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  इम्यूनिटी बूस्टर डाइट चाहिए तो इसे खाएं.....
राजमा चावल  उत्तर भारतीयों के सबसे प्रमुख भोजन में से एक है।  बीन्स और चावल का यह मिश्रण हाई प्रोटीन के लिए जाना जाता है। दरअसल जब ये दोनों खाद्य पदार्थ एक साथ खाए जाते हैं तो प्रोटीन में मौजूद सभी तत्व हमें प्राप्त हो जाते हैं। राजमा को मसालों के साथ गाढ़ी ग्रेवी के रूप में बनाया जाता है। इस तरह ये सारे भारतीय मसाले इसमें और पोषक तत्व जोड़ देते हैं और इस तरह ये एक इम्यूनिटी बूस्टर डाइट बन जाता है। वहीं इसके कई और फायदे भी हैं। राजमा विटामिन बी 1 से समृद्ध है। 
 -राजमा प्लांट-आधारित प्रोटीन है, जिसमें अच्छी मात्रा में खनिज, कैल्शियम, विटामिन बी 1, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते है।  यह प्रोटीन और एंथोसायनिन में बहुत स्वस्थ और उच्च है। 
 -राजमा- चावल दैनिक आहार में फाइबर की जरूरतों का 40-50 प्रतिशत हिस्सा पूरी कर देता है, जो आपके आंत्र को सुचारू रखने में मददगार है। इसके अलावा ये कब्ज को कम करने और रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
-प्रोटीन और फाइबर के अलावा राजमा में खनिज, कैल्शियम और आयरन होते हैं। यह पोटेशियम, मैग्नीशियम, घुलनशील फाइबर और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। 
 - चूंकि राजमा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए यह मधुमेह रोगियों के लिए भी ये फायदेमंद है। 
- राजमा में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट कोशिकाओं की उम्र बढऩे की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। यह झुर्रियों को कम करने, मुंहासों को ठीक करने, बालों और नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। 
-उच्च फाइबर सामग्री इंटेस्टाइन को भी फिट रखती है। वहीं राजमा में मौजूद जिंक तत्व आंखों और बालों और त्वचा के लिए अच्छा होता है।
-ये लो-ग्लाइसेमिक-इंडेक्स फूड हैं। इसमें बड़ी मात्रा में फाइबर होता है, जिसे खाने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती। इसमें पाए जाने वाले कम वसा वाले तत्व इसे एक कम कैलोरी वाला भोजन बनाते हैं। इसलिए वजन कम करने वालों के लिए राजमा का सेवन लाभकारी हो सकता है। 
- इसके अलावा यह गठिया के दर्द, अस्थमा , किडनी संबंधी रोगों में भी फायदेमंद है।
-शास्त्रों में लिखा है कि किसी भी चीज की अति घातक होती है। यह राजमा के साथ भी होता है। अधिक मात्रा में इसे खाने से पाचन तंत्र में  परेशानी हो सकती है, क्योंकि अधिक मात्रा में इसके सेवन से शरीर में ंज्यादा मात्रा में फाइबर पहुंच जाता है जिससे पाचन तंत्र को परेशानी होती है। वहीं कच्चे राजमा का सेवन पेट दर्द का कारण भी बन सकता है। इसलिए अच्छी तरह से पकाकर ही इसे खाएं।  
 
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