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 भारत में 2047 तक देश का हरेक बच्चा सुरक्षित और शिक्षित होगा : कैलाश सत्यार्थी
 वाशिंगटन। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि भारत ने बीते कुछ वर्षों में बालश्रम की समस्या से निपटने के लिए काफी सराहनीय कदम उठाए हैं और उन्हें विश्वास है कि 2047 तक देश का हरेक बच्चा सुरक्षित और शिक्षित होगा।भारत 2047 में  स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा।
सत्यार्थी ने  कहा कि भारत में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सामाजिक एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, और इसके लिए सरकार को समाज और निजी क्षेत्र के समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में हरेक बच्चे को स्वतंत्रता, सुरक्षा, शिक्षा और सभी तरह के अवसर दिए जाने चाहिए। मुझे यकीन है कि यह (2047 से पहले) होगा। सत्यार्थी, शांति कार्यक्रमों में भाग लेने और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के सदस्यों, थिंक टैंक के सदस्यों और सांसदों से मिलने अमेरिका आये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ एक तरह से, जब मैं समाज के अंतिम व्यक्ति के बारे में बात करता हूं तो मेरा दृष्टिकोण महात्मा गांधी से प्रेरित है। मुझे उम्मीद है कि भारत इसे पूरा करने में सक्षम होगा और 2047 तक का इंतजार नहीं करेगा। यह उससे पहले होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि जिस दिन उत्तर प्रदेश या बिहार या दक्षिण में एक सुदूर गांव के सबसे निचले सामाजिक एवं आर्थिक तबके की लड़की स्कूल जाने के लिए स्वतंत्र होगी और उसे अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिलेगा, तब भारत सही मायने में पूर्ण रूप से स्वतंत्रता होगा।सत्यार्थी से पूछा गया था कि भारत के लिए उनका दृष्टिकोण उस समय के लिए क्या है, जब वह 2047 में अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा।
भारत इस वर्ष अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, जिसे भारतीय मूल के लोग और विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा दुनिया भर में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ के रूप में मनाया जा रहा है।सत्यार्थी ने कहा कि जहां तक बालश्रम की समस्या से निपटने की बात है भारत ने बीते वर्षों की तुलना में काफी सराहनीय कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ जैसे कि वे कानून.... जो 14 वर्ष की आयु तक सभी प्रकार के बालश्रम को प्रतिबंधित करता है और खतरनाक कामों के लिए 18 वर्ष की आयु तक बालश्रम को प्रतिबंधित करता है। यकीनन कानून को लागू करना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, लेकिन हमारे पास एक कारगर कानून है।’’ सत्यार्थी ने यह भी कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी केवल स्वास्थ्य या आर्थिक संकट नहीं है, बल्कि इससे पूरा समाज और सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए हैं।
 

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