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 अगले चार सालों में भारत के डेटा सेंटर्स की क्षमता 500 मेगावाट बढ़ने की उम्मीद: अवेंडस कैपिटल

 नई दिल्ली।  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती मांग और उपयोग से भारत की डेटा सेंटर क्षमता अगले चार सालों में 500 मेगावाट तक बढ़ने की संभावना है। यह जानकारी इन्वेस्टमेंट बैंक अवेंडस कैपिटल की रिपोर्ट “पावरिंग डिजिटल इंडिया वॉल्यूम II” में दी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 540 मेगावाट से 2023 में 1,011 मेगावाट तक की वृद्धि के साथ, भारत का डेटा सेंटर बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक बन गया है। अगले तीन सालों में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 26 प्रतिशत की कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) पर होने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में निवेशकों का काफी ध्यान आकर्षित हो रहा है, जिनमें ग्रोथ-स्टेज प्राइवेट इक्विटी फर्म्स, लंबी अवधि के पेंशन फंड्स, और सॉवरेन वेल्थ फंड शामिल हैं।
डेटा सेंटर बाजार में निवेश का बढ़ता आकर्षण
अवेंडस कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एसेट्स इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के हेड, प्रतीक झावर ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत का डेटा सेंटर बाजार रियल एस्टेट और एआई में नए निवेश के लिए रास्ता खोलेगा। इससे सभी निवेशकों को बड़ा फायदा होगा। डेवलपर्स एक निर्माण और बिक्री मॉडल के साथ 25 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न कमा सकते हैं, जो इस क्षेत्र की अन्य रियल एसेट्स की तुलना में बेहतर रिटर्न दिखाता है।”रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि AI वर्कलोड्स में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो पारंपरिक क्लाउड कंप्यूटिंग से आगे निकल जाएगी। इसके चलते डेटा सेंटर्स की मांग में भी तेज वृद्धि की संभावना है। वैश्विक रुझानों से हटकर, भारत में हाइपरस्केलर्स अपने विशेष स्पेसिफिकेशन्स के अनुसार डेटा सेंटर्स बनाने और खुद रखने का विकल्प चुन रहे हैं। इस कदम को भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं और डेटा संप्रभुता के लिए नियामक दिशा-निर्देशों का समर्थन मिल रहा है।अवेंडस कैपिटल के अनुसार, इस समय भारत की लगभग 94 प्रतिशत डेटा सेंटर क्षमता देश के सात प्रमुख शहरों में है। आने वाले पांच वर्षों में, कुल नई क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत मुंबई में जोड़ा जा सकता है। चेन्नई में 25 प्रतिशत और दिल्ली में 15 प्रतिशत नई क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, टियर II और III शहरों में बढ़ते डेटा उपयोग और उपभोग के कारण छोटे डेटा सेंटर्स (एज डीसी) की मांग में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है।जो डेवलपर्स डेटा सेंटर्स का बड़ा नेटवर्क बना रहे हैं, उन्हें काफी फायदा होने की उम्मीद है। इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार किए गए (प्रीफैब्रिकेटेड) डेटा सेंटर्स एक तेज और असरदार समाधान के रूप में उभर रहे हैं। जो डेवलपर्स सिर्फ निर्माण से आगे बढ़कर काम कर रहे हैं, वे कोलोकेशन और प्रबंधित सेवाओं जैसी एंटरप्राइज सॉल्यूशंस भी दे रहे हैं, जिससे उनके पूंजी पर रिटर्न (ROCE) में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है।
निवेश और उद्योग का भविष्य
प्रतीक झावर ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि सार्वजनिक और निजी बाजारों में लेनदेन गतिविधियां बढ़ेंगी। चार साल से पुराने बड़े निवेश लिस्ट होने के मौके देखेंगे, जबकि डेवलपर्स इस डेवलपमेंट के लिए धन जुटाने की कोशिश करेंगे। लंबे समय तक निवेश करने वाले, जो प्रति निवेश $250 मिलियन से ज्यादा की कमिटमेंट कर रहे हैं, उनके आने से उद्योग परिपक्व हो रहा है और यह सुरक्षित रिटर्न भी दे रहा है।” इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत का डेटा सेंटर बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इसमें निवेशकों की बढ़ती रुचि का भी बड़ा योगदान है।

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