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वैश्विक आबादी के आठ अरब का आंकड़ा छूने में भारत का सबसे बड़ा योगदान: संयुक्त राष्ट्र

 संयुक्त राष्ट्र  । दुनिया की जनसंख्या ने मंगलवार को आठ अरब के आंकड़े को छू लिया जिसमें भारत का सबसे अधिक योगदान है। संयुक्त राष्ट्र (संरा) के मुताबिक दुनिया की जनसंख्या सात अरब से आठ अरब तक पहुंचने में 17.7 करोड़ लोगों का सर्वाधिक योगदान भारत का है जबकि दूसरे नंबर पर चीन है जिसने इसमें 7.3 करोड़ लोग जोड़े।

 अनुमान है कि भारत अगले साल तक चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।संरा जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने विशेष ग्राफ के जरिये विश्व की जनसंख्या के आठ अरब तक पहुंचने को दर्शाया है। यूएनएफपीए ने कहा कि वर्ष 2037 तक जनसंख्या में एक अरब की बढ़ोतरी में एशिया और अफ्रीका के सबसे अधिक योगदान करने का अनुमान है, जबकि यूरोप का योगदान घटती जनसंख्या के कारण ऋणात्मक रहने का अनुमान है।
विश्व की जनसंख्या में एक अरब (सात अरब से आठ अरब) की यह बढ़ोतरी महज पिछले 12 सालों में हुई है। यूएनएफपीए ने कहा कि विश्व की जनसंख्या में और आगामी एक अरब की बढ़ोतरी के दौरान चीन का योगदान ऋणात्मक रहेगा।
यूएनएफपीए ने कहा, ‘‘दुनिया की जनसंख्या सात अरब से आठ अरब तक पहुंचाने में 17.7 करोड़ के साथ भारत का योगदान सबसे अधिक रहा है, जबकि 7.3 करोड़ के साथ चीन दूसरे नंबर पर है। भारत वर्ष 2023 तक चीन को पछाड़कर सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना जाएगा और वैश्विक जनसंख्या में आगामी एक अरब की वृद्धि के दौरान चीन का योगदान ऋणात्मक रहेगा।’’संरा ने कहा कि विश्व की जनसंख्या के आठ अरब से नौ अरब होने में साढ़े 14 साल (2037) का समय लगेगा जो वैश्विक जनसंख्या के विकास में गिरावट को दर्शाता है।यूएनएफपीए के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2080 के दशक में वैश्विक जनसंख्या 10.4 अरब के चरम बिंदु पर पहुंच जाएगी और इस स्तर पर वर्ष 2100 तक स्थिर रहेगी।वैश्विक जनसंख्या को सात से आठ अरब के आंकड़े तक पहुंचाने में 70 फीसदी योगदान निम्न आय और निम्न-मध्यम आय वाले देशों का है। संरा ने कहा कि वैश्विक जनसंख्या को आठ अरब से नौ अरब करने में इन दो वर्गों के देशों का योगदान बढ़कर 90 फीसदी होने का अनुमान है।अब से वर्ष 2050 के बीच 65 वर्ष से कम उम्र के लोगों की जनसंख्या में बढ़ोतरी पूरी तरह निम्न आय और निम्न-मध्य आय वाले देशों में होगी, क्योंकि उच्च आय और उच्च-मध्यम आय वाले देशो में केवल उन लोगों की जनसंख्या में बढ़ोतरी होगी जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है।‘विश्व जनसंख्या परिदृश्य 2022’ नामक रिपोर्ट इस साल जुलाई में जारी की गई थी और इसमें कहा गया है कि भारत की जनसंख्या वर्ष 2022 में 1.412 अरब रही, जबकि चीन की जनसंख्या 1.426 अरब रही।इसमें अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 में भारत की जनसंख्या 1.668 अरब होगी जो चीन की जनसंख्या 1.317 अरब से अधिक होगी।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 के दौरान भारत की 68 फीसदी जनसंख्या की उम्र 15 से 64 साल के बीच रहने का अनुमान है, जबकि 65 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों की जनसंख्या कुल जनसंख्या की सात फीसदी है।रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जनसंख्या वर्ष 1950 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रही है और इसकी दर वर्ष 2020 में गिरकर एक फीसदी हो गई।
वैश्विक जनसंख्या वर्ष 2030 तक बढ़कर 8.5 अरब हो सकती है और वर्ष 2050 तक इसके 9.7 अरब हो जाने का अनुमान है।रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 तक चीन की जनसंख्या में पूरी तरह गिरावट आनी शुरू हो जाएगी।
जुलाई रिपोर्ट के जारी करने के मौके पर आर्थिक और सामाजिक मामलों के अवर महासचिव लियू झेनमिन ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या में कमी हुई है उन्हें बुजुर्गों की जनसंख्या में सपेक्षिक बढ़त के प्रति तैयार रहना चाहिए।लियू ने कहा, ‘‘ चीन एक स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसकी जनसंख्या बहुत कम प्रजनन दर और अधिक जीवन प्रत्याशा के कारण बहुत तेजी से वृद्ध हो रही है। चीन में जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है और इस रुझान के आगामी दशक में भी जारी रहने के आसार हैं।’विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने संकेत दिये हैं कि बुजुर्गों की जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि के लिहाज से चीन दुनिया में पहले नंबर पर होगा।डब्ल्यएचओ के मुताबिक वर्ष 2040 तक चीन की जनसंख्या में 60 साल से अधिक उम्र वालों का हिस्सा 28 फीसदी होने का अनुमान है।वर्ष 2022 में दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र एशिया में होंगे। पूर्वी और दक्षिण-पर्वी एशिया का वैश्विक जनसंख्या में 29 फीसदी (2.3 अरब) योगदान होगा, जबकि मध्य और दक्षिण एशिया का का इसमें योगदान 26 फीसदी (2.1 अरब) होगा।
इस क्षेत्र में चीन और भारत सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश होंगे और दोनों में प्रत्येक की जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक होगी। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में होने वाली वृद्धि में आधे से अधिक योगदान आठ देशों का होगा जिनमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मिस्र, इथोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया शामिल हैं।  file photo

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