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 हर मर्ज की दवा कलौंजी
कलौंजी, (अंग्रेजी-निजेला) एक वार्षिक पादप है जिसके बीज औषधि एवं मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। कलौंजी रनुनकुलेसी कुल का झाड़ीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम निजेला सेटाइवा है, जो लैटिन शब्द नीजर (यानी काला) से बना है, यह भारत सहित दक्षिण पश्चिमी एशियाई, भूमध्य सागर के पूर्वी तटीय देशों और उत्तरी अफ्रीकाई देशों में उगने वाला वार्षिक पौधा है, जो 20-30 सेमी लंबा होता है।  
इसका  प्रयोग औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में किया जाता है। निजेला सेटाइवा को अंग्रेजी में फेनेल फ्लावर, नटमेग फ्लावर, लव-इन-मिस्ट (क्योंकि इसका फूल लव-इन-मिस्ट के फूल जैसा होता है), रोमन कारिएंडर, काला बीज, काला केरावे और काले प्याज का बीज भी कहते हैं। अधिकतर लोग इसे प्याज का बीज ही समझते हैं क्योंकि इसके बीज प्याज जैसे ही दिखते हैं। लेकिन प्याज और काला तिल बिल्कुल अलग पौधे हैं। 
इसे संस्कृत में कृष्णजीरा, उर्दू में- कलौंजी, बांग्ला में कालाजीरो, मलयालम में करीम जीराकम, रूसी में चेरनुक्षा, तुर्की में कोरेक ओतु, फारसी में शोनीज, अरबी में हब्बत-उल-सौदा, हब्बा-अल-बराका, तमिल में करून जीरागम और तेलुगु में नल्ला जीरा कारा कहते हैं। 
कलौंजी में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्थी फैट जैसे पोषक तत्व होते है। साथ ही इसमें आवश्यक वसीय अम्ल ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और ओमेगा-9 (मूफा) भी होते हैं।  कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है।  एक शोध के अनुसार, कलौंजी में मौजूद आवश्यक घटक, थाइमोक्विनोन में अस्थमा के लक्षणों पर काबू पाने की शक्ति होती है।  
 कलौंजी के तेल में दो बेहद ही प्रभावकारी  थाइमोक्विनोन और थाइमोहाइड्रोक्विनोन नामक तत्व पाये जाते हैं जो अपने हीलिंग गुणों के कारण जाने जाते हैं। यह दोनों तत्व साथ में मिलकर सभी बीमारियों से लडऩे में मदद करते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण कलौंजी को हर मर्ज की दवा माना जाता है। कलौंजी का तेल शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है और उन्हें नष्ट करता है। यह कैंसर रोगियों में स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है। इसमें मौजूद थाइमोक्विनोन एक बायो-एक्टिव तत्व, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी कैंसर कारक है। कैंसर से पीडि़त व्यक्ति को कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लेने की सलाह दी जाती है। 
 डायबिटीज, अस्थमा और सिरदर्द के उपचार में भी इसके तेल का उपयोग किया जाता है। यहीं नहीं वजन कम करने के लिए आधा चम्मच कलौंजी के तेल और 2 चम्मच शहद को मिक्स करके गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार लें। कुछ ही दिनों में आपको फर्क महसूस होने लगेगा। अगर आप भी हमेशा स्वस्थ और तंदरुस्त रहना चाहते हैं तो रोजाना कलौंजी का तेल इस्तेमाल कीजिए।
 
 
 

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