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केंद्र ने राज्यों से सड़क दुर्घटना पीड़ितों के अंग, ऊतक दान के लिए कदम उठाने को कहा

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों को अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न कर्मियों को प्रशिक्षण देने, अस्पतालों में विशेष टीम नियुक्त करने, ट्रॉमा सेंटर का उन्नयन करने और उन्हें अंग पुनर्प्राप्ति केंद्रों के रूप में पंजीकृत करने जैसे कुछ सुझाव दिए हैं। देश में अंगदान की दर प्रति 10 लाख जनसंख्या पर एक मृतक दाता से भी कम है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे आपात स्थिति में पुलिस कर्मियों, एम्बुलेंस चालकों और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों जैसे कर्मियों के लिए राज्य और जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें, ताकि सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के अंग और ऊतक दान कराने में सुविधा हो। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने एक पत्र में कहा कि भारत में प्रतिरोपण के लिए अंगों की भारी कमी है तथा हजारों मरीज विभिन्न अंगों के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। पत्र में कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, खासकर युवा और स्वस्थ लोगों की। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की "भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2023" नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.7 लाख लोग मारे गए, जो संभावित अंगदाता हो सकते थे। इसमें कहा गया है, "समय पर पहचान और रेफरल के अभाव में इनमें से कई संभावित अंगदाता व्यर्थ हो जाते हैं।" हादसे के शिकार लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे, लेकिन मानव अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 और उसके नियमों में निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार, चिह्नित ‘ब्रेन स्टेम' मृत्यु मामलों में अंगदान पर विचार किया जा सकता है। कुमार ने पत्र में कहा, "आपात स्थिति में पुलिस कर्मी, एम्बुलेंस चालक, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन (ईएमटी), पैरा-मेडिकल स्टाफ समेत अन्य कर्मी संभावित दाताओं की पहचान करने और समय पर सूचित करने तथा दान के लिए सहमति देने वालों से अंग प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।" कुमार ने कहा कि इन कर्मियों से लेकर निकटतम ट्रॉमा सेंटर या अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध प्रतिरोपण समन्वयकों तक सूचना प्रसारित करने के लिए तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वयन को लेकर सुझाई गई कार्ययोजना के अनुसार, सरकारी और निजी एम्बुलेंस सेवाओं के अंतर्गत पुलिसकर्मियों, एम्बुलेंस चालकों और आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन (ईएमटी) के लिए राज्य-स्तरीय और जिला-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। यह प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षण का एक व्यापक माध्यम हो सकता है।

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