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बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती फायदा नहीं पहुँचाती है नुकसान, ये होते हैं साइड इफेक्ट्स

बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए अक्सर पेरेंट्स स्ट्रिक्‍ट पेरेंटिंग की मदद लेते हैं। माता-पिता को लगता है कि अगर वो अपने बच्चे के साथ सख्ती से व्‍यवहार करेंगे, तो बच्‍चा अनुशासन में रहने के साथ अच्‍छा व्‍यवहार करना भी सीख जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा करने वाले पेरेंट्स जाने-अनजाने अपने बच्चों को सफलता की तरफ नहीं बल्कि जीवन में असफल बनाने के लिए तैयार कर रहे होते हैं। जी हां, कई अध्ययनों से यह पता चला है कि स्ट्रिक्‍ट पेरेंटिंग का असर बच्चों पर एकदम उलट होता है। सख्त पालन-पोषण से बच्चे न सिर्फ बुरा व्यवहार करना सिखते हैं बल्कि उनमें आत्‍मसम्‍मान के साथ आत्मविश्वास की भी कमी देखने को मिलती है।
आइए जानते हैं स्ट्रिक्‍ट पेरेंटिंग के बच्चों पर पड़ते हैं क्या साइड इफेक्ट।
आत्मविश्वास की कमी-
ज्यादातर स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स अपने बच्‍चों के लिए फैसले खुद ही लेते हैं। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी लाइफ के फैसले खुद नहीं लेने देते हैं बल्कि अपने सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डालने की कोशिश करते हैं। जिसकी वजह से बच्‍चों को यह महसूस होने लगता है कि वो स्‍वयं अपने निर्णय लेने के काबिल नहीं हैं। ऐसे बच्चे अपने जीवन के हर फैसले के लिए माता-पिता पर निर्भर रहते हैं और उन्हीं के कंट्रोल में चलते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को हमेशा गाइड करें ना कि उनपर अपने फैसले थोपने की कोशिश करें।
गुस्‍से की भावना-
स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स के बच्‍चों में अकेलापन बहुत ज्‍यादा होता है। जरूरत से ज्यादा अनुशासन में रहने की वजह से ऐसे बच्चों के ज्यादा दोस्‍त भी नहीं बन पाते हैं। जिसकी वजह से वो अपने दिल की बात हर किसी से खुलकर नहीं कर पाते हैं और अकेले रह जाते हैं। ये अकेलापन आगे चलकर उनमें गुस्‍से की भावना पैदा करता है और वो डिप्रेशन में आ सकते हैं।
विद्रोह का भावना-
सख्‍त माता-पिता के बच्चे अक्‍सर क्रोधी और विद्रोही स्वभाव के हो जाते हैं। एक समय बाद ये बच्‍चे माता-पिता की भी नहीं सुनते और घर छोड़ने या भागने के बारे में सोचने लगते हैं।
झूठ बोलने लगते हैं-
हर समय बच्‍चों के साथ सख्‍ती से पेश आने वाले पेरेंट्स के बच्चे आगे चलकर झूठ बोलना सीख जाते हैं। बहुत ज्‍यादा कायदे कानून बच्‍चों के विकास में रुकावट पैदा करते हैं। बच्चों को लगता है कि झूठ बोलने से उनके माता-पिता जल्दी संतुष्ट हो सकते हैं।
आत्‍म सम्‍मान में कमी-
बच्चों के साथ सख्ती करने वाले कई पेरेंट्स उन्हें बात-बात पर घर हो या पब्लिक प्लेस डांटना सही समझते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनका बच्चा अनुशासन में रहेगा। लेकिन आपके ऐसा करने से बच्चे के आत्मसम्मान पर बुरा असर पड़ता है। बच्चे को परिवार के सदस्यों के अलावा दूसरों लोगों के सामने भी काफी छोटा महसूस होता है। जिसकी वजह से वो खुलकर अपनी बातों को रखने में डरते या संकोच महसूस करने लगते हैं। जो उनके विकास में बाधा बन सकता है। बच्चों को हमेशा प्यार से समझने की कोशिश करें, हो सके तो उन्हें दूसरों के सामने बिल्कुल न डांटें।

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