बिजली, अंतरिक्ष क्षेत्र, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र समेत भारतीय अर्थव्यवस्था के रणनीतिक और वृद्धि की उम्मीदों वाले क्षेत्रों की स्थिति बेहतर करेंगे।जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के चेयरमैन नवीन जिंदल ने कहा, इन सुविचारित सुधारों से यह पता चलता है कि सरकार जमीनी हकीकत से अच्छी तरह वाकिफ है। ये उपाय हमारी अर्थव्यवस्था को महामारी की वजह से उत्पन्न मौजूदा स्थिति से बाहर निकालने में मदद करेंगे।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये करीब दो महीने से लागू लॉकडाउन की मार से अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त के उपायों की यहां एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी। पैकेज की चौथी किस्त बड़े पैमाने पर सुधारों और लगभग नगण्य हो चुके नये निवेश पर केंद्रित है। सीतारमण ने कहा कि अब विदेशी निवेशकों को स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा विनिर्माण उपक्रमों में 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की अनुमति होगी। अभी रक्षा विनिर्माण में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा मंजूरी मानदंडों के अधीन होगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार सालाना समयसीमा के साथ आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों व प्लेटफार्म की सूची का विस्तार करेगी। इसके साथ ही कुछ आयातित पुर्जों को देश में बनाने के कदम उठाए जाएंगे। इससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और भारी रक्षा आयात खर्च में कमी लाने में मदद मिलेगी।---
- नई दिल्ली। वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एक्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए की गयी राहत घोषणाओं का स्वागत किया।लॉकडाउन (बंद) के चलते एमएसएमई क्षेत्र पर भारी दबाव है और इस पैकेज से क्षेत्र को वृद्धि करने में मदद मिलेगी। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) ने सभी वाहन और उनके कलपुर्जों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की 18 प्रतिशत दर के दायरे में लाने की पुरानी मांग को दोहराया।एक्मा के अध्यक्ष दीपक जैन ने एक बयान में कहा एक्मा लंबे समय से एमएसएमई उद्योगों की परिभाषा में बदलाव का सुझाव देता रहा है। इस नये वर्गीकरण से एक्मा के कई सदस्यों को लाभ मिलेगा क्योंकि कलपुर्जा क्षेत्र में अधिकतर छोटी कंपनियां ही काम करती हैं। उन्होंने कहा कि बिना गारंटी के स्वत: मंजूरी वाले ऋण की सुविधा और अधीनस्थ ऋण योजनाओं से क्षेत्र में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा। इससे क्षेत्र की कार्यशील पूंजी की चुनौतियां कम करने में मदद मिलेगी। जैन ने उम्मीद जतायी कि सरकार वाहन क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए भी जल्द एक पैकेज की घोषणा करेगी।--
- हैदराबाद। एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमतों में कटौती की है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि उसने लौह अयस्क लंप्स और फाइंस दोनों के दाम में 400 रुपये प्रति टन की कटौती की है।इसके अलावा कंपनी ने डीआरसीएलओ (डीआर कैलिब्रेटेड लंप ओर) की कीमतों में 470 रुपये प्रति टन की कटौती की है। एनएमडीसी ने इससे पहले चार अप्रैल को लौह अयस्क के दाम 500 रुपये प्रति टन और डीआरसीएलओ की कीमतों में 580 रुपये प्रति टन की कटौती की थी। एनएमडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कटौती के बाद लंप्स की कीमत 2,250 रुपये प्रति टन और फाइंस की 1,960 रुपये प्रति टन पर आ गई है। वहीं डीआरसीएलओ का दाम घटकर 2,610 रुपये प्रति टन रह गया है।
- मुंबई। रिजर्व बैंक ने निर्यातकों को माल लदान से पहले और बाद में मिलने वाले निर्यात रिण पर ब्याज सब्सिडी की अवधि एक साल बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दी है। इससे निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी।ये योजना इस साल 31 मार्च को समाप्त हो गई थी। रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है, भारत सरकार ने निर्यात माल लदान से पहले और बाद में दिये जाने वाले रुपया निर्यात रिण पर ब्याज समानीकरण योजना की अवधि के विस्तार को मंजूरी दे दी है। यह योजना इसी आकार और कवरेज के साथ एक साल और यानी 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगी। इसमें कहा गया है कि योजना का विस्तार एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक किया गया है।---
