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- मुंबई। भारतीय फ्रोंजन फूड उद्योग में वर्ष 2020-24 के दौरान सालाना 17 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनो वायरस महामारी ने लोगों को स्वास्थ के बारे में अधिक जागरूक किया है।अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद द्वारा आयोजित एक परिचर्चा के अनुसार, कई क्षेत्रों में मंदी का सामना करने के बावजूद, फ्रोजेन खाद्य पदार्थो के उद्योग में तेजी आई है, जो लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत होने के कारण निरंतर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे पहले, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उच्च लागत, इस क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, समाज में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और आत्म-सजग लोगों की संख्या बढऩे से इस पूरे उद्योग का कायांतर हो गया है। वैश्विक बाजार अनुसंधान कंपनी आईएमएआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का फ्रोजन फूड बाजार 2024 तक सालाना 17 प्रतिशत की दर से फैलेगा।---
- नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शनिवार को बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की। इस बैठक में कोविड-19 संकट के बीच आर्थिक स्थिति और वित्तीय प्रणाली के दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई।यह बैठक दो सत्रों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई। रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि इसमें प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शामिल हुए। अपने शुरुआती संबोधन में गवर्नर ने लॉकडाउन के दौरान बैंकों के परिचालन को सामान्य और सामान्य से सामान्य के करीब रखने के प्रयासों की सराहना की। बैठक के दौरान अन्य बातों के अलावा मौजूदा आर्थिक स्थिति और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर चर्चा की गई। इसके साथ ही बैठक में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को ऋण के प्रवाह...मसलन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों, आवास वित्त कंपनियों, म्यूचुअल फंड आदि को नकदी की स्थिति पर चर्चा हुई। साथ ही बैठक में लॉकडाउन के बाद ऋण के प्रवाह..कार्यशील पूंजी के प्रावधान और सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को ऋण प्रदान करने पर विचार-विमर्श किया गया। रिजर्व बैंक ने कोविड-19 की वजह से कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) के भुगतान पर तीन माह की रोक लगाई है।बैठक में इसकी भी समीक्षा की गई। उच्चतम न्यायालय ने इसी सप्ताह रिजर्व बैंक को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि उसके ऋण के भुगतान पर तीन माह की रोक के निर्देशों का अक्षरक्ष: अनुपालन हो। बयान में कहा गया है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के मद्देनजर बैंकों की विदेशों में स्थित शाखाओं की निगरानी पर भी विचार-विमर्श हुआ। रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वाले ग्राहकों, ऋणदाताओं और म्यूचुअल फंडों सहित अन्य इकाइयों पर दबाव कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। फरवरी, 2020 से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत के बराबर नकद धन डाल चुका है। रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर इसे 11 साल के निचले स्तर 4.4 प्रतिशत पर ला दिया है। अब केंद्रीय बैंक द्वारा बैंकों पर भी कर्ज पर ब्याज की दर कम करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो दर को भी घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया है। इससे बैंक अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। आशंका जताई जा रही है कि कोविड-19 की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप रहने के चलते अप्रैल-जून की तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी।
- - किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए खाद्यान्न और फल व सब्जियां खरीदने हेतु आगे आने का आग्रह कियानई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और इसके सदस्यों के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के वर्तमान स्थिति और लॉकडाउन के बाद के परिदृश्य में उद्योग की आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की।फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने केंद्रीय एफपीआई मंत्री का स्वागत किया और लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से ही खाद्य उद्योग में निरंतर समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने देश के विभिन्न हिस्सों में तैयार फसलों और फल व सब्जियां के नुकसान होने पर चिंता व्यक्त की। वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने सभी सदस्यों से अनुरोध किया था कि वे तैयार गेहूं, धान आदि फसलों और फलों, सब्जियों व अन्य की खरीद के लिए आगे आएं ताकि बर्बादी को कम किया जा सके और किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके।उद्योग के सदस्यों ने मंत्रालय के आवश्यक हस्तक्षेप के लिए कुछ मौजूदा मुद्दों का हवाला दिया। इनमें शामिल हैं - विभिन्न कन्टेनमेंट ज़ोन में संचालन सुविधाओं के लिए एसओपी की आवश्यकता, चुनौतियों के समाधान के लिए राज्य स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए समर्पित नोडल अधिकारी, सुविधाओं को संचालित करने और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए श्रमिकों को जारी किये जाने वाले मानकीकृत प्रोटोकॉल, कोविड क्लस्टर / क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया का पुनर्मूल्यांकन आदि।केंद्रीय मंत्री ने कन्टेनमेंट ज़ोन में खाद्य उद्यमों के संचालन तथा 60-75 प्रतिशत श्रमिकों को उद्यमों में काम करने की अनुमति देने के विचार के साथ साथ उद्योग के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों के बारे में उद्योग संघ की मांग पर सहमति व्यक्त की, यदि उद्योग अपने श्रमिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित करने में सक्षम हैं। सदस्यों ने उल्लेख किया कि बड़े खाद्य पैक की मांग बढऩे के कारण खाद्य उद्योग में तेजी आने की सम्भावना है और कहा कि आपूर्ति श्रृंखला पुन: स्थापित होते ही उद्योग में फिर से रफ़्तार आ जाएगी।