पाचन क्रिया दुरुस्त करने वाला पान अनेक रोगों में भी फायदेमंद
पान एक बहुवर्षीय बेल है, जिसका उपयोग हमारे देश में पूजा-पाठ के साथ-साथ खाने में भी होता है। खाने के लिए पान पत्ते के साथ-साथ चूना कत्था तथा सुपारी का प्रयोग किया जाता है। इसे संस्कृत में नागबल्ली, ताम्बूल हिन्दी भाषी क्षेत्रों में पान मराठी में पान/नागुरबेली, गुजराती में पान/नागुरबेली तमिल में बेटटीलई,तेलगू में तमलपाकु, किल्ली, कन्नड़ में विलयादेली और मलयालम में बेटीलई नाम से पुकारा जाता है।
पान अपने औषधीय गुणों के कारण पौराणिक काल से ही प्रयुक्त होता रहा है। आयुर्वेद के ग्रन्थ सुश्रुत संहिता के अनुसार पान गले की खरास एवं खिचखिच को मिटाता है। यह मुंह के दुर्गन्ध को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है, जबकि कुचली ताजी पत्तियों का लेप कटे-फटे व घाव के सडऩ को रोकता है। अजीर्ण एवं अरूचि के लिए प्राय: खाने के पूर्व पान के पत्ते का प्रयोग काली मिर्च के साथ तथा सूखे कफ को निकालने के लिये पान के पत्ते का उपयोग नमक व अजवायन के साथ सोने के पूर्व मुख में रखने व प्रयोग करने पर लाभ मिलता है। पान एक जड़ी-बूटी की तरह भी काम करता है, और पान के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आपको पता है कि सिर दर्द, आंखों की बीमारी, कान दर्द, मुंह के रोग, बच्चों की सर्दी में पान के इस्तेमाल से फायदे ले सकते हैं। इतना ही नहीं, कुक्कर खांसी, सर्दी-जुकाम, ह्रदय रोग, सांसों के रोग में भी पान के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
पान भारतीय संस्कृति का हिस्सा होने साथ एक महत्वपूर्ण औषधि भी है। पान के पत्तों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, आयोडीन और पोटैशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। सर्दी खांसी और जुकाम होने पर सेंकी हुई हल्दी का टुकड़ा पान में डालकर खाने से आराम मिलता है। उंगलियों में सूजन की शिकायत काफी लोगों को होती है, इसे कम करने के लिए पान के पत्तों को गर्म करके अंगुली पर लपेटने से लाभ मिलता है।
पाचन में सहायक
पान खाना पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद है। ये सैलिवरी ग्लैंड को सक्रिय करके लार बनाने का काम करता है जो कि खाने को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोडऩे का काम करता है। कब्ज की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भी पान की पत्ती चबाना काफी फायदेमंद है। गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने में भी पान खाना काफी फायदेमंद है।
मुंह के स्वास्थ्य के लिए
पान के पत्ते में कई ऐसे तत्व होते हैं जो बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैंै। जिन लोगों के मुंह से दुर्गंध आ रही हो उनके लिए पान का सेवन काफी फायदेमंद होता हैै। इसमें इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे लौंग, कत्था और इलायची भी मुंह को फ्रेश रखने में सहायक होते हैं। पान खाने वालों के लार में एस्कॉर्बिक एसिड का स्तर भी सामान्य बना रहता है, जिससे मुंह संबंधी कई बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।
मसूड़ों में सूजनपर या गांठ आ जाने पर
मसूड़े में गांठ या फिर सूजन हो जाने पर पान का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। पान में पाए जाने तत्व इन उभारों को कम करने का काम करते हैं।
साधारण बीमारियों और चोट लगने पर
सर्दी में भी पान के पत्ते फायदेमंद होते हैं। इसे शहद के साथ मिलाकर खाने से फायदा होता है। साथ ही पान में मौजूद एनालजेसिक गुण सिर दर्द में भी आराम देता है। चोट लगने पर पान का सेवन घाव को भरने में मदद करता है।
पान में मुख्य रूप से निम्न कार्बनिक तत्व पाए जाते हैं, इसमें प्रमुख निम्न है:-
फास्फोरस -0.13-0.61 प्रतिशत
पौटेशियम -1.8- 36 प्रतिशत
कैल्शियम -0.58 -1.3 प्रतिशत
मैग्नीशियम -0.55 - 0.75 प्रतिशत
कॉपर -20-27 पी.पी.एम.
जिंक -30-35 पी.पी.एम.
शर्करा - 0.31-40 /ग्रा.
कीनौलिक यौगिक - 6.2-25.3 /ग्रा. -
पान में पाये जाने वाले बिटामिनों में ए,बी,सी प्रमुख है।
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