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नीतीश दूसरी बार हुए भाजपा से अलग, महागठबंधन सरकार बनाने का पेश किया दावा


पटना.  बिहार में मंगलवार को तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से दो बार मुलाकात की। कुमार ने पहली बार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा और फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन का नेता चुने जाने के बाद राज्य में एक बार फिर शीर्ष पद के लिए अपना दावा पेश किया। कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को 164 विधायकों की सूची सौंपी है और वह यह तय करेंगे कि शपथग्रहण कब होगा। राज्य विधानसभा में विधायकों की वर्तमान संख्या 242 है और बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत है'। कुमार का यह कदम 2017 में जो हुआ था उसका उलटा है जब वह महागठबंधन का साथ छोड़कर राजग में फिर से शामिल हो गए थे। कुमार ने सहयोगी भाजपा का साथ नौ साल में दूसरी बार छोड़ा है। नरेंद्र मोदी को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने 2013 में राजग का साथ छोड़ दिया था। जद(यू) की बैठक के बाद कुमार अपना इस्तीफा सौंपने के लिए राजभवन गए। कुमार वहां से अपने आवास पर लौट आए, वह रास्ते में पत्रकारों को यह सूचित करने के लिए थोड़ी देर के लिए रुके कि ‘‘पार्टी की बैठक में यह तय किया गया है कि हम राजग छोड़ दें। इसलिए मैंने राजग सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।'' इसके तुरंत बाद, कुमार सड़क के उस पार स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास गए, जहां राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित महागठबंधन के सभी नेता एकत्र हुए थे। कुमार के साथ जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन भी थे। राबड़ी देवी के आवास पर कुमार लगभग आधा घंटा रुके। वह विपक्ष के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ लौटे, जिनके पास कुमार के लिए समर्थन पत्र था। लगभग 15 मिनट बाद, कुमार ने नयी सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के वास्ते राज्यपाल से फिर से मुलाकात की। इस बार यादव और जद (यू) के वरिष्ठ सहयोगियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी उनके साथ थे। मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के चार विधायकों ने नयी सरकार बनाने के लिए ‘‘बिना शर्त समर्थन'' व्यक्त किया है। तेजस्वी यादव ने कहा, ‘‘नीतीश देश के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक साहसिक कदम उठाया है।'' इससे पहले दिन में, जब जद (यू) की एक बैठक चल रही थी, वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट में कुमार को ‘‘नये रूप में नये गठबंधन'' का नेतृत्व करने के लिए बधाई दी। ऐसा करके उन्होंने एक तरह से जदयू के राजग गठबंधन से अलग होने और सरकार में बने रहने के लिए राजद नीत महागठबंधन में शामिल होने का संकेत दिया था.  इस बीच उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवास पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बैठक हुई जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। राज्य विधानसभा में इस समय विधायकों की संख्या 242 है जबकि बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता है। राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के पास 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं। जद (यू) को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं जबकि भाकपा (माले) के 12 और भाकपा तथा माकपा के पास दो-दो विधायक हैं। इसके अलावा एक विधायक असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का है।

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