एफपीआई सचिव पुष्पा सुब्रह्मण्यम ने संकट के इस समय में खाद्य उत्पादों की आपूर्ति बनाए रखने में समर्थन के लिए फिक्की और इसके सदस्यों को धन्यवाद दिया। यह जानकारी दी गयी कि लौजिस्टिक्स, गोदाम संचालन, श्रमिकों और वाहनों की आवाजाही आदि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार द्वारा आवश्यक परामर्श पहले ही जारी किये जा चुके हैं।फिक्की की फूड प्रोसेसिंग कमेटी के अध्यक्ष और आईटीसी फूड्स डिवीजन के सीईओ हेमंत मलिक, कारगिल इंडिया के अध्यक्ष साइमन गेरोगे, कोका कोला इंडिया के अध्यक्ष टी कृष्णकुमार, केलॉग इंडिया के प्रबंध निदेशक मोहित आनंद, मोंडेलेज़ इंटरनेशनल इंडिया के अध्यक्ष दीपक अय्यर, एमटीआर फ़ूड्स के सीईओ संजय शर्मा, अमूल के प्रबंध निदेशक आर.एस. सोढ़ी, ज़ायडस वेलनेस के सीईओ तरुण अरोरा समेत कई अन्य लोगों ने उद्योग के वर्तमान परिदृश्य एवं आगे की योजना पर अपने विचार साझा किए।उद्योग के सदस्यों को अवगत कराया गया कि इन सिफारिशें पर आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ पहले ही बातचीत की जा चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने उद्योग - सदस्यों को मंत्रालय से आवश्यक समर्थन का आश्वासन दिया और उन्हें किसी भी सहायता के लिए टास्क फोर्स के संपर्क में रहने की सलाह दी।---
- नई दिल्ली। जाने-माने बैंकर सुरेश एन पटेल ने आज सतर्कता आयुक्त के रूप में शपथ ली। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी ने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए उन्हें वीडियो लिंक के माध्यम से उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस शपथ ग्रहण समारोह में सतर्कता आयुक्त शरदकुमार तथा आयोग के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।श्री पटेल के पास बैंकिंग क्षेत्र में तीन दशकों का अनुभव रहा है। वह आंध्रा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं। इसके अलावा वह भारतीय बैंक संघ की प्रबंधन समिति और बैंकर्स ग्रामीण विकास संस्थान के सदस्य भी थे। वह नाबार्ड,आंध्र प्रदेश की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति तथा बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट के अध्यक्ष भीरह चुके हैं।सतर्कता आयुक्त के पद पर नियुक्त किए जाने के पूर्व श्री पटेल रिजर्व बैंक के विनियमन और पर्यवेक्षण तथा भुगतान एवं निपटान प्रणाली (बीपीएसएस) बोर्ड के एक स्थायी आमंत्रित सदस्य और बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी (एबीबीएफएफ) के सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं। सतर्कता आयुक्त का कार्यकाल चार वर्ष या 65 साल की उम्र पूरी होने तक रहता है। केंद्रीय सतर्कता आयोग में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त हो सकते हैं।---
- -राज्य में इलेक्ट्रानिक्स, ऑटोमोबाइल, आयरन एवं स्टील, भारी इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, ऑप्टिकल फायबर उद्योग को आमंत्रित करने उद्योग विभाग करेगा पहलरायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य में प्रत्यक्ष विदेश निवेश के संबंध में उद्योग विभाग के प्रस्तावित कार्ययोजना को सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। उन्होंने उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव को कुछ चुनिंदा सेक्टर के उद्योगों को छत्तीसगढ़ में आमंत्रित करने हेतु आवश्यक चर्चा एवं पत्राचार करने की भी बात कही।राज्य में ऑटोमोबाइल, आयरन एवं स्टील, भारी इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक वायर एवं ऑप्टिकल फायबर, कन्ज्यूमर ड्यूरेबल्स, टेक्सटाईल, इलेक्ट्रानिक्स आदि उद्योगों की स्थापना के लिए प्राथमिकता से विदेशी पूंजी निवेश के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।प्रमुख सचिव उद्योग मनोज पिंगुआ ने पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विदेशी पूंजी निवेश के संबंध में प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमण की वजह से वर्तमान में विश्व में जो स्थिति निर्मित हुई है, उसको देखते हुए भारत, विशेषकर छत्तीसगढ़ राज्य में चीन से बाहर निकलने को इच्छुक विदेशी औद्योगिक संस्थानों को यहां उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने के अवसर निर्मित हुए हैं। उन्होंने बताया कि यू.एस.ए., जापान, दक्षिण कोरिया, ताईवान एवं वियतनाम की प्रमुख कंपनियों को छत्तीसगढ़ में अपना उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग द्वारा प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई है।श्री पिंगुआ ने बताया कि उक्त देशों की कंपनियों की कई ईकाइयाँ भारत में पहले से ही कार्यरत हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य में भी अपना उद्यम शुरू करने के लिए आमंत्रित किया जाना उपयुक्त होगा, इसके लिए आवश्यक सुविधाएँ एवं रियायते भी दी जा सकती है। श्री पिंगुआ ने बताया कि विदेशी कंपनियों को छत्तीसगढ़ में उद्योग स्थापना के लिए सिंगल स्ट्रोक क्लीयरेंस, प्लग एण्ड प्ले सुविधा के साथ भूमि, कुशल श्रम शक्ति, प्रोजेक्ट की स्वीकृति का सरलीकरण, निवेश पैकेज, स्थानीय निवेशकों से साथ ज्वाईंट वेंचर, आवश्यक अधोसंरचना, बिजली, पानी के अधिभार में छूट दिया जा सकता है। विदेशी निवेश सम्बंधी त्वरित निर्णय लेने हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ सचिवों की समिति गठित करने की सहमति भी दी गयी है ।--------------
- -फिक्की के पदाधिकारियों को दिलाया भरोसारायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ के उद्योगों को उबरने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा हर संभव सहयोग दिया जाएगा। राज्य के औद्योगिक संस्थाओं को कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर उत्पादन एवं विक्रय की व्यवस्था बेहतर हो सके इसके लिए राज्य सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज शाम आपने निवास कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए फिक्की के पदाधिकारियों से चर्चा करते हुए उक्त बातें कहीं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार यहां के उद्यमियों को कोरोना संक्रमण की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए ही अपनी ओर से पहल की है। राज्य के लघु एवं मध्यम उद्योगों को विशेष राहत देने के लिए केन्द्र सरकार से सहायता का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योग पूरी क्षमता से संचालित हो तथा उनके उत्पादित माल के लिए इस मुश्किल घड़ी में भी बाजार उपलब्ध हो सके, सरकार द्वारा इसके लिए भी आवश्यक उपाय और पहल की जा रही है। इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सभी वर्गों और विशेषकर उद्योग जगत से मिले सहयोग के लिए सभी उद्यमियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में राज्य के उद्यमियों ने अपने यहां कार्यरत श्रमिकों के रहने एवं उनके भोजन की व्यवस्था की। यही वजह रही कि छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को परेशानी नहीं हुई जबकि अन्य राज्यों में उद्योगों के बंद होने की वजह से न सिर्फ अफरा-तफरी का माहौल रहा बल्कि श्रमिक अपने राज्य वापस लौटने के लिए सड़कों पर उतर आए और उन्हें बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि राज्य में उद्योगों के उत्पादित माल के परिवहन एवं बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने फिक्की के पदाधिकारियों से कहा कि देश के ग्रीन जोन के जिलों में वह अपने उत्पादित माल की सप्लाई आवश्यक एहतियात बरतते हुए करें। इसके लिए आवश्यक होने पर राज्य सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं अधिकारियों से भी चर्चा कर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों से उद्योगों के संचालन के लिए आने वाले कच्चे माल एवं अन्य आवश्यक सामग्री बिना किसी अड़चन के छत्तीसगढ़ आ सके इस संबंध में भी आवश्यक निर्देश जारी किए गए है। उन्होंने राज्य के उद्यमियों से कहा कि अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ माल लेकर आने वाले मालवाहकों के चालक-परिचालक एवं हम्मालों के ठहरने एवं उनके भोजन की पृथक से व्यवस्था करें और यह भी सुनिश्चित करें कि वे स्थानीय लोगों के संपर्क में न आएं। इसी तरीके का एहतियात अन्य राज्यों में माल की सप्लाई के दौरान भी रखा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी उद्योगों में फिलहाल 80 प्रतिशत के आस-पास उत्पादन चालू है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में यहां के उद्योग शत-प्रतिशत प्रोडक्शन करने लगेेंगे। मुख्यमंत्री ने वर्तमान स्थिति में उद्यमियों से यह भी आग्रह किया कि वे उद्योग संचालन के लिए स्थानीय श्रमिकों की सेवाएं लें ताकि कोरोना संक्रमण की स्थिति में राज्य में नियंत्रित रहे।-----
- नई दिल्ली। वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट ने ई-कॉमर्स कंपनियों को भी धीरे-धीरे गैर-आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की अनुमति दिए जाने का सुझाव दिया है। फ्लिपकार्ट का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के पास जमा हो चुके सामान के भंडार को निकालने में भी मदद मिलेगी।कोरोना वायरस की वजह से लागू राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ खाद्य सामान और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की अनुमति है। फ्लिपकार्ट का यह बयान ऐसे समय आया है कि जबकि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान शहरी इलाकों के रिहायशी परिसरों की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ के साथ खोलने की अनुमति दे दी है।
- नई दिल्ली। छोटे व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देशभर में गली-मोहल्लों, स्वतंत्र तौर पर चलने वाली दुकानों को खोलने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि दुकानदार इस मामले में अपने राज्य की सरकार के निर्देश के अनुसार काम करेंगे।कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एक बयान में कहा, केंद्र के आदेश को लागू करने के लिए राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी करने होंगे। व्यापारी उसी के आधार पर अपनी दुकानें खोल पाएंगे। उन्होंने कहा, 'कैट ने देशभर के व्यापारियों से अपने अपने राज्य में सरकार के आदेश की प्रतीक्षा करने की अपील की है। साथ ही आवश्यक रूप से स्वास्थ्य सुरक्षा एवं आपस में मेल जोल के समय शारीरिक दूरी के मानदंडों का पालन करने के लिए कहा है।कैट ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को एक पत्र भेजकर फिर से कहा कि दुकानें अथवा बाजार खोलने से पहले उन्हें अच्छी तरह से कीटाणुमुक्त करना बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार को इसे लेकर एक स्पष्ट योजना तुरंत बनानी चाहिए। इससे पहले खुदरा कारोबार करने वाली फर्मों के संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) ने भी शनिवार को आदेश में उल्लेखित बाजार परिसर (मार्केट काम्प्लेक्स) जैसे शब्दों का अर्थ आसानी से समझ नहीं आने का उदाहरण देते हुए, इसे और स्पष्ट करने की जरूरत बतायी है।
- नई दिल्ली। गोदरेज समूह ने मच्छर भगाने वाले तथा इस तरह के अन्य उत्पादों को जरूरी सामानों की सूची में शामिल करने का सरकार से अनुरोध किया है।कंपनी ने एक बयान में कहा कि मई से डेंगू और मलेरिया के मामले बढऩे लगते हैं और अगस्त तक सामने आते रहते हैं। इनके लिये अप्रैल से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। कंपनी ने कहा, मच्छर भगाने वाले उत्पाद जैसे मॉस्क्यिटो रीपैलेंट, पर्सनल रीपैलेंट, लिक्विड वेपराइजर्स आदि को जरूरी सामानों की सूची में डाला जाना चाहिये। इससे घरों में कीड़ों को भगाने के लिये इस्तेमाल होने वाले उत्पादों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी और यह लॉकडाउन के पूरी तरह से हटाये जाने तक लोगों को आसानी से उपलब्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि गोदरेज समूह की कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड इस तरह के उत्पादों की प्रमुख कंपनी है।
- नई दिल्ली। पंद्रहवें वित्त आयोग की आर्थिक सलाह समिति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न संकट के इस वर्तमान समय में छोटे उपक्रमों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की मदद करने का सुझाव दिया ताकि उन्हें दिवालिया होने से बचाया जा सके। वित्त आयोग के सलाहकार परिषद के सदस्यों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई दो दिवसीय बैठक में कहा गया कि गया कि बंद में काम काज प्रभावित हुआ है इस लिए सरकार के कर और दूसरे प्रकार की राजस्व में कमी होगी। ऐसे में मौजूदा संकट से निपटने के लिए कोई भी वित्तीय कदम बहुत नापतौल के उठाने होंगे।पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आयोग के सभी सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। सलाहकार परिषद के सदस्यों का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन का प्रभाव घरेलू आर्थिक गतिविधियों या कार्यों में सुस्ती, वित्तीय संस्थानों एवं व्यावसायिक उद्यमों के नकदी प्रवाह पर इसके असर और व्यापक वैश्विक मंदी के कारण भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग घटने के रूप में हो सकता है। वे सभी इस बात पर एकमत थे कि मार्च 2020 से पहले किए गए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमानों पर नए सिरे से गौर करने और इसमें काफी कमी करने की जरूरत है। अर्थव्यवस्था का लॉकडाउन खुलने के बाद आर्थिक विकास के धीरे-धीरे ही पटरी पर आने की संभावना है, जो कार्यबल या श्रमबल के जल्द ही काम पर वापस आने की क्षमता, मध्यवर्ती उत्पादों एवं नकदी प्रवाह की आपूर्ति की बहाली होने और, बेशक, तैयार उत्पादों की मांग पर निर्भर करेगा। अत: कोविड के आर्थिक प्रभाव का समूचा परिदृश्य कुछ समय बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।सलाहकार परिषद का यह भी मानना है कि सार्वजनिक वित्त पर इन घटनाक्रमों का प्रभाव किस हद तक पड़ेगा, वह अनिश्चित है, लेकिन निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण होगा। स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, गरीबों और अन्य आर्थिक घटकों को सहायता देने के कारण सरकार पर व्यय का बोझ काफी अधिक होगा। परिषद के सदस्यों का यह भी मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण कर और अन्य राजस्व के संग्रह में व्यापक कमी होगी। अत: इस संकट से निपटने का राजकोषीय उपाय काफी बारीकी के साथ किया जाना चाहिए। न केवल राजकोषीय पैकेज के आकार को देखना महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके स्वरूप को भी ध्यान में रखना होगा। परिषद ने अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक व्यय के रूप में सहायता के संदर्भ में विभिन्न सुझावों से वित्त आयोग को अवगत कराया। उनका मानना है कि अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित विचार अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे।(ए) लघु उद्यम तो कोविड का प्रकोप शुरू होने से पहले से ही नकदी की कमी से जूझ रहे थे। चूंकि उनकी गतिविधियों का स्तर और नकदी का प्रवाह प्रभावित हो रहा है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस समस्या को दूर करने में सहयोग देने के लिए एक सहायता व्यवस्था तैयार की जाए।(बी) परिषद का यह भी मानना है कि विभिन्न राज्यों को महामारी के प्रभाव से मुक्त होने में अलग-अलग समय लगेगा। इसलिए विभिन्न राज्यों में आर्थिक गतिविधियों की बहाली अलग-अलग गति से होगी।
- नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी की रोक-थाम के लिए लागू पाबंदियों के मद्देनजर मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ने ग्राहकों के लिए अक्षय तृतीया पर ऑनलाइन सोना खरीदने की सुविधा शुरू की है।कंपनी ने सोशल मीडिया पर प्रामिसटूप्रोटेक्ट अभियान शुरुआत किया है जिसमें सोने की कीमत और सोने की सुरक्षा का वादा किया गया है। कंपनी की विज्ञप्ति के अनुसार पूरे देश में लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों पर रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में कंपनी उन्हें घर से ही सोने की खरीद की सुविधा प्रदान कर रही है। इस नई पेशकश के बारे में बात करते हुए मालाबार ग्रुप के चेयरमैन एम.पी.अहमद ने कहा कि जो लोग इस समय में एक सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए सोना सही मौका प्रदान करता है। अभियान के तहत ग्राहक 26 अप्रैल तक ऑनलाइन सोना बुक करा सकते हैं।----
- नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कोविड-19 से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों को पांच अरब डॉलर की त्वरित वित्तीय सहायता के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक की सराहना की है। इसमें भारत के लिए एक अरब डॉलर की आपात सहायता भी शामिल है।वीडियो कॉन्फ्रेंस से कल बैंक संचालन बोर्ड की पांचवीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए श्रीमती सीतारामन ने सहायता राशि बढ़ाकर 5 से 10 अरब डॉलर करने का सुझाव दिया।उन्होंने कोविड-19 आपात कोष गठित करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल और ज़रूरतमंद देशों को आवश्यक औषधि भेजने के भारत के प्रयासों का उल्लेख किया। ब्राजील के वित्त मंत्री ने समय पर ज़रूरी दवाएं भेजने के लिए भारत का आभार व्यक्त किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कोविड-19 से निपटने के लिए भारत के अन्य उपायों की भी जानकारी दी। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली मजबूत करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के आवंटन तथा निर्धन और ज़रूरतमंद लोगों की कठिनाईयां दूर करने की सामाजिक सहायता योजना का भी उल्लेख किया। श्रीमती सीतारामन ने न्यू डेवलपमेंट बैंक से जी-20 फोरम से जुडऩे और ब्रिक्स देशों को सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में मदद देने का आग्रह किया।न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को ब्रिक्स के सदस्य देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा वर्ष 2014 में स्थापित किया गया था। एनडीबी का उद्देश्य ब्रिक्स और अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं तथा विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे एवं सतत विकास परियोजनाओं के लिए व्?यापक संसाधन जुटाना है, ताकि वैश्विक प्रगति व विकास के लिए बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा वर्तमान में किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाई जा सके। एनडीबी ने अब तक भारत की 14 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें 4,183 मिलियन डॉलर की राशि निहित है।
