कब्जदायक है नाशपाती, लेकिन बुखार भगाने में सहायक
नाशपाती एक लोकिप्रय फल है। नाशपाती सेब से जुड़ा एक उप-अम्लीय फल है। भारतवर्ष में पैदा होने वाले ठंडे जलवायु के फलों में नाशपाती का महत्व सेब से अधिक है। यह हर साल फल देती है। इसकी कुछ किस्में मैदानी जलवायु में भी पैदा की जाती है और उत्तम फलन देती हैं। नाशपाती के फल खाने में कुरकुरे, रसदार और स्वदिष्ट होते हैं। ये सेब की अपेक्षा सस्ती बिकती हैं। भारत में नाशपाती यूरोप और ईरान से आई और धीरे-धीरे इसकी काश्त बढ़ती गई। अनुमान किया जाता है कि अब हमारे देश में लगभग 4 हजार एकड़ में इसकी खेती होने लगी है। पंजाब को कुलू घाटी तथा कश्मीर में यूरोपीय किस्में पैदा की जाती हैं और इनके फलों की गणना संसार के उत्तम फलों में होती है।
प्राकृतिक दृष्टि से नाशपाती कब्ज़दायक होती है परंतु वह बुखार को भगाने में बहुत सहायक है। नाशपाती में जो शर्करा होती है वह मधुमेह से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए हानिकारक नहीं है। नाशपाती में जो छोटे-छोटे दाने होते हैं वे आंत को स्वच्छ करने का कारण बनते हैं। अगर नाशपाती पकी हो तो गर्म प्रकृति के लोगों का खाना उचित नहीं है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनका अमाशय कमज़ोर होता है। नाशपाती के पत्तों का सेवन मूत्रवर्धक होता है। उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए कई दिन लगातार नाशपाती का सेवन करना चाहिये यहां तक कि रक्तचाप संतुलित हो जाए।
आयुर्वेद के अनुसार नाशपाती शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकाल देती है। सीने की बीमारियों के उपचार के लिए नाशपाती अच्छा फल है। नाशपाती के पत्तों का काढ़ा पीने से गुर्दे से पथरी निकल जाती है। इस फल को खाने से भोजन जल्द पचता है । नाशपाती विटामिन से मालामाल है और उसमें प्राकृतिक लवण, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्निजियम, पोटैशियम पाया जाता है जिन लोगों का अमाशय कमज़ोर है उन्हें नाशपाती को छिलके के साथ खाने से बचना चाहिये। नाशपाती पूरी पकी होनी चाहिये अन्यथा बहुत देर से पचती है। भारत में इसकी जो प्रजातियां उगाई जाती हैं उनमें हैं- चाइना या साधारण नाशपाती, यूरोपीय नाशपाती और यूरोपीय और चाइना नाशपाती के संकर। आजकल इसकी एक प्रजातिं पियर नाम से छत्तीसगढ़ के बाजार में भी बिकने लगी हैं। यह स्वाद में रसीली और मीठी होती है, जो काफी पसंद की जा रही है।
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