भुई आंवला है बहुत गुणकारी... कई रोगों के उपचार में है सहायक
भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है। भुई आंवला स्वाद में कसैला और मीठा होता है। अधिक प्यास लगने की परेशानी, खांसी, खुजली, कफ और बुखार आदि में भूमि आंवला के फायदे तो मिलते ही हैं, साथ ही लीवर के किसी भी प्रकार के रोग के लिए भुई आंवला को दिव्य औषधि भी माना जाता है। अगर आप इसे लेप घाव पर करेंगे तो इससे घाव भी ठीक हो जाता है। यह कुष्ठ रोग में भी उपयोगी होता है। आइए जानते हैं कि भूमि आंवला के औषधीय गुण से किस-किस रोग में लाभ मिल सकता है। इसके फल धात्रीफल की तरह गोल, लेकिन आकार में छोटे होते हैं। इसी कारण इसे भूधात्री और भूम्यामल भी बोला जाता है। भू-आंवला की तीन प्रजातियां होती है।
-भुई आंवला पंचांग को चावल के पानी के साथ पीसकर घाव पर लगाने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है। भुई आंवला के पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है। भुई-आंवला के कोमल पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
-सांसों से जुड़ी बीमारियों में भुई आंवला बहुत फायदेमंद होता है। भूम्यामलकी की 10 ग्राम जड़ को जल में पीस लें। इसमें 1 चम्मच मिश्री या शहद मिलाएं। इसे पिलाने से, और इसको नाक के रास्ते देने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
-भुई आंवला के पत्तों को पीस लें। इसमें नमक मिलाकर खुजली पर लगाएं। खुजली ठीक हो जाती है। इसे जांघों की खुजली में भी लगाया जा सकता है। जिस अंग पर चोट लगी होस, वहां भुई-आंवला के कोमल पत्तों पीसकर लगाएं। इससे चोट का दर्द कम हो जाता है।
-भुई आंवला को सेंधा नमक के साथ तांबे के बर्तन में जल में घिसें। इसे आंखों के बाहर लेप करने से आंखों के रोग में लाभ होता है।
-भूम्यामलकी के 50 ग्राम पत्ते लें। इसे 200 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
-भुई आंवला के 50 ग्राम पंचांग को आधा लीटर जल में गर्म कर लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए है तो एक-एक चम्मच काढ़ा को दिन में दो बार पिलाने से खांसी में लाभ होता है। पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला, सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से बने घी का नियम से सेवन करें। इससे भी खांसी की बीमारी से आराम मिलता है।
-भुई आंवला के 20 ग्राम पत्तों को 200 मिली जल में उबालें। इसे छानकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है।
-भुई आंवला की जड़ और पत्तों से काढ़ा बना लें। इसे ठंडा होने पर लगभग 10-20 मिली मात्रा में दिन में दो बार लें। इससे जलोदर रोग में लाभ होता है।
--छाया में सुखाए हुए भूमि आंवला को मोटा-मोटा कूटकर रख लें। अब 10 ग्राम भूम्यामलकी को 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई से भी कम रह जाए, तब छानकर सुबह खाली पेट, और रात को भोजन से एक घण्टा पहले सेवन करें। यह आंतों में होने वाले घाव (अल्सर) को ठीक करने वाली चमत्कारिक औषधि है।
-सिर दर्द से आराम पाने के लिए घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला , सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से मिला लें। इसका सेवन करें। इससे सिर दर्द ठीक हो जाता है।
-भुई आंवला के कोमल पत्तों लें। पत्ते की एक चौथाई काली मिर्च लें। दोनों को पीस लें। पीसने के बाद जायफल के बराबर गोलियां बना कर 2-2 गोली दिन में दो बार दें। अगर कोई रोगी गंभीर बुखार से ग्रस्त है तो इससे लाभ होता है। इसके साथ ही बार-बार आने वाले गंभीर बुखार में भी लाभ होता है।
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