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आरबीआई के कदम से कर्ज होगा महंगा, पर आवास मांग पर मामूली असर: रियल्टी उद्योग

आरबीआई के कदम से कर्ज होगा महंगा, पर आवास मांग पर मामूली असर: रियल्टी उद्योग

 
नयी दिल्ली.  भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर में वृद्धि से आवास ऋण की ब्याज दरों में वृद्धि से मकानों की मांग पर असर पड़ेगा। हालांकि यह असर हल्का और कुछ समय के लिये ही होगा। रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों ने बुधवार को यह कहा। उनका यह भी कहना है कि कर्ज महंगा होने से मकानों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
 
आरबीआई ने बुधवार को महंगाई को काबू में लाने के लिये बुधवार को रेपो दर 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। रियल्टी क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा, ‘‘रेपो देरों में वृद्धि का घर खरीदारों समेत अंतिम उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ता है क्योंकि बैंक को इस वृद्धि का भार अंतत: ग्राहकों पर ही डालेंगे और कुछ ही समय में इसका मांग पर असर पड़ सकता है।'' संपत्ति परामर्शदाता एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने आवास बिक्री पर कुछ असर पड़ने की आशंका जताई और कहा, ‘‘रेपो दर में वृद्धि का आवास ऋण की ब्याज दरों पर निश्चित ही असर पड़ेगा। ब्याज दर जब तक एकल अंक में रहती है तब तक आवास पर इसका असर नरम ही रहेगा।'' गौड़ समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और क्रेडाई (एनसीआर) के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘मौजूदा रेपो दर में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए उत्साहजनक नहीं है। इस साल मई के बाद से यह पांचवीं वृद्धि है और इन आठ महीनों में ही 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस लगातार बढ़ोतरी से क्षेत्र को निश्चित रूप से नुकसान होगा। हमें पूरी उम्मीद है कि यह दरों में आखिरी वृद्धि होगी, अन्यथा रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी कायम नहीं रह पाएगी और इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।'' वाणिज्यिक रियल एस्टेट सेवा प्रदाता कंपनी सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (भारत, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा, ‘‘रेपो दरों में 0.35 फीसदी की वृद्धि करने का कदम आरबीआई ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए उठाया है। यह वृद्धि अनुमानित थी। हमारा मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक सख्ती अब अंतिम चरण में है जो रियल एस्टेट उद्योग के लिए एक अच्छी खबर है।'' टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय दत्त ने कहा कि आरबीआई के इस कदम का आवास ऋण की ब्याज दरों पर असर पड़ेगा, इसके बावजूद 2022-23 की आगामी तिमाही रियल एस्टेट की सभी श्रेणियों में निवेश के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ रहने वाली है क्योंकि इसे कौशल आधारित रोजगार बाजार में मजबूती से गति मिलेगी। शपूरजी पलोनजी रियल एस्टेट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी वेंकटेश गोपालकृष्णन ने कहा, ‘‘रेपो देरों में 0.35 फीसदी की वृद्धि मुद्रास्फीति से निपटने और रियल एस्टेट उद्योग की वृद्धि को बनाए रखने, दोनों के लिहाज से ठीक है।'' रियल एस्टेट क्षेत्र के निकाय क्रेडाई (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा, ‘‘अभी यह क्षेत्र महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना शुरू ही किया है। ऐसे में नीतिगत दर में वृद्धि अच्छी नहीं है। डेवलपरों और खरीदारों को अपने मौजूदा कर्ज के लिए और अधिक पैसा देना होगा। उन्होंने कहा कि यह नई पेशकश और नए घरों की खरीद को भी प्रभावित करेगा। कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से रियल एस्टेट परियोजनाओं की लागत भी बढ़ेगी। