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 दोनों घुटनों के सफल प्रत्यारोपण के बाद बखूबी  साइकिल चलाते हैं नागेन्द्र सिंह

- मेडिकल कॉलेज जबलपुर ने सफल घुटना प्रत्यारोपण कर रचा इतिहास
 जबलपुर। जोड़ प्रत्यारोपण के क्षेत्र में जबलपुर का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज बहुत आगे निकल गया है। मेडिकल कॉलेज जबलपुर के जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ सचिन उपाध्याय की मिनिमल मोरबिडिटी रिप्लेसमेंट टेक्नीक (एमएमआरटी) ने नया इतिहास रच दिया है। जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. सचिन उपाध्याय ने दावा किया है कि भारत में सबसे पहले दोनों घुटनों के सफल प्रत्यारोपण सर्जरी के कुछ समय पश्चात नागेन्द्र सिंह बिना किसी सहायता के अपने गांव की उबड़-खाबड़ सड़कों पर साइकिल चलाने लगे। सीधी निवासी नागेन्द्र सिंह चौहान के घुटना प्रत्यारोपण का ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क किया गया है। जबकि घुटना प्रत्यारोपण के लिए निजी अस्पताल लाखों रुपए वसूलते हैं।
   पंद्रह सालों से दोनों घुटनों में असहनीय दर्द एवं विगत पांच महीनों से बिस्तर पर रहते हुए सीधी जिला निवासी नागेन्द्र सिंह चौहान अपना जीवन गुजार रहे थे और इस दौरान हालात और भी गंभीर हो गए। श्री चौहान पूरी तरह बिस्तर पकड़ चुके थे, लेकिन जोड़ प्रत्यारोपण के बाद उन्हें नया जीवन मिला। सालों बाद वे सीधे खड़े हो सके। कुछ महीने पहले सीधी जिले के 60 वर्षीय  नागेन्द्र सिंह चौहान एवं उनके परिजन मेडिकल कॉलेज के जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ सचिन उपाध्याय के संपर्क में आए।
  मरीज की समस्त जांचों के पश्चात परिजनों को बताया गया की मरीज को आर्थराइटिस होने के कारण उसके दोनों घुटने जाम एवं टेड़े हो गए हैं एवं मरीज के दोनों घुटनों को बदलना होगा। साथ ही मरीज का ऑपरेशन इस परिस्थिति में बेहद मुश्किल होगा। मरीज एवं उनके परिजनों की अनुमति के पश्चात डॉ सचिन उपाध्याय एवं उनकी टीम ने एमएमआरटी तकनीक का उपयोग करते हुए जोड़ प्रत्यारोपण किया। मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ्य है एवं कुछ ही समय में टीम के मार्गदर्शन में मरीज बिना किसी सहायता के अपने गांव की उबड़ खाबड़ सड़कों पर साइकिल चलाने लगा। साथ ही घुटने के दर्द की कष्टदायी पीड़ा से मरीज को मुक्ति मिल गई।
डॉ. सचिन उपाध्याय ने बताया है की देश में एमएमआरटी तकनीक द्वारा दोनों घुटनों के प्रत्यारोपण के पश्चात कुछ ही समय के बाद बिना किसी सहारे के सड़क पर साइकिल चलाने वाले नागेन्द्र सिंह देश के पहले मरीज हैं। घुटनों के इस तरह खराब होने को आर्थराइटिस कहा जाता है। भारत में इससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
  श्री नागेन्द्र की दास्तां भारत के लाखों आर्थराइटिस के मरीजों में एक सकारात्मक उर्जा का संचार करेगी और लोगों को बताएगी की जोड़ प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज एक अच्छी एवं खुशहाल जिंदगी जी सकता है।  जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मिले नए जीवन के लिए नागेन्द्र सिंह एवं उनके परिजनों ने डॉ. सचिन उपाध्याय एवं उनकी टीम को शुक्रिया कहा। इस प्रकार की सर्जरी में मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग एवं एनेस्थेसिया विभाग का अहम योगदान रहा। यह सर्जरी निजी हॉस्पिटल में करवाने में लाखों खर्च होते हैं। सर्जरी डीन डॉ. प्रदीप कसार, संचालक डॉ. तिवारी एवं अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वर्मा एवं डॉ सचिन उपाध्याय के अथक प्रयासों के कारण पूरी तरह नि: शुल्क हुई है।
(मनोज कुमार श्रीवास्तव- संभागीय जनसंपर्क कार्यालय जबलपुर)
 

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