- 0 कंपनी के सीओओ छत्तीसगढ़ स्वयं जुटे हैं अभियान में0 प्रशासन के साथ मिलकर पहुंचाई जा रही जरूरतमंदों तक मदद0 संयंत्र में भी किए जा रहे सुरक्षा के सभी जरूरी उपायरायगढ़/रायपुर। कोविड-19 महामारी से लडऩे के लिए जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड लगातार केंद्र और राज्य सरकार तथा स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जरूरतमंदों तक हरसंभव मदद मुहैया कराने में जुटा हुआ है। कंपनी के सीओओ छत्तीसगढ़ दिनेश कुमार सरावगी खुद इस दिशा में पूरी सक्रियता से जुटे हुए हैं।दुनियाभर में फैली महामारी कोविड-19 से जूझने के लिए देश एकजुटता का परिचय दे रहा है। इस कठिन दौर में जरूरतमंदों तक अधिक से अधिक सहायता पहुंचाने के लिए जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड द्वारा पूरी प्रतिबद्धता से प्रयास किए जा रहे हैं।लॉकडाउन अवधि में सभी जरूरतमंदों तक खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड रायगढ़ जिला प्रशासन के साथ मिलकर जुटा हुआ है। जेएसपीएल संयंत्र ने दिनेश कुमार सरावगी के नेतृत्व में इस वर्ष प्रोडक्शन और डिस्पैच में नया रिकॉर्ड बनाया है। संयंत्र के तकनीकी मोर्चे के साथ ही इस कठिन समय में श्री सरावगी सामाजिक मोर्चे पर भी सक्रिय हैं।श्री सरावगी ने बताया कि चेयरमैन नवीन जिंदल के मार्गदर्शन में कंपनी, अपनी ओर से हरसंभव मदद मुहैया कराने का पूरा प्रयास कर रही है। पहले चरण में राशन और खाद्य सामग्री के वितरण के बाद जेएसपीएल ने मास्क, सैनिटाइजर आदि उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब रायगढ़ जिला प्रशासन के निर्देशन में जरूरत के अनुसार सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। रायगढ़ के फोर्टिस-ओपी जिंदल अस्पताल में 113 बिस्तर कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं। कोरोना वारियर्स के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि हम इस संवेदनशील विषय पर प्रशासन के निरंतर संपर्क में हैं और भविष्य में भी कंपनी हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्री सरावगी ने बताया कि एक दिन पहले ही संयंत्र की ओर से रायगढ़ जिले के नगर पंचायत किरोड़ीमलनगर को 15 क्विंटल चावल की अतिरिक्त खेप प्रदान की गई है। इससे पहले भी चावल, दाल, आलू, प्याज, नमक आदि सामग्री जरूरतमंदों के लिए यहां पहुंचाई गई थी। जेएसपीएल फाउंडेशन की टीम ने रायगढ़ जिले के आसपास के करीब 20 गांवों में जरूरी खाद्य सामग्री के साथ ही मास्क, सैनिटाइजर आदि का वितरण किया है। साथ ही किरोड़ीमलनगर सहित आसपास के क्षेत्र में फॉगिंग एवं सैनिटाइजेशन के काम में भी जेएसपीएल की ओर से पूरी मदद की गई है। नगर पंचायत किरोड़ीमल नगर एवं अनेक ग्राम पंचायतों ने धन्यवाद पत्र के माध्यम से जेएसपीएल के योगदान पर आभार जताया है।जेएसपीएल में काम रहे कर्मचारियों एवं श्रमिकों को संक्रमण से बचाने के लिए भी सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। सीओओ ,छत्तीसगढ़ दिनेश कुमार सरावगी ने बताया कि कार्यस्थल पर भी फिजिकल डिस्टेन्सिंग के साथ हैंडवाश, साबुन आदि की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। संयंत्र के साथ ही कॉलोनी परिसर में भी सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। इसके अलावा संयंत्र में आने-जाने वाले ट्रकों और दूसरे वाहनों को भी एंट्री गेट पर ही सैनिटाइज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी विभागों को फिजिकल डिस्टेन्सिंग सहित कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सावधानियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और कड़ाई से पालन के लिए निर्देशित किया गया है।---
- ओडिशा में कोविड-19 के उपचार के लिए बनाए गए दो विशेष अस्पतालों को नाल्को और एमएसीएल देगी मददनई दिल्ली। नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को) और कोल इंडिया की सहायक कंपनी महानदी कोल फील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ओडिशा में कोविड 19 के उपचार के लिए बनाए गए दो विशेष अस्पतालों के लिए पूरी वित्तीय मदद देंगी। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तथा केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मिलकर इन अस्पतालों का आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया।श्री जोशी ने इस अवसर पर कहा यह गर्व की बात है कि कोयला और खान मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रमों ने कोविड-19 से निबटने के प्रयासों में राज्य सरकारों की हर संभव मदद की है । कोविड-19 के उपचार से संबधित सभी सुविधाओं वाले ये अस्पताल ओडिशा के लोगों के लिए एक बड़ी मदद साबित होंगे। नाल्को इनमें से ओडिशा के नबरंगपुर जिले में स्थापित दो सौ बिस्तरों वाले अस्पतात का वित्तपोषण करेगी,जबकि एमसीएल राज्य के अंगुल जिले के तालचेर में शुरू किए गए एक सौ पचास बिस्तरों वाले अस्पताल को पूरी वित्तीय सहायता देगी।एमसीएल ने इस अस्पताल के लिए अपने मेडिकल कॉलेज का बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया है।श्री जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार पहले से ही राज्य सरकारों को कोविड-19का मुकाबला करने के लिए जिला खनिज निधि (डीएमएफ) में उपलब्ध शेष राशि का 30 प्रतिशत तक उपयोग करने की अनुमति देने के दिशानिर्देश जारी कर चुकी है। यह ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्य को इस महामारी से लडऩे में मदद करेगा।उल्लेखनीय है कि, नाल्को के कर्मचारी अपने एक दिन का वेतन ओडिशा मुख्यमंत्री राहत कोष में पहले ही दान दे चुके हैं। यह राशि कुल2.5 करोड़ रूपए है। दूसरी ओर एमसीएल भुवनेश्वर में सरकार द्वारा कोविड-19 के उपचार के लिए विशेष रूप से बनाए गए पांच सौ बिस्तर वाले अस्पताल का वित्त पोषण कर रही है। कोल इंडिया की इस सहायक कंपनी ने हाल ही में ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में 50 से अधिक बिस्तरों वाला एक आइसोलेशन केन्द्र भी बनाया है जहां कोविड संक्रमित लोगों को पृथक रूप से रखने की व्यवस्था है। कंपनी घिरे हुए क्षेत्रों को संक्रमण मुक्त करने के लिए स्वदेशी तकनीक से निर्मित अत्याधुनिक उपकरण फॉग कैनन का इस्तेमाल कर रही है। इसके अलावा कोयला खदानों में काम करने वाले खनिकों और खदानों के आसपास रहने वाले लोगों के बीच अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर और मास्क वितरित करने का काम भी कर रही है।नाल्को, खान मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है जबकि एमसीएल, कोल इंडिया लिमिटेड सीआईएलकी सहायक कंपनी है, जो भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के तहत काम करती है। नाल्को, देश में बॉक्साइट, एल्यूमिना और एल्युमीनियम के उत्पादन में क्रमश 32, 33 और 12 प्रतिशत का योगदान देती है जबकि सीआईएल देश के 80 प्रतिशत कोयले का उत्पादन करती है।****