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को आकलन वर्ष 2020- 21 के दौरान आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया । इसके साथ ही कर विवादों के निपटान के लिये लाई गई विवाद से विश्वास योजना का लाभ भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है।केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंगलवार को घोषित आर्थिक पैकज का ब्यौरा रखते हुये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग के लिये कई तरह की राहतों का एलान करने के साथ ही पिछले वित्त वर्ष के लिये इस आकलन वर्ष में भरी जाने वाली व्यक्तिगत आयकर रिटर्न और अन्य रिटर्न दोनों के लिये अंतिम तिथि 30 नवंबर 2020 तक बढ़ी दी गई है। पुराने लंबित कर विवादों के निपटारे के लिये लाई गई विवाद से विश्वास योजना का लाभ भी अब 31 दिसंबर 2020 तक उपलब्ध होगा।वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लंबित विवादों के निपटारे की चाह रखने वाले करदाता अब 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन कर सकेंगे। इसके लिये उन्हें अलग से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर- कारपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द लौटाया जायेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार पांच लाख रुपये तक के 18 हजार करोड़ रुपये तक रिफंड करदाताओ को कर चुकी है। यह रिफंड 14 लाख करदाताओं को किया गया।
- नई दिल्ली। उद्योग जगत ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा समय की जरूरत थी।उद्योग मंडलों का कहना है कि इससे कोविड-19 महामारी और उसकी रोक थाम के लिए लागू पाबंदियों से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार में मदद मिलेगीऔर आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की घोषणा की जो देश के कल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत है। वित्तीय पैकेज के बारे में उन्होंने कहा, सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जल्दी ही इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगी। उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, प्रधानमंत्री ने जमीन, श्रम, नकदी और कानून को सरल बनाने के बारे में बात की, हम उसकी सराहना करते हैं। ये अर्थव्यवस्था के लिये प्रमुख चुनौती है। इन चार क्षेत्रों में सुधारों से संकट की इस घड़ी में आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलेगी। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि पांच आधार...अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, व्यवस्था, जनसंख्या और मांग को मजबूत करने से भारत फिर से सतत वृद्धि के रास्ते पर आएगा। उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब पैकेज की रूपरेखा की घोषणा करेंगी, गरीबों और जरूरतमंदों, एमएसएमई और उद्योग तथा आम लोगों की जरूरतों का समाधान होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जमीन, श्रम और नकदी पर जोर की जरूरत है। एसोचैम और नारेडको के अध्यक्ष डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि यह पैकेज अर्थव्यवस्था को गति देगा। उन्होंने कहा कि यह सचमुच एक सराहनीय पैकेज है... इसकी प्रतीक्षा थी इससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये पांच बुनियाद को मजबूत बनाने से हम एक भेरसेमंद वैश्विक ताकत बनेंगे....।उन्होंने कहा कि आर्थिक पैकेज के साथ कृषि, कराधान, बुनियादी ढांचा, मानव संसाधन और वित्तीय प्रणाली में सुधारों से निवेशक आकर्षित होंगे और मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। मेक इन इंडिया निवेश आकर्षित करने के लिहाज से मुख्य उत्प्ररेक होगा...। पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रववाल ने कहा कि इस मौके पर प्रोत्साहन पैकेज समय की जरूरत है। इससे अर्थव्यवस्था के बुनियाद को मजबूती मिलेगी और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमाबइल मैनुफैक्चरर्स ने उम्मीद जतायी कि जब वित्त मंत्री पैकेज की बारीकियों की घोषणा करेंगी, देश के वाहन उद्योग की मदद के लिये एक केंद्रित पैकेज का ऐलान करेंगी।--
- नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के निदेशक एस. गुरुमूर्ति ने सोमवार को कर्जों के एकबारगी पुनर्गठन पर जोर देते हुए कहा कि इससे कोरोना वायरस महामारी के संकट से जूझ रहे व्यावसायिक जगत को बैंक और कर्ज दे सकेंगे।स्वदेशी विचार धारा वाले गुरुमूर्ति ने रिजर्व बैंक द्वारा घाटे को नोट छापकर पूरा करने का पक्ष लिया है। उन्होंने कहा कि विदेशों से कोष लेने के बजाय यह बेहतर विकल्प होगा। बैंकों ने 2004 से 2009 के बीच जरूरत से ज्यादा कर्ज दिया जिससे वह परेशानी में आये और अब बैंक कर्ज नहीं देकर अर्थव्यवस्था को परेशानी में डाल रहे हैं। उन्होंने इस समस्या के लिये गलत नियमों को जिम्मेदार ठहराया। गुरुमूर्ति भारत प्रकाशन दिल्ली द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण-चुनौतियां और अवसरों पर आयोजित वेबिनार में कहा कि बैंकों ने 11 लाख करोड़ रुपये की जमा में से कम से कम छह लाख करोड़ रुपये रिजर्व बैंक में रखे हैं। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि नियमों के हिसाब से 80 प्रतिशत कर्जदार और कर्ज लेने के पात्र नहीं है ऐसे में बैंक उन्हें कर्ज नहीं दे पा रहे हैं। गुरुमूर्ति ने कहा, बैंकों ने 2004 से 2009 के दौरान जरूरत से ज्यादइा कर्ज दिया और अब वे कर्ज नहीं देकर समस्या में घिर रहे हैं। ऐसे समय जब अर्थव्यवस्था को धन की जरूरत है, बैंकों के पास पैसा है भी , लेकिन बैंक कर्ज नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि हम गलत विवेकपूर्ण नियमों का अनुसरण कर रहे हैं।--
- मुंबई। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रेपो दर से जुड़े अपने आवास ऋण की ब्याज दर में 0.3 प्रतिशत तक की वृद्धि की है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर उधार लेने वालों तथा रियल्टी कंपनियों के बढ़े ऋण जोखिमों को लेकर बाजार संकेतों के बीच यह कदम उठाया गया है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। बैंक ने अचल संपत्ति के एवज में लिये जाने वाले व्यक्तिगत ऋण पर भी ब्याज दर में 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। माना जा रहा है कि बाजार में अग्रणी स्थान रखने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के इस कदम के बाद दूसरे बैंक भी इसका अनुसरण करेंगे। एसबीआई ने गुरुवार को ही अपनी प्रधान उधारी दर में 0.15 प्रतिशत की कटौती की थी, जिसके बाद कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) से जुड़ी आवास ऋण की ब्याज दर भी घट गई। स्टेट बैंक के ज्यादातर आवास ऋण रेपो दर के आधार पर या एमसीएलआर के आधार पर ही दिए जाते हैं।एसबीआई ने हालांकि, वाह्य मानक पर आधारित उधारी दरों को 7.05 प्रतिशत पर स्थिर रखा है, लेकिन विभिन्न गृह ऋण उत्पादों में मार्जिन में 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर गृह ऋण की दरों को बढ़ाया गया है। बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक नई दरें एक मई से प्रभावी हैं।उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां में व्यवधान पैदा हुआ है। इससे कंपनियों और व्यक्तियों की आय भी प्रभावित हुई है। स्टेट बैंक ने एक महीने के भीतर ही इसमें संशोधन किया है। एक माह पहले उसने आवास रिण की दर में 0.75 प्रतिशत की कमी की थी। रिजर्व बैंक के रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कमी के बाद स्टेट बैंक ने एक अप्रैल 2020 को रेपो दर से जुड़ी ब्याज दरों में कटौती की थी। इस वृद्धि के बाद स्टेट बैंक के 75 लाख रुपये तक के आवास रिण पर ब्याज दर में 0.20 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी जबकि 30 लाख रुपये तक के आवास रिण पर बाह्य बेंचमार्क से से जुड़ी ब्याज दर (ईबीआर) और उसके ऊपर होने वाली वृद्धि के साथ यह ब्याज दर 7.40 प्रतिशत होगी। एक अप्रैल 2020 को यह 7.20 प्रतिशत तय की गई थी।--
- नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) हरियाणा के मानेसर कारखाने में उत्पादन 12 मई को फिर शुरू करने जा रही है।.कंपनी ने शेयर बाजार को यह सूचना दी है। