नि:स्वार्थ लोक कल्याण के कार्य ही समाजसेवाः सुनील
0- राजकुमार कालेज सेवा समिति के बच्चों ने महाराष्ट्र मंडल में आकर देखा- सीखा समाजसेवा
रायपुर। बिना किसी प्रतिफल की आशा से लोक कल्याण के कार्य करना ही धर्म है और इसे ही समाजसेवा कहते हैं। जब आप किसी की मदद करें, तो उनसे या ईश्वर से प्रतिफल की इच्छा न रखें। इसे हमारे शास्त्रों में धर्म कहा गया है। इसी धर्म का स्वरूप है समाजसेवा। उक्ताशय के विचार महाराष्ट्र मंडल के वरिष्ठ आजीवन सभासद और भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री (मध्य क्षेत्र) सुनील किरवई ने कही।
किरवई ने राजकुमार कालेज सेवा समिति के बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें धरती में अपनी मां नजर आती है, गाय में, वृक्ष में भी अपनी मां नजर आती है और यही भारतीय संस्कृति है और यही भारतीयता है। हम जिम्मेदारी से अपनी मां की देखभाल करेंगे, तो कोई समस्या ही नहीं रहेगी। राजकुमार कॉलेज सेवा समिति के बच्चे शनिवार, 15 नवंबर को महाराष्ट्र मंडल का भ्रमण करने और यहां के समाजसेवी कार्यों को समझने के लिए आए थे।
मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने कहा कि समाजसेवा हम घर से ही सीखना शुरू करते हैं। कभी मंदिर या देव स्थानों पर गए तो हम वहां मंदिरों के बाहर बैठे लोगों को दान हुए देते अपने परिजनों को देखते हैं। कभी किसी को खाना खिला दिया। कभी मंदिर में परिजनों ने भंडारा करा दिया गया। परिजनों को दूसरे की मदद करते देखते हैं, हम यहीं से समाजसेवा सीखते हैं।
राजकुमार कालेज के वरिष्ठ शिक्षक आचार्य रंजन मोड़क और शिक्षिका आशा बघेल सेवा समिति के छठवीं से आठवीं तक के बच्चों को यहां लेकर आई थीं। आशा बघेल ने बताया कि बच्चों में समाजसेवा की भावना जागृत करने के लिए कालेज स्थापना वर्ष से ही सेवा कार्य चल रहा है। इसकी शुरुआत सालों पहले डंगनिया तालाब की सफाई के साथ की गई थी। इस अवसर पर वरिष्ठ सभासद अनिल श्रीराम कालेले, संत ज्ञानेश्वर विद्यालय के प्रभारी परितोष डोनगांवकर भी उपस्थित रहे।












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