- नई दिल्ली। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा दावों पर दो घंटे के भीतर निर्णय लेने को कहा है। इस पहल का मकसद कोरोना वायरस महामारी के कारण देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचे पर दबाव को कम करना है।बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक परिपत्र में कहा कि कोरोना वायरस के कारण मौजूदा स्थिति के साथ स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधा पर दबाव बढ़ा है। इसे कम करने की जरूरत को देखते हुए सभी बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा दावों पर तेजी से निर्णय करें। इरडा के अनुसार यह सुनिश्चित करने के लिये कि सभी स्वास्थ्य बीमा दावों का निपटान तेजी से होगा, बीमा कंपनियां समय सीमा का पालन करेंगी। परिपत्र में कहा गया है, कैशलेस इलाज के बारे में अनुरोध पत्र आने के और अस्पताल या टीपीए से अंतिम जरूरी सूचना, जो भी पहले हो, के बाद दो घंटे के भीतर इस बारे में निर्णय की जानकारी नेटवर्क अस्पताल को देनी होगी। पुन: अंतिम रूप से अस्पताल से छुट्टी के बारे में निर्णय अंतिम बिल आने तथा अस्पताल या टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) से अंतिम जरूरी सूचना, जो भी पहले हो, उसके दो घंटे के भीतर निपटान करने की जरूरत होगी। इरडा ने सभी साधारण और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों (ईसीजीसी और एआईसी को छोड़कर) को इस संबंध में जारी दिशानिर्देश संबंधित टीपी को जारी करने को कहा है।
- नई दिल्ली। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) ने कहा है कि सभी तरह के खुदरा व्यापारियों को घर पर सामान पहुंचाने की अनुमति दे देनी चाहिये। उसने कहा कि पड़ोस की दुकानों समेत सभी तरह के खुदरा विक्रेताओं को अपने प्रतिष्ठान में परिचालन की अनुमति दी जानी चाहिए।आरएआई ने कहा कि पड़ोस की दुकानों और अनिवार्य वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली बड़ी श्रृंखलाओं को होम डिलिवरी की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे सामुदायिक दूरी के नियम का पालन करते हुए ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी। आरएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार राजगोपालन ने एक बयान में कहा कि ऐसे समय में उनका संगठन ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने में विश्वास रखता है। इसलिए ग्राहकों तक सीधे सामान पहुंचाने की सुविधा का आधार बढ़ाया जाना चाहिए। मोहल्ले और पड़ोस की दुकानों समेत हर तरह के खुदरा व्यापारी को घर पर सामान पहुंचाने की अनुमति दी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से सामुदायिक दूरी के नियम का अच्छे से पालन करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मोबाइल फोन, लैपटॉप, बच्चों के कपड़े और अन्य घरेलू सामानों की आपूर्ति करने में सभी सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुए संपर्क रहित डिलिवरी की जानी चाहिए।
- नई दिल्ली। डेटा संग्रहित करने की चिंता बहुत जल्द इतिहास बननी वाली है क्योंकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के अनुसंधानकर्ता ऐसी चुंबकीय रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) विकसित कर रहे हैं जो तेज है, कम ऊर्जा लेती है और मौजूदा डेटा संग्रहण प्रौद्योगिकियों की तुलना में कम मात्रा में ज्यादा डेटा संग्रहित करने में सक्षम होगी।इस प्रौद्योगिकी को पेटेंट कराने की प्रक्रिया से गुजर रही टीम ने दावा किया है कि स्पिन ट्रांसफर टॉर्क (एसटीटी) आधारित सूक्ष्म स्पिनट्रोनिक उपकरण बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचने पर होने वाले डेटा नुकसान को भी रोकेगा और इस तरह इनमें अगली पीढ़ी के कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों के निर्माण की क्षमता है।अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, चुंबकीय रैम जिसमें डेटा को इलेक्ट्रॉन के घुमाव से दर्शाया जाता है वह पारंपरिक चार्ज आधारित रैम की तुलना में ज्यादा बेहतर संग्रहण क्षमता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि स्पिनट्रोनिक प्रौद्योगिकी पर काम करने वाला उपकरण इलेक्ट्रॉन के घुमाव का इस्तेमाल सूचना को तैयार और प्रसारित करने के लिए करता है जबकि सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इलेक्ट्रॉन चार्ज का इस्तेमाल किया जाता है। चुंबकीय स्थिति का प्रयोग कर इलेक्ट्रॉन के घुमाव को काम में लाने को ही स्पिन ट्रांसफर टॉर्क-मैग्नेटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (एसटीटी-एमआरएएम) कहा जाता है।आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सह प्राध्यापक सतिंदर के शर्मा ने कहा, सार्वभौमिक मेमोरी उपकरणों में संग्रहण का घनत्व अधिक होना चाहिए, उनका संचालन और गैर परिवर्तनशीलता अत्यधिक तेज होनी चाहिए ताकि बिजली न रहने पर भी डेटा बचा रहे। आधुनिक समय में यह जरूरत ज्यादा प्रासंगिक हो गई है क्योंकि डिजिटल उपकरणों की अधिकता 2024 तक इतनी मात्रा में डेटा उत्पन्न करेंगे कि हर पल उसके लिए एक हजार अरब हार्ड ड्राइव्स की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा अर्धचालक रैम डेटा संग्रहण की इस व्यापक मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। इतना ही नहीं डेटा विज्ञान के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मेमोरी क्षमता की मांग 2020 के अंत तक उसके उत्पादन से आगे निकल जाएगी। आईआईटी टीम का यह अनुसंधान प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका आईईईई ट्रांजैक्शन्स ऑन इलेक्ट्रॉन डिवाइसेस में प्रकाशित हुआ है।--
- रायपुर। कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए छत्तीसगढ़ के दो औद्योगिक संस्थानों मेसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड रायगढ़ और मेसर्स भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) कोरबा ने राज्य सरकार को 2 हजार पीपीई किट और 5 हजार सर्जिकल मास्क और सेनेटाइजर उपलब्ध कराएं हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मदद के लिए इन औद्योगिक संस्थानों की सराहना की है।यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय छत्तीसगढ़ ने ट्वीट के माध्यम से दी है। ट्वीट के साथ संलग्न विज्ञप्ति में बताया गया है कि पिछले तीन दिनों में मेसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड रायगढ़ ने एक हजार पीपीई किट और मेसर्स भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) कोरबा ने एक हजार पीपीई किट और 500 नग (500 एम.एल) सेनेटाइजर तथा 5 हजार नग सर्जिकल मास्क भी प्रदान किया है।इसमें से 300 पीपीई किट उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने जिला जगदलपुर (बस्तर) और 200 पीपीई किट सुकमा जिला प्रशासन को सौंपी है।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक संस्थानों से कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए अधिक से अधिक संख्या में आवश्यक चिकित्सकीय सामग्री उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
