शरीर के अंगों में जलन और दर्द कम करते वाला आलूबालू
आलूबालू, गिलास या चेरी एक खट्टा-मीठा गुठलीदार फल है। इसका रंग लाल, काला या पीला होता है और इसका आकार आधे से सवा इंच के व्यास (डायामीटर) का गोला होता है।
आलूबालू में ऐन्थोसाय्निन नाम के पदार्थ होते हैं जो शरीर के अंगों में जलन और दर्द कम करते हैं। माना जाता है के मधुमेह और ह्रदय व अन्य ग्रंथियों के रोगों में छुपी हुई जलन का बहुत बड़ा हाथ है। चूहों के साथ प्रयोगों में देखा गया है के आलूबालू के ऐन्थोसाय्निन जलन हटाने में मदद करते हैं।
भारत में आलू बालू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरपूर्वी राज्यों में पैदा किया जाता है। विश्व भर में सन् 2007 में 20 लाख टन आलूबालू पैदा किया गया था, जिसमें से 40 प्रतिशत यूरोप में और 13 प्रतिशत संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा किया गया। आलूबालू को कश्मीरी में भी गिलास कहा जाता है। नेपाली में इसे पैयुं कहा जाता है। अंग्रेज़ी में इसे चेर, पंजाबी और उर्दू में इसे शाह दाना कहा जाता है। अरबी में इसे कज़ऱ् कहा जाता है।
चेरी का खाने में उपयोग-चेरी एक स्वादिष्ट फल है जो विभिन्न तरह से भोज्य पदार्थों में उपयोग किया जाता है। इस फल को व्यंजनों तथा पेय पदार्थों की सजावट के तौर पर भी प्रयोग करते हैं। कॉकटेल में इसका खूब उपयोग होता है। चेरी शेक, जूस इत्यादि स्वादिष्ट पेय बनाए जाते हैं। चैरी के विभिन्न पोषक तत्व चेरी स्वास्थ्यप्रद फल है जो अनेक पोषक तत्वों से भरपूर है। यह विटामिन सी और ए का अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही इसमें अधिकांश विटामिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। चेरी फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फोरस जैसे खनिज तत्वों का भी एक अच्छा स्रोत है। एसिडिटी से छुटकारे के लिए आप चेरी को खा सकते हैं या चेरी का जूस भी ले सकते हैं जो फायदेमंद होता है। चेरी खाने से मधुमेह नियंत्रित हो सकता है। चेरी के मीठे और खट्टे फल में महत्वपूर्ण तत्व ऐन्थोसाइनिन शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने के साथ साथ रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है और हृदय से संबंधी बीमारियों के खतरे को भी कम करने में सहायक है।
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