भारत - ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला वर्चुअल शिखर सम्मेलन- सात समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आज एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के बाद व्यापक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर एक साझा दृष्टिपत्र भी जारी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉर्ट मॉरिसन के बीच बातचीत के बाद सात समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। इनमें साइबर और साइबर-सक्षम क्रिटिकल टेक्नोलॉजी सहयोग पर समझौता और खनन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सहयोग शामिल हैं। दोनों देशों ने रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी, लोक प्रशासन और प्रशासनिक सुधारों, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण तथा जल संसाधन प्रबंधन सहयोग के बारे में भी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
बातचीत के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों पर विस्तार से उत्कृष्ट चर्चा हुई। श्री मोदी ने कहा कि दोनों देश व्यापक रणनीतिक साझेदारी के साथ नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं।
दोनों देशों के बीच, व्यापक कार्यनीतिक भागीदारी पर संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि यह आपसी समझ, भरोसा, साझा हित और लोकतांत्रिक मूल्?यों पर आधारित होगी। संयुक्त वक्तव्य में कोविड-19 जैसी बड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए व्यवहारिक वैश्विक सहयोग को लेकर दोनों देशों की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने कोविड-19 के आर्थिक असर और भावी चुनौतियों से निपटने और लोगों का जीवन बचाने में वैश्विक सहयोग को महत्व दिया है। दोनों देश वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान के लाभ साझा करेंगे तथा वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और तैयारियों को मजबूत करेंगे।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प व्यक्त किया है और डिजिटल अर्थव्यवस्था, साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने का फैसला किया है। समुद्री क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। दोनों देश साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के नये उपायों के लिए रक्षा सहयोग और संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। आतंकवाद को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताते हुए दोनों देशों ने हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा की है और इस बात पर बल दिया है कि आतंकी गतिविधियों को किसी भी हाल में उचित नहीं ठहराया जा सकता।
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