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए आवागमन पर राष्ट्रव्यापी पाबंदियों के चलते कंपनी ने अपने कारखाने बंद कर रखे हैं। पाबंदियों को धीरे-धीरे उठाने के सरकार के निर्णय के बाद वाहन और कई अन्य क्षेत्रों की कंपनियां अपने कल-कारखाने फिर चालू कर रही हैं। इसके लिए उन्हें सरकारों की ओर से जारी कुछ हिदायतों का पालन करना जरूरी है। मारुति ने बताया कि हरियाणा सरकार से उसे मानेसर कारखाना चालू करने की अनुमति 22 अप्रैल को ही मिल चुकी है। लेकिन वह वाहनों के उत्पादन में निरंतरता बनाए रखने और बाजार में उनकी बिक्री की सुविधा का आकलन करने के बाद ही उत्पादन शुरू करेगी। कंपनी ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि वह मानेसर कारखाने में 12 मई को फिर उत्पादन चालू करेगी। गुडगांव जिला प्रशासन ने मारुति सुजुकी को अभी एक पाली के आधार पर काम शुरू करने की छूट दी है। कारखाने में फिलहाल कुल 4,696 कर्मचारियों को को काम पर रखने की इजाजत है। कंपनी का मानेसर कारखाना गुडग़ांव (गुरुग्राम) नगर निगम की सीमा से बाहर है जबक गुरुग्राम संयंत्र शहर की सीमा में है। दोनों काराखानों में कुल मिलाकर वार्षिक 15.5 लाख कार बनाने की क्षमता है। दोनों कारखाने 22 मार्च से बंद हैं।--
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वस्तु और सेवा कर-जीएसटी के लिए वार्षिक रिटर्न भरने की तिथि और आगे बढ़ा दी है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर और कस्टम बोर्ड ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी ऑडिट और वार्षिक रिर्टन भरने की तारीख 30 सितंबर 2020 कर दी है।सरकार ने 24 मार्च को या उससे पहले के सभी ई-वे बिल भरने की तिथि भी 31 मई तक बढ़ा दी है। पहले इनकी वैधता 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच समाप्त होनी थी। इस छूट से सड़क परिवहन के माध्यम से माल की निर्बाध आपूर्ति और आवाजाही हो सकेगी।वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के मुताबिक, कंपनी एक्ट 2013 के प्रावधानों के तहत रजिस्टर्ड लोग इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड के जरिए जीएसटीआर-3- बी जमा कर सकते हैं।इसके पहले सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी रिटर्न फाइल की तारीख बढ़ाकर 30 जून की थी। साथ ही कारोबारियों को कहा गया था कि 5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में देरी पर कोई विलंब शुल्क, जुर्माना या ब्याज नहीं लिया जायेगा। वित्त मंत्रालय ने देरी से रिटर्न फाइल करने के मामले में को लेट फीस को 12 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर दिया था।---
- नई दिल्ली। प्रमुख एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने कहा है कि उसने लॉकडाउन के तीसरे चरण में राहत देने वाले सरकारी दिशा निर्देशों के तहत अपने सभी कारखानों में उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है।कंपनी ने हैंड सेनेटाइजर, हैंड वाश, कीटाणुनाशक, आयुर्वेदिक दवाओं, जूस, नारियल पानी और शहद जैसी आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर तीन मई तक अपने सभी संयंत्रों में उत्पादन अस्थाई रूप से बंद कर दिया था। कंपनी ने बताया कि उसके कॉर्पोरेट कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों ने भी जरूरी कर्मचारियों के साथ काम शुरू कर दिया है। डाबर इंडिया ने शेयर बाजार को बताया कि एक मई को गृह मंत्रालय द्वारा जारी नए दिशा निर्देशों और जमीनी स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद कंपनी ने सभी विनिर्माण स्थानों पर उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है।
- 0 आने वाले महीनों के लिए भी हैं बड़े ऑर्डर, लॉकडाउन खत्म होने के बाद घरेलू बाजार से मांग निकलने की उम्मीदनई दिल्ली। नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने देश में चल रहे लॉकडाउन के समय भी निर्यात क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कंपनी ने अप्रैल महीने में 2 लाख 48 हजार टन स्टील और संबंधित उत्पादों का निर्यात किया, जो मार्च 2020 के मुकाबले 109 फीसदी अधिक है। इसके साथ ही अप्रैल माह में कंपनी की कुल बिक्री में निर्यात हिस्सेदारी 74 फीसदी दर्ज की गई है।कंपनी के प्रबंध निदेशक वी.आर. शर्मा ने जेएसपीएल के कर्मचारियों और अधिकारियों के उत्साह, संकल्प और समर्पण को इस सफलता का श्रेय दिया है। उन्होंने कहा, जहां दुनिया दीवार देखती थी, हमारे संस्थापक चेयरमैन ओपी जिन्दल जी द्वार देखते थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही चेयरमैन नवीन जिन्दल के दूरदर्शी नेतृत्व में जेएसपीएल की अनुभवी टीम सफलता के नए सोपान गढ़ रही है। देशव्यापी लॉकडाउन से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कंपनी की घरेलू इकाइयों ने अप्रैल माह में 5 लाख 50 हजार टन लोहा-स्टील का उत्पादन कर शानदार 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जबकि इसी अवधि में जेएसपीएल ग्रुप ने कुल 6 लाख 55 हजार टन उत्पादन कर सफलता के झंडे गाड़ दिये।