डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट एवं एन.पी.के. उर्वरक बेहतर
बालोद, वर्षा ऋतु के आगमन के मद्देजनर कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को सामयिक सलाह दी गई है। कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि वर्षा प्रारंभ होते ही जिले में कृषि कार्य जोरो पर है। मौसम की अनुकुल परिस्थिति को देखते हुए इस वर्ष फसल अच्छी होने की संभावना है। जिले में किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, बीज एवं उर्वरकों का वितरण किया जा रहा है। जिले के डबल लॉक एवं सहकारी समितियों में यूरिया 12744 मेट्रिक टन, डी.ए.पी. 3460 मेट्रिक टन, एम.ओ.पी. 4448 मेट्रिक टन, एस.एस.पी. 9021 मेट्रिक टन एवं एन.पी.के. 5905 मेट्रिक टन की उपलब्धता है।
इसी प्रकार जिले के समितियों में अब तक कुल 33 हजार 443 मेट्रिक टन उर्वरक भण्डारण किया गया है। और अब तक 28 हजार 260 मेट्रिक टन उर्वरकों का वितरण कृषकों को किया जा चुका है। कृषकों के द्वारा डी.ए.पी. के उपयोग को अधिक प्राथमिकता दिया जाता है, जबकि इस वर्ष में डी.ए.पी. के मांग अनुरूप 103 प्रतिशत तक भण्डारण एवं 95 प्रतिशत वितरण किया जा चुका है। साथ ही डी.ए.पी. के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरक यथा एस.एस.पी., एन.पी.के. 20ः20ः0ः13, 12ः32ः16, नैनो डी.ए.पी., नैनो यूरिया का पर्याप्त भण्डारण जिले में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में इस उर्वरकों का उपयोग कर कृषक अनुशंसित मात्रा अनुरूप अच्छी उपज प्राप्त कर सकते है। एन.पी.के.20ः20ः0ः13 (अमोनियम फास्फेट सल्फेट) उर्वरक में 20 प्रतिशत नाईट्रोजन, स्फुर 20 प्रतिशत एवं सल्फर 13 प्रतिशत उपलब्ध होता है। उर्वरक में सल्फर की उपलब्धता होने के कारण फसलों में क्लोरोफिल एवं प्रोटीन का निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा फसलों में रोग प्रतिरोधक द्वामता बढ़ जाती है। संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। सिंगल सुपर फॉस्फेट में स्फुर की मात्रा 16 प्रतिशत के साथ साथ सल्फर 11 प्रतिशत एवं कैल्सियम 21 प्रतिशत होने के कारण मृदा अम्लीयता को सुधार कर फसलों के जड़ का विकास कर पोषक तत्वों के उपलब्धता को बढ़ाती है।
धान के पकने की अवधि के आधार पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर अन्य उर्वरकों के साथ संतुलित मात्रा की अनुशंसा किया गया है। जिसके उपयोग से फसलों के उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने बताया कि शासन के दिशा-निर्देशानुसार उर्वरक विक्रय हेतु पाॅस मशीन की अनिवार्यता एवं निर्धारित दर पर उर्वरकों का विक्रय सुनिश्चित करने हेतु संबंधितों को निर्देशित किया गया है। उन्होंने समस्त कृषकों से अपील कि है कि नत्रजन एवं स्फुर उर्वरकों के साथ-साथ एम.ओ.पी. का उपयोग करें। जिससे फसलों में कीड़े, बीमारी की समस्या अपेक्षाकृत कम आती है। इसके साथ ही जिंक एवं बोरान का छिड़काव निर्धारित अनुपात में अवश्य करें जिससे उच्च गुणवत्ता युक्त फसल का उत्पादन हो सके।
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