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 सत्तू मनमत्तू , जब घोले तब खा
उत्तर भारत में  एक कहावत है-सत्तू मनमत्तू , जब घोले तब खा। प्राचीन काल से यह गर्मियों का सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ माना जाता रहा है।   उत्तर भारत  मुख्य  रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश  में यह काफ़ी लोकप्रिय है और कई रूपों में प्रयुक्त होता है। सत्तू अपने आप में पूरा भोजन है, यह एक सुपाच्य, हलका, पौष्टिक और तृप्तिदायक शीतल आहार है, इसीलिए इसका सेवन ग्रीष्म काल में किया जाता है।  चने वाले सत्तू में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और मकई वाले सत्तू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है।  
  सत्तू बना है संस्कृत के सक्तु या सक्तुक: से जिसका अर्थ है अनाज को भूनने के बाद उसे पीस कर बनाया गया आटा।  
1. जौ का सत्तू- जौ का सत्तू शीतल, अग्नि प्रदीपक, हल्का, दस्तावर (कब्जनाशक), कफ़ तथा पित्त का शमन करने वाला, रूखा होता है। इसे जल में घोलकर पीने से यह बलवर्द्धक, पोषक, पुष्टिकारक, मल भेदक, तृप्तिकारक, मधुर, रुचिकारक और पचने के बाद तुरन्त शक्ति दायक होता है। यह कफ़, पित्त, थकावट, भूख, प्यास और नेत्र विकार नाशक होता है।
2. जौ-चने का सत्तू- चने को भूनकर, छिलका हटाकर पिसवा लेते हैं और चौथाई भाग जौ का सत्तू मिला लेते हैं। यह जौ-चने का सत्तू है।  
3. चावल का सत्तू- चावल का सत्तू अग्निवर्द्धक, हलका, शीतल, मधुर ग्राही, रुचिकारी, बलवीर्यवर्द्धक, ग्रीष्म काल में सेवन योग्य उत्तम पथ्य आहार है।
4. जौ-गेहूं-चने का सत्तू- चने की दाल एक किलो, गेहूं आधा किलो और जौ 200 ग्राम। तीनों को 7-8 घंटे पानी में गलाकर सुखा लेते हैं और जौ को साफ करके तीनों को अलग- अलग घर में या भड़भूंजे के यहां भुनवा कर, तीनों को मिला लेते हैं और पिसवा लेते हैं। यह गेहूँ, जौ, चने का सत्तू है। 
उपरोक्त दिये गये किसी भी सत्तू को पतला पेय बनाकर पी सकते हैं या लप्सी की तरह गाढ़ा रखकर चम्मच से खा सकते हैं। इसे मीठा करना हो तो उचित मात्रा में शक्कर या गुड़ पानी में घोलकर सत्तू इसी पानी से घोलें। नमकीन करना हो तो उचित मात्रा में पिसा जीरा व नमक पानी में डालकर इसी पानी में सत्तू घोलें।  
फायदे- 1.  चने और जौ का सत्तू शरीर को न केवल ठंडक देता है बल्कि ये डायबिटीज और मोटापे का भी दुश्मन होता है। 
2. सत्तू की तासीर ठंडा होती है। इसलिए गर्मी में इसे खाने से शरीर ठंडा भी रहता है और पानी अधिक पीने से ये डिहाइड्रेशन से भी बचाता है। इससे लू नहीं लगती है। सत्तू शरीर का तापमान नियंत्रित रखने में कारगर होता है।
3. सत्तू कैल्शियम, आयरन से भी भरा होता है। ऐसे में जिन्हें एनिमिया है वह इसे जरूर खाएं।  
4.  सत्तू में मौजूद बीटा-ग्लूकेन शरीर में बढ़ते ग्लूकोस के अवशोषण को कम करता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। सत्तू लो ग्लाइमेक्स इंडेक्स वाला होता है।  ये डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है।
5. गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस से पीडि़त लोगों को सत्तू जरूर खाना चाहिए। चने और जौ के सत्तू को बराबर मात्रा में मिला कर आप इसका सेवन करें। 
6. जौ और चने से बना सत्तू कफ, पित्त, थकावट, भूख,प्यास और आंखों के अलावा पेट से जुड़ी बीमारी में बेहद लाभदायक होता है।
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