- रायपुर। कोरोना रोकथाम में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों को न केवल देश भर में सराहना मिली, बल्कि आज रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश व्यापी लॉकडॉउन के बावजूद छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में आर्थिक क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि देखी गयी जो कि देश में सुखद वातावरण बनाता है।रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, पिछले तीन हफ्तों में, घरेलू विकास पर कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं, लेकिन वे अर्थव्यवस्था की स्थिति का व्यापक मूल्यांकन करने के लिए बहुत निराश करते है। इन सबके बावजूद छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, असम, कर्नाटक जैसे राज्य तालाबंदी के बावजूद बुवाई गतिविधि में अग्रणी हैं। खाद्यान्न और बागवानी के उत्पादन में, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के सभी कार्य में निरन्तर तेज़ी बनी रहने के कारण इन राज्यों में देश के अन्य विकसित राज्यों के मुक़ाबले आर्थिक विकास की दर काफ़ी अच्छी है।---
- नई दिल्ली। रुपये में गिरावट और वित्तीय बाजार के अन्य क्षेत्रों में अस्थिरता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने कई नियामक उपायों की घोषणा की है। बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज रिवर्स रैपोरेट को चार प्रतिशत से घटाकर तीन दशमलव सात पांच प्रतिशत करने की घोषणा की। रैपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।रिजर्व बैंक के गवर्नर ने लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान से उबरने के लिये लघु और मध्यम उद्योगों के लिए पचास हजार करोड़ रुपये के पैकेज की भी घोषणा की। श्री दास ने यह भी घोषणा की कि बैंकों के फंसे कर्जों के लिए समाधान योजना की अवधि नब्बे दिन तक बढ़ा दी जायेगी। उन्होंने बताया कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा रियल एस्टेट कंपनियों को दिये गये ऋणों पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिये जाने वाले लाभ के समान लाभ दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इन उपायों से बाजार नकदी का प्रवाह बनाये रखने में मदद मिलेगी, बैंक ऋण सुविधा बढ़ेगी। वित्तीय दबाव कम होगा और बाजारों का औपचारिक संचालन हो सकेगा।श्री दास ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुमान के अनुसार भारत की विकास दर जी-20 देशों में सबसे अधिक रहने की आशा है। उन्होंने कहा कि मॉनसून पूर्व खरीफ-बुवाई काफी अच्छी हुई है और मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान व्यक्त किया है।----
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नई दिल्ली। सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) ने पानी में भारी धातु के आयनों का पता लगाने के लिए एक कॉम्पैक्ट सॉलिड-स्टेट सेंसर विकसित किया है। यह एक पोर्टेबल यंत्र है जो दूरदराज के क्षेत्रों में ऑनसाइट खोज में मदद कर सकता है।
सीसा, पारा और कैडमियम जैसे भारी धातु के आयन सजीव प्राणियों के लिए बेहद गंभीर खतरे पैदा करते हैं क्योंकि वे आसानी से उनके शरीर में जमा हो सकते हैं और किसी भी रासायनिक या जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उन्हें बाहर (डीटोक्सीफाई) नहीं किया जा सकता है। पानी में भारी धातु के आयनों से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए इन आयनों के तेजी से ऑनसाइट खोज के लिए कुशल और पोर्टेबल सेंसर विकसित करने की जरुरत है। ऐसे दृश्य सेंसरों के विकास की आवश्यकता है, जो परिवेश की स्थितियों के तहत भारी धातु के आयनों का तेजी से (चंद सेकंड के भीतर) प्रभावी ढंग से पता लगा सकें।डॉ. प्रलय के. संतरा की अगुवाई में सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक कॉम्पैक्ट सॉलिड - स्टेट सेंसर विकसित किया है। इस सेंसर की फिल्म को मैंगनीज डोप्ड जिंक सल्फाइड क्वांटम डॉट्स एवं एक ग्लास सब्सट्रेट पर रिड्यूस्ड ग्राफीन ऑक्साइड के बीच संश्लेषण करके तैयार किया गया है। ये विशेष क्वांटम डॉट्स पानी में घुलनशील हैं और इनमें उच्च मात्रा में फोटोलुमिनेसेंस (9 30त्न) क्वांटम हैं, जिसकी वजह से वे ल्यूमिनेन्स - आधारित सेंसिंग के लिए उपयुक्त हैं। ये क्वांटम डॉट्स 254 एनएम के हैंडहेल्ड यूवी प्रकाश से उद्दीप्त हो सकते हैं और इस प्रकार वे दूरदराज के क्षेत्रों में भी एक पोर्टेबल डिवाइस को संभव बना सकते हैं। अगर पारा, सीसा, कैडमियम आदि जैसे भारी धातु के आयनों वाली पानी की एक बूंद को इस मिश्रित फिल्म से जोड़ा जाता है, तो फिल्म का उत्सर्जन चंद सेकंडों के भीतर हो जाता है।यह अध्ययन पानी में भारी धातु आयनों की आसान पहचान को दर्शाता है। हालांकि, शोधकर्ताओं की टीम पहचान की चयनात्मकता में सुधार लाने की रणनीति विकसित कर रही है।-- - नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने लॉकडाउन के दौरान 15 दिन में भविष्य निधि (पीएफ) निकासी के करीब 950 करोड़ रुपये के 3.31 लाख दावे निपटाए हैं।श्रम मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान अंशधारकों को राहत देने के लिए ईपीएफ योजना से विशेष निकासी का प्रावधन 28 मार्च को जोड़ा गया था। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) पैकेज के तहत यह विशेष राहत दी गई थी। मंत्रालय ने कहा कि इस कार्यक्रम के 15 दिन के भीतर ईपीएफओ ने 946.49 करोड़ रुपये के 3.31 लाख निकासी दावों का निपटान किया है। इसके अलावा पीएफ न्यासों ने 284 करोड़ रुपये का वितरण किया है। इसमें टीसीएस भी शामिल है।
- नई दिल्ली। नागर विमानन मंत्रालय ने कहा है कि जिन यात्रियों ने तीन मई तक यात्रा करने के लिये लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान विमान टिकट बुक कराये थे, उन्हें एयरलाइनों से पूरा पैसा वापस मिलेगा और टिकट रद्द होने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।दरअसल, कई यात्री सोशल मीडिया पर यह शिकायत कर रहे हैं कि घरेलू एयरलाइनों ने लॉकडाउन के चलते रद्द हो चुकी उड़ानों के लिये नकद में किराये की राशि नहीं देने का फैसला किया है और इसके बजाय उक्त राशि को भविष्य की यात्रा में समायोजित करने का प्रस्ताव कर रहा है। गौरतलब है कि भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू किया था। इसका दूसरा चरण 15 अप्रैल से तीन मई तक है। इस दौरान हवाई सेवाएं भी रद्द कर दी गई हैं।---
