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  प्रधानमंत्री ने की मन की बात- कोविड महामारी के बीच लोगों से अधिक सचेत और सतर्क रहने का आग्रह किया

 नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोविड महामारी के बीच अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खोल दिया गया है, लेकिन लोगों को अधिक सचेत और सतर्क रहना होगा। 

आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रमिक विशेष रेलगाडिय़ों और विशेष रेलगाडिय़ों समेत कई सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। उद्योग भी सामान्य स्थिति की ओर लौट रहे हैं। इस बार बहुत कुछ खुल चुका है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ हवाई जहाज उडऩे लगे हैं। धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है। यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है खुल गया है। ऐसे में हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। दो गज की दूरी का नियम हो, मुंह पर मास्क लगाने की बात हो, हो सके तो वहां तक घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।
 श्री मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई देशवासियों के अथक और सामूहिक प्रयासों की परिचायक है। उन्होंने कहा कि किस प्रकार देशवासियों ने गंभीर चुनौतियों का सामना किया और कोरोना को उतनी तेजी से फैलने नहीं दिया जितनी तेजी से यह दुनिया के अन्य भागों में फैला। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की मृत्युदर भारत में बहुत कम है।
प्रधानमंत्री ने लोगों में सेवा की भावना की सराहना करते हुए इसे देश की सबसे बड़ी शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि सेवा परमो धर्म: में ही जीवन का सुख और संतोष है और ये भारत की जीवन शैली है। देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ, एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है - वो है - देशवासियों की सेवाशक्ति। वास्तव में, इस माहामारी के समय, हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है, कि सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है, और हमारे यहाँ तो कहा गया है - सेवा परमो धर्म:। सेवा स्वयं में सुख है, सेवा में ही संतोष है।
 श्री मोदी ने कहा कि देश के सभी भागों से महिला स्वयं सहायता समूहों के शानदार कार्यों की भी सैंकड़ों गाथाएं सामने आ रही हैं। महामारी के कारण लोगों के कष्टों और समस्याओं पर अपनी पीड़ा साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया, लेकिन सबसे बड़ी मार गरीब मजदूरों और कामगारों पर पड़ी है।  उन्होंने कहा कि केन्द्र, राज्य तथा सभी स्थानीय निकाय उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं। प्रधानमंत्री ने लाखों मजदूरों को ट्रेनों और बसों से सकुशल उनके घरों तक ले जाने में दिन-रात लगे कर्मचारियों की सराहना की। उन्होंने मजदूरों के लिए हर जिले में भोजन और क्वारंटीन की व्यवस्था कर रहे लोगों की भी प्रशंसा की। ये दुनिया के हर कोरोना प्रभावित देश में हो रहा है और इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है। हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो और इस संकट की सबसे बड़ी चोट अगर किसी पर पड़ी है तो हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है। उनकी तकलीफ, उनका दर्द और उनकी पीड़ा शब्दों में नहीं कही जा सकती। हममें से कौन ऐसा होगा जो उनकी और उनके परिवार की तकलीफों को अनुभव न कर रहा हो। हम सब मिलकर इस तकलीफ को इस पीड़ा को बांटने का प्रयास कर रहे हैं।
 प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि हम नये समाधान खोजें। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दिशा अनेक कदम उठाये हैं। श्री मोदी ने बताया कि केन्द्र ने हाल ही में कुछ ऐसे निर्णय लिये है, जिनसे ग्रामीण रोजगार, स्व-रोजगार और लघु उद्योगों के लिए नये अवसर खुले हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आत्मनिर्भर भारत अभियान देश को इस दशक में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। तमाम चुनौतियों के बीच मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत पर आज देश में व्यापक मंथन शुरू हुआ है। लोगों ने अब इसे अपना अभियान बनाना शुरू किया है। इस मिशन का नेतृत्व देशवासी अपने हाथ में ले रहे हैं। बहुत से लोगों ने तो यह भी बताया कि उन्होंने जो जो सामान उनके इलाके में बनाये जाते हैं, उनकी एक पूरी लिस्ट बना दी है। ये लोग अब इन लोकल प्रोडेक्ट्स को ही खरीद रहे हैं और वोकल फोर लोकल को प्रमोट भी कर रहे हैं। मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिले इसके लिए सब कोई अपना-अपना संकल्प जता रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गई हैं। उन्होंने न केवल आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को, बल्कि इस योजना के अंतर्गत रोगियों का उपचार कर रहे डॉक्टरों और नर्सों को भी शुभकामनाएं दीं। आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता पोर्टिबिलिटी की सुविधा भी है। पोर्टिबिलिटी ने देश को एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है। यानी बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो उसे कर्नाटक में भी वही सुविधा मिलेगी जो उसे अपने राज्य में मिलती है। इसी तरह महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो इलाज की वही सुविधा तमिलनाडु में मिलेगी। इस योजना के कारण किसी क्षेत्र में जहां स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है वहां के गरीब को देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के मौजूदा समय में लोग, योग पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। हरेक जगह लोग योग और आयुर्वेद के बारे में लोग अधिक से अधिक जानना चाहते हैं और इन्हें अपनी जीवन शैली में अपनाना चाहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जल्द ही आने वाला है। योग जैसे जैसे लोगों के जीवन से जुड़ रहा है, लोगों में अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी लगातार बढ़ रही है। अभी कोरोना संकट के दौरान भी देखा जा रहा है कि हॉलीवुड से हरिद्वार तक घर में रहते हुए लोग योग पर बहुत गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा उसे अपनाना चाहा। कितने ही लोग जिन्होंने कभी योग नहीं किया, वे भी या तो ऑन लाइन योग टास्क से जुड़ गये हैं या फिर ऑन लाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं। सही में योग कम्युनिटी, इम्यूनिटी और यूनिटी सब के लिए अच्छा है।
  

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