उपग्रह संचार के लिए प्रयुक्त प्रमुख आवृत्ति बैंड की सुरक्षा की जाए : उद्योग
नयी दिल्ली. उपग्रह-संचार उद्योग ने सरकार से आग्रह किया है कि उनके द्वारा प्रयुक्त प्रमुख आवृत्ति बैंड, विशेषकर ‘केए' और ‘केयू' बैंड को स्थलीय सेवाओं को आवंटित किए जाने से संरक्षित किया जाए। भारतीय सैटकॉम उद्योग संघ (एसआईए) ने भी सरकार से वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप लचीले उपयोग के लिए 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज बैंड को आईएमटी (अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार) को हस्तांतरित करने के बजाय इसे विशेष रूप से उपग्रह सेवाओं के लिए आरक्षित करने का आग्रह किया है। एसआईए-इंडिया के अध्यक्ष सुब्बा राव पुवुलुरी ने एक बयान में कहा, “सैटेलाइट बैंडविद्थ में कोई भी कमी न केवल ‘गेटवे' की आवश्यकताओं को दोगुना कर देगी, बल्कि सैटेलाइट संचालकों के लिए परिचालन लागत भी बढ़ाएगी, जिसका असर अंततः अंतिम उपयोगकर्ताओं पर पड़ेगा। हमें सैटेलाइट-संचार सेवाओं के लिए इन आवृत्ति बैंड के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचा जा सके।” उद्योग निकाय ने एनजीएसओ-आधारित स्थिर उपग्रह सेवाओं (एफएसएस) के लिए केयू और केए बैंड में विशिष्ट आवृत्ति रेंज का भी प्रस्ताव दिया है। एसआईए-इंडिया प्रमुख उपग्रह प्रदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें इनमारसैट, वायसैट, एसईएस, इंटेलसैट, टेलीसैट, ओम्नीस्पेस, अमेजन, एशियासैट और ह्यूजेस कम्युनिकेशंस शामिल हैं। एसोसिएशन ने ऐसे मामलों के लिए प्राधिकरण प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशा-निर्देशों की भी मांग की है, जैसे कि जब एक एकल उपग्रह ऑपरेटर गेटवे अर्थ स्टेशन और उपयोगकर्ता टर्मिनल सेवाएं दोनों प्रदान करना चाहता हो। एसआईए-इंडिया के महानिदेशक अनिल प्रकाश ने कहा, “उपग्रह संचार सेवाओं के विकास और विश्वसनीयता को समर्थन देने वाले सुव्यवस्थित एवं कुशल ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए इन दिशा-निर्देशों को स्थापित करना आवश्यक है।
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