श्री शर्मा ने कहा, मार्च महीने के तीसरे सप्ताह तक कोविड19 पूरे देश में फैल गई, जिस कारण सरकार को लॉकडाउन करना पड़ा और पूरी अर्थव्यवस्था इस महामारी के शिकंजे में आ गई। इन परिस्थितियों में घरेलू बाजार की नाजुक स्थिति को देखते हुए निर्यात की ठोस रणनीति बनाई गई, बड़े पैमाने पर ऑर्डर बुक किये गए ताकि फैक्टरियां निर्बाध गति से चलती रहें और कंपनी का आर्थिक स्थिति भी अच्छी बनी रहे। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि रेल विभाग और पारादीप, विशाखापत्तनम व गंगावरम् बंदरगाह प्रबंधन के सराहनीय सहयोग की बदौलत हम राष्ट्र के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सफल हुए हैं।उन्होंने कहा कि जेएसपीएल की पूरी टीम का उत्साह बढ़ा है और कंपनी चीन, मलेेशिया, जर्मनी, स्पेन, इटली, डेनमार्क, फ्रांस, ओमान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात को निरंतर अपने उत्पाद निर्यात कर रही है। हम हाई स्पीड रेल के लिए फ्रांस को ब्लूम्स का निर्यात भी कर रहे हैं।अंगुल प्लांट स्थित देश के सबसे बड़े ब्लास्ट फरनेस की उपलब्धियां गिनाते हुए श्री शर्मा ने कहा कि यहां अप्रैल माह में 2 लाख 98 हजार टन हॉट मेटल का उत्पादन हुआ। इसके साथ ही प्रति कार्य दिवस औसत 10 हजार टन हॉट मेटल का उत्पादन इस ब्लास्ट फरनेस से हो रहा है।कंपनी के कारोबार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में जेएसपीएल की घरेलू इकाइयों ने 3 लाख 35 हजार टन की बिक्री की और शेष उत्पाद बंदरगाहों पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, जो मई माह में अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। इसी माह जेएसपीएल ग्रुप ने 4 लाख 56 हजार टन स्टील और संबंधित उत्पादों की बिक्री की। ओमान स्थित जिन्दल शदीद ने अप्रैल माह में 1 लाख 6 हजार टन स्टील का उत्पादन और 1 लाख 20 हजार टन की बिक्री की।श्री शर्मा ने बताया कि संकट की इस घड़ी में जेएसपीएल ने अपने सभी प्लांटों में केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों का अक्षरश: पालन सुनिश्चित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के अनुरूप कंपनी अपने सभी कार्यालयों और प्लांटों में फिजिकल डिस्टेंसिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।उन्होंने निर्यात मोर्चे पर जेएसपीएल को सहयोग एवं प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेलमंत्री पीयूष गोयल, इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया का आभार जताया।श्री शर्मा ने उम्मीद जताई कि लॉकडाउन खुलने के बाद हालात सुधरेंगे और घरेलू बाजार से भी मांग निकलेगी। मध्यम एवं लघु उद्योग मंत्री नितिन गडकरी की करीब 450 परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा को उद्योगों के लिए शुभ संकेत बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे देश भर में कारोबार और रोजगार दोनों के लिए बेहतरीन अवसर उपलब्ध होंगे।जेएसपीएल ने भारतीय रेल के लिए आर 260 ग्रेड पटरियां विकसित की हैं जो मौजूदा 64 के मुकाबले प्रति वैगन 75 टन का भार सहन कर सकेंगी। इसी तरह कंपनी ने विशेष तरह की प्लेट और राउंड बिलेट्स भी विकसित किये हैं।---
- मुंबई। भारतीय फ्रोंजन फूड उद्योग में वर्ष 2020-24 के दौरान सालाना 17 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनो वायरस महामारी ने लोगों को स्वास्थ के बारे में अधिक जागरूक किया है।अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद द्वारा आयोजित एक परिचर्चा के अनुसार, कई क्षेत्रों में मंदी का सामना करने के बावजूद, फ्रोजेन खाद्य पदार्थो के उद्योग में तेजी आई है, जो लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत होने के कारण निरंतर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे पहले, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उच्च लागत, इस क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, समाज में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और आत्म-सजग लोगों की संख्या बढऩे से इस पूरे उद्योग का कायांतर हो गया है। वैश्विक बाजार अनुसंधान कंपनी आईएमएआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का फ्रोजन फूड बाजार 2024 तक सालाना 17 प्रतिशत की दर से फैलेगा।---