पंचामृत का सेवन बढ़ाता है इम्यूनिटी
आयुर्वेद के अनुसार, पंचामृत पीने से संक्रमण से बचाव होता है। पंचामृत का अर्थ है पांच अमृत, जो पांच पवित्र वस्तुओं से बना है। यह मिश्रण दूध, दही, घी, चीनी/मिश्री और शहद को मिलाकर बनाया गया पेय है, जिसे देवताओं का भोजन कहा जाता है। प्रसाद के रूप में भी इसका बहुत महत्व है। इसके साथ ही भगवान का अभिषेक भी किया जाता है।
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा के दौरान पंचामृत या पंचामृतम जरूरी होता है। ये भगवान को लगाए जाने वाला पवित्र भोग है और इसका अभिषेक में भी प्रयोग होता है। पंचामृत दो शब्दों से मिलकर बना है, पंच का मतलब है पांच और अमृत का मतलब अमरता देने वाला द्रव।
महाभारत के मुताबिक पंचामृत समुद्र मंथन, जिसे क्षीर सागर मंथन भी कहते हैं, के दौरान निकली चीजों में से एक था। दूध, शहद, दही, चीनी और घी के मिश्रण को देवताओं का पेय कहते हैं। पंचामृत में प्रयोग होने वाली सभी सामग्रियों के अपने प्रतीकात्मक अर्थ हैं। दूध शुद्धता और धर्मपरायणता का प्रतीक है। मधुमक्खियों द्वारा पूर्ण समर्पण और सहयोग से तैयार शहद मीठी वाणी और एकता का प्रतीक है। चीनी मिठास और आनंद का प्रतीक है। दही समृद्धि दर्शाती है और घी ताकत और जीत के लिए है। आयुर्वेद के अनुसार ये पांच चीजें जब सही अनुपात में ली जाती हैं, तो सेहत को बहुत फायदा पहुंचाती हैं।
पंचामृत पीते समय, यह व्यक्ति के भीतर सकारात्मक भावनाओं को पैदा करता है। पंचामृत के महत्व का उल्लेख कुछ ग्रंथों में किया गया है कि जो व्यक्ति पंचामृत का व्रत करता है उसे जीवन में सभी प्रकार की सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान को अर्पित किए गए पंचामृत को पीने से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त करता है।
पंचामृत सप्त धातु का पोषण करता है- सात शारीरिक ऊतक, शुक्र धातु (प्रजनन ऊतक), मज्जा धातु (अस्थि मज्जा और तंत्रिका ऊतक), अस्थि धातु (हड्डी, दांत), मेदस धातु (वसायुक्त ऊतक), ममसा धातु (मांसपेशियों के ऊतक), रक्त धातु (रक्त) और रस धातु (शक्ति, प्रतिरक्षा और जीवन शक्ति के लिए प्लाज्मा)। पारंपरिक तौर पर पंचामृत चांदी के बर्तन में तैयार किया जाता है। इस धातु में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और जख्म को ठीक करने का गुण होता है।
पंचामृत तैयार करने की मूल विधि समान है, लेकिन कुछ क्षेत्रीय विविधताएं हो सकती हैं। कुछ स्थानों पर पंचामृत में तुलसी के पत्ते, सूखे मेवे और केले डाले जाते हैं। पंचामृत कब तक ठीक रहता है, ये जलवायु और मौसम पर निर्भर करता है।
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