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर किफायती श्रेणी पर पड़ेगा। वहीं मिगसन ग्रुप के प्रबंध निदेशक यश मिगलानी ने कहा कि रेपो दर में बढ़ोतरी का रियल एस्टेट की मांग पर विशेष असर नहीं पड़ेगा, लेकिन मुद्रास्फीति को रोकने में मदद जरूर मिलेगी जो रियल्टी क्षेत्र को भी प्रभावित करती है। एसकेए समूह के निदेशक संजय शर्मा ने भी कहा कि आरबीआई महंगाई को कम करने का प्रयास कर रहा है। महंगाई कम होने का फायदा अप्रत्यक्ष रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र को होगा। दूसरी ओर, मांग बढ़ने से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि को भी समर्थन मिलेगा।        कॉलियर्स इंडिया में प्रबंध निदेशक (पूंजी बाजार एवं निवेश सेवा) पीयूष गुप्ता ने कहा, ‘‘किफायती और मध्यम कीमतों वाले आवासों पर कीमतों का बड़ा असर पड़ता है और इनमें निकट भविष्य में कुछ नरमी देखने को मिल सकती है क्योंकि दरों में वृद्धि से आवास ऋण की दर भी बढ़ेगी। हालांकि महंगे और अनेक सुविधाओं वाले आवासों की मांग पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।'' रियल एस्टेट समूह 360 रियल्टर्स के प्रबंध निदेशक अंकित कंसल ने कहा कि मुद्रास्फीति न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अधिक है और महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए कदम उठाना अनिवार्य है। वहीं, रेजिडेंशियल भारतीय अर्बन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अश्विंदर आर सिंह ने कहा कि ब्याज दर बढ़ने से निर्माण और अन्य कर्ज महंगे होंगे, जिससे मकान की कीमतों पर असर पड़ेगा। अब यह जरूरी है कि कंपनियां एक बेहतर उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित कर स्वयं को ज्यादा लाभदयक स्थिति में लायें। सिग्नेचर ग्लोबल के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि मुद्रास्फीति के परिदृश्य के मद्देनजर यह अनुमान था कि केंद्रीय बैंक दरों में वृद्धि करेगा और इसका असर आवास ऋण की दरों पर पड़ेगा। हालांकि बीते एक साल में दरों में कई बार वृद्धि के बावजूद उद्योग में मांग मजबूत बनी हुई है और हमें उम्मीद है कि यह जारी रहने वाला है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘यह उम्मीद करते हैं कि यह दरों में अंतिम वृद्धि होगी क्योंकि और बढ़ोतरी करने पर घर खरीदारों विशेषकर किफायती और मध्यम श्रेणी के खरीदरों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ेगा। रेपो दरों में वृद्धि को अनुमान के मुताबिक बताते हुए इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमित गोयल ने कहा, ‘‘आवास ऋण पर ब्याज दरों में 1.50 फीसदी की वृद्धि का असर देश के शीर्ष सात शहरों में आवास मांग पर नहीं पड़ा और मांग में मजबूती जारी है। हमारा मानना है कि जब तक आवास ऋण पर ब्याज दर एकल अंक में रहती है तब तक मांग में गति जारी रहेगी।'' त्रेहन समूह के प्रबंध निदेशक सारांश त्रेहन ने आरबीआई के कदम को संतुलन भरा बताया। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक ने यह कदम मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए उठाया और इसके साथ ही वृद्धि को प्राथमिकता दी। उच्च ब्याज दरों वाली व्यवस्था उद्योग और उपभोक्ता किसी को अच्छी नहीं लगती है, हमें उम्मीद है कि आगे जाकर मुद्रास्फीति की स्थिति में सुधार आएगा और दरों में भी धीरे-धीरे कमी आएगी।'' नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘आरबीआई ने रेपो दरों में 0.35 फीसदी की वृद्धि का फैसला बहुत ही विवेकपूर्ण ढंग से लिया है। पहले जो वृद्धि की गई थी वह कहीं अधिक थी। यह, संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक ऊंची मुद्रास्फीति के बावजूद निरंतर आर्थिक वृद्धि की दिशा में उठाया गया एक संतुलित कदम है। यह अनुमान के मुताबिक है...।

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