प्रधानमंत्री ने 41 कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन की नीलामी प्रक्रिया शुरू की
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाणिज्यिक खनन के लिये 41 कोयला खदानों के नीलामी प्रक्रिया शुरू की। सरकार के इस कदम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा। श्री मोदी ने इसे आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश ने कोयला और खनन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, पूंजी, भागीदारी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए इसे पूरी तरह खोलने का एक बड़ा फैसला लिया है। आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 41 कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी की शुरूआत के अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार न केवल वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए नीलामी की शुरूआत कर रही है, बल्कि कोयला क्षेत्र के लिए दशकों का लॉकडाउन भी खत्म कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र को कोयले के लिए वाणिज्यिक खनन की अनुमति देकर दुनिया के चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देश के संसाधनों को नियंत्रण मुक्त किया जा रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए पिछली नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि भारत के विशाल कोयला भंडारों के कारण इसे दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक होना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि यह विडम्बना है कि भारत कोयला भंडार की दृष्टि से दुनिया का चौथा और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश होने के बावजूद कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति दशकों से बनी हुई है और यह क्षेत्र प्रतिस्पर्धा से बाहर है तथा पारदर्शिता भी एक बड़ी समस्या रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी तथा मध्य भारत और इस जनजातीय क्षेत्र को विकास का आधारभूत ढांचा बनाने के लिए कोयला क्षेत्र में सुधार, एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि देश में 16 ऐसे जिले हैं, जहां कोयले के विशाल भंडार हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को इनसे इतना फायदा नहीं हुआ है, जितना की होना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि कोयला क्षेत्र में सुधार और निवेश से गरीबों और जनजातीय लोगों का जीवन सुगम बनाने में बड़ी भूमिका होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खंड नीलामी से उद्योगों को भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इससे नये संसाधन खुलेंगे और राज्यों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने 2030 तक लगभग दस करोड़ टन कोयले को गैस में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए चार परियोजनाओं की पहचान की गई है। इसमें लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत कोविड-19 महामारी से निपटने और इस संकट को अवसर में बदलने में कामयाब रहेगा। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने भारत को आत्मनिर्भर बनने का सबक सिखाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब है, आयात पर निर्भरता कम करना और देश की विदेशी मुद्रा को बचाना। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अपने संसाधन बढ़ाएगा ताकि उसे आयात पर निर्भर न रहना पड़े। श्री मोदी ने कहा कि सभी संकेत दर्शाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेजी से आगे बढऩे के लिए तैयार हैं।
वहीं इस अवसर पर मौजूद कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि देश के कोयला उत्पादन को एक अरब टन तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र में 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। कोयला क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला मंत्रालय ने फिक्की के साथ मिलकर 41 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है। यह नीलामी कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम और खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत की गयी है।
सरकार के मुताबिक इन कोयला खदानों से होने वाला उत्पादन देश के 2025-26 तक अनुमानित कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिशत का योगदान करेगा। साथ ही इससे 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें करीब 70,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 2.10 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है।
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