इस खरपतवार को फेंके नहीं, खाने से मिलेंगे ढेरों फायदे......
छत्तीसगढ़ में भाजियां बड़े चाव से खाई जाती हैं। इनमें औषधीय गुण भी भरपूर होते हैं। इन्हीं में एक है कुलफा, जो एक खरपतवार की तरह फैलती हैं और ज्यादार लोग इसे बेकार समझ कर फेंक देते हैं। एक प्रकार से यह एक जंगली घास है, और अक्सर यह खाली पड़ी जमीन पर अपने आप ही उग आती है। इस जंगली घास को लोणी, बड़ी लोणी, लोणा शाक, खुरसा, कुलफा, लुनाक, घोल, लोनक आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे कॉमन पुर्सलेन कॉन, पर्सले, पिगविड भी कहते हैं।
आइये जाने इसके औषधीय गुणों के बारे में .....
-आयुर्वेद में इसको सर के रोग, आंखों के रोग, कानों के रोग, मुख रोग, त्वचा के रोग, थूक में खून आना, पेट के रोग, मूत्र के रोग में लाभकारी माना गया है।
-बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसे सलाद, सब्जी या फिर काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
-इसकी जड़ कभी नहीं मरती और बारिश या फिर पानी मिलने पर दोबारा हरी हो जाती है। कहा जाता है कि इसकी जड़ 25 सालों तक नहीं मर सकती है। आप सोच सकते हैं कि इसमें कितनी इम्युनिटी होती होगा।
- इसकी गोल-गोल पत्तियों में गजब के गुण भरे हुए हैं। इसमें विटामिन, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।.
- हरी सब्जियों में यदि ओमेगा 3 फैटी एसिड्स किसी में मिलते हैं, यह कुलफा भाजी ही है, जो हृदय रोगों से बचाते हैं।
- इसकी पत्तियों में सभी हरी सब्जियों से ज्यादा विटामिन मिलते हैं। जो कैंसर जैसे रोगों से लडऩे में हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
- यह भाजी कैंसर, हृदयरोग, खून की कमी, हड्डियों की मजबूती के लिए लाभकारी है।
-इसका स्वाद नींबू जैसा खट्टा होता है। इसके सेवन से शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है। यह भाजी शरीर में ताकत को बढ़ाती है।
- यह भाजी बच्चों के दिमागी विकास के लिए लाभकारी है।.
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