औषधीय गुणों से भरपूर है कुश, अनेक बीमारियों में दिलाए राहत
कुश एक प्रकार की घास है। कुश का प्रयोग प्राचीन काल से चिकित्सा एवं धार्मिक कार्य में किया जा रहा है। प्राचीन आयुर्वेदिक संहिताओं तथा निघंटुओं में इसका वर्णन प्राप्त होता है। चरक-संहिता के मूत्रविरेचनीय तथा स्तन्यजनन आदि महाकषायों में इसकी गणना की गयी है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता में भी कई स्थानों में कुश का वर्णन मिलता है।
कुश मीठा, कड़वा, ठंडे तासीर का, छोटा, स्निग्ध, वात, पित्त कम करने वाला, पवित्र, तथा मूत्रविरेचक होता है। यह मूत्रकृच्छ्र मूत्र संबंधी बीमारी, अश्मरी या पथरी, तृष्णा या प्यास, प्रदर, रक्तपित्त , शर्करा, मूत्राघात या मूत्र करने में रुकावट, रक्तदोष, मूत्ररोग, विष का प्रभाव, विसर्प या हर्पिज़, दाह या जलन, श्वास या सांस लेने में असुविधा, कामला या पीलिया, छर्दि या उल्टी, मूच्र्छा या बेहोशी तथा बुखार कम करने में मदद करता है। कुश की जड़ शीतल प्रकृति की होती है।
कुश के फायदे
कुश घास के अनगिनत गुणों के आधार पर इसको आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता रहा है।
प्यास लगने की परेशानी करे कम
कभी-कभी किसी बीमारी के लक्षण के तौर पर प्यास की अनुभूति ज्यादा होती है। कुश का इस तरह से सेवन करने पर मदद मिलती है। समान भाग में बरगद के पत्ते, बिजौरा नींबू का पत्ता, वेतस का पत्ता, कुश का जड़, काश का जड़ तथा मुलेठी से सिद्ध जल में चीनी अथवा अमृतवल्ली का रस डालकर, पकाकर, ठंडा हो जाने पर पीने से तृष्णा रोग या प्यास लगने की बीमारी से राहत मिलती है।
पेचिश रोके कुश
अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो ये घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। दो चम्मच कुश के जड़ के रस को दिन में तीन बार पीने से प्रवाहिका तथा उल्टी से आराम मिलता है।
दस्त से आराम
डायट में गड़बड़ी हुई कि नहीं दस्त की समस्या शुरु हो गई। कुश का औषधीय गुण दस्त को रोकने में मदद करता है।
बवासीर के परेशानी से दिलाये आराम
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने की आदत है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें कुश का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 2-4 ग्राम बला तथा कुश के जड़ के काढ़ा (2-4 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से अर्श या पाइल्स तथा प्रदर (लिकोरिया) रोग जन्य , रक्तस्राव या ब्लीडिंग से जल्दी आराम मिलता है। कुशा का महत्व औषधी के रूप में बहुत काम आता है।
किडनी स्टोन को निकालने में करे मदद
आजकल के प्रदूषित खाद्द पदार्थ के कारण किडनी में स्टोन होने के खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कुश का सेवन पथरी को निकालने में सहायता करता है। 5 ग्राम कुशाद्य घी का सेवन करने से अश्मरी या स्टोन टूट कर बाहर निकल जाता है। वहीं कुश आदि वीरतरवादि गण की औषधियों के काढ़े (10-20 मिली) तथा रस (5 मिली) आदि का सेवन करने से अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र (मूत्र संबंधी रोग) तथा मूत्राघात की वेदनाओं तथा वात से बीमारियों से राहत मिलती है।
मूत्र संबंधी परेशानियों से दिलाये छुटकारा कुश
मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। कुश इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। कुश, कास, गुन्द्रा, इत्कट आदि दस मूत्रविरेचनीय महाकषाय की औषधियों के जड़ से बने काढ़े (10-20 मिली) का सेवन करने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
मोटापा घटाने में करे मदद कुश
आजकल के असंतुलित जीवनशैली के कारण वजन बढऩे की समस्या आम हो गई है। कुश की जड़ आँवला का काढ़ा और साँवा के चावलों से निर्मित जूस का सेवन करने से शरीर का रूखापन तथा मोटापा कम होता है।
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