बहुत काम की है काली हल्दी
देश के जंगलों में बहुत सारी ऐसी जड़ी - बूटी की पौधे होते हैं जिसके बार में आम लोगों को कम जानकारी होती है उनमें से एक है काली हल्दी । काली हल्दी को पीली हल्दी से ज्यादा फायेदमंद और गुणकारी माना जाता है। इसमें अद्भुत शाक्ति होती है। काली हल्दी बहुत ही दुर्लभ मात्रा में पाई जाती है और देखी जाती है। काली हल्दी दिखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है। माना जाता है कि तंत्र शास्त्र में काली हल्दी का प्रयोग वशीकरण, धन प्राप्ति और अन्य तांत्रिक कार्य के लिए किया जाता है। काली हल्दी को सिद्ध करने के लिए होली का दिन बहुत ही लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि काली हल्दी में वशीकरण की अद्भुत क्षमता होती है।
रोगों के उपचार में काली हल्दी का प्रयोग
आदिवासी समुदायों के द्वारा इसका उपयोग निमोनिया, खांसी और ठंड के उपचार के लिए किया जाता है। इसके ताजे राइजोम को माथे पर पेस्ट के रूप में लगाते है। जो माइग्रेन से राहत के लिए या मस्तिष्क और घावों पर शरीर के लिए किया जाता है। ल्यूकोडार्मा, मिर्गी, कैंसर, और एच आई वी एड्स की रोकथाम में भी यह उपयोग होती है।
चीनी चिकित्सा में कैंसर के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। इसमें सुंगधित वाष्पशील तेल पाया जाता है जो रक्त से अत्यधिक लिपिड निकालने के लिए, प्लेटलेट्रस के एकत्रीकरण को कम करने और सूजन को कम करने में मदद करता है।
देखें इसके औषधीय उपयोग-
1. ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों में दर्द और जकडऩ पैदा करने वाली बीमारी है। यह रोग मुख्यत: जोड़ों की हड्डियों के बीच रहने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज को नुकसान देता है। काली हल्दी में इबुप्रोफेन पाया जाता है जिससे पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस का दर्द ठीक किया जा सकता है।
2. त्वचा की खुजली रोके- यह रोग अधिकतर खून की खराबी से उत्पन्न होते हैं। इसके बचाव के लिए स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए ! इसके साथ आप काली हल्दी का भी प्रयोग कर सकती है। इसमें एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुण होते हैं जिससे त्वचा की खुजली ठीक की जाती है।
3. लाल चकत्ते मिटाए- रूई के फाहे को काली हल्दी वाले दूध में भिगो कर चकत्ते वाले भाग पर 15 मिनट के लिये लगायें, इससे त्वचा पर लाली और चकत्ते कम होंगें। साथ ही इससे आपकी त्वचा पर निखार और चमक आयेगी।
4. पेट ठीक करे- हल्दी के सेवन से आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को पर्याप्त मात्रा में पैदा होते हैं। फलस्वरूप एसिड इत्यादि से पेट की बल्क्हेड सुरक्षित रहती हैं तथा पेप्टिक अलसर की संभावनाएं बहुत कम रह जाती हैं। ॉ
5. अल्सर -अल्सर रोग के रोगियों को मेगोनंसम हल्दी के उपयोग से कतराना नहीं चाहिए। क्योंकि हल्दी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जिससे पेट में एसिड नहीं बनता और अल्सर जैसी गंभीर बीमारी नहीं होती।
6. कोलन कैंसर से बचाव- हल्दी में मौजूद एक महत्वपूर्ण तत्व करक्युमिन कोलन कैंसर से लडऩे में मददगार हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक सूजन दूर करने वाली एक महत्वपूर्ण दवा के साथ मरीज को करक्युमिन देना उसके लिए फायदेमंद हो सकता है।
7. फेफड़े की बीमारियों में राहत- काली हल्दी का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया जैसी बीमारियों में किया जाता है। अगर आप नयी या पुरानी किस भी प्रकार की सुखी गीली खांसी से परेशान हैं तो हल्दी इसके लिए रामबाण इलाज है।
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