- नई दिल्ली / रायपुर। नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। देश में हेड हार्डेंड रेल की इकलौती और निजी क्षेत्र की एकमात्र रेल निर्माता कंपनी जेएसपीएल को रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) से कोलकाता मेट्रो कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए 2308 मीट्रिक टन हेड हार्डेंड रेल आपूर्ति का ऑर्डर मिलने के बाद फ्रांस से भी 12 हजार टन विशिष्ट रेल ब्लूम सप्लाई का ऑर्डर मिला है।ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी जेएसपीएल के प्रोडक्ट्स में रुचि दिखाई है और उन राष्ट्रों से भी कंपनी को शीघ्र ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।जे.एस.पी.एल. के प्रबंध निदेशक वी.आर. शर्मा ने पूरी टीम को इस सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण के प्रति निष्ठा और समर्पण की कंपनी की नीतियों के कारण यह संभव हुआ है। कंपनी के चेयरमैन नवीन जिन्दल के दूरदर्शी नेतृत्व में जेएसपीएल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्यात संबंधी संकल्प को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने स्टील उत्पादन को आवश्यक वस्तु अधिनियम में रखे जाने के लिए भी इस्पात मंत्री का आभार जताया।श्री शर्मा ने प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया पहल को गेम चेंजर बताते हुए कहा कि इस्पात मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने स्टील कंपनियों को जो कारगर रोडमैप दिया है, उसके लिए हम केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और केन्द्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आभारी हैं। यह सरकार के प्रोत्साहन से ही संभव हुआ है कि स्टील के जिन ग्रेड्स का आज तक आयात किया जाता था, उसे हम देश में ही बनाने लगे हैं।श्री शर्मा ने कहा कि जेएसपीएल विश्वास दिलाती है कि वह अपने अनुसंधान और परिश्रम के बल पर सभी ग्रेड के स्टील बनाने में सक्षम है और घरेलू ग्राहकों को विश्व स्तरीय क्वालिटी के प्रोडक्ट उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि फ्रांस से 12 हजार टन विशिष्ट रेल ब्लूम का ऑर्डर मिला है, जिसकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही जेएसपीएल फ्रांस रेलवे के नियमित सप्लायरों की सूची में आ गई है। अब फ्रांस से नियमित रूप से ऑर्डर मिलते रहेंगे।वी.आर. शर्मा ने कहा कि जेएसपीएल इनोवेशन में विश्वास करती है और रेल सेक्टर में अनेक सफल प्रयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर और देश में बढ़ती मेट्रो की मांग को देखते हुए जेएसपीएल ने रेल मंत्रालय के अधीन कार्यरत रिसर्च डिजायंस एंड स्टैंडड्र्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) का प्रमाणपत्र मिलने के बाद 1080 एचएच (हीट ट्रीटेड) ग्रेड पटरियों का उत्पादन शुरू किया, जिसका पहला ऑर्डर (2308 टन) रेल विकास निगम लिमिटेड से मिला है। हम इसकी आपूर्ति इसी महीने से शुरू कर देंगे। रेलवे की मांग को देखते हुए जेएसपीएल अब विशेष आर 260 ग्रेड की पटरियां भी बनाने जा रही है जो प्रति डिब्बे वर्तमान 64 के मुकाबले 75 टन भार सहने की क्षमता वाली होगी।हेड हार्डेंड रेल का इस्तेमाल मेट्रो रेल और तेज गति वाली फ्रेट कॉरिडोर में होता है क्योंकि इन ट्रेनों में न सिर्फ अधिक भार होता है बल्कि ये मार्ग अपेक्षाकृत अधिक व्यस्त होते हैं और पहिये-पटरियों के बीच घर्षण भी ज्यादा होती है। इसके अलावा इन ट्रेनों की गति अचानक बढ़-घट जाती है और बार-बार ब्रेक लेने की नौबत आती है इसलिए हेड हार्डेंड रेल को फौलाद की तरह बनाया जाता है ताकि पटरियों के पिघलने, टूटने की गुंजाइश न रहे।हेड हार्डेंड रेल का निर्माण विशेष हीट ट्रीटमेंट प्रक्रिया से किया जाता है जिस कारण सामान्य रेल पटरियों के मुकाबले लगभग 50 फीसदी अधिक कठोरता इसमें आ जाती है, जो मेट्रो रेल और मालगाडिय़ों, दोनों के लिए आवश्यक होती है और जिससे हादसे की आशंका न के बराबर रह जाती है।---
- नई दिल्ली। उद्योग मंडल फिक्की ने निजी सुरक्षा गार्ड, साफ-सफाई कर्मचारी और कारखानों में श्रमिकों की आपूर्ति करने जैसे आउटसोर्स सेवा कारोबार को वित्तीय मदद मुहैया कराने की जरूरत बतायी है।फिक्की ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस क्षेत्र को जीएसटी में छूट और भविष्य निधि में अंशदान इत्यादि के रूप में वित्तीय सहायता देने की मांग की है। यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देता है। इसमें एटीएम के लिए नकदी लाने ले जाने वाली सेवा भी शामिल है। फिक्की के अनुसार इन क्षेत्रों का सालाना कारोबार आकार करीब एक लाख करोड़ रुपये है। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के कुल संग्रह में योगदान देने वाला यह तीसरा बड़ा क्षेत्र है। पिछले साल इस क्षेत्र का जीएसटी संग्रह में योगदान करीब 25 हजार करोड़ रुपये था। इसके अलावा इस क्षेत्र ने सबसे कम इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दावे भी दाखिल किए हैं। इस क्षेत्र में करीब 10 हजार लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं।इन कंपनियों ने अगले तीन महीने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत कार्यबल के पारिश्रमिक में 35 प्रतिशत सब्सिडी और अगले छह महीने के लिए 25 प्रतिशत कार्यबल के लिए इतनी ही सब्सिडी की मांग रखी है। फिक्की की निजी सुरक्षा उद्योग समिति के चेयरमैन रितुराज सिन्हा ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि इस उद्योग की कंपनियों के लिए मौजूदा कार्यबल स्तर को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। इसलिए इनको वित्तीय मदद पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में इस उद्योग की आय में 25 से 50 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। इससे नौकरियां में कटौती करनी होगी। यह कारोबार कम मार्जिन और अधिक कार्यशील पूंजी के आधार पर चलता है। अगर भविष्य में इन सेवाओं को लेने वाली कंपनियां अपनी मांग कम करती या उन सेवाओं का मूल्य कम लगाती है अथवा भुगतान में देरी होती है तो करीब एक करोड़ के कार्यबल को पारिश्रमिक देना कठिन हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने वित्त मंत्री से जीएसटी राहत देने की भी अपील की है। फिक्की ने 100 की संख्या तक कर्मचारी वाली कंपनियों के कर्मचारियों को दी रही भविष्य निधि अंशदान राहत को इस क्षेत्र की 100 से कम कर्मचारियों वाली सभी कंपनियों को भी दिए जाने की सिफारिश की है।---