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चीतों को दोबारा बसाने के लिए कुनो राष्ट्रीय उद्यान के 24 गांवों को दूसरी जगह बसाया गया : अधिकारी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को फिर से बसाने की परियोजना के तहत पहले चरण में आठ चीतों को छोड़ेंगे और इसकी वजह से उद्यान सीमा में मौजूद 25 गांवों को दूसरी जगह बसाने की योजना थी जिनमें से एक को छोड़ बाकी गांवों को स्थानांतरित करने का कार्य पूरा किया जा चुका है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एकमात्र बचे बागचा गांव को भी 17 सितंबर से पहले दूसरे स्थान पर बसा दिया जाएगा, जिनमें कुल 148 घर हैं और इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। अधिकारियों ने बताया, ‘‘कुनो राष्ट्रीय उद्यान करीब 740 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इस समय उसकी सीमा में केवल एक गांव बचा है। उसे भी दूसरी जगह बसाने की प्रक्रिया चल रही है जिसे 17 सितंबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा।'' उन्होंने बताया, ‘‘25 में से 24 गांवों को पूरी तरह से गत 10 से 15 साल में दूसरे स्थानों पर नए सिरे से बसा दिया गया है। उन्हें मुख्य धारा में लाया गया है।'' केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मध्य प्रदेश सरकार इन गांवों को ‘‘राजस्व ग्राम''का दर्जा देगी। गौरतलब है कि राजस्व ग्राम छोटा प्रशासनिक क्षेत्र होता है जिसकी सीमाएं परिभाषित होती हैं। एक राजस्व गांव में कई पुरवे होते हैं। राजस्व ग्राम का प्रमुख ग्राम प्रशासन अधिकारी होता है। यादव ने कहा कि राज्य सरकार इस क्षेत्र में कौशल विकास केंद्र की स्थापना करेगी।
अधिकारियों ने कहा कि चीता द्वारा इनसानों पर हमलों का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा, हालांकि, वे छोटे मवेशियों जैसे बकरी, भेड़ और बछड़ों पर हमला कर उन्हें अपना शिकार बना सकते हैं जिसके प्रति ग्रामीणों को आगाह कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि चीतों द्वारा मवेशियों के मारे जाने पर सरकार प्रभावित मवेशी मालिक को मुआवजा देगी।
जानकारी के मुताबिक विशेष विमान आठ चीतों जिनमें से पांच मादा और तीन नर हैं, को लेकर 16 सितंबर को अफ्रीकी देश नामीबिया की राजधानी विंडहोक से रवाना होगा और मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर की सुबह जयपुर हवाई अड्डे पहुंचेगा जिन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से कुनो राष्ट्रीय उद्यान में 40 से 42 मिनट में पहुंचा दिया जाएगा। कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रधानमंत्री चार से छह साल उम्र के इन चीतों को एक छोटे बाड़े में छोड़ेंगे जो वहां करीब 30 दिनों तक पृथकवास में रहेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में दोबारा चीतों को बसाने के लिए तैयार सुविधा नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से ‘‘10 गुना बेहतर'' है। गौरतलब है कि यादव ने रविवार को स्वयं कुनो राष्ट्रीय उद्यान जाकर इस महत्वकांक्षी परियोजना की तैयारियों का जायजा लिया था। भारत में वर्ष 1952 में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया गया था और देश में आखिरी बार चीता 1948 में मौजूदा छत्तीसगढ़ के कोरेया स्थित साल के जंगलों में मृत मिला था।

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