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रिजर्व बैंक ने  रेपो दर को रखा बरकरार; टॉप-अप लोन, क्रेडिट कार्ड से खर्च में बढ़ोतरी पर भी किया आगाह

 नई दिल्ली।  भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दर में एक बार फिर बदलाव नहीं किया है। एमपीसी ने अपनी 50वीं समीक्षा बैठक के बाद नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखी और उदार रुख वापस लेने के अपने नजरिये में भी कोई बदलाव नहीं किया। एमपीसी ने लगातार 9वीं बार नीतिगत दर अपरिवर्तित रखी।
एमपीसी ने खाद्य महंगाई से जुड़े जोखिमों का हवाला देते हुए रेपो दर में बदलाव नहीं किया और यह भी कहा कि कुछ बैंक एवं वित्तीय संस्थान आवास ऋण पर टॉप-अप लोन से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। आरबीआई ने यह भी कहा कि जोखिम भार बढ़ने के बाद भी क्रेडिट कार्ड से खर्च लगातार बढ़ता ही रहा है।
समिति में दो बाहरी सदस्य जयंत वर्मा और आशिमा गोयल रीपो दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में थे और उन्होंने रुख भी ‘तटस्थ’ करने पर जोर दिया। एमपीसी के निर्णय पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘समग्र मुद्रास्फीति अप्रैल और मई में 4.8 प्रतिशत रहने के बाद जून 2024 में बढ़कर 5.1 प्रतिशत तक पहुंच गई। खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से इसमें इजाफा दिखा है और ये कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।’
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति की चाल एवं इससे पैदा होने वाले जोखिमों को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक नीति के लिए सटीक दिशा में काम करते रहना जरूरी है।
एमपीसी के निर्णय पर एचडीएफसी बैंक की ट्रेजरी रिसर्च टीम ने कहा कि मौद्रिक नीति नीति का नजरिया सतर्क लग रहा है और आरबीआई खाद्य मुद्रास्फीति के खतरे को अधिक तवज्जो दे रहा है।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025 में आर्थिक वृद्धि एवं मुद्रास्फीति से जुड़े अनुमान में भी बदलाव नहीं किए हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.2 प्रतिशत और मुद्रास्फीति को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। हालांकि आरबीआई ने जुलाई-सितंबर के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 3.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है।
नोमुरा में मुख्य अर्थशास्त्री (भारत एवं एशिया, जापान शामिल नहीं) ने कहा, ‘निकट अवधि में मुद्रास्फीति का अनुमान संशोधित किया गया है मगर चौथी तिमाही में इसमें कमी करने से यह बेअसर हो गया है। यह संकेत है कि खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी अस्थायी है बाद में यह नरम हो जाएंगी।’ वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही के लिए मुद्रास्फीति दर 4.5 प्रतिशत से संशोधित कर 4.3 प्रतिशत कर दी गई है।
पहली तिमाही के लिए आर्थिक वृद्धि दर भी संशोधित कर 7.3 प्रतिशत की जगह 7.1 प्रतिशत कर दी गई है। वर्मा ने कहा कि पहली तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान कम करना थोड़ा अचरज भरा जरूर है क्योंकि अब तक आरबीआई वृद्धि अनुमान बढ़ाता आ रहा था। पिछले कुछ महीनों के दौरान वित्तीय बाजारों में अस्थिरता पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इससे किसी को फिक्र करने की जरूरत नहीं क्योंकि भारत की आर्थिक बुनियाद बहुत मजबूत है।
दास ने कहा कि बैंक ऋण आवंटन जारी रखने के लिए छोटी अवधि की गैर-खुदरा जमा की तरफ बढ़ रहे हैं जिससे बाद में बैंकिंग तंत्र तरलता से जुड़ी समस्याओं में फंस सकता है। दास ने कहा, ‘बैंकों को नई योजनाओं के जरिये घरेलू बचत आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए।’आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कुछ वित्तीय इकाइयां आवास ऋण पर टॉप-अप देने में नियमों का पालन हीं कर रही हैं जिससे जोखिम लगातार बढ़ रहा है। एमपीसी की अगली बैठक 7 से 9 अक्टूबर के दौरान